RE: Hot Sex stories एक अनोखा बंधन
समय का चक्का घुमा और मैं कुछ बड़ा होगया| मैं अपने बालपन को छोड़ किशोर अवस्था में पहुँच चूका था| मेरे कुछ ऐसा दोस्त बन चुके थे जिन्होंने मुझे वयस्क होने का ज्ञान दिया, परन्तु मैं स्त्री के यौन अंगों के बारे में कुछ नहीं जानता था और न ही वे जानते थे| तभी एक दिन मेरे पिताजी ने एक प्रोग्राम बनाया, उन्होंने मेरे बड़े भाई चन्दर को परिवार सहित हमारे घर शहर आने का निमंत्रण दिया| प्रोग्राम था की वे सब रात को हमारे घर पर ही रुकेंगे और चूँकि चन्दर के घर में टी.वी. नहीं था तो हमने घर पर ही पिक्चर देखने का प्लान बनाया| दिन में पिता जी और चन्दर दोनों बहार गए हुए थे, घर में केवल मैं, माँ, भाभी और उनकी बेटी” नेहा” ही थे| उस समय तक भाभी माँ बन चूँकि थी पर उनका प्यार मेरे लिए अब भी अटूट था| उनकी एक बेटी थी और वो तकरीबन 2 या 3 साल की रही होगी, वो मुझे चाचा-चाचा कह के मेरे साथ खेलती थी| परन्तु मेरा दिमाग तो बस भाभी के साथ अकेले में समय बिताने का था, पर मेरी भतीजी नेहा थी की मेरा पीछा ही नहीं छोड़ रही थी|
मैं आग बबूला होता जा रहा था, शायद भाभी ने मेरे दिमाग को पढ़ लिया और जब माँ रसोई में कुछ बना रही थी तो उन्होंने मुझे बड़े प्यार से पुकारा और मैं भी उड़ता हुआ उनके पास पहुँच| उन्होंने मुझे अपने पास बिठाया और आगे बढ़ कर मेरे गाल पर उसी प्यार भरे तरीके से काट लिया| मेरे दिमाग में मेरे बचपन की सभी यादें ताजा हो गई| मन तो किया की भाभी बस ऐसे ही मुझे प्यार करती रहे| पहली बार मैंने पाया की उनकी इस हरकत से मेरे शांत पड़े लंड में अकड़न आ गई| मुझे ये एहसास बहुत अच्छा लगता था, इससे पहले भी जब भी मैं सोते समय अपने बचपन की बातें याद करता तो मेरा लंड अकड़ जाता था| परन्तु तब मुझे ये नहीं पता था की इसको शांत कैसे करते हैं| इस बार भाभी के चुंबन का निशान मेरे गाल पर काफी गहरा था और ये देख वो भी थोड़ा घबरा गई| मुझे दर्द तो नहीं हो रहा था और न ही मैं जानता था की उनके काटने से मेरे गाल पर निशान पड़ गया है| पहली बार मेरे मन में आय की मैं भी उनके गाल का एक चुंबन लूँ| मैंने भाभी से कहा :
"भाभी मैं भी आपकी पप्पी लूँ?"
और उन्होंने मुस्कुराते हुए अपने गाल को मेरी और घुमा दिया| मैंने भी धीरे-धीरे उनके गाल पर अपने होंट रख दिए| पहले मैंने उनके गाल को अपने मुंह में भरा और अपनी जीभ से उनके गाल को चाटा, जैसे मनो मैं कोई आइसक्रीम चाट रहा हूँ और फिर धीरे धीरे मैंने अपने दातों से उनके गाल को काट लिया| मुझे ये ध्यान था की कहीं मेरे काटने से उन गाल पर निशान न बन जाये| इस डर से की कहीं माँ न आ जाये मैं उनसे अलग हो गया| दिमाग में जितना भी गुस्सा था सब काफूर हो चूका था| तभी मेरे दोस्तों ने बहार से मुझ आवाज लगाई, मैं बहार भगा वो मुझे क्रिकेट खेलने के लिए बुला रहे थे परन्तु मैंने मना कर दिया| मेरे दोस्तों ने मुझसे पूछा की तेरा गाल लाल क्यों है, तब मुझे पता चला की भाभी की प्यार भरी पप्पी के निशान गाल पर छप गए हैं| मैंने बात घुमाते हुए कहा की मेरी भतीजी ने खेलते-खेलते काट लिया|
दोपहर हो चुकी थी पिताजी और चन्दर दोनों वापस आ चुके थे, हमने खाना खाया और पिताजी ने कहा की अगर रात में पिक्चर देखनी है तो अभी सो जाओ, नहीं तो आधी पिक्चर देख के ही सो जाओगे| अभी हम सोने के बारे में सोच ही रहे थे की बत्ती गुल हो गई| गर्मियों के दिन थे ऊपर से दोपहर! पिताजी, माँ और चन्दर तो बहार गली में सब के साथ अपनी-अपनी चारपाई डाल लेट गए और पड़ोसियों से बात करने लगे| बच गए मैं, भाभी और नेहा| नेहा का पेट भरा होने के कारन वो लेट गई और भाभी ने उसे पंखा हिलाते-हिलाते सुला दिया| मैंने भाभी से कहा की
"भाभी मुझे भी नींद आ रही है|"
भाभी मेरा इशारा समझ गई, वो चोकड़ी मारे बैठी थी तो मैं सीधा हो कर उनकी योनि के पास सर रखते हुए लेट गया| वो एक हाथ से पंखा कर रही थी और फिर धीरे-धीरे मेरे ऊपर झुकी और मेरे सीधे गाल पर एक प्यार भरा चुंबन किया और फिर धीरे से गाल काट लिया| मेरा लंड खड़ा हो चूका था परन्तु कमरे में अँधेरा होने के कारन वो उसे देख नहीं पाई| फिर उन्होंने अपने दूसरे हाथ से मेरे मुंह को दूसरी तरफ किया और मेरे बाएं गाल पर एक प्यार भरा चुम्बन जड़ दिया और फिर उसे भी काट लिए| मेरी शरीर में उठ रही झुरझुरी से मेरा हाल बेहाल था| मेरे दोनों कान लाल थे और मैं गरम हो चूका था|
मैंने थोड़ा हिमायत करते हुए उनकी गर्दन पर हाथ रखते हुए अपने ऊपर झुका लिया और उनके गाल की पप्पियाँ लेने लगा| मैंने उन्हें भी गरम कर दिया था, और इससे पहले की हम अपनी मर्यादा को पार करते की तभी मेरा एक दोस्त भागता हुआ कमरे में आ गया| सच बताऊँ मित्रों मुझे इतना गुस्सा आया जितना कभी नहीं आया था| मैं बड़ी जोर से उस पर गरजा "क्या है???"
मेरी गर्जन उसने आज से पहले कभी नहीं सुनी थी और इससे पहले की वो कुछ कहता मैंने कहा, 'भाग यहाँ से!' मेरी बात सुनते ही वो बहार की तरफ भाग गया| भाभी का तो जैसे मुंह ही लटक गया| मैंने उनका मुंह अपने हाथों में थम और इससे पहले की मैं हम दोनों अपने जीवन का पहला चुमबन करते उन्होंने मुझे रोक दिया| उन्हें डर था की मेरी गर्जन सुन कहीं मेरी माँ अर्थात उनकी काकी अंदर न आ जाएं| उन्होंने कहा, "आज रात मैं नेहा को जल्दी सुला दूंगी तब करना|"
पर मैं कहाँ मानने वाला था मैंने उन्हें जबरदस्ती अपने ऊपर झुका लिया और उनके गुलाब के पंखुड़ियों जैसे होठों पर अपने दहकते हुए होंट रख दिए| मैं उनके कोमल होंटों का रस पीना चाहता था, और ये सब भूल चूका था की पास में ही उनकी बटी लेटी है| भाभी को भी जैसे एक अध्भुत सुख मिल रहा हो और वो बिना किसी बात की परवाह किये मेरे होंटों को बारी-बारी से अपने मुंह में लिए चूस रही थी| भाभी मेरे ऊपर झुकी हुई थी और मेरा सर ठीक उनके योनि की सिधाई पर था| ऐसा लग रहा था की मनो ये जहाँ जैसे थम सा गया हो और हम किसी जन्नत में हैं| मेरी बद किस्मती की मुझे यौन क्रिया के बारे में कुछ भी नहीं पता था की चूत/ योनि किसे कहते है और उसे भोगते कैसे हैं| इसी कारन मैं उस दिन कुछ और नहीं कर पाया|
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