RE: Hindi Sex Stories दोस्त का परिवार
वो मेरी तरफ घूमी और अपना हाथ मेरी लूंघी मे घुसा कर मेरे फार-फ़राते हुए लंडको पकड़ ल्लिया. लंड को कस कर पकड़े हुए वो अपना हाथ लंड की जर तक ले गयी जिससे सुपरा बाहर आगेया. सुपरे की साइज़ और आकार देख कर वो बहुत हैरान हो गयी.
“बेटा कहाँ छुपा रखा था इतने दिन ऐसा तो मेने अपनी जिंदगी मैं नहीं देखा है उन्होने पूछा. मैने कहा, “यही तो था तुम्हारे सामने लेकिन तुमने ध्यान नही दिया. यदि आप ट्रेन मैं गहरी नींद नहीं होती तो शायद आप देख लेती क्योंकि ट्रेन में रात को मेरा सूपड़ा आप की चूत तो रगड़ रहा था. मा बोली “मुझे क्या पता था कि तुम्हारा इतना बरा लॉरा होगा ? ये मैं सोच भी नही सकती थी.”
मुझे उनकी बिंदास बोली पर अस्चर्य हुआ जब उन्होने “लॉरा” कहा और साथ ही मे बरा मज़ा आया. वो मेरे लंड को अपने हाथ मे लेकर खीच रही थी और कस कर दबा रही थी. फिर मा ने अपना पेटिकोट अपनी कमर के उपर उठा लिया और मेरे तने हुए लंड को अपनी जाँघो के बीच ले कर रगड़ने लगी. वो मेरी तरफ कारबट ले कर लेट गयी ताक़ि मेरे लंड को ठीक तरह से पकड़ सके.
उनकी चूंची मेरे मुँह के बिल्कुल पास थी और मैं उन्हे कस कस कर दबा रहा था. अचानक उन्होने अपनी एक चूंची मेरे मुँह मे थेल्ते हुए कहा, “चूसो इनको मुँह मे लेकर.” मैने उनकी लेफ्ट चूंची कोअपने मुँह मे भर लिया और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा. थोरे देर के लिए मैने उनकी चूंची को मुँह से निकाला और बोला, “मैं तुम्हारे ब्लाउस मे कसी चूंची को देखता था और हैरान होता था.
इनको छूने की बहुत इक्च्छा होती थी और दिल करता था कि इन्हे मुँह मे लेकर चुसू और इनका रस पीऊँ. पर डरता था पता नही तुम क्या सोचो और कन्ही मुझसे नाराज़ ना हो जाओ. तुम नही जानती कि तुमने मुझे और मेरे लंड को कल रात से कितना परेशान किया है?” “अक्च्छा तो आज अपनी तमन्ना पूरी कर लो, जी भर कर दबाओ, चूसो और मज़े लो; मैं तो आज पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ जैसा चाहे वैसा ही करो” मा ने कहा. फिर क्या था, मा की हरी झंडी पाकर मैं टूट परा मा की चूंची पर.
मेरी जीभ उनके करे निपल को महसूस कर रही थी. मैने अपनी जीभ मा के उठे हुए करे निपल पर घुमाया. मैने दोनो अनारो को कस के पकड़े हुए था और बारी बारी से उन्हे चूस रहा था. मैं ऐसे कस कर चूंचीओ को दबा रहा था जैसे की उनका पूरा का पूरा रस निचोर लूँगा. मा भी पूरा साथ दे रही थी. उनके मुहह से “ओह! ओह! आह! सी सी, की आवाज़ निकल रही थी. मुझसे पूरी तरह से सटे हुए वो मेरे लंड को बुरी तरह से मसल रही थी और मारोर रही थी.
उन्होने अपनी लेफ्ट टांग को मेरी राइट टांग के उपर चढ़ा दी और मेरे लंड को अपनी जाघो के बीच रख लिया. मुझे उनकी जाँघो के बीच एक मुलायम रेशमी एहसास हुआ. एह उनकी झांतों से भरी हुई चूत थी. मेरे लंड का सुपरा उनकी झांतो मे घूम रहा था. मेरा सब्र का बाँध टूट रहा था. मैं मा से बोला, “मा मुझे कुछ हो रहा और मैं अपने आपे मे नही हूँ, प्लीज़ मुझे बताओ मैं क्या करू?” मा बोली, “तुमने कभी किसी को चोदा है आज तक?” मैने बोला, “नही.” कितने दुख की बात है. कोई भी औरत इसे देख कर कैसे मना कर सकती है.
मैं चुपचाप उनके चेहरे को देखते हुए चूंची मसलता रहा. उन्होने अपना मुँह मेरे मुँह से बिल्कुल सटा दिया और फुसफुसा कर बोली, “अपनी दोस्त की मा को चोदोगे?
“क्क्क क्यों नही” मैं बड़ी मुस्किल से कह पाया. मेरा गला सुख रहा था. वो बड़े मादक अंदाज़ मे मुस्कुरा दी और मेरे लंड को आज़ाद करते हुए बोली, “ठीक है, लगता है अपने अनाड़ी बेटे को मुझे ही सब कुछ सीखाना परेगा. चलो अपनी लूंघी निकाल कर पूरे नंगे हो जाओ.” मैने अपनी लूँगी खोल कर साइड में फेक दिया. मैं अपने तने हुए लंड को लेकर नंग धारंग मा के सामने खरा था.
मा अपने रसीले होटो को अपने दन्तो मे दबा कर देखती रही और अपने पेटिकोट का नारा खींच कर ढीला कर दिया. “तुम भी इसे उतार कर नंगी हो जाओ” कहते हुए मैने उनके पेटिकोट को खींचा. मा नेअपने चूतर उपर कर दिए जिससे की पेटिकोट उनकी टाँगो से उतर कर अलग हो गया. अब वो पूरी तरह नंगी हो कर मेरे सामने चित पड़ी हुई थी. उन्होने अपनी टाँगो को फैला दिया और मुझे रेशमी झांतो के जंगल के बीच छुपी हुई उनकी रसीली गुलाबी चूत का नज़ारा देखने को मिला.
नाइट लॅंप की हल्की रोशनी मे चमकते हुए नंगे जिस्म को को देखकर मैं उत्तेजित हो गया और मेरा लंड मारे खुशी के झूमने लगा. मा ने अब मुझसे अपने उपर चढ़ने को कहा. मैं तुरंत उनके उपर लेट गया और उनकी चूंची को दबाते हुए उनके रसीले होन्ट चूसने लगा. मा ने भी मुझे कस कर अपने आलिंगन मे कस कर जाकड़ लिया और चुम्मा का जवाब देते हुए मेरे मुँह मे अपनी जीभ डाल दी . हाई क्या स्वदिस्त और रसीली जीभ थी. मैं भी उनकी जीभ को ज़ोर शोर से चूसने लगा. हमारा चुम्मा पहले प्यार के साथ हल्के मे था और फिर पूरे जोश के साथ.कुछ देर तक तो हम ऐसे ही चिपके रहे, फिर मैं अपने होन्ट उनके नाज़ुक गाल्लों पर रगर रगर कर चूमने लगा.
फिर मा ने मेरी पीठ पर से हाथ उपर ला कर मेरा सर पकड़ लिया और उसे नीचे की तरफ कर्दिया. मैं अपने होंठ उनके होंटो से उनकी तोड़ी पर लाया और कंधो को चूमता हुआ चूंची पर पहुँचा. मैं एक बार फिर उनकी चूंची को मसलता हुआ और खेलता हुआ काटने और चूसने लगा.
उन्होने बदन के निचले हिस्से को मेरे बदन के नीचे से निकाल लिया और हमारी टाँगे एक-दूसरे से दूर हो गयी. अपने राइट हाथ से वो मेरा लंड पकड़ कर उसे मुट्ठी मे बाँध कर सहलाने लगी और अपने लेफ्ट हाथ से मेरा दाहिना हाथ पकड़ कर अपनी टाँगो के बीच ले गयी. जैसे ही मेरा हाथ उनकी चूत पर पहुँचा उन्होने अपनी चूत के दाने को उपर से रगड़ दिया.
समझदार को इशारा काफ़ी था. मैं उनके चूंची को चूस्ता हुआ उनकी चूत को रगड़ने लगा. “बेटा अपनी उंगली अंदर डालो ना?” कहते हुए मा ने मेरी उंगली अपनी चूत के मुँह पर दबा दी. मैने अपनी उंगली उनकी चूत की दरार मे घुसा दी और वो पूरी तरह अंदर चली गयी. जैसे जैसे मैं उनकी चूत के अंदर उंगली अंदर बाहर कर रहा था मेरा मज़ा बढ़ता जा रहा था .
क्रमशः...........
|