RE: अन्तर्वासना सेक्स कहानियाँ नीतू भाभी का कामशास्त्र
अपने दोनो हाथों पर उठकर मैं ने भाभी के बदन को खिड़की से आती हुई रोशनी में ठीक से देखा. मेरा लौदा चूत के मुँह के थोड़ा अंदर था. भाभी की मस्त चुचियाँ, उनकी पतली कमर, और उनके नाभि के नीचे उनके झाँत और फूले हुए
चूत की पंखुरियों को देखकर मेरी मस्ती और बढ़ गयी, और अपना रफ़्तार बढ़ते हुए, अब मैं ज़ोर्से लौदा पेलने लगा. एक झटके में चूत के बिल्कुल अंदर तक जाता था, और फिर हाथ के बल कमर को बिल्कुल उठाकर, सूपदे को चूत के मुँह पर ले आता था. बिल्कुल अंदर, बच्चेदनि के मुँह तक, फिर बाहर, चूत के मुँह पर. ज़ोर्से पेलता रहा, चूत तो गीली थी ही, मेरा लौदा पिस्टन की तरह अंदर, बाहर……फिर अंदर, …… फिर बाहर….भाभी चीखने लगी, "आआआआहह ……. हााआअन्न्ननणणन् …. और ज़ोर्से च*डूऊऊ…. हाआंणन्न् ….. इसी तरह ………. चोदते रहो ……..हाआऐययईई दैययय्याआआ ……. बहुत ग़ज़ब के चोदते हो ………….ह्हयाययीयियीयियी ………..चोदो और ज़ोर्साआयययी …..हयाययीयियैयियीयियी रे दैययय्याआअ!"
मुझे लगने लगा कि अब कुच्छ देर में मैं भी झड़ने लगूंगा. मेरे लौदे को लगा कि जैसे भाभी फिर चूत को ज़ोर्से सिकुरकर जाकड़ रही हैं. मैं ने मस्ती में रफ़्तार वही रखी, पर सर को नीचे को तरफ घूमकर देखा. मेरा ख्याल सच निकला.
भाभी अपने पेट को ज़ोर्से सिकुर रही थी, और उनकी चूत मेरे लौदे को जाकड़ रही थी. भाभी के अपने चूत पर किस तरह का कंट्रोल था, क्या बताउ! लगा जैसे लौदे को वो मुट्ठी में लेकर निचोड़ने लगी! मैं अपना पेलने की रफ़्तार रखने की कोशिश तो कर रहा था, पर मज़े को सहना मुश्किल हो गया. भाभी की कमर आहिस्ते आहिस्ते घूमती जा रही थी, चूतड़ चक्कर लगा रही थी, और उनकी चूत अपनी सिकास्ती से मेरे लौदा को दबाते जा रही थी. मेरा लौदा अब मेरे काबू में नही रहा! मैं ने एक लंबी आहह भरी, "अहह….. ………….. …… हाआंन्नणणन् ……. भाभी!" और उधर मेरा लौदा झड़ने लगा, फुहारे की तरह, शुरू में रुक रुक कर, फिर ज़ोर्से… भाभी बोली, "म्म्म्मममम…. …..हाआंणन्न्!" मैं उनके चुचि पर मुँह रखे हुए खलाश होता रहा. भाभी अपनी बाँहों में मुझे ज़ोर्से दबा ली, और उसी तरह मेरे लौदे को निचोड़ती रही, मेरे गरम साँस उनके गर्दन पर लग रहे थे. भाभी कुच्छ देर तक मेरे लौदे को उसी तरह चूत से दबाती रही, और उसकी गरमी को काम करती रही. फिर उन्होनेलौदे को चूत में रहते ही एक आखरी झटका दिया अपने कमर से, और मेरे लौदे का चूत के अंदर थिरकना अब रुक गया. भाभी ने अपनी टाँगों को मेरे उपर डालकर मेरे कमर को अपने जांघों से जाकड़ ली, और मुझे में गिरफ़्त में रख ली!
हम दोनो ने गहरी साँस ली. मेरे कान के पास मुँह लाकर उन्होने धीरे से पूचछा, "हाआंन्णणन्?" मैं ने भी कहा, "हाआंणन्न्!" भाभी मुस्कुराती हुई बोली, " बहुत ज़बरदस्त चुदाई कि….तुम ने …….!"
मेरे मुँह से कुच्छ भी नही निकला. मेरी सारी गर्मी को नीतू भाभी ने फिलहाल तो निचोड़ लिया था. "अहह!"
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