RE: kamukta Sex Kahani पत्नी की चाची को फँसाया
तब सास ने कहा- जॉब का वक्त क्या होगा?
तब मैंने कहा- जब वो यहाँ मुंबई में होगी.. तब जॉब का वक्त सुबह 9 से शाम के 7 बजे तक का रहेगा..
और फिर सास के सामने देख कर बोला- ठीक है न?
सास ने अपनी मूक सहमति दे दी थी।
दूसरे दिन सुबह मैं और ज्योति ऑफिस चले गए और उसके लिए जहाँ जॉब फिक्स की थी.. उस ऑफिस में जाकर ज्योति से बात करा के.. मैं अपने ऑफिस चला गया।
मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि अब मैं और सासू अकेले वक़्त बिता पायेंगे। ज्योति को जॉब ज्वाइन किए एक हफ्ता हो गया था और वो और सास बहुत खुश थे।
एक दिन सास ने मुझसे कहा- आप हमारा कितना ख्याल रखते हैं कि ज्योति को अच्छी सी जॉब दिला दी।
मैंने कहा- ये तो मेरा फ़र्ज़ है और आप भी मेरा कितना ख्याल रखती हैं।
एक दिन मैं अचानक ऑफिस से 2 बजे आ गया.. मैंने घर पर आके देखा तो सास ने ज्योति की नाईटी पहनी हुई थी और वो बहुत अच्छी और सेक्सी लग रही थीं।
मैं अचानक से आया था.. इसलिए वो थोड़ी हड़बड़ाई और शर्मा कर अन्दर के कमरे में साड़ी पहनने चली गईं। जब वो वापिस आईं तो मैंने कहा- आप क्यों चली गई थीं?
तो उन्होंने कहा- आपके सामने नाईटी में थोड़ी हया तो रखनी पड़ेगी ना..
तब मैंने भी मौका देख कर बोला- सच कहूँ तो आप नाईटी में बहुत अच्छी लग रही थीं..
वो बोलीं- क्या आप भी मुझे चने के झाड़ पर चढ़ा रहे हो.. इस उम्र में थोड़ी अच्छी लगूँगी मैं..
मैंने कहा- आप ग़लत सोच रही हो.. अगर आप ज्योति के साथ खड़ी रहोगी तो आप उनकी बड़ी बहन ही लगोगी और ये कोई उम्र है आपके विधवा जैसे रहने की.. अगर आप साज-श्रृंगार करेंगी तो कोई नहीं कह पाएगा कि आप इतने बड़े बच्चों की माँ हैं।
मेरे मुँह से खुद की तारीफ सुनते ही उनके चेहरे पर चमक आ गई थी, धीरे-धीरे वो मुझसे खुल रही थीं, वो बोलीं- ऊपर वाले के आगे किसकी चलती है.. उसे जो मंजूर होता है वो ही होता है.. आपकी ही बात ले लो ना.. आपकी बीवी यानि की रेशमा है.. फिर भी आपको यहाँ अकेले रहना पड़ता है।
‘हम्म..’ मेरे मुँह से भी निकला।
फिर वे थोड़ा मुस्कुराते हुए बोलीं- क्या आपको रेशमा की याद नहीं आती?
मैंने कहा- आती है.. पर क्या करूँ?
मैंने जान-बूझकर मेरी आँखें उनकी रसीली चूचियों पर लगा दीं।
मैं बात उनसे कर रहा था.. लेकिन मेरी हरामी नज़रें.. उनकी चूचियों पर थीं, मैं देखना चाहता था कि वो कुछ प्रतिक्रिया करती हैं या नहीं।
फिर मैं थोड़ी हिम्मत जुटा कर बोला- आपकी और मेरी हालत एक जैसी ही है।
तब उनके चेहरे पर एक अजीब सी चमक दिखी और वो बोलीं- ठीक कह रहे हो आप।
हम दोनों बात का मर्म समझ कर हँसने लगे।
फिर ये सिलसिला कुछ दिन चला.. उनके चेहरे की रौनक बता रही थी कि वो भी मेरे पास आना चाह रही थीं.. लेकिन बदनामी के डर से कुछ बोल नहीं पा रही थीं।
उन्हें देख कर ऐसा लगता था कि आग दोनों तरफ लगी हुई है.. लेकिन दोनों में से कोई पहले कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। मुझे सासू को पाने की कोई तरकीब नहीं सूझ रही थी.. तब मैंने इस फोरम पर मेरे जैसे ही एक लेखक की कहानी पढ़ी और मेरा मन खुशी से झूम उठा।
एक दिन शाम को मैं ऑफिस से आया और फ्रेश होकर मैं और सासूजी बातें करने लगे। तब बातों-बातों में मैंने सासूजी से कहा- ज्योति के बारे में आपने क्या सोचा है.. ज्योति को ससुराल भेजना है या नहीं..? कब तक वो आपके साथ रहेगी.. सारी जिंदगी अकेले नहीं गुजारी जा सकती.. वो अभी जवान है.. आपको ज्योति को समझा कर उसकी ससुराल भेज देना चाहिए।
तब सासूजी ने कहा- दामाद जी.. आप हमारे लिए कितना सोचते हैं.. इसके लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
तो मैंने कहा- आपने धन्यवाद कह कर मुझे पराया कर दिया.. मैं तो आपको ‘अपना’ समझता हूँ।
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