RE: XXX Kahani दोस्त बना साला
"कंचन.." "जी भाय्या." "क्या बात है आज तू बहुत काम कर रही है?" "ओ भाय्या आज कॉलेज जाना नही है तो सोचा कि आज अपने भाय्या का रूम अच्छी तरह से सॉफ कर दूँ." "ठीक है कंचन तुम बहुत अच्छी हो.. सुनो यह वाली अलमारी ठीक से सॉफ करना आओ यहाँ तो बताउ." वह पास आई तो उसके हाथ को पकड़ अपने पास कर एक अलमारी के पास ले गया. फिर उसे अलमारी दिखाने के बहाने-बहाने उसके बदन को छूने लगा. तभी मैने हाथ से उसकी एक चूची को टच किया पर वह चुप रही. दो तीन बार टच किया फिर भी उसने कुच्छ ना कहा तो हिम्मत बढ़ गयी. तब मैं काँपते हुवे अपने एक हाथ को उसकी बगल से डाल उसकी एक चूची पर रख दिया. मेरा पूरा हाथ उसकी टाइट चूची पर था और मैं कनखी से उसे देख रहा था. हाथ को उसकी चूची पर रख मैं उसे क्या-क्या सॉफ करना है यह बता रहा था और वह चुपचाप सुन रही थी. उसकी नज़रे नीची थी. इतना करने के बाद मैं समझ गया कि वह मेरी इस हरक़त का बुरा नही मान रही तो मैने धीरे से अपने हाथ का दबाव बढ़ाते हुवे उसकी चूची को दबाया. वह आँखे झुकाए अपनी चूची को देख रही थी. मैं समझ गया कि वह राज़ी है तो खुश होकर उसकी चूची को कसकर अपने हाथ मैं पकड़ लिया तो उसके मुँह से धीमी सी सिसकी के साथ निकला, "हाए भाय्या." उसका इतना कहना था कि मैं खुश हो गया और दूसरे हाथ से उसकी दूसरी चूची को भी पकड़ लिया. उसने जल्दी से अपने हाथो के मेरे हाथो पर रखा और बोली, "न्न्न नही भाय्या हाए छोड़िए मुझे सफाई करनी है." "क्यों अच्छा नही लग रहा?" "हटो भाय्या यह क्या कर रहे हो मैं आपकी बहन हूँ." "अच्छा मैं सब जानता हूँ तुम क्या चाहती हो. आज सुबह से ही तुम मुझे अपनी दोनो चुचियों को दिखा रही हो." मेरी खुली खुली बात सुन वह शरमाते हुवे बोली, "ऊओ न्न्न भाय्या छोड़ो ना आप क्या कह रहे हैं? मैं तो अपना काम कर रही हूँ." "मैं भी तो अपना काम कर रहा हूँ. तुम आज मेरे सामने झुक झुककर और ऐसे कपड़े पहन मुझे दिखा रही थी ना. अब मैं इनको देख रहा हूँ." यह कहते हुवे उसकी शर्ट के बटन खोलने शुरू किए तो वह मेरे हाथ को पकड़ बोली, "नही भाय्या हाए आप क्या कर रहे है, मैं आपकी छ्होटी बहन हूँ." "नही पगली तू मेरी खूबसूरत और जवान बहन है. सच बोलना तुम आज सुबह से मुझे अपनी इन मस्त चुचियों को दिखा रही हो या नही.
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