RE: Hindi Sex Story ठाकुर की हवेली
मालती फिर पलंग पर घोड़ी बन गयी. रजनी का इशारा पाते ही रणबीर उसके पीछे आ गया और अपना लंड मल्टी की गांद के छेद पर रख दिया. रजनी ने थूक से साना लंड थोड़ा सा दबाव देते ही अंदर जाने लगा. मालती के शरीर ने एक बार झटका खाया. पर अब रणबीर के बस की बात नही थी. फिर ठकुराइन ने उसकी गैरत को ललकार दिया था. तो उसने दाँत भींचते एक तगड़ा धक्का मालती की गांद मे दिया और मालती की चीख उस हवेली के सन्नाटे मे गूँज गयी.
"है रे मार डाला रे... में मर गयी रे... बाहर निकालो ये लोहा मेरी गाअंड से." मालती छटपटा रही थी
पर रणबीर ने एक ना सुनी और अपने लंड को थोड़ा बाहर निकालते हुए फिर एक धक्का मार पूरा लंड अंदर पेल दिया.
रजनी को मज़ा आ रहा था और वो रणबीर को उकसा रही थी.
"वा रे मेरे ठाकुर के शेर, हां मार साली की और ज़ोर से मार. देख साली की कितनी फूली गांद है. मार मार मार के हवेली का गेट बना दे साली की गंद को. इसका जेठ तो सला बुद्धा रंडुआ है और भोसड़ी का वह भतीजा साला लुंडों का लंड चूस्ता है और उनसे खुद गांद मरवाता है."
रजनी ने अपनी नाइटी मे हाथ डाल दिया था और हाथ से अपनी चूत को रगड़ते हुए रणबीर को उकसाए जा रही थी.
"ठकुराइन ये आपके सामने ही मेरी गांद का भुर्ता बनाए जा रहा है और आप मज़े ले रही है. है लंड है या मूसल गांद....छील्ल..... के रख....दी....मरी जा रही हूँ." मालती हाय तोबा मचाती रही और रणबीर तब तक उसकी गांद मरता रहा जब तक की उसके रस से मालती की गांद पूरी ना भर गयी हो और उसकी गांद से रणबीर का रस चुने ना लग गया हो.
रणबीर हांफता हुआ धीरे धीरे सुस्त पड़ गया.
"ला तेरी गांद इधर कर, मुझे देखने दे उस दिन जैसे मारी या नहीं." ये कहकर रजनी मालती की गांद पर झूक गयी और दोनो हाथो से जितना फैला सकती थी उतनी उसकी गांद फैला दी. मालती की गांद मे अंदर तक देखा जा सकता था. तभी रजनी ने आधी से अधिक जीब उसकी गांद मे दे दी और जीभ अंदर की गंद के अंदर की दीवारों पर चलाने लगी. वह कई बार मालती की अच्छी तरह से मारी हुई गांद चाटती रही.
फिर मालती उठी और सीधी बाथरूम की और भागी.कुछ देर बाद वापस बन संवर के निकली. तभी रजनी ने इशारा किया और मालती ने एक बादाम घुटे हुए दूध का ग्लास टेबल पर से उठा रणबीर क्को पकड़ा दिया. रणबीर ने एक घूँट मे ग्लास खाली कर फिर मालती को थमा दिया.
"जाओ तुम भी बाथरूम मे चले जाओ वहाँ सब कुछ मौजूद है." ठकुराइन ने कहा.
रणबीर उठा और बाथरूम मे चला गया. फुवरे के नीचे ठंडे पानी से स्नान कर, क्रीम सेंट लगाएक मखमली तौलिए को लपेट जब वो बाहर आया तो मालती और रजनी दोनो पलंग पर नंगी थी.
रजनी पीछे एक बड़े तकिये का सहारा लिए टाँगे चौड़ी कर के बैठी थी, उसकी झांते भरी चूत रणबीर को सॉफ दीख रही थी जिससे मालती चाची खेल रही थी, बीच बीच मे उसके अंदर जीब डाल रही थी, उसको चाट रही थी और रजनी मालती का सिर अपनी चूत पर दबा रही थी.
रणबीर पास पड़ी टेबल से अपने चूतड़ टीका कर ये लुभावना दृश्या देख रहा था. धीरे धीरे तौलिए मे लिपटा उसका लंड खड़ा होने लगा. कमरे की दूधिया रोशनी मे रजनी का गोरा बदन चमक रहा था. ठकुराइन रणबीर की कल्पना से कहीं ज़्यादा सुंदर थी. ठकुराइन की जगह और कोई होती तो ये सब देख रणबीर उस पर चढ़ बैठता पर यहाँ बिना ठकुराइन की आग्या के वो हिलने की भी नही सोच सकता था.
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