RE: Hindi Sex Story ठाकुर की हवेली
फिर तीनो बाथरूम मे आ गये. एक बड़े कमरे जितना बड़ा होगा वह बाथरूम. दो बड़े लंबे टब थे, काई नल लगे थे. उपर दो शवर थे और दो ही हॅंड शवर थे.
एक ओर दीवार पर बड़ा आईना लगा हुआ था. दोनो बाथ टब के बीच एक आलीशान छोटी आल्मिराह बनी हुई थी जो तरह तरह के बॉटल से भरी हुई थी.
बाथरूम मे स्टील और पीतल के कई रोड लगी हुई थी. कपड़े टाँगने के लिए. वहीं कई हॅंगर भी झूल रहे थे, काई तोलिये टँगे थे उन पर. तभी रजनी ने मालती की सारी के पल्लू का एक छोर थाम लिया और उसे खींचने लगी. जैसे जैसे रजनी खींचती चली जा रही थी वैसे वैसे ही मालती घूमने लगी और रजनी ने सारी एक रोड पर टाँग दी.
रणबीर पास ही खड़ा मौन हुए सब कुछ देख रहा था. पेटिकोट मे मालती के बड़े छूतदों का वह जयका ले रहा था. फिर रजनी मालती का ब्लाउस के हुक खोल उसे भी उसके शरीर से अलग कर दिया. मालती के पिंजरे मे क़ैद कबूतर फाड़ फाड़ने लगे.
रजनी कुछ देर मालती की ब्रा मे कसी चुचियों ब्रा पर से ही दबाती रही.
"आओ तुम भी अपनी चाची के इन पर हाथ लगा के देखो." ठाकुरानी मालती की चुचियों को दबाते हुए बोली.
रणबीर मंतरा मुग्ध सा मालती की छातियों पर हल्के हल्के हाथ फेरने लगा. तभी रजनी ने नीचे अपना एक हाथ रणबीर की लंगोट के उभार पर रख दिया और जैसे वह मालती की चुचियों पर हाथ चला रही थी वैसे ही लंगोट के आगे के उस उभार पर हाथ चलाने लगी.
"है रजनिज़ी वहाँ हाथ मत लगाइए, कैसा कैसा लग रहा है." रणबीर ने मालती की दोनो चूंचियों को ब्रा के उपर से जाकड़ पीछे हटते कहा.
फिर रजनी की पहुँच से उस हिस्से को दूर करते हुए वह मालती के पीछे सॅट गया और मालती की गांद पर उत्तेजना से दबाव देने लगा.
"हूँ तो तुम अपनी चाची की गांद के दीवाने हो गये हो, साली मालती तेरी गांद ने इस पर क्या जादू कर दिया है रे?" ये कह के रजनी ने मालती का पेटिकोट का नाडा खींच दिया और वह मालती के पैरों मे गीर पड़ा. मालती ने रोज़ की तरह कोई पॅंटी नही पहनी थी और वो कमर के नीचे नंगी हो गयी.
रजनी ने मालती की चूत पर हथेली जमा दी और वो ज़ोर से उसकी झाँते घिसने लगी.
तभी रणबीर ने भी थोड़ा पीछे हटते हुए मालती की ब्रा का हुक खोल दिया और उसे मदजात नंगा कर दिया. मालती भी अब कहाँ पीछे रहने वाली थी उसने भी रणबीर की बनियान उत्तर दी और फिर देखते देखते लंगोट की भी गाँठ खोल उसे हवा मे झूलते रोड पर टाँग दी.
अब रणबीर भी मालती की तरह पूरा नंगा था. फिर मालती ने रजनी की नाइटी की डोर खोल पहले उसकी नाइटी उतारी और वह भी रजनी की गांद पर अपनी चूत रगड़ते हुए ठकुराइन के दोनो माममे ब्रा पर से सहलाने लगी.
"ले साली अब में तेरी गांद अपनी चूत के दाने से मारूँगी, ले मेरा धक्का." ये कह कर मालती रजनी की चुचियों दोनो हाथों मे भर मसालने लगी.
"अरे भोसड़ी वाली पहले इन कपड़ों को तो उतार मेरे, चुभ रहे हैं. तब मालती ने रजनी को भी ब्रा और पॅंटी से छुटकारा दिला नंगी कर दिया. रणबीर अभी भी ठकुराइन की कुछ शरम कर रहा था और चुप चाप खड़ा उन्हे देखता रहा.
तभी रजनी ने दोनो शवर चालू कर दिए. उपर लगे दोनो फुवरों से बड़ी वेग से पानी निकला और ऐसा लगा की एका एक मूसला धार बारिश शुरू हो गयी हो. रजनी ने मालती और रणबीर दोनो को शवर के नीचे खींच लिया और तीनों एक दूसरे के गले मे बाहें डाले काफ़ी देर तक वैसे ही उछल उछल कर शवर के पानी का आनंद लेते रहे. एक दूसरे के अंगों को छूते रहे सहलाते रहे पकड़ कर खींचते रहे.
फिर रजनी ने शवर बंद कर दिया. अब रजनी और मालती रणबीर के नंगे जिस्म पर टूट पड़ी और उसके पानी छूटे जिस्म को ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी. पीठ, पेट, नाभि चूतड़ पाँव जंघे सब जगह वो दोनो रगड़ रही थी और इस प्रकार रगड़ रगड़ कर ही रणबीर के बदन को सूखा दिया
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