अन्तर्वासना सेक्स कहानियाँ नीतू भाभी का कामशास्त्र
07-08-2017, 11:54 AM,
#8
RE: अन्तर्वासना सेक्स कहानियाँ नीतू भाभी का कामशास्त्र
भाभी को मस्ती की उस उँचाई पर लाने के बाद, मैं रुक गया. बिल्कुल रुक गया. भाभी मज़े में अभी भी छॅट्पाटा रही थी. मैं उठा. कमरे में आती रोशनी मे मेरे लौदा का सूपड़ा चमक रहा था. मैं उठकर भाभी के मुँह के पास अपने कड़े लोड को हिलाने लगा, फिर उनके गुलाबी होंठ पर सूपदे को रगड़ने लगा. भाभी अब शरारती अंदाज़ से मुझे देखती हुई, मेरी आँखों मे देखती हुई, पूछि, "हान्न्न….?!!" वो हाथ पीछे करके अपनी एक तकिया (पिल्लो) को अपने सर के नीचे रख लिया, जिस से उनकी गर्दन को कुच्छ आराम मिले. मेरी तरफ मुस्कुर्ते हुए उन्होने अपने मुँह के अंदर जीभ को थूक से लेपकर मेरे लौदे को आहिस्ते से चटकार गीला करने लगी. वो अपने मुँह से बार बार थूक बनाकर निकलती और फिर प्पोरे लौदे को चूमते हुए, उस पर थूक मालती जा रही थी. फिर सारे थूक को अपनी जीभ से प्यार से चाटने लगी, पूरे लौदे में मले हुए थूक को बिल्कुल साफा कर दिया उन्होने जैसे चॉक्लेट आइस क्रीम के चम्मच को हम चटकार आइस क्रीम के हर बूँद का हम मज़ा लेते हैं. देखनेवाले कोई नही बता सकते कि अभी अभी मेरा लौदा थूक में बिल्कुल डुबोया हुआ था. उन्होने फिर अपने मुँह में थूक बनाकर मेरे लौदे के सूपदे को गीला किया और फिर उसी तरह से चाटना. मुँह मे
लेकर वो मेरे लौदे को इस तरह चाट और चूस रही थी कि वो और भी सख़्त होता गया. मेरा लौदा अब बेहद सख़्त और बेहद गरम! मेरे मुँह से आवाज़ निकलने लगी, हाआंणन्न् …. भाभी ….इसी तरह …….हाआअन्णन्न्!" मेरी मस्ती बहुत ज़ोर्से बढ़ती जा रही थी, अपनी हाथों को ज़ोर्से मुट्ठी बनाए हुए, मैं ने कहा, "
हाआंन्न …….चूऊसो …… हाआन्न …..इसी तरह …. चूवसू…..!"

अब तकिये पर अपने सर को थोड़ा ठीक से सेट करते हुए, भाभी ने अपना मुँह आगे किया, और मेरे पूरे लौदे को अपने मुँह में ले लिया. मुँह की अपनी गर्मी और उसपर गरम थूक, और सबसे बढ़कर भाभी की कॅमाल की जीभ ! थूक मे डुबोया मेरा लौदा अब भाभी के जीभ में बिल्कुल लिपटा हुआ था, और भाभी अपने मुँह को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगी. मेरे पूरे लौदे को चाटती रही, चुस्ती रही, और फिर मेरी चेहरे पर नज़र डाले हुए ही उन्होने सूपदे को ज़ोर्से चुस्कर छ्चोड़ दिया. मेरी मस्ती का पूच्हिए मत! अब वो सिर्फ़ सूपदे को मुँह में लेकर आपने होंठ के अंदर वाले तरफ से चाट रही थी. मेरा लौदा थिरक रहा था, कभी उपर, कभी नीचे, मस्ती में चूर.

`ह्म्‍म्म्म," वो आह भरी. उनके नज़र में फिर वोही शरारत, मेरी तरफ मुस्कुराते हुए बोली, " है…. बहुत मज़ा आ रहा है …..!"

मैं ने धीरे से कहा, " हाआंणन्न् ….. चूसीए ना …….हान्न्न ….. बहुत मज़ा देती हैं आप!" उन्होने मेरी तरफ गौर से देखा, और मेरे लौदे को फिर से मुँह में ले लिया. उनको सर आहिस्ते से आगे पीछे होता रहा, मेरे लौदे को हौले हौले चूस्ते हुए, थूक मलते हुए, चाटते हुए. उनकी गर्दन बहुत नही घूम रही थी, बस एक या 2 इंच, पर उनके होंठ खुलकर अपने उल्टे साइड से मेरे सूपड़ा को थूक मल कर मज़ा दे रहे थे. और साथ में उनकी जीभ मेरे सूपदे के चीड़ के नीचे
की तरफ़ दबाती रही, चाटती रही.

मैं ने एक गहरी साँस ली, उनकी तरफ़ देखता हुआ. फिर से एक बार यह ख्याल आया की नीतू भाभी वाक़ई में लौदे को चुस्ति या चाटती नही है. ये तो लौदे को अपने मुँह से चोदती हैं, ये तो चोदने का पूरा मज़ा अपने होंठ और जीभ से ही दे देती हैं. वो जानती हैं कि किस तरह एक औरत के मन को बिल्कुल एक प्यारी, चुस्ती हुई चूत बनाई जा सकती है, और जल्दी ही मेरा सूपड़ा उनके मुँह के अंदर उसके उपर वाले भाग को थिरक कर रगड़ने लगा.

मैं समझ गया कि अगर ऐसे ही चलता रहा तो मैं जल्दी ही झड़ने लगूंगा. मैं ने धीरे से अपने लौदे को उनके मुँह से निकाल लिया, मेरे लौदे और उनके होंठ और जीभ पर मले थूक के कारण लोड्‍ा निकलते ही "फच" की आवाज़ निकली.

उनकी आँखों में भोखी नज़रों से देखते हुए, मैं अब नीचे घिसकने लगा, अपने पैर सीधे किए, और भाभी के उपर लेटने लगा. भाभी के चेहरे पर एक ताज़्ज़ूब , पर जब मैं अपने हाथों के बल उठा और अपने लौदे के सूपड़ा को उनके चूत
के मुँह पर निशाना लगाने लगा, तो उनकी ताज़्ज़ूब खुशी में बदल गयी. उनकी आहहें अभी चलती रही, साँसें कुच्छ फूली ही रही, और उनकी आँखें मुझे याद दिला रही थी कि अभी भी वो झड़ने के करीब ही हैं, झड़ी नही. उनकी आँखें मुझे यह बार-बार याद दिलाना चाह रही थी. मेरा सूपड़ा उनके फूले हुए, गीली पट्टियों को रगड़ता रहा, और उनकी जंघें बिल्कुल खुल गयी. उन्होने अपने को कुच्छ उपर उठा दिया, और चूतड़ को हल्के से घूमते हुए, उनके चूत का मुँह मेरे सूपदे को अब चूम रहा था, मेरे सूपदे को चारो तरफ घूमते हुए रगड़ रहा था. मैं थोड़ा आगे खिसका. उनकी आँखों में अब चमक आ गयी, मैं ने भी एक लंबे आआआहह के साथ अपना लौदा नीतू भाभी की मखमली चूत के गहराई में घुसेड़ता गया, बिल्कुल अंदर तक. अंदर पहुँचकर, मेरे सूपदे ने भाभी के चूत के एक ख़ास जगह को अपना सर उठाते हुए, कुच्छ अकड़ कर "नमस्ते" किया, और भाभी की चूत ने भी अपनी सिकास्ती को और भी सिंकुर्ते हुए जवाब में "नमस्ते" किए. मेरे लोड्‍े ने अब धीरे रफ़्तार से ही, पर लंबे, और कुच्छ जोरदार धक्के लगाने शुरू किए. मैं ने अपने गांद को थोड़ा सिंकुर लिया, और जब लौदा बिल्कुल अंदर जाता तो
भाभी और मेरे पेट बिल्कुल मिले होते, पर बराबर एक रफ़्तार से अब मैं भाभी की चूत में लौदा पेलते जा रहा था.

भाभी के चेहरे पर खुशी की चमक थी. अपनी आँखों से मुझे उकसाती हुई, हू बोली, " चोदो …मुझे…… ज़ोर्से … चोदो… इसी तरह… हाआंणन्न्!"

भाभी मेरे एक-एक धक्के का जवाब अपने चूतड़ को घुमा घूमकर मेरे लॉड के जड़ तक चूत के मुँह को उठाकर देती रही. मैं ने उनके चेहरे को देखा, उनके चूत का कुच्छ सिकुरना महसूस किया. मैने अपनने पेट और गॅंड को ज़ोर्से कसने की
कोशिश की, और अब धक्के देते हुए कुच्छ आगे की तरफ घिसकता रहा. आइ से हर धक्के में उनके चूत के दाने को मेरा लौदा रगड़ देता था, घुसेड़ते हुए भी और निकलते हुए भी, और नीतू भाभी के चेहरे पर मुस्कुराहट खिलने लगी.

मैं ने शरती अंदाज़ में पूचछा, "क्यूँ?…. झड़नेवाली हैं?"

भाभी ने उसी मुस्कुराहट के साथ जल्दी जल्दी सर हिलाया, उनकी आँखें मेरे चेहरे पर टिकी रही, उनकी साँसें वैसी ही चढ़ि रही. अब उनकी आँखें बिल्कुल खुल गयी. और जाइए वो किसी नशे में हों, एन्होने अपने होंठ खोले और कुच्छ कहने की
कोशिश की, पर कुच्छ भी बोल नही सकी. एक गहरी साँस लेते हुए वो अपनी चूत के गहराई में मेरे लौदे को जकड़ी हुई थी. उनकी आँखों में सिर्फ़ चाहत, और वे मेरे आँखों पर टिकी रही. अपने नाख़ून से वे मेरे कंधे को थोड़ी खरॉच रही थी, और उनके बाँहों से मेरे कमर की जाकड़ भी कुच्छ जोरदार हो रही थी. उनको मैं चोद्ते रहा, पर मैं ने अपने बायें हाथ के बल कुच्छ उठकर अपने दाहिने हाथ को नीतू भाभी के कमर के नीचे ले जाकर, उनकी पतली कमर और पीठ के बीच उनको ज़ोर्से पकड़ लिया. मेरी बाँहों और जाँघ और लौदे में उस पार्टी के वक़्त से ही इतनी गर्मी थी नीतू भाभी को बिकुल ही नही छ्चोड़ने का दिल कर रहा था, उनके चूत और चुचियाँ और जांघों को बिल्कुल करीब रखा. उनके झांग में थिरकन हो रही थी, और मैं ने पूचछा, " झड़ेंगी अब?…….. झड़ेंगी?!" उनकी मुँह खुली हुई थी, आँखों में चमक, और वो कुच्छ जवाब तो नही दे पाई, पर उनका कमर, उनके हाथ अकड़ गये! वो अपने दाने को मेरे लौदा मे ज़ोर ज़ोर्से रगड़ती रही. और अब सिसकारी लेती रही, "आआहह …….. हाआआन्न्‍ननणणन्.. ……..मैं झाड़ रही
हूऊंणन्न् ……हाआंन्न…….. उउउइईईईईईई… दैया….रे…..ददाययय्या……..आआआहह … हहााईयइ ….. दैया ….. !!!" मुझे मज़ा तो बहुत आ रहा था, पर मैं अपने आप को बिल्कुल काबू में रखने की कोशिश करता रहा. उनकी आकड़ी हुआ गर्दन और कड़ी हुई कमर देखकर मैं बहुत खुश था, भाभी वाक़ई में बहुत मस्त में थी, और उनको कहता रहा, " और झाड़ीए ………. इसी तरह से ……..मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा है……हाआंन्‍णणन्!" उनकी चूत का जाकड़ और बढ़ गया था, और मुँह से कोई सॉफ बात नही, सिर्फ़ "ऊऊओउउउइईईईईई …….. आआआहह ………. डैय्य्याआआआआआ …….डायय्या रे दैययय्याअ ………..ऊऊओउुउउइईईई….. !!!!!" अब मैं ने अपनी चुदाई की रफ़्तार कुच्छ कम कर दी, ताकि भाभी का मज़ा कुच्छ देरी तक रहे, पर पेलता रहा बिल्कुल अंदर तक. कुच्छ देर में भाभी का पूरा बदन अकड़ कर काँपने लगा, जैसे उनको अपने बदन पर कोई काबू नही हो. उनकी आँखें तो खुली थी, पर उन में खुशी ऐसी कि वो कुच्छ और नही देख सकती थी. जब उनके गर्दन की अकड़न कुच्छ कम हुआ, तो वो अपने सर को आगे करके मुझे अपने बाँहों में ज़ोर्से भींच ली, और मेरे कंधे पर अपने मुँह को खोल कर धीरे धीरे दाँत काटने लगी, चूमती रही, उनका एक हाथ मेरे गाल को सहलाता रहा. भाभी ने बहुत कोशिश करके मुझसे कहा, " आओ तुम भी …… तुम भी मेरे अंदर झड़ो ….. हाअन्न्न्न!"
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