RE: Desi Sex Kahani साइन्स की पढ़ाई या फिर चुदाई
डॉली की मम्मी- अच्छा सुनो.. सुबह इसे जल्दी उठा देना स्कूल के लिए तैयार होने में इसे बहुत वक्त लगता है और इसका बैग और ड्रेस तो यहीं है प्लीज़ तुम सुबह इसके साथ आ जाना मैं घर की चाबी गमले में रख दूँगी डॉली को पता है कहाँ है गमला…
ललिता- ओके आंटी.. जरूर.. आप बेफिकर रहो।
डॉली को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि आख़िर क्या हो रहा है।
उसने जब अपनी मम्मी से बात की तब उसको समझ आया और उसने भी ‘हाँ कह दी- आप बेफिकर होकर जाओ दीदी बहुत अच्छी हैं.. मुझे कोई परेशानी नहीं होगी।
चेतन को अभी भी कुछ समझ नहीं आया था.. वो बस दोनों को देख रहा था।
फ़ोन रखने के बाद चेतन ने ललिता से पूछा- क्या हुआ?
ललिता- मेरे राजा आपकी किस्मत बहुत अच्छी है.. मैंने तो सोचा डॉली को एक घंटा और रोक लूँ.. ताकि आपको एक बार और इसकी मचलती जवानी को भोगने का मौका मिल जाए.. मगर भगवान ने तो इसे कल शाम तक यहीं रोक दिया अब तो सारी रात आप इसके साथ रासलीला कर सकते हो।
डॉली- छी: .. दीदी आप भी ना कितनी गंदी बातें करती हो और आपने झूट क्यों बोला कि दवा दोगी मुझे.. आपका इरादा तो कुछ और ही है।
ललिता- अरे नहीं मैंने कोई झूट नहीं बोला तुमसे.. दवा तो अब भी दूँगी.. पहले नास्ता तो कर लो और हाँ चेतन के साथ चुदाई तो दवा लेने के बाद भी कर सकती हो यार.. मौका मिला है तो इस पल को अच्छे से एंजाय करो ना.. चल अब नास्ता कर ले बाकी बातें बाद में होती रहेंगी।
तीनों नंगे ही बैठे नाश्ता करने लगे.. उनको देख कर ऐसा लग रहा था जैसे कोई आदिवासी कबीले के लोग हैं जिनको कपड़े क्या होते हैं.. पता ही नहीं है.. उनमें कोई शर्म नहीं थी।
नाश्ता करते हुए डॉली ने ललिता से कहा।
डॉली- दीदी एक बात अभी तक समझ नहीं आई.. सर आपके पति हैं फिर भी आपको कोई ऐतराज नहीं कि ये मेरे साथ सेक्स कर रहे हैं बल्कि आप खुद इनसे मुझे चुदवा रही थीं.. ऐसा क्यों?
ललिता- अरे डॉली.. मैं उन औरतों जैसी नहीं हूँ जो पति को पल्लू से बाँध कर रखती हैं। तुमको नहीं पता उनके पति उनसे छुपकर कहीं ना कहीं मुँह काला करते हैं और उनको प्यार भी दिखावे का करते हैं मगर मेरा चेतन मुझ पर जान छिड़कता है.. इसी लिए मुझे भी अपने पति का ख्याल है.. लौड़े का तो कोई नुकसान होता नहीं है.. कितनी भी चूत मार लो.. तो मुझे क्या दिक्कत.. और इसमें मेरा एक और फायदा है.. कभी अगर मेरे मन में ना हो तो पति को नाराज़ नहीं करूँगी.. सीधा तुम्हें बुला लूँगी.. तुम चुदवा लेना इससे चेतन भी खुश.. मैं भी खुश।
डॉली- और मेरी ख़ुशी का क्या?
चेतन- अरे मेरी जान.. तेरी ख़ुशी के लिए ये लौड़ा है ना.. तू जब चाहे इसको अपनी चूत में डाल लेना हा हा हा हा…
चेतन के साथ ललिता भी ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी।
डॉली- उहह सबको अपनी पड़ी है.. जाओ नहीं चुदवाती में.. अब क्या कर लोगे तुम.. दीदी आप बहुत गंदी हो अपने मतलब के लिए मुझे इस्तेमाल किया आपने।
ललिता- अरे रे रे.. तू तो बुरा मान गई.. कसम से मैं तो मजाक कर रही थी यार.. तुझे सब अच्छे से समझ आ जाए और तू भी मज़ा ले सके.. बस इसलिए मैंने ये किया…
डॉली- हा हा हा हा निकल गई ना हवा.. जब मुझे छेड़ रहे थे दोनों.. तब बड़ा मज़ा आ रहा था.. मैंने थोड़ा सा गुस्सा होने का नाटक किया तो आप डर गईं।
चेतन- ले अनु तुझे नहले पे देल्हा मार दिया इसने…
ललिता- हाँ वाकयी में एक बार तो मैं डर गई थी।
डॉली- नहीं दीदी.. आपको डरने की कोई जरूरत नहीं है.. आपने जो किया अच्छा किया.. अब हम दोनों राजा जी से चुदाएंगे.. बड़ा मज़ा आएगा…
ललिता- ओये होये राजा जी.. क्या बात है अब तक तो सर बोल रही थी.. तेरी चूत की सील तोड़ते ही सीधे राजा जी.. गुड.. आगे खूब तरक्की करोगी तुम…
चेतन- डॉली ऐसी सेक्सी बातें करोगी तो मुझसे बर्दाश्त नहीं होगा देख मेरे लौड़े में तनाव आने लगा है.. अब नास्ता भी हो गया.. आजा मेरी जान तेरी चूत का स्वाद चखा दे मेरे लौड़े को…
डॉली- सब्र करो पहले मुझे दवा तो लेने दो वरना फिर से मेरी जान निकल जाएगी।
ललिता- अरे हाँ.. पहले दवा ले ले उसके बाद चुदाई का मज़ा लेना.. चुदाई करवा के आराम से सो जाना…
चेतन- अनु तुम भी कहाँ सोने की बात कर रही हो.. ऐसी कमसिन कली साथ होगी तो नींद किसे आएगी.. आज तो सारी रात बस इसकी चूत में लौड़ा डालकर पड़ा रहूँगा।
ललिता- अच्छा बच्चू.. और मेरा क्या होगा.. कब से मेरी चूत में खुजली हो रही है…
डॉली- दीदी मेरे बाद आप चुदवाना.. प्लीज़ मुझे आपकी चुदाई देखनी है…
ललिता- ठीक है देख लेना.. अच्छा रुक मैं तुझे दवा देती हूँ। उसके बाद तुम दोनों मज़े करना.. मुझे बाजार जाना है एक जरूरी काम है।
ललिता ने एक गोली डॉली को दे दी और जाने लगी।
डॉली- नहीं दीदी आप यहीं रहो ना प्लीज़…
ललिता- अरे पगली बस अभी जाकर आती हूँ कुछ समान लाना है.. अभी लेकर आ जाती हूँ और कुछ खास काम भी है.. आकर तुझे बताऊँगी।
डॉली बुझे मन से ललिता को जाने देती है। ललिता के जाने के बाद चेतन उसके पास बैठ जाता है और उसके मम्मों को सहलाने लगता है।
चेतन- क्या हुआ रानी.. ललिता के जाने से खुश नहीं हो क्या.. मैं हूँ ना.. तुम्हारा ख्याल रखने को…
डॉली- नहीं सर.. ओह्ह.. सॉरी.. राजा जी ऐसी बात नहीं है मैं खुद यही चाहती हूँ कि दीदी कहीं चली जाए और मैं आपसे खुलकर बात कर सकूँ.. पर दीदी के बारे में सोच कर दुखी हूँ.. कोई तो बात है जिसके कारण वो अपने पति को किसी अनजान से चुदवाते देख रही हैं कहीं उनकी कोई मजबूरी तो नहीं?
चेतन- ओ बेबी कूल.. ऐसा कुछ नहीं है.. हम दोनों में कोई ऐसी बात नहीं है तुम गलत समझ रही हो.. वो किसी मजबूरी में नहीं बल्कि ख़ुशी से ये सब कर रही है।
डॉली के चेहरे पर ख़ुशी के भाव आ गए और वो चेतन से लिपट गई।
चेतन- ये हुई ना बात अब चल जब तक ललिता आए हम एक बार और खुलकर चुदाई का मज़ा ले लेते हैं.. कसम से तेरी चूत बहुत दमदार है साली लौड़े को ऐसे जकड़ लेती है जैसे कभी छोड़ेगी ही नहीं।
डॉली- आप भी दीदी की तरह बेशर्म हो।
चेतन- अरे रानी.. अगर चुदाई का मज़ा लेना है ना.. तो जितना हो सके, गंदी बातें करो.. बेशर्मी में जो मज़ा है.. वो और कहीं नहीं.. अगर यकीन नहीं आता तो आजमा लो और देखो कितना मज़ा आएगा।
डॉली- मैंने उस स्टोरी में ये सब पढ़ा था.. चलो मैं ट्राइ करती हूँ।
चेतन- हाँ ठीक है.. मैं भी तुम्हारा साथ दूँगा।
डॉली- अरे मेरे चोदूमल आ जा देख तेरे इन्तजार में कैसे चूत टपक रही है.. जल्दी से अपने लौड़े को घुसा दे और मेरी चूत को ठंडा कर दे हा हा हा हा हा मुझसे नहीं होगा कुछ भी हा हा हा।
चेतन- अरे हँस मत.. अच्छा बोल रही थी तू.. प्लीज़ जान बोलो ना.. मज़ा आएगा।
डॉली- ओके ओके.. आप पहले मेरे इस डायलाग का तो जबाव दो।
चेतन- अरे जानेमन.. अभी देख कैसे मैं अपने लंबे लौड़े से तेरी चूत की गर्मी निकालता हूँ।
डॉली फिर ज़ोर से हँसने लगी इस बार चेतन भी उसके साथ हँसने लगा और हँसते-हँसते उसने डॉली को बांहों में भर लिया और उसके होंठ चूसने लगा।
डॉली भी उसका साथ देने लगी।
अब दोनों हँसी-मजाक से दूर काम की दुनिया में खो गए थे।
चेतन उसके निप्पलों को चूस रहा था तो वो अपने हाथ से उसके लौड़े को दबा रही थी।
डॉली- आह्ह… उफ्फ.. आपका ये अंदाज बहुत अच्छा लगता है.. उई आह्ह… ऐसे ही चूसो.. मज़ा आ रहा है आह्ह… मुझे आपका लौड़ा चूसना है.. पता नहीं क्यों मेरे मुँह में पानी आ रहा है और मन कर रहा है लौड़ा चूसने को…
चेतन- मेरी जान मुझे भी तो अपनी कमसिन चूत का मज़ा दो.. चलो तुम मेरे ऊपर आ जाओ.. अपनी चूत मेरे मुँह पर रख दो और तुम आराम से लौड़ा चूसो।
दोनों 69 की अवस्था में आ गए और मज़े से चुसाई करने लगे।
डॉली की सूजी हुई चूत को चेतन की जीभ से बड़ा आराम मिल रहा था।
वो एकदम गर्म हो गई थी और टपकने लगी थी.. इधर चेतन पर भी चुदाई का खुमार चढ़ने लगा था.. पानी की बूँदें तो उसके लौड़े से भी आ रही थीं क्योंकि डॉली होंठों को भींच कर मुँह को ज़ोर-ज़ोर से हिला रही थी जिससे चेतन को बड़ा मज़ा आ रहा था।
दस मिनट तक ये खेल चलता रहा। चेतन ने चूत को चाटना बन्द किया और डॉली को हटने को कहा।
डॉली- उफ्फ.. कितना मज़ा आ रहा था क्या हुआ हटाया क्यों.. आपके लौड़े में क्या मज़ा है.. सच्ची.. दिल करता है बस चूसती रहूँ।
चेतन- अरे चूस लेना मेरी जान.. पहले इसको चूत का मज़ा लेने दे.. साली तेरी टाइट चूत को पहले चोद-चोद कर ढीला कर दूँ.. उसके बाद जितना मर्ज़ी लौड़ा चूसना.. चल अब तू घोड़ी बन जा.. तुझे नए तरीके से चुदना सिखाता हूँ।
डॉली- हाँ मज़ा आएगा.. मैंने डीवीडी में देखा था.. चलो मैं घोड़ी बन जाती हूँ.. पर आराम से डालना.. मुझे मज़ा लेना है.. प्लीज़ दर्द मत देना।
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