RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
डॉली- ओह माय गॉड.. तुम सच कह रही हो.. थैंक्स यार तुमने ये बात मुझे बता दी.. अच्छा एक बात सुनो किसी को भी ये बात मत बताना ओके.. मैं अपने तरीके से कुछ सोचूँगी।
प्रिया- अरे नहीं यार मैं पागल हूँ क्या?
डॉली- थैंक्स यार।
प्रिया- यार प्लीज़.. मेरा एक काम कर दोगी.. प्लीज़ प्लीज़ ना मत कहना।
डॉली- ओके कहो.. अगर मेरे बस में होगा तो जरूर कर दूँगी।
प्रिया- देख यार तू तो जानती है ना स्कूल में मुझे कोई भाव नहीं देता और वैसे भी मेरे मन में बस रिंकू बसा हुआ है.. किसी और का ख्याल मेरे दिमाग़ में आता ही नहीं मगर तू जानती है वो मेरा दूर का चचेरा भाई है। अब सुन वो तुम्हें चोदना चाहता है और मैं उससे चुदना चाहती हूँ.. बस तू कुछ भी जुगाड़ करके मुझे रिंकू से चुदवाने में मदद कर दे।
प्रिया बोलती रही और डॉली बस आँखें फाड़े उसको देखने लगी। आप ऐसा समझो कि डॉली को उसकी बात सुन कर बहुत बड़ा झटका सा लगा।
डॉली- तू पागल हो गई है क्या? ऐसा नहीं हो सकता.. तूने ये सब सोचा भी कैसे? मैं इसमें तुम्हारी कोई मदद नहीं करूँगी ओके…
प्रिया- देख सोच ले तूने पहले ‘हाँ’ कही है अब अगर तू ना करेगी तो मैं कुछ कर बैठूँगी.. बाद में तुमको पछताना पड़ेगा…
डॉली- ये क्या बकवास है.. मुझे क्यों पछताना पड़ेगा हाँ.. और तूने ये सोच भी कैसे लिया.. मेरी तो समझ के ही बाहर है।
प्रिया- अच्छा तू चेतन सर से चुदे वो ठीक और मैं गलत.. ना ना ज़्यादा सोच मत.. मैं बताती हूँ.. जब तू पेपर लेने गई और काफ़ी देर तक नहीं आई.. मैं तुमको बुलाने वहाँ आई थी.. मगर सर को देख कर मैं एक तरफ छुप गई थी और तब तुम लोगों की बात मैंने सुनी हैं। अब जाहिर सी बात है इतना तो ज्ञान है मुझे.. कि बिना चुदे तो तू ऐसी बात सर से करेगी नहीं…
डॉली ने अपने हाथ मुँह पर रख लिए.. आज प्रिया उसको एक के बाद एक झटके दे रही थी।
डॉली का गला सूख गया… बड़ी मुश्किल से उसने बोला।
डॉली- यार मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा.. चल इस बात को गोली मार.. देख प्रिया तू अच्छी तरह सोच समझ कर देख ले.. उसके बाद भी अगर तुमको लगता है कि ये सही है तो ओके.. मैं तुम्हारा ये काम कर दूँगी.. मगर ये बात राज़ ही रखना।
प्रिया- मैंने अच्छी तरह सोच कर ही तुमको कहा है।
डॉली- नहीं.. तू कल मुझे फाइनल बता देना.. उसके बाद समझूंगी… ओके..
प्रिया- चल ठीक है.. कल बता दूँगी अब तू जा और प्लीज़ तू भी किसी को बताना मत…
डॉली- तू पागल है क्या.. ये बात किसी को बताने की है क्या.. चल बाय कल मिलते हैं।
तो दोस्तों अब आपको सारी बात समझ में आ गई होगी.. सॉरी मैंने पिछले डायलोग दोबारा यहाँ लिखे मगर ऐसे आपको समझ नहीं आता.. चलो अब आगे की कहानी का मजा लीजिए।
डॉली सोचते-सोचते अचानक से उठी उसे कुछ याद आया और उसने एक छोटी डायरी देखना शुरू की.. थोड़ी देर बाद उसने एक नम्बर को गौर से देखा और उस पर फ़ोन लगाया।
फ़ोन की घन्टी बजने लगी.. थोड़ी देर बाद किसी ने फ़ोन उठाया।
डॉली- हैलो क्या मैं प्रिया से बात कर सकती हूँ?
प्रिया- अरे डॉली तू.. हाँ बोल क्या बात है और मेरा नम्बर तुझे कहाँ से मिला?
डॉली- अरे यार पिछले साल इम्तिहान के वक्त तूने ही तो दिया था.. याद है?
प्रिया- हाँ याद आया.. मगर अभी तुझे क्या जरूरत पड़ गई.. फ़ोन करने की.. वो तो बता?
डॉली- देख ऐसे फ़ोन पर मैं नहीं बता सकती.. तू कल स्कूल के बाद मेरे साथ मेरे घर आ सकती है क्या? बहुत जरूरी बात करनी है।
प्रिया- हाँ पढ़ाई के बहाने से आ तो सकती हूँ मगर ये बात तो तू कल भी बोल सकती थी.. अभी फ़ोन क्यों किया।
डॉली- नहीं कल बोलती तो तू घर में किसी को कैसे बताती अब सुन सुबह स्कूल आने के पहले अपनी मॉम को बता कर आना ताकि किसी को कोई शक ना हो समझी।
प्रिया- हाँ यार ये तो मैंने सोचा ही नहीं चल ओके बाय… कल मिलते हैं।
अगले दिन डॉली स्कूल जा रही थी तब मैडी रास्ते में उसको मिल गया।
मैडी- हाय डॉली गुड मॉर्निंग कैसी हो?
डॉली- गुड मॉर्निंग क्या बात है आज गेट पर नहीं खड़े हुए.. यहाँ क्या कर रहे हो?
मैडी- तुम्हारा इन्तजार कर रहा था.. वहाँ वो मेरे दोस्त होते है ना..
तुमको अच्छा नहीं लगता इसलिए मैंने सोचा यहीं बात कर लूँ।
डॉली- देखो मैडी वैसे तो मुझे तुम भी पसन्द नहीं हो क्योंकि तुम तीनों के ही चर्चे स्कूल में होते रहते हैं मगर तुम्हें मैंने कभी किसी को परेशान करते हुए नहीं देखा इसलिए तुमसे बात की.. अब ऐसे अकेले में यहाँ-वहाँ मुझसे बात मत किया करो।
मैडी- थैंक्स जो तुमने मुझे समझा मगर तुम गलत सोच रही हो मैं यहाँ किसी जरूरी काम से आया हूँ।
डॉली- कैसा काम?
मैडी- प्लीज़ बुरा मत मानना.. तुम सोमवार को आ रही हो ना.. बस ये कनफर्म करना था क्योंकि अगर तुम आओगी तो मैंने सोचा है होटल में पार्टी दूँगा.. और अगर नहीं आओगी तो इतना खर्चा क्यों करूँ.. घर में ही सब को बुला लूँगा।
डॉली- अच्छा इस बात का मैं क्या मतलब निकालूँ.. सिर्फ़ मेरे लिए ही तुम खर्चा करना चाहते हो और किसी की कोई वेल्यू नहीं है क्या?
मैडी- तुम फिर गलत समझ रही हो देखो तुम अच्छी लड़की हो.. अगर तुम आओगी तो कुछ खास लोगों के साथ हम चुपचाप में होटल में पार्टी कर लेंगे उसके बाद में घर आकर दोबारा मेरे फालतू दोस्तों के साथ शामिल हो जाऊँगा.. उनको मैं तुम्हारे सामने नहीं लाना चाहता.. बस यही असली बात है।
मैडी की बातों ने डॉली को काफ़ी प्रभावित किया उसको बड़ी ख़ुशी हुई ये जानकार कि खास उसके लिए मैडी ये सब कर रहा है मगर उसको एक बात और समझ में आ गई कि मैडी उसको दाना डाल रहा है सारा चक्कर चूत चोदने का है बस।
डॉली- मैं 100% आऊँगी जाओ तुमको जो तैयारी करनी है कर लो।
मैडी एकदम खुश हो गया और वहाँ से चला गया। डॉली भी स्कूल की तरफ बढ़ने लगी।
दोस्तो, आज चेतन सर ने डॉली को कई बार देखा मगर आज डॉली ने बस हल्की सी मुस्कान दी उसका ध्यान तो प्रिया पर था.. दिन ऐसे ही बीत गया।
छुट्टी के बाद प्रिया को लेकर वो घर की तरफ जाने लगी।
डॉली- हाँ तो अब बता तूने क्या सोचा?
प्रिया- सोचना क्या था मेरा तो अब भी वही जवाब है कि हाँ.. मुझे रिंकू चाहिए बस।
डॉली- अच्छा एक बात तो बता तेरे दिमाग़ में ये ख्याल आया कैसे और रिंकू ही क्यों और कोई भी तो हो सकता है.. अगर तू कहे तो सर से बात कर लूँ.. इसमें दो फायदे हैं.. एक तो सर मज़ा बहुत देते हैं दूसरा तू भाई के साथ सेक्स के पाप से बच जाएगी।
प्रिया- नहीं नहीं सर को बताना भी मत.. समझी और कैसा पाप.. आजकल तो सगे भाई-बहन मज़ा ले रहे हैं.. फिर ये तो दूर के चाचा का बेटा है.. तू ये ज्ञान देना बन्द कर.. बस ‘हाँ’ कह दे कि मेरी हेल्प करेगी और आइडिया कैसे आया ये लंबी कहानी है.. घर चल कर बताऊँगी।
डॉली- अच्छा हाँ.. बस खुश.. मगर तूने क्या सोच कर मुझे ये बात बताई है.. मैं कैसे तेरी मदद करूँगी?
प्रिया- कल जब उन तीनों की बात मैंने सुनी.. उसी वक्त मुझे एक आइडिया दिमाग़ में आया कि वो तीनों तेरे ऊपर लट्टू हैं.. अगर कुछ ऐसा हो कि तेरी जगह मैं आ जाऊँ और उनसे चुदवा लूँ.. बस यही सोचकर मैंने तेरे को बताई ये बात..
डॉली- मगर कैसे यार?
प्रिया- तू इसकी टेन्शन मत ले.. मैंने बहुत सी चुदाई की कहानी पढ़ी हैं.. एक से एक आइडिया मेरे पास हैं।
डॉली- लो बातों में पता भी नहीं चला.. घर भी आ गया।
दोनों घर में चली जाती है सामान्य सी फॉरमॅलिटी के बाद दोनों साथ खाना खा लेती हैं और डॉली के कमरे में पढ़ाई के बहाने चली जाती हैं।
डॉली- चल आजा अब यहाँ बैठ कर सबसे पहले मुझे ये बता कि रिंकू का ख्याल तुझे कैसे आया और दूसरी बात क्या कभी तूने किसी के साथ कुछ किया है?
प्रिया- नहीं यार मैंने ऊँगली के सिवा कभी कुछ नहीं किया.. हाँ रिंकू के बारे में तुझे शुरू से सब बताती हूँ। तभी तुमको मेरी चाहत समझ में आएगी।
डॉली- चल बता में भी तो सुनू कि आख़िर माजरा क्या है?
प्रिया- अच्छा सुन देख तू तो जानती है रिंकू और उसके दोस्त कितने बिगड़े हुए हैं।
डॉली- हाँ यार पता है तू अपनी बात बता ना…
प्रिया- तू सुन तो.. बीच में मत बोल।
डॉली- सॉरी चल.. अब नहीं बोलूँगी.. आगे की बात बता।
प्रिया- कई बार रिंकू अपने दोस्तों के साथ शराब पीकर घर आ जाता था.. किसी को पता नहीं चलता था।
डॉली एकदम ध्यान से सब सुन रही थी।
प्रिया- अब सुन मेरी बात पिछले एक साल से मैं चुदाई की कहानी पढ़ रही हूँ और हर तरह की कहानी मैंने पढ़ी हुई हैं.. उसमें भाई-बहन की कहानी भी शामिल थीं। मेरे दिमाग़ में चुदाई करने की इच्छा ने जन्म ले लिया।
स्कूल में कोई मुझे देखता भी नहीं था और मेरी चुदने की इच्छा दिन पर दिन बढ़ने लगी।
एक बार चाचा जी को रिंकू के शराब पीने की आदत का पता चल गया और उन्होंने उसे बहुत मारा और घर से निकाल दिया। मेरे पापा का स्वभाव थोड़ा नर्म है और चाचा बहुत तेज गुस्से वाले हैं।
तब मेरे पापा रिंकू को हमारे यहाँ ले आए उसे जरा भी होश ना था.. बड़ी मुश्किल से ऊपर मेरे कमरे के पास वाले कमरे में उसे लिटा कर पापा चले गए।
उनके जाने के बाद माँ ने कहा कि उसके कमरे में पानी रख आओ और कुछ फल वगैरह भी रख दो.. होश आएगा तो खा लेगा।
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