RE: Antarvasnasex बैंक की कार्यवाही
बैंक की कार्यवाही मजे लेकर आई--35
गतांक से आगे ...........
यार हिन्दी तो इतनी अच्छी तरह से बोलती है, जैसे भारत की ही रहने वाली हो--- पर देखने से तो नहीं लग रही, मैंने खुद से कहा।
मैंने नीचे गेट पर देखा तो टू-लेट का बोर्ड हट चुका था। तो ये इनके नये किरायेदार हैं, मैंने खुद से कहा।
क्या हुआ,,, मारशैला--------- अंदर रूम में से निकलते हुए एक लड़के ने कहा।
शायद यह अभि था। लड़का भारतीय ही था।
वो उधर देखो, वो वो अंकल क्या कर रहे हैं,, लड़की ने कहा।
उनके मकान भी कोने पर ही था, पर उनके मकान के सामने से एक दूसरी गली भी निकलती है तो मुझे उस गली का कुछ दिखाई नहीं दे रहा था।
वो कुछ देर उधर ही देखते रहे। मैं दूध लेने के लिए नीचे आ गया। सोनल नीचे गेट के पास खड़ी थी। गेट आधा खुला हुआ था। मैंने और खोलने की जहमत नहीं उठाई और सोनल से सटते हुए बाहर निकल गया। मैंने थोड़ा आगे निकल कर वापिस मुड़कर देखा, तो वो मुझे ही घूर रही थी। जब मैं गली के सामने से गुजरा तो उस तरफ देखा तो एक अंकल गधे की सवारी कर रहे थे, और कुछ बच्चे उनके पिछे पिछे भाग रहे थे। उन्हें देखकर मेरी हंसी छूट गई। मैं दूध लेकर आया। सोनल अभी भी गेट में ही खड़ी थी। मैं फिर से वैसे ही उससे सटकर निकलते लगा, पर जैसे ही मैं उसके सटकर निकलते हुए उसके बगल में पहुंचा, उसने मुझे अपने शरीर से धक्का दे दिया और मैं गिरते गिरते बचा।
ये क्या बदतमीजी है, मैं थोड़ा गुस्सा होते हुए कहा।
बड़े आये तमीज वाले, इतनी ही तमीज की चिंता होती तो ऐसे मुझसे सटकर नहीं निकलते, सोनल ने मेरी चिढ निकालते हुए कहा।
तुम्हें हो क्या गया है, कहीं कोई भूत-वूत तो नहीं घुस गया है तुम्हारे अंदर, मैंने उसकी तरफ बढ़ते हुए कहा।
मैंने कहा ना कि मुझसे बात करने की जरूरत नहीं है, अपने काम से काम रखो, उसने झल्लाते हुए कहा।
तभी मेरी नजर सामने वाली छत पर गई, वो लड़की मुंडेर के पास खड़ी थी और हमें ही देख रही थी।
भाड़ में जाओ, मैंने उस लड़की की तरफ देखते हुए सोनल से कहा और उपर की तरफ चल दिया। उपर पहुंचकर मैंने उस छत पर देखा तो वो लड़की अंदर जा चुकी थी। मैं भी अंदर आ गया और दूध गर्म करने के लिए रख दिया। दूध गर्म करने के बाद मैं बाहर छत पर आ गया।
हाय समीर, पिछे से पूनम की आवाज आई।
मैं उनकी तरफ घुमा तो पूनम और वो दोपहर वाली लड़की छत पर खड़ी थी और मेरी तरफ ही देख रही थी।
हाय, कैसी हो,, मैंने उनकी तरफ बढ़ते हुए कहा।
एकदम मस्त,, इनसे मिलों ये हैं मेरी बड़ी बहन पायल--- पूनम ने कहा।
हाय पायल जी--- कहते हुए मैंने उसकी तरफ अपना हाथ बढ़ा दिया।
हाय, समीर जी, कैसे हैं आप, पायल ने मुझसे हेंडशेक करते हुए कहा।
एकदम कोमल हाथ था उसका।
आप पहले तो कभी नहीं दिखी यहां पर, मैंने हाथ छोड़ते हुए कहा।
वो दीदी, मामा जी के यहां रहती हैं, दिल्ली में, वहीं पर पढ़ती थी, पूनम ने जवाब दिया।
अब पहली बार मैंने उस लड़की को सही तरह से देखा था, काफी सुंदर थी और भरा हुआ बदन था। कपड़े बहुत ही सलीके से सही तरह से पहने हुए थे जिसमें से एक एक कर्व शानदार तरीके से दिखाई दे रहा था। उसे देखकर न तो ऐसा ही लगता था कि चालू है और न ही ऐसा कि सीधी-साधी है।
शायद इश्क-विश्क प्यार-व्यार का कोई चक्कर है इसका, मैंने मन ही मन सोचा।
आप बहुत ही सुंदर लग रही हैं, नॉर्मली लड़कियों को देखकर हॉट या सैक्सी कहते हैं, पर आपको देखकर बस एक ही शब्द आ रहा है, ब्यूटीफुल, मैंने उसकी तारीफ करते हुए कहा।
अपनी तारीफ सुनकर वो शरमा गई, नजरे नीची कर ली और पूनम के थोड़ा सा पिछे हो गई।
अरे दीदी आप तो ऐसे मेरे पिछे छुप रही हो, जैसे मैं बड़ी हूं आपसे, पूनम ने कहा।
पायल ने एक नजर मेरी तरफ देखा और फिर से अपनी नजरें झुका ली।
तभी अंकल (पूनम के पापा) उपर आ गये।
क्या चल रहा है, पड़ोसियों में, उपर आते हुए अंकल ने कहा।
देखो न पापा, दीदी कैसे शरमा रही है, देखों मेरे पिछे छुपी हुई है, पूनम ने कहा।
उसकी बात सुनकर मैं और पायल एकदम सकपका गये। पायल ने उसे खा जाने वाली नजरों से देखा।
क्यों शरमा रही है मेरी गुडिया रानी, अंकल ने कहा।
समीर ने इनकी तारीफ में दो शब्द क्या कह दिये, छुईमुई बन गई हैं दीदी, पूनम पर पायल की आंखों का कोई असर नहीं हुआ।
अंकल ने मेरी तरफ देखा और फिर पायल को कहने लगे।
बेटा, तुम इतनी सुंदर हो, तो लोग तो तारीफ करेंगे ही, इसमें शरमाने की क्या बात है, और वैसे शरमाना ठीक भी है, शरम तो औरत का गहना होती है, अंकल ने मुस्कराते हुए कहा।
थोड़ी देर अंकल मुझसे मेरे काम और घर के बारे में पूछते रहे। 11 बजने वाले थे, तो अंकल और वो दोनों नीचे चले गये। मैं भी अपने रूम में आकर लेट गया।
रूम में आते ही मुझे कुछ सूना-सूना सा लगने लगा और सोनल की याद आने लगी।
मैं उठकर बाहर आ गया और नीचे झुककर देखा। वहां पर कोई नहीं था। मैंने सोनल को कॉल की पर उसने फोन काट दिया।
तुरंत ही उसका मैसेज आया, ‘क्या है, क्यों परेशान कर रहे हो’।
क्या हुआ यार, क्यों नाराज हो, (देखों सारे एक्सबी वाले कितने परेशान हो गये हैं, मुझसे पूछते रहते हैं कि इस सोनल को क्या हुआ अब
कुछ देर तक कोई रिप्लाई नहीं आया।
आ जाओ ना यार, बहुत अकेला अकेला लग रहा है, मैंने फिर मैसेज किया।
मुझे ऐसे लड़के बिल्कुल पसंद नहीं है, जो ज्यादा इमानदार बनने का ढोंग करते रहते हैं, सोनल का रिप्लाई आया।
तो अब मैंने क्या किया,,, मैंने वापिस मैसेज भेजा। कुछ कुछ मेरी समझ में तो आ रहा था पर फिर भी क्लियर करना जरूरी था।
पूछ तो ऐसे रहो हो, जैसे कुछ मालूम ही ना हो,, उसका रिप्लाई आया।
अब मुझे क्या मालूम,, तुम कुछ बताओगी तभी तो मालूम चलेगा, मैंने मैसेज किया।
फाला आज तो बैलेंस की ऐसी-तैसी होकर रहेगी, एक मैसेज का एक रूपया लग रहा था, अब उसको कह भी नहीं सकता कि एक मैसेज में जवाब दे दे,, और जयादा नाराज ना हो जाये कहीं।
सुबह पचास रूपये में काम चल रहा था, पर नहीं मैं तो अन्ना हजारे का खास चेला हूं,, रिश्वत तो दूंगा ही नहीं, उसका मैसेज आया।
अभी मैं मैसेज टाइप कर ही रहा था कि फिर से एक और मैसेज आया।
दो सौ रूपये लगे वो लगे, दो घंटे लाइन में खड़ी रही, चालान भरने के लिए और फिर पता चला कि ये तो जनाब के लाइसेंस पर है, वो ही भर सकते हैं।
तो यार, तेरे को किसने कहा था, चालान भरने के लिए, मैं खुद भर आता,, मैंने टाइप किये हुए मैसेज को ड्राफट किया और नया मैसेज टाइप करके भेजा।
तो चालान कटवाने की जरूरत ही क्या थी, जब वो पैसे लेकर मान रहा था तो, उसका जवाब आया।
तुम उपर आ जाओ, यहां बैठकर बात करते हैं, मैंने मैसेज भेजा।
मुझे तुमसे कोई बात नहीं करनी, उसका रिप्लाई आया।
अब इसका क्या करूं, मैं बैठकर सोचने लगा।
फिर मैसेज आया, ‘हर कोई पैसे देकर अपना काम निकलवाता है, पर आपको को डॉक्टर ने मना किया है ना रिश्वत देने से’।
और रिश्वत नहीं थी वो, चालान के भी पैसे लगे, वो उनको दे देते तो परेशान होने से बच जाते,,, एक और मैसेज आया।
यार, ये लड़की भी ना, अब इसको कैसे समझाउं, मैं सोचने लगा।
यार तुम एक बार आ जाओ ना, या फिर मैं आ जाता हूं, आराम से बैठकर समझाता हूं तुम्हें, मैंने मैसेज किया।
न तो मुझे कुछ समझना है, और न ही कुछ समझाना है, मैं किस लिए नाराज हूं मैंने बता दिया और मनाने से कोई फायदा नहीं है, अब मुझसे बात करने की कोशिश मत करना, उसका मैसेज आया।
फाला, इतने बैलेंस की ऐसी तैसी करके, अब कह रही है कि बात भी मत करना, मैंने गुस्से में खुद से कहा और मोबाइल को स्वीच ऑफ करके जेब में रख लिया।
कुछ देर मैं बाहर बैठा हुआ दिमाग को खुजलाता रहा और फिर उठकर अंदर आ गया।
12 बज गये थे, पर नींद आंखों के आसपास भी नहीं थी।
अंदर आकर मैं बेड पर लेट गया और सोनल के बोर में सोचता रहा, और सोचते सोचते ही नींद आ गई।
उठो----- अभी तक सो रहे हो, ऑफिस नहीं जाना क्या, सोनल ने मुझे झिंझोडते कर उठाते हुए कहा।
उंहहह सोने दो ना, किती अच्छी नींद आ रही है, मैंने उसको भी बेड पर खिंचते हुए कहा।
तो ये बात है, जनाब को नींद नहीं आ रही, मस्ती सूझ रही है, सोनल ने बेड पर चढकर मेरे उपर लेटते हुए कहा।
मैंने अपनी दोनों बाहें उसकी कमर में कस दी और उसे अपनी बाहों में भींच लिया। सोनल ने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये और जोर जोर से चूसने लगी। मैं अपने हाथ नीचे की तरफ ले गया और उसकी इलास्टिक वाली पजामी को खींच कर नीचे सरका दिया और फिर अपने शॉर्ट को भी नीचे कर दिया। पजामी और शॉर्ट के साथ साथ हमारे अंदर के कपड़े भी नीचे हो चुके थे। मेरा लिंग सीधा सोनल की योनि पर जाकर टकराया, जिससे सोनल के होंठो से एक आह निकली, वो थोड़ा सा उपर को उठी और मेरे लिंग को अपनी योनिछिद्र पर सैट करके धीरे धीरे नीचे होती गई। मेरा लिंग मक्खन में चाकू की तरह उसकी योनि में समाता चला गया।
वो वैसे ही लेट गई और मेरे होंठों को चूसने लगी। मेरे हाथ उसके कुल्हों को मसल रहे थे। हमारी टांगे एक दूसरे से उलझी हुई थी। वो इतनी वाइल्ड हो गई थी कि कभी खुद उपर आ जाती और फिर कभी पलटी मारकर मुझे उपर खींच लेती। बेड की चदद्र एक जगह इक्क्ठी हो गई थी। सोनल फिर से मेरे उपर आ गई और मेरे लिंग पर बैठ गई।
उसने अपने हाथ मेरी छाती पर रखे और मेरे लिंग पर उछलने लगी।
मैं उसके अंदर की गर्मी बर्दाश्त नहीं कर पाया और मेरे लिंग ने झटके खाने शुरू कर दिये। मेरी पिचकारी उसकी योनि को अपने रस से भरने लगी।
और इसी के साथ मेरी नींद खुल गई। ओहहह---- सिसससट,, आज ये क्या हुआ,,, इस सोनल की बच्ची ने तो जीना हराम कर दिया है।
मैं उठकर बाथरूम में गया और खुद को साफ किया, अंडरवियर और शॉर्ट को बाल्टी में डालकर पानी डाल दिया और खुद को तौलिये से पौंछ कर तौलिया लपेट कर बाहर आ गया। मैंने दूसरा अंडरवियर और शॉर्ट पहना और बेड पर आकर बैठ गया। मैंने टाइम देखा तो साढ़े चार बजने वाले थे।
सिर में हल्का सा दर्द महसूस हो रहा था। मैं वापिस बेड पर लेट गया और पांच बजे वाले अलार्म को बंद कर दिया। मैं सोने की कोशिश करने लगा और कुछ ही देर में मुझे नींद आ गई।
सात बजे अलार्म के बजने से मेरी नींद खुली। उठकर मैं जल्दी से फ्रेश हुआ और नहा धोकर ऑफिस के लिए तैयार हो गया। नाश्ता बनाने का टाइम नहीं बचा था, इसलिए बाहर ही खाने का प्रोग्राम बना लिया।
साढ़े आठ बजे मैंने रूम लॉक किया और नीचे आ गया। आंटी का दरवाजा खटखटाया, थोड़ी देर बाद सोनल ने दरवाजा खोला।
क्या है, क्यों शोर कर रहे हो, सोनल ने मुझपर झल्लाते हुए कहा।
शोर की बच्ची, चल वो चालान दे, भर आता हूं आज,, मैंने अंदर आते हुए कहा।
मम्मी को पता नहीं चलना चाहिए कि मैं तुमसे नहीं बोलती हूं, उसने मेरे पिछे आते हुए कहा।
सोनल ने मुझे चालान लाकर दे दिया, आंटी कहीं दिखाई नहीं दे रही थी।
आंटी कहां हैं, मैंने उससे पूछा।
चालान मिल गया, अब फूट लो यहां से,, सोनल ने गुस्से से कहा।
मैं भी कौनसा कम था, उसके मुंह दर दरवाजा बंद करते हुए मैं बाहर आ गया और ऑफिस के लिए निकल लिया।
ऑफिस पहुंचते पहुंचते साढ़े नौ बज गये थे, सही स्पीड से आया था, फिर भी पता नहीं क्यों आज लेट हो गया।
अपूर्वा आ चुकी थी, मैंने उसकी स्कूटी के पास अपनी बाइक खड़ी की और ऑफिस की तरफ बढ़ गया।
जैसे ही ऑफिस में घुसा तो मुझे कोमल की चिकनी जांघों के दर्शन हुए पिछे की साइड से। अपूर्वा काम कर रही थी और कोमल उसकी चेयर के साथ खड़ी थी। कोमल ने शॉर्ट पहनी हुई थी जो उसके कुल्हों से थोड़ी सी नीचे तक थी। उसकी टीशर्ट भी नाभि से उपर तक ही थी।
मैं अंदर आ गया। बॉस भी ऑफिस में ही थे और अपने सिस्टम पर कुछ काम कर रहे थे।
गुड मॉर्निग सर, मैंने बॉस को देखते ही कहा।
गुड मॉर्निग, आज फिर लेट हो गये, बॉस ने मेरी तरफ देखते हुए कहा।
सर वो, लेट उठा तो, इसलिए लेट हो गया, मैंने कहा और अपना सिस्टम चालू कर दिया।
गुड मॉर्निग अपूर्वा, गुड मॉर्निग कोमल, मैंने चेयर पर बैठते हुए कहा।
गुड मॉर्निग जी, अपूर्वा ने जवाब दिया। पर कोमल का कोई जवाब नहीं आया। मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने मुंह बनाकर फेर लिया और अपूर्वा से बात करने लगी।
क्रमशः.....................
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