Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
06-21-2018, 12:03 PM,
#27
RE: Hindi Chudai Kahani मैं और मेरी स्नेहल चाची
"आई मेरे राजा, एक चीज ढूंढ रही हूं, मेरी खास पसंद की, मिल जाये तो सोने में सुहागा हो जायेगा, बहुत दिन से यूज़ नहीं की है इसलिये जरा याद नहीं आ रहा कि कहां रख दी थी" फ़िर उसने अलमारी के नीचे वाले कोने से अरुण का पुराना ब्रीफ़केस निकाला. आखिर जो वह ढूंढ रही थी, उसे मिल ही गया. लेकर मेरे पास आयी."ये बटरफ़्लाइ लगा लेती हूं, उसके बाद तू मेरी मारना, जितनी चाहे मारना"

उसके हाथ में एक प्लास्टिक और रबर का खिलौना सा था, तितली के शेप का. दो रबर के बड़े फ़्लैप्स थे, और नीचे एक तरफ़ एक छोटा डिल्डो जैसा निकला हुआ था. उसके बाजू में एक नरम रबर का पीस था जिसपर छोटे छोटे मुलायम दाने से उभरे हुए थे. दोनों तरफ़ बांधने के लिये स्ट्रैप्स थे.

"कभी देखा नहीं भाभी इसको" मैं उत्सुकता से बोला. "एक दो बार एक साइट पर फोटो देखा था पर कुछ समझ में नहीं आया. सादे वाइब्रेटर से अलग सा लगता है"

"अरे वो वाइब्रेटर अंदर डालना पड़ता है, एक हाथ हमेशा बिज़ी हो जाता है, कभी कभी दोनों हाथ भी लगते हैं. हैन्ड्स फ़्री मजा लेनी हो तो ये बटरफ़्लाइ बेस्ट है, रिमोट भी है, एक बार बांध लो, बस मजा ही मजा, ठहर तुझे दिखाती हूं" उसने उस बटरफ़्लाइ के पीछे जो छोटा सा डिल्डो सा था, अपनी चूत में घुसेड़ लिया, फ़िर क्लिप से अपने भगोष्ठों पर उसके विंग फ़िट कर लिये. इसके बाद उसने दोनों स्ट्रैप अपनी कमर में लपेटे और बकल लगा लिया.

"देख, फ़िट हो गया, अब मजा देख" उसने रिमोट दबाया तो धीमी धीमी ’भन्न’ ऐसी आवाज होने लगी. वो पूरा उपकरण अब कांप रहा था. "आह ... आह ... मजा आ रहा है विनय ... वो दाने दाने थे ना ? ... वो ठीक मेरे क्लिट पर फ़िट होते हैं ... ये वाइब्रेट होता है तो लगता है कोई कस के मुठ्ठ मार रहा हो ... हाय ... आ जा ना अब जल्दी .." नीलिमा रिमोट ऑफ़ करके करवट पर सो गयी. अब भी उसके गुदा में क्रीम लगी थी इसलिये मैं फ़िर से क्रीम लगाने के चक्कर में नहीं पड़ा. उसके पीछे लेटकर मैंने अपना लंड उसके चूतड़ों के बीच घुसेड़ दिया. आराम से अंदर चला गया. अब मुझे समझ में आया कि कैसे नीलिमा भाभी इतनी आसानी से लंड गांड में ले लेती है, आखिर अरुण से इतना मरवाती थी, उसका असर तो हुआ ही होगा.

मैंने भी अपनी करवट पर लेटे लेटे धक्के लगाना शुरू कर दिये. नीलिमा ने मेरे हाथ अपने बदन के इर्द गिर्द लेकर मेरी हथेलियां अपने स्तनों पर रख दीं. मैं उनको दबाने लगा. जल्दी ही लय मिल गयी और मैं फचाफच फचाफच उसकी गांड में लंड पेलने लगा. जब नीलिमा ने देखा कि अब अच्छे से उसकी गांड चुद रही है तो उसने रिमोट ऑन कर दिया. ’भन्न ऽ ऽ’ की आवाज के साथ वह तितली उसकी चूत को सुख देने लगी.

"अब मम्मे दबा और गांड मार मेरे राजा ... बहुत अच्छा लग रहा है .... मेरी कसम विनय ... बहुत देर मारना प्लीज़ ... बहुत दिन के बाद यह सुख मिला है मुझे" नीलिमा सिसकती हुई बोली.

नीलिमा भाभी को उस दिन मैंने भरपूर सुख दिया. दोपहर भर उसकी गांड मारी, दो बार झड़ा जरूर पर बीच में एक ब्रेक छोड़ कर उसकी गांड में लंड डाले दो घंटे गुजार दिये. जब जब झड़ा तब भी वैसे ही मुरझाया लंड अंदर दिये पड़ा रहा. उस वक्त नीलिमा ने भी अपना गुदा सिकोड़ कर मेरे लंड को पकड़ कर रखा था कि निकल ना जाये.

झड़ने से बचने के लिये बीच में काफ़ी देर बस लंड को गांड में दिये पड़ा रहता था, धक्के नहीं मारता था. नीलिमा ने अलग अलग आसनों में मुझसे गांड मरवायी, कुछ देर पलंग पर करवट पर लेट कर, फ़िर झुक कर खड़े होकर, उसके बाद फ़िर से पलंग पर पट लेट कर, फ़िर दीवार की ओर मुंह करके उससे सट कर खड़े होते हुए और अंत में मेरी गोद में बैठकर. जब वह मेरी गोद में बैठकर ऊपर नीचे होकर मेरे लंड को अपने चूतड़ों के बीच अंदर बाहर करते हुए मरवा रही थी, तब सामने आइना था. उस आइने में उसका नग्न शरीर देखते हुए, उसकी मोटी गोरी गांड में अपने लंड का डंडा अंदर बाहर होता देखते हुए, उसकी गोरी गोरी जांघों के बीच चूत से चिपकी तितली के पंख फड़फड़ाते हुए देख कर (... बिलकुल ऐसा लगता था जैसे तितली किसी फूल का रस पी रही हो, और क्या रस था इस गुलाबी फ़ूल का, टेस्ट मैं जानता था, उस नकली तितली से भी मुझे जलन होने लगी थी ...) और मेरे हाथों में पिसते उसके नरम नरम मम्मे देखते हुए उसकी गांड मारना एक बहुत ही उन्मादक अनुभव था. इस बार नीलिमा ने ज्यादा गाली गलौज नहीं की क्योंकि अब उसको बिना ब्रेक के तीव्र सुख मिल रहा था. सिर्फ़ एक बार जब मैंने उसके मम्मे दबाना एक मिनिट को बंद किया - जरा हाथ दुखने लगे थे - तो वो चिल्लाई "अरे भड़ुए ... दबा ना ... साले रुक क्यों गया ... दम नहीं है क्या .." और मैंने तुरंत उसके स्तन मसलना शुरू कर दिया, ये भी ठान ली कि अब हाथ कितने भी दुखें, नीलिमा की चूंचियां पिचकाकर ही रहूंगा. मसलवा कुचलवा कर जब नीलिमा की चूंचियां नहीं दुखीं तो मेरे हाथ थक जायें ये बड़ा इन्सल्टिंग था.

उस दोपहर की मेरी मेहनत का बड़ा मीठा फल मुझे मिला. जब नीलिमा ने वो बटरफ़्लाइ अपनी बुर से निकाली तो उसका निचला रबर का भाग और वो छोटा डिल्डो उसकी चूत के रस से सराबोर था. नीलिमा ने उस गीली बटरफ़्लाइ को हाथ में लेकर जिस शोखी से मेरी ओर देखा था, उससे साफ़ था कि वह मुझसे क्या उम्मीद कर रही थी. इसलिये जब उसके बिना कुछ कहे मैंने उसके हाथ से बटरफ़्लाइ लेकर उसे जीभ से चाटा तो उसकी मुस्कान देखते बनती थी. उस सेक्स खिलौने को चाट कर साफ़ करने में इतना स्वाद आया कि कह नहीं सकता. बाद में नीलिमा ने बताया कि वह बटरफ़्लाइ उसे अरुण ने लाकर दी थी. "अरे उसे मालूम है मेरी गरम तबियत, पिछली बार आया था तो साथ लेकर आया था कि अकेले में चुपचाप मजे ले सकूं"

चाची देर दोपहर वापस आयीं तब तक मैं अपने कमरे में जाकर सो गया था और नीलिमा अपने कमरे में.

उसके बाद रविवार की दोपहर की वह रति याने गांड मारने का कार्यक्रम एकदम फ़िक्स हो गया था. फरक सिर्फ़ इतना हुआ कि नीलिमा भाभी किचन से मख्खन का एक छोटा डिब्बा साथ ले आती थी. वह इसलिये कि वह नहीं चाहती थी कि कोल्ड क्रीम के कड़वे स्वाद के कारण उसका गुदा चूसने की मेरी क्रिया में कोई खलल ना पड़े. "विनय राजा, उस दिन जल्दी में कोल्ड क्रीम यूज़ कर ली नहीं तो अरुण तो हमेशा मख्खन यूज़ करता है. कोल्ड क्रीम का स्वाद नहा धोकर भी कई दिन नहीं जाता. और जब तू इतने प्यार से वहां मेरे किस लेता है, जीभ से गुदगुदाता है तो मैं नहीं चाहती कि तुझे ऐसा कड़वा स्वाद आये". और अब मैंन भी खुद नीलिमा की नरम नरम गांड के स्वाद का दीवाना हो गया था. गांड मारने के पहले उसके गोरे चूतड़ फैलाकर उनके बीच के नरम कोमल छेद को मुंह लगाने में जो जायका आता था, उसकी आदत सी पड़ गयी थी. और ऊपर से मख्खन लगी गांड को चाटने और चूसने में अलग ही स्वाद आता था, जैसे मख्खन लगी मोटी बनपाव वाली डबल रोटी खा रहा होऊं.

उन कुछ दिनों में मुझे नीलिमा भाभी की इतनी गांड मारने मिली थी कि फ़िर मैंने बीच के दिनों में चाची की गांड की मेरी आस को करीब करीब छोड़ ही दिया, सोचा बाद में देखूंगा. वैसे नीलिमा मुझे बोली "ऐसा निराश ना हो, मुझे नहीं लगता चाची को गांड मराने से परहेज है, सेक्स में तो उनका दिमाग मुझसे दूना चलता है, जरूर और कोई बात है, वैसे मेरा मन कहता है कि तुझे उनकी गांड मिलेगी जरूर. हां हो सकता है कि इतनी बेशकीमती चीज तुझे देने के पहले तुझसे कुछ रिटर्न में चाहती हों"
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