Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
02-10-2018, 12:26 PM,
RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार
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मैंने बेसब्री से शानू को फुसफुसाई, " चल अब जल्दी से कपडे उतार। यही मौका है जीजू को फ़साने का। "

शानू की कुछ क्षणों की झिझक देख कर मैंने उसकी टी शर्ट खींच कर उतार दी। शानू अपने शॉर्ट्स खुद ही खोलने लगी, "हाय नेहा मेरा दिल

लग रहा है कि जैसे फट पड़ेगा।"

मैंने शानू के होंठों पे उंगली रख उसे शांत रहने का निर्देश दिया और जल्दी से सरे कपड़े उतार कर शानू की तरह निवस्त्र गयी।

"शानू जैसे मैं सुझाऊं वैसे ही करना ," शानू को निर्देश देते हुए मैं शांत क़दमों से स्नानगृह ओर अग्रसर हो गयी। शानू धीमे धीमे चल रही थी,

मैंने अधीरता से उसका हाथ पकड़ कर अपने पीछे खींचने लगी।

आदिल भैया का पुष्ट मांसल शरीर पानी से भीग और भी सुहाना लग रहा था। उनकी बड़ी बड़ी मांस-पेशियां उनकी हर गतिविधि मनमोहक रूप से

आंदोलित हो रहीं थी। उनका लम्बा मोटा वृहत लंड तब शिथिल था। पर उसके शिथिल अवस्था में भी इतना लम्बा,मोटा और भारीपन था कि

उसके तन्नाये होने पर भैया का लंड घोड़े जैसा महाकाय हो जाने का अहसास शीघ्र आसानी से दर्शित हो रहा था ।

"जीजू अरे आप इतनी मेहनत क्यों कर रहें हैं। आपकी दो दो सालियां क्या मर गयीं हैं ? " मैंने जल्दी से बोली क्योंकि मैं भैया के आश्चर्य को

छितराने के लिए उत्सुक थी। भैया मेरे उल्हाने को सुन कर अपनी दोनों छोटी बहनों को नंगा देख कर जिस अचम्भे में पड़ गए थे उस से शीघ्र ही

उभर गए।

"छोटी साली साहिबा, आपने हमें कोई इशारा तो किया था पर जब आप दोनों नहीं आये। इसीलिये हमें लगा की खुद ही अपनी मदद नहीं की तो

सारी ज़िंदगी इंतज़ार में निकल जाएगी। " भैया भी कम नहीं थे।

"क्या जीजू, क्या हम दोनों को नहीं पता की आपको अपनी नुन्नी धोने के लिए मदद की ज़रुरत पड़ती है। यहाँ ना तो शब्बो बूई हैं और ना ही

नसीम आपा हैं। फिर आपकी नन्ही सी चुन्मुनिया को कौन साफ़ करेगा ? " मैंने लपक कर भैया के हाथ से साबुन छीन कर उनके लुभावने

मांसल शरीर के ऊपर झाग बनाने लगी।

शानू की आँखे भैया के विकराल लंड को देख कर फटी की फटी ही रह गयीं। भैया का लंड अभी मुश्किल से खड़ा होना प्रारम्भ भी नहीं हुआ था।

भैया भी कम नहीं थे। उन्होंने मुझे तेज़ी से बहते फव्वारे के नीचे खींच कर पूरे तरह से गीला कर दिया। मेरे कंचन जैसे भरे पूरे अविकसित शरीर

पर पानी की लहरें मेरे गदराये घुमावों को उभारते हुए मेरी मांसल झांगों लहरती हुईं फर्श पर मचलने लगीं।

भैया ने लपक कर नसीम आपा का चन्दन महक से भरपूर सुगन्धित साबुन मेरे शरीर पर शरीर पर सहलाने लगे , "साली जी हमें भी तो आपकी

सेवा करने का मौका दीजिये। "

"अरे जीजू आपको कौन रोक रहा है। चाहे सेवा कीजिये या लूट लीजिये आपकी मर्ज़ी है ," मैंने इठला कर भैया को खुला निमंत्रण दिया , " नहीं

रे शानू ?" मैंने शानू को भी खींचने किया।

"हाँ ठीक है नेहा ," शानू ने कांपती आवाज़ में कहा।

"भाई हमें नहीं लगता हमारी दूसरी साली का मन आप से इत्तेफ़ाक़ कर रहा है ," आदिल भैया ने शानू को चिढ़ाया। बेचारी आँखे एकटक उनके

हिलते लंड को घूर रहीं थीं। भैया को शानू की तड़पन अच्छे से समझ आ रही थी।

मेरे हाथ भैया की भारी भरकम मांसल जांघों के बीच मस्त हाथी की मोटी सूंड जैसे हिलते डुलते लंड के ऊपर पहुँच गए। मैंने उनका मोटे सेब

जैसा विशाल सुपाड़ा अपने दोनों हाथों में भर कर उसे साबुन के झागों से ढकने लगी। आखिर भैया की 'मुनिया' को साफ़ करने ही तो हम दोनों

आये थे।

भैया के सुपाड़े के ऊपर बड़े मामा के लंड की तरह त्वचा नहीं थी।

भैया साबुन लगाने के उपक्रम के बहाने मेरे बड़े स्तनों को सहलाने लगे।

आदिल भैया का लंड बहुत तेज़ी से तनतनाने लगा। भैया ने मेरे स्तनों को साबुन के झागों से ढक दिया। शानू मेरे और जीजू बनाम भैया के बीच

होती मादक भौच्चकेपन से एकटक घूर रही थी। मैं यह ही तो चाहती थी।

आदिल भैया के हाथों ने मेरे दिन ब दिन बड़े होते गदराये मोटे उरोज़ों को कस मसलना प्रारम्भ दिया। मेरे अधखुले मुंह से सिसकारी उबल उठी। 


मेरे नाज़ुक दोनों हाथ बड़ी मुश्किल बड़ी मुश्किल से आदिल भैया के तन्नाये हुए विकराल लंड के घेरे को नाप पा रहे थे। उनका हाथ भर लम्बा बोतल

जैसा मोटा लंड मेरे दोनों हाथों को और भी नन्हेपन का आभास दे रहा था। मैंने सारी शर्म ताक पर रख कर आगे झुक कर भैया को विशाल सुपाड़ा मुंह

में ले लिया। शानू पहले से ही फटी आँखें भी खुल गयीं।

आदिल ने मेरे दोनों चुचूकों को कर निर्दयता से मड़ोड़ कर खींचा और मेरी सिसकारी से उत्साहित हो कर मेरे स्तनों का मर्दन और भी ज़ोरों से करने

लगे।

"नेहा ऐसे ही ……… मेरा लंड चूसो ………," आदिल भैया भी सिसक उठे।

मैंने उनका सुपाड़ा और उनके भीमकाय लंड की एक और इंच मुंह में बड़ी मुश्किल से समाते हुए उनके गोरे मोटे लंड की उपासना में सलंग्न हो गयी।

घुसल खाने में मानव से भी पुरातन सम्भोग के पहले का नृत्य का शुभारम्भ हो गया।

ना जाने कितनी देर बाद मैंने आदिल भैया के मेरी लार से सने चमकते लंड को आज़ाद किया। मेरी जलती आँखें भैया के वासना के डोरों से लाल

आँखों से उलझ गयीं।

शानू आँखे फाड़ फाड़ कर अपने भैया और अब जीजू और मेरे बीच में सम्भोग की पूर्वक्रिया के अश्लील दृशय के प्रभाव में ज़ोर ज़ोर से सांसे भर रही

थी।
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RE: Hindi Chudai Kahani हमारा छोटा सा परिवार - by sexstories - 02-10-2018, 12:26 PM

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