RE: अन्तर्वासना सेक्स कहानियाँ नीतू भाभी का कामशास्त्र
"अच्छा? …….हो सकता है?" यह कटे हुए भाभी ने अपनी चूत को कुच्छ इस तरह घुमाया कि मेरे पूरा सूपदे, जिसकी सख्ती का अंदाज़ा आप लगा सकते हैं, चूत के जकड़न में बिल्कुल दब गया. कभी सूपड़ा जकड़न में दबाता था, कभी लौदे के जड़ का हिस्सा, कभी बीच का हिस्सा. बहुत कम ही हिलाते हुए, भाभी अपने चूत की कमाल दिखा रही थी. और मैं मस्ती के नशे में पागल हो रहा था!
मेरे मुँह से आवाज़ निकालने लगी, "ऊऊहह!"
"क्यूँ ……..सही जगह जकड़ा?"
"हान्न्न ………….भाभी!"
"ओह्ह्ह ……तब तो ठीक है ………जगह मिल गया मुझे!" वो फिर उसी तरह से चूत को सिंकुरने लगी, और मेरा लौदा मस्ती में फिर अकड़ने लगा अंदर, और मुझे फिर अपने गांद को सिंकुर कर काबू में रखना परा अपने आप को. " क्यूँ? …….लगता है कि अब झड़नेवाले हो? …….ह्म्म्म्म?"
`जी…"
`अच्छाा??? ……"
वो फिर अपने केहुनि के सहारे उठकरसर नीचे की तरफ देखा. उनके रस में गीला मेरा लौदा का करीब तीन-चौथाई दिख रहा था, भाभी अपने चूतड़ को उपर उठाई थी. वो अपने चूतड़ को कुच्छ और उठाई, जिस से कि आन सिर्फ़ मेरा सूपड़ा उनके
चूत के अंदर था. उनके चूत का मुँह मेरे सूपदे पर उंगती की तरह बैठा था. भाभी अपनी चूतड़ को उसी जगह, उसी तरह रखी रही, सिर्फ़ मेरे सूपदे को जकड़े हुए. "अभी नहियैयी ….."!
"अच्छाअ? ……..अब बोलो ……"थोरा" रुकोगे?" उसी तरह सिर्फ़ मेरे सूपदे को अब भाभी मद्धम मद्धम रफ़्तार में दबाने लगी. मेरे लौदे में ऐसा महसूस हो रहा था कि भाभी की चूत उसको चूम रही है, चारो तरफ चूस रही है. मैं अब आपने आप को काबू में नही रख सकता था. मैं "आआहह …… भाभिईीईईईईईईईईईईई ……….ऊऊहह'" की सिसकारी लगाने लगा.
भाभी मेरी हालत देख रही थी, पर मेरी मस्ती से वो और भी जोशीला होती जा रही थी. "अभी नहियिइ ……" वो गाने के अंदाज़ में बोलती रही, "अभी नहियीई…." और अपना मुँह मेरे करीब ले आई. फिर वो मेरे लौदे को अंदर लेने लगी, आहिस्ते आहिस्ते. एक
बार में एक इंच से ज़्यादा नही ले रही थी, और हर बार लौदे को एक जकड़न से दबा देती थी. भाभी के कमर का कंट्रोल बहुत ही ज़बरदस्त था, और पूरे लौदे को अंदर लेने के बाद वो एक गहरी साँस ली, और मेरे लौदे के जड़ पर अपने चूत के मुँह को बैठा कर रुकी. हमारे झाँत मिले हुए थे. अब शुरू हुई नीतू भाभी की चक्की फिर से. चूतड़ को घुमाती थी, फिर मेरे चेहरे को देखती कि मेरी क्या हालत हो रही है, और मेरे आँखों में आँखें डाले चूत को अंदर ही अंदर सिकोड कर मेरे लौदे को जाकड़ लेती थी.
मेरा लौदा इन हरकतों से चूत के अंदर ही उचक रहा था, बार बार. मेरा कमर हर बार उपर उठ जाता था.
"अभी झड़ना नही… …." वो फुसफुसकर मुझसे बोली, और फिर थाप देने लगी, मेरे आँखों में मुस्कुराहट के साथ देखते हुए. आहिस्ते से. करीबन दो सेकेंड लगती थी उठने में, और फिर दो सेकेंड बैठने में. "अभी नही झड़ना ….. बहुत मज़ा आ रहा है ……. अभी मज़ा करो! ……. ठीक?"
इसी तरह से करीबन 10 मिनिट तक भाभी मुझको मस्ती करती रही. उनका रफ़्तार बिल्कुल एक जैसा रहा, आंड हर थाप एक जगह से उठाकर बिल्कुल उसी जगह पर पहुँचकर रुकता था. हो सकता है, !0 मियनुट नही, 5 मिनिट ही रहा हो या हो सकता है कि 20 मिनिट तक चला हो. सच पूच्हिए तो मैं होश में था ही नही, मेरे लिए उस वक़्त समय का कोई मतलब नही था. "अभी नहियीईई ……..अभी नहियीईईई ……." भाभी गाते हुए मेरे चेहरे पर उंगली फेर्कर प्यार करती रही. बीच बीच में वो अपने चूतड़ को कुच्छ और नीचे दबा देती थी, और मेरा सूपड़ा उनके बच्चेड़नी के मुँह को छ्छू लेता था, और मैं हर बार मस्ती से सिहर जाता था. मेरे चेहरे को देखते हुए, हर सिहरन पर भाभी की मुस्कुरात और खिल जाती थी.
जब उन्होने देखा की मेरा पूरा बदन अकड़ गया है, वो मेरे चेहरे को चूमने लगी, मेरे आँखों पर, मेरे गर्दन पर, मेरे गाल पर.
"तैयार हो?", उन्होने शरारत से पूचछा.
" जी…." मेरी मस्ती ऐसी थी की मैं अपनी आवाज़ को भी नही पहचान सकता था. लगा जैसे कमरे के किसी और कोने से आवाज़ आई है. मेरे टांग बिल्कुल अकड़ गये थे.
"क्यूँ ….. रस का झोला भर गया है?"
"जी…"
वो उसी तरह थाप देती रही, और मेरे चेहरे को सहला रही थी. उनका चेहरा मेरे मुँह के बिल्कुल पास था.
"बहुत मज़ा आ रहा है………आअहह …….हाअन्न्न्न्न! ……है ना?"
मैं अब कुच्छ नही बोल सका. मेरा बदन इस तरह अकड़ गया था, मेरे लौदे में इस तरह की जलन थी, की मेरे लिए "आहह" कहना भी मुश्क़िल होता. मुझे लगा कि अगर अब मैं जल्दी नही झाड़ा तो पता नही क्या हो जाएगा, शायद मैं पागलों की तरह चिल्लाने ना लगूँ! मेरे मुँह से चीख ना निकलने लगे! पर भाभी इस तरह से चक्की चला रही थी कि मैं इसे भी छ्चोड़ना नही चाहता था. किसी तरह से अपने आपको काबू मे रखे रहा, और सोचता रहा कि भाभी भी क्या कमाल की औरत हैं! क्या
मस्ती लेना जानती हैं! क्या मस्ती करना जानती हैं!
यह सब सोचते हुए ही मुझे लगा कि अब मेरा लौदा काबू में नही रहा. मैं झड़ने लगा. एक फुहारा, फिर दूसरा, तीसरा. ज़ोर्से और पूरी गर्मी के साथ.
भाभी बोली, "हन्ंणणन्!"
मैं ने सोचा, " भाभिईीई ……. तुम भी ……ग़ज़ब की चीज़ हो!", और मैं झाड़ता रहा, झाड़ता रहा. भाभी ने फिर से मुझे उकसाया, "हान्णन्न् ……. हान्ंणणन्!"
मेरे मुँह से सिर्फ़ एक लंबी "आआआआहह" निकल सकी.
नीतू भाभी मुस्कुरा रही थी. मेरे कान के पास मुँह लाकर फुसफुसाई, " अब मज़ा लो …..हाआंन्णणन् ……..!" अब उनके कमर की रफ़्तार धीमी हुई, फिर रुक सी गयी. मेरे लौदे को उसी तरह चूत में रखे हुए, भाभी मेरा चेहरा सहला रही थी. मैं ने अपने आँखें खोले तो देखा की भाभी की चेहरे पर खुशी की चमक थी.
"अब तुमको मज़ा चखाई ना? ……..क्यूँ? कैसा लगा?"
"ऊऊहह," मेरे मुँह से निकली, और मैं ने अपने मूँछ और होंठ पर से पसीने को पोच्छा.
"बोलो ……. कैसा लगा?"
मैं ने चेहरे पर से बाल हटाए, और गहरे साँस लेता रहा. बोला, "मज़ा आया… खूब मज़ा!"
"कितना मज़ा? …… ठीक से बताओ!"
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