RE: Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
"विनय, कुश्ती में ये तेरे को जरूर हरा देगी, इसके पल्ले तू न पड़ तो ही अच्छा है. वैसे मुझे नहीं लगता तेरे हाथ में अब कुछ है, तेरी किस्मत का फैसला अब दूसरों के हाथ में दे दिया है तूने" नीलिमा ने चुपके से अकेले में मौका देखकर खेल खेल में मेरे पैंट की क्रॉच को सहला कर कहा.
"भाभी, मुझे यहां से भागना ही पड़ेगा. प्लीज़ चाची को मत बताना, पर यह शेरनी यहां आने के पहले मैं दूसरा घर देख लेता हूं" मैंने कहा और फ़िर से दीपिका का फोटो देखने लगा. नीलिमा ने एलबम लेना चाहा तो उसे जरा जोर लगाना पड़ा, मैं उसे छोड़ ही नहीं रहा था.
"एक तरफ़ कहता है कि भागना पड़ेगा और एक तरफ़ अपनी सजनी की फोटो छोड़ने तक को तैयार नहीं है. और इसको देख ..." मेरी पैंट में अब तंबू बना रहे लंड को रगड़कर नीलिमा एक गाना गाते हुए बोली "ये क्या हुआ ऽ, किसकी वजह से हुआ ऽ आंटी की वजह से हुआ या भांजी पर मर गया ऽ"
मैं बगलें झांकने लगा, आखिर क्या जवाब देता. मन में हां या ना दोनों हो रही थी. दीपिका याने कोई नाजुक सुन्दरी नहीं थी, जैसी पहले मेरे ख्वाबों में आया करती थी. अच्छी खासी मजबूत स्वस्थ एथेलेटिक लड़की लग रही थी, ऊंची पूरी, शायद मेरे इतनी ही ऊंची. पर सेक्स अपील जबरदस्त थी. नीलिमा बोली "अरे मजाक कर रही थी. अच्छी लड़की है, बहुत मजा आयेगा इसके हसबैंड को. है जरा शैतान और नकचढ़ी होगी. बड़े लाड़ प्यार से पली है और इकलौती है पर मैंने जहां तक सुना है, अपनी मौसी की पूरी मुठ्ठी में है. अब किसी की मुठ्ठी में होना कोई खराब बात नहीं है, मैं भी किसी को जानती हूं अपनी उमर में इतनी बड़ी चाची पर इतना मरता है कि पूरा उनकी मुठ्ठी में है ... कौन है भला ... जरा बता ना विनय .... तेरे को नाम पता होगा ना ..." नीलिमा फ़िर मेरी टांग खींचने पर उतर आयी थी.
मैं कुछ कहता इसके पहले ही ऊपर से चाची की आवाज आयी "विनय बेटे ... वो आंटी के सूटकेस .."
"लाया चाची" मैंने कहा और एक एक करके वे सूटकेस और बॉक्स ऊपर ले गया. लता आंटी ने कहा कि चाची के कमरे में ही रख दूं. शायद चाची और नीलिमा के ही कमरे में वे रहने वाली थीं. लता आंटी ने बड़े प्यार से थैन्क यू कहा. अब उनके बारे में और दीपिका के बारे में जानने के बाद मुझे ठीक से उनसे आंखें मिलाने में भी कैसा तो भी होता था. वे बस हंसीं और चाची से बोलीं "मैं जाकर थोड़ा और सामान ले आती हूं, मैं मैनेज करूंगी, हल्का ही बचा सामान है अब लाने को. और मैं शाम को डिनर करके ही आऊंगी"
"ठीक है लता, विनय हमें छोड़ने एयरपोर्ट जा रहा है, वह भी बाहर डिनर लेकर आयेगा, वैसे भी आज कुछ बनाने का मौका नहीं मिला, कल से विमला बाई आयेगी ही."
मेरी नजर चाची और लता आंटी के पैरों पर गयी. दोनों स्त्रियों में वैसे बहुत भिन्नता थी, चाची नाटी और थोड़ी खाये पिये बदन की थीं, लता आंटी ऊंची और स्लिम थीं. चाची के बाल लंबे थे जिन्हें वे जूड़े में बांध कर रखती थीं, आंटी के शोल्डर लेन्ग्थ थे, खुले हुए. चाची जरा ही मेकप नहीं करती थीं, आंटी हल्का मेकप करती थीं, चाची के पांव छोटे थे, याने लता आंटी से एक साइज़ कम ही होंगे. पर दोनों में जबरदस्त सेक्स अपील थी. मैं फ़िर से सोचने लगा कि इतनी अलग होते हुए मेरे दिल में दोनों ने जगह बना ली थी.
हम सब नीचे आये. लता आंटी ने चाची और नीलिमा को विश किया और निकल गयीं. चाची भी उनके साथ बहर गयीं. "अरे लता वह बॉक्स ..." और वे लता आंटी से कुछ कहने लगीं. मैं दूर पर नीलिमा के साथ खड़ा था पर कान लता आंटी और चाची की बात सुन रहे थे. नीलिमा भी कुछ कह रही थी इसलिये चाची और लता आंटी की बातें ठीक से सुनाई नहीं दे रही थीं.
"स्नेहल उसमें तेरे वो ... जो तूने मुझे ..."
"तो तू ले भी आयी? चलो अच्छा हुआ, अभी तो जा रही हूं, बाद में यूज़ करूंगी"
"और वो मेरी बुक जो तेरे को पसंद .... आगे के पार्ट ... और वो कैटेलॉग से जो चीजें ... मैंने ऑर्डर .... एक महने में आ जायेंगी" लता आंटी आगे कुछ बोलीं, और चाची के कंधे पर हाथ रखकर हंसने लगीं. चाची बस अपनी स्टाइल में मुस्करायीं.
नीलिमा बोली "अरे ओ लड़के, ध्यान किधर है तेरा?"
मैं सॉरी बोला. नीलिमा ने ताना मारा "कोई बात नहीं, कोई बात नहीं, दो दो खूबसूरत आंटियां दिख रही हैं तो ऐसा ही होगा"
"नहीं भाभी ऐसा नहीं है, वे दोनों क्या बातें कर रही हैं, ये जरा समझने की कोशिश कर रहा था."
"तुझे क्या करना है? उनकी प्राइवेट बातें भी हो सकती हैं, अब जरा मेरी सुन, मैं नंबर देती हूं, वो टैक्सी बुक हुई या नहीं वो कन्फ़र्म कर ले"
और एक दो बातें करके चाची अंदर आ गयीं. उनके चेहरे पर एक अनूठी मुस्कान थी जैसे कोई रंगीन सपना देख रही हों.
शाम को हम निकले. बड़ी एस यू वी थी क्योंकि सामान बहुत था. नीलिमा आगे बैठी और मैं और चाची बिलकुल पीछे की सीटों पर. मैं कहना चाहता था कि भाभी आप चाची के साथ बैठो, मैं ड्राइवर के साथ बैठता हूं पर चाची ने हाथ पकड़ लिया, धीरे से बोलीं तू मेरे साथ बैठ, इतनी भगदड़ में तेरे से ठीक से बातें भी नहीं कीं.
कार चल पड़ने के बाद चाची ने बाजू से अपनी शाल उठाई. मैं देखता रह गया, वही शाल थी, बस वाली. उन्होंने मेरी ओर मुस्करा कर देखा और फ़िर अपने घुटनों पर शाल ओढ़ ली, साथ ही मेरे ऊपर भी डाल दी. जल्दी ही उनका हाथ मेरे लंड से खेलने लगा, लगता था कि जाते वक्त हमारी पहली रति को वे दुहराना चाहती थीं. पर इस बार उन्होंने लंड ज़िप के बाहर नहीं निकाला, अंदर ही रहने दिया.
शाल के नीचे मेरे लंड को बड़े लाड़ से पैंट के ऊपर से सहलाते हुए चाची धीमी आवाज में बोलीं "लता आंटी पसंद आयी बेटे?
"हां चाची, बहुत खुशमिजाज और अच्छे नेचर की लगती हैं"
"तेरा ध्यान रखेगी देखना, बहुत प्यार से रखेगी तेरे को. उसे भी तो कंपनी चाहिये, अब दीपिका भी अभी यहां नहीं है. दीपिका वैसे अच्छी लड़की है, बस जरा लड़ियाई हुई है, स्पॉइल्ड!" वे अब मेरे सुपाड़े को मस्त घिस रही थीं. लगता है यह कला उनकी खास स्पेशलिटी थी. मेरा लंड अपने आप ऊपर नीचे होने लगा, जैसे पूरा मजा लेना चाहता हो. मैंने कनखियों से चाची की ओर देखा कि उनका इरादा क्या है. जाते वक्त मुझे ऐसा अराउज़ करने का क्या तुक है! फ़िर ड्राइवर और नीलिमा की ओर देखा, ड्राइवर ने म्यूज़िक लगा दिया था इसलिये आगे की सीट पर हमारी बातें सुनाई पड़ने का अंदेशा नहीं था, सारा करम छिपा कर शांति से हो रहा था. पर यह डर तो था की कि अंदर ही झड़ गया तो मुश्किल हो जायेगी.
"घबरा मत" चाची बोलीं "उस दिन बस में किया था वैसा नहीं करूंगी, लता गाली देगी कि इतने प्यारे लड़के को मेरे पास आधे जोश में भेजा, वो भी पहली रात को. उसे तू बहुत पसंद आया है. ऐसा कर, जाते वक्त एक अच्छी वाइन की बॉटल ले जाना, वह शौकीन है. अब तेरे को बस इतना करना है कि लता कहेगी, वैसा कर. मेरी जगह समझ ले लता आंटी ही तेरी गार्जियन है गोआ में. वैसे मैं एक महने में आ ही जाउंगी, फ़िर हम दोनों आंटियों का प्रेम मिलेगा तुझे, नीलिमा की कमी महसूस नहीं होगी तुझे. और बाइ चांस अगर मेरे आने में देरी हुई और दीपिका ही पहले गोआ आ गयी तो वो भी यहीं रहेगी. उससे ठीक से पेश आना, कुछ उल्टा सीधा बोले तो नजरंदाज कर देना, लता की लाड़ली है, लता को खुश रखना हो तो दीपिका की हर बात मानना"
नीलिमा भाभी के मैंने मन ही मन चरण स्पर्ष किये, धन्यवाद स्वरूप, उनकी कही हर बात अब तक मेरे लिये फायदेमंद साबित हुई थी. चाची के मेरे लंड मसाज की क्रिया से मैं इतने सुख में डूबा हुआ था, कि चाची बोलतीं कि बेटा, रोज लता और दीपिका के लिये अंगारों पर चलना, तो भी हां कर देता. चाची आगे बोलीं "मेरे आने तक के ये एक दो महने कैसे जायेंगे, तुझे पता भी नहीं चलेगा."
मेरे मन में आया कि चाची, आपको नीलिमा के प्लान मालूम नहीं हैं, अगर वह सफ़ल हो गयी तो बहू बेटे के साथ ये तीन महने कब जायेंगे, आप को भी पता नहीं चलेगा. मुझे तो डर है कि फ़िर आप छह महने को न रुक जायें!
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