Chodan Kahani शौहरत का काला सच
दोस्तो आज की दुनियाँ मे हर इंसान शौहरत और दौलत के पीछे पड़ा है मगर वो ये नही जानता की शौहरत के लिए कभी कभी कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है शौहरत और चमक दमक हर किसी को अच्छी लगती है। मगर उस चमक के पीछे की सच्चाई उतनी ही काली होती है। यही है आज के युग का एक सुन्दर सत्य… तो फ्रेंड यह कहानी है एक भारत सुन्दरी की, ग्लैमर क्वीन की, जो मॉडलिंग से होते हुए एक सफ़ल फिल्म हीरोइन बनी। जब शीबा ने हिन्दूस्तान की सबसे खूबसूरत लड़की का खिताब हासिल किया तो कई फिल्म डायरेक्टरों ने उसके हुस्न के जलवे से फ़ायदा कमाने की सोची।
शीबा बला की खूबसूरत थी, जिस्म जैसे संगमरमर से तराशा हुआ कोई बेपनाह हसीन मुज़स्स्मा !
होंठ जैसे गुलाब की कली… चाल ऐसी जैसे मदमस्त अल्हड़ जंगली हिरणी।
जो भी उसे देखे उस पर फ़िदा हो जाये, उसे पाने की लालसा जाग उठे!
शीबा ने भी धड़ाधड़ कई फ़िल्में साइन कर ली।
आखिर उस जमाने के एक बड़े प्रोड्यूसर वसीम ने उसके साथ एक फिल्म बनाने की सोची और वो जा पहुँचा उसके घर।
शीबा खान के सामने फिल्म का प्रस्ताव रखा।
शीबा खान अपनी सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ती जा रही थी, इतने नामी गिरामी प्रोड्यूसर को अपने दरवाजे पर खड़ पाकर वो खुशी से झूम उठी और उसने इस प्रस्ताव को पाकर मना नहीं कर पाई, उसने ख़ुशी ख़ुशी स्वीकार कर लिया।
यह शीबा खान की पहली फिल्म नहीं थी, और इस तरह फिल्म जोर शोर से शुरू हो गई।
इस फिल्म में तब तक के जमाने तक बनी सभी फ़िल्मों से ज्यादा नग्नता थी, बहुत ज्यादा बोल्ड सीन थे पर आखिर यह फिल्म तैयार होकर सेंसर बोर्ड में गई।
सेंसर बोर्ड में फिल्म को देखा गया और सब के सब सदस्य इस फ़िल्म के उन बोल्ड नजारों को देख कर हैरान हो गये।
तब से पहले उन्होंने किसी मशहूर अदाकारा को इस हद तक नग्न नहीं देखा था, सभी को वे सीन उत्तेजित कर रहे थे, लेकिन इस फ़िल्म को पास करने की तो वे लोग सोच भी नहीं सकते थे।
और फिल्म पास नहीं हुई।
प्रोड्यूसर वसीम ने बात की सेंसर बोर्ड में।
सेंसर बोर्ड के सदस्यों ने बताया कि वे किसी हालत में इस फ़िल्म को पास नहीं कर सकते।
फिर वसीम ने सेन्सर बोर्ड के माई बाप यानि मिनिस्ट्री लेवल पर बात करने की सोची।
मन्त्री साहब को फ़िल्म दिखाई गई, मन्त्री महोदय भी जवान थे, उसकी कामलोलुप नजर शीबा के मखमली बदन पर अटक कर रह गई।
लेकिन मन्त्री ने कहा- यह भारत है साब, यहाँ इस फ़िल्म को पास कैसे कर सकते हैं?
प्रोड्यूसर ने खूब मिन्नतें की तो मन्त्री महोदय ने वसीम को कुछ दिन बाद आने का कह कर टाल दिया।
लेकिन फ़िल्म का प्रिन्ट अपने पास रखवा लिया।
वे अभी शीबा के नंगे बदन का और लुत्फ़ लेना चाह रहे थे।
प्रोड्यूसर के बाद मन्त्री जी ने फिर से फिल्म देखना शुरू किया, उनकी नजरें शीबा के संगमरमरी बदन और बला के हुस्न से हट नहीं रही थी, उसी पल उन्होंने फैसला किया कि चाहे जो भी हो, इसके हुस्न की तपिश को अपने सीने में उतार कर ही रहूँगा।
वो अब सोच रहे थे कि कैसे करूँ? उनके बस में सब कुछ तो नहीं था, उन्हें यह एहसास था कि अगर फिल्म रिलीज हो गई तो हंगामा तो होना ही है, लेकिन शीबा के मखमली बदन की शीबा से वो रूबरू होने का ख्वाब टूटते नहीं देख सकते थे।
उनका दिमाग तेजी से चल रहा था, शीबा के हुस्न का नशा कुछ था ही ऐसा !
उन्होंने फैसला कर लिया अब किसी भी कीमत पर शीबा के बदन की खुशबू अपने सीने में उतारनी है।
मन्त्री साहब ने प्रोडयूसर को फ़ोन किया और बोले- मैंने आपकी फिल्म दोबारा देखी, अब भी मुझे यही लग रहा है कि मेरे लिये संभव नहीं है इसे पास करना।
प्रोडयूसर वसीम गिड़गिड़ाने लगा, बोला- कुछ कीजिये नहीं तो मैं बर्बाद हो जाऊँगा।
मन्त्री जी बोले- मुश्किल है… हंगामा हो जायेगा।
गिड़गिड़ाता रहा और फिर मन्त्रीजी बोले- चलो मैं देखता हूँ कि क्या हो सकता है?
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