प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ
07-04-2017, 12:41 PM,
#74
RE: प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ
मेरा आधा लंड उसकी गांड में फंसा था। २-३ मिनट के बाद जब उसका दर्द कुछ कम हुआ तो उसने अपनी गांड को कुछ सिकोड़ा। मुझे लगा जैसे किसी में मेरे लंड को ऐसे दबोच लिया है जैसे कोई बिल्ली किसी कबूतर की गर्दन पकड़ कर भींच देती है। मुझे लगा जैसे मेरे लंड का सुपाड़ा और लंड के आगे का भाग फूल गया है। मैंने उसे थोड़ा सा बाहर निकलना चाहा पर वो तो जैसे फंस ही गया था।

गांड रानी की यही तो महिमा है। चूत में लंड आसानी से अन्दर बाहर आ जा सकता है पर अगर गांड में लंड एक बार जाने के बाद उसे गांड द्बारा कुतिया की तरह कस लिया जाए तो फिर सुपाड़ा फूल जाता है और फिर जब तक लंड पानी नहीं छोड़ देता वो बाहर नहीं निकल सकता।

अब हालत यह थी कि मैं धक्के तो लगा सकता था पर पूरा लंड बाहर नहीं निकाल सकता था। आधे लंड को ही बाहर निकाला जा सकता था। सुधा ने नीचे की ओर एक धक्का और लगाया और मेरा बाकी का लंड भी उसकी गांड में समां गया। वो धीरे धीरे धक्का लगा रही थी और सीत्कार भी कर रही थी। “ओह … उई … अहह। या … ओईईई … माँ ….”

उसकी कोरी नाजुक मखमली गांड का अहसास मुझे मस्त किये जा रहा था। कई दिनों के बाद ऐसी गांड मिली थी। ऐसी गांड तो मुझे कालेज में पढ़ने वाली सिमरन की भी नहीं लगी थी और न ही निशा (मधु की कजिन) की। इतनी मस्त गांड साला रमेश चूतिया कैसे नहीं मारता मुझे ताज्जुब है।

मुझे धक्के लगाने में कुछ परेशानी हो रही थी। मैंने सुधा से कहा “शहद रानी ऐसे मजा नहीं आएगा। तुम डॉगी स्टाइल में हो जाओ तो कुछ बात बने। ”

पर बिना लंड बाहर निकाले यह संभव नहीं था। और लंड तो ऐसे फंसा हुआ था जैसे किसी कुतिया ने लंड अन्दर दबोच रखा था। अगर मैं जोर लगा कर अपने लंड को बाहर निकालने की कोशिश करता तो उसकी गांड की नरम झिल्ली और छल्ला दोनों बाहर आ जाते और हो सकता है वो फट ही जाती।

उसने धीरे से अपनी एक टांग उठाई और मेरे पैरों की ओर घूम गई। अब वो मेरे पैरों के बीच में उकडू होकर बैठी थी। मेरा पूरा लंड उसकी गांड में फंसा था। अब मैंने उसे अपने ऊपर लेटा सा लिया और फिर एक कलाबाजी खाई और वो नीचे और मैं ऊपर आ गया। फिर उसने अपने घुटने मोड़ने शुरू किये और मैं बड़ी मुश्किल से खड़ा हो पाया। अब हम डॉगी स्टाइल में हो गए थे।

अब तो हम दोनों ही सातवें आसमान पर थे। मैंने धीरे धीरे उसकी गांड मारनी चालू कर दी। आह …। असली मजा तो अब आ रहा था। मेरा आधा लंड बाहर निकालता और फिर गच्च से उसकी गांड में चला जाता। मुझे लगा जैसे अन्दर कोई रसदार चिकनाई भरी पड़ी है। जब मैंने उससे पूछा तो उसने बताया कि वो थोड़ी देर पहले जब अपनी चूत साफ़ कर रही थी तभी उसने गांड मरवाने का भी सोच लिया था। और क्रीम की आधी ट्यूब उसने अपनी गांड में निचोड़ ली थी। अब मेरी समझ में आया कि इतनी आसानी से मेरा लंड कैसे उसकी कोरी गांड में घुस गया था। पता नहीं साली ने कहाँ से ट्रेनिंग ली है।

“भाभी यह बाते आप मधु को क्यों नहीं समझाती !”

“मुझे पता है वो तुम्हें गांड नहीं मारने देती और तुम उससे नाराज रहते हो !”

“आपको कैसे पता ?”

“मधु ने मुझे सब बता दिया है। पर तुम फिक्र मत करो। बच्चा होने के बाद जब चूत फुद्दी बन जाती है तब पति को चूत में ज्यादा मजा नहीं आता तब उसकी पड़ोसन ही काम आती है नहीं तो मर्द कहीं और दूसरी जगह मुंह मारना चालू कर देता है। इसी लिए वो गांड नहीं मारने दे रही थी। अब तुम्हारा रास्ता साफ़ हो गया है। बस एक महीने के बाद उसकी कुंवारी गांड के साथ सुहागरात मना लेना !” सुधा हंसते हुए बोली।

“साली मधु की बच्ची !” मेरे मुंह से धीरे से निकला, पता नहीं सुधा ने सुना या नहीं वो तो मेरे धक्कों के साथ ताल मिलाने में ही मस्त थी। उसकी गांड का छेद अब छोटी बच्ची की हाथ की चूड़ी जितना तो हो ही गया था। बिलकुल लाल पतला सा रिंग। जब लंड अन्दर जाता तो वो रिंग भी अन्दर चला जाता और जब मेरा लंड बाहर की ओर आता तो लाल लाल घेरा बाहर साफ़ नजर आता।

मैं तो मस्ती के सागर में गोते ही लगा रहा था। सुधा भी मस्त हिरानी की तरह आह … उछ … उईई …। मा …। किये जा रही थी। उसकी बरसों की प्यास आज बुझी थी। उसने बताया था कि रमेश ने कभी उसकी गांड नहीं मारी अब तक अनछुई और कुंवारी थी। बस कभी कभार अंगुल बाजी वो जरूर कराती रही है। मेरे मुंह से सहसा निकल गया “चूतिया है साला ! इतनी ख़ूबसूरत गांड मेरे लिए छोड़ दी !”

मैंने अपनी एक अंगुली उसकी चूत के छेद में डाल दी। वो तो इस समय रस की कुप्पी बनी हुई थी। मैंने अपनी अंगुली अन्दर बाहर करनी शुरू कर दी। फ़च्छ … फ़च्छ. की आवाज गूंजने लगी। एक हाथ से मैं उसके स्तन भी मसल रहा था। उसको तो तिहरा मज़ा मिल रहा था वो कितनी देर ठहर पाती। ऊईई … माँ आ. करती हुई एक बार झड़ गई और मेरी अंगुली मीठे गरम शहद से भर गई मैंने उसे चाट लिया। सुधा ने एक बार जोर से अपनी गांड सिकोड़ी तो मुझे लगा मेरा भी निकलने वाला है।

मैंने सुधा से कहा- मैं भी जाने वाला हूँ !

तो वो बोली “मैं तो पानी चूत में ही लेना चाहती थी पर अब ये बाहर तो निकलेगा नहीं तो अन्दर ही निकाल दो पर ४-५ धक्के जोर से लगाओ !”
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