RE: kamukta Sex Kahani पत्नी की चाची को फँसाया
सासूजी ने अपनी पीठ को मेरी छाती से लगाया और थोड़ा दूर रह कर पीठ को रगड़ने लगीं।
तब मैं बोला- अगर आप इस तरह दूर से स्वास्तिक निकालने की कोशिश करोगी तो शायद कल सुबह तक भी नहीं निकल पाएगा और विधि को हमें आज ही पूरा करना है।
तब वो बोलीं- आप भी कुछ सहयोग करिए न..।
तो मैंने कहा- आपको बुरा तो नहीं लगेगा ना..?
तो उन्होंने कहा- इसमें बुरा लगने वाली क्या बात है..? आख़िर आप और मैं ये सब ज्योति के लिए ही तो कर रहे हैं।
तब मैं बोला- ठीक है..।
सासूजी को ये सब अच्छा लग रहा था लेकिन मेरे द्वारा सब करवाना चाहती थीं।
जब उनकी तरफ से हरी झंडी मिली तो मैं उनके और करीब आकर उनसे चिपक गया।
मेरा लण्ड खड़ा हो चुका था और मेरे अंडरवियर से बाहर आने को बेकाबू हो रहा था।
फिर भी मैंने अपने आप पर कंट्रोल किया और सासूजी से कहा- आप भी तो मेरा सहयोग दीजिए।
तब वो भी अपनी पीठ मेरी छाती पर रगड़ने लगीं.. जिनकी वजह से मेरा लण्ड कभी उनके गोल-गोल चूतड़ों पर रगड़ता.. तो कभी उनके वो चूतड़ों की दरार में घूम रहा था।
सासूजी और उनकी गाण्ड मेरे लण्ड के स्पर्श को महसूस कर रहे थे.. करीब 10 मिनट रगड़ने के बाद पीठ वाला स्वास्तिक निकल गया और मैं पीछे से हट गया।
तब उनके चेहरे पर अजीब सा भाव दिख रहा था.. वो नहीं चाहती थीं कि मैं पीछे से हटूं.. लेकिन जब मैंने ये कहा- अब आपके पेट वाला स्वास्तिक निकालना है तब उनके चेहरे पर वो चमक फिर लौट आई।
फिर मैं उनके आगे आ गया और उनसे कहा- आप खड़े-खड़े थक गई होंगी.. थोड़ी देर आप बैठ जाइए.. तब-तक मैं अपने पेट पर फिर एक बार लेप लगा लेता हूँ।
तो वो बैठ गईं और मैंने अपने पेट पर लेप लगा लिया।
|