हिन्दी में मस्त कहानियाँ
07-03-2017, 01:26 PM,
#27
RE: चाचा की बेटी
चुदास शबाना की

जूजा जी


यह कहानी शबाना नाम की एक लड़की ने मुझे भेजी थी, जो मैं आप के सामने उन्हीं के शब्दों में पेश कर रहा हूँ। हैलो दोस्तो, मेरा नाम शबाना है, मेरी उम्र 22 साल है, मेरी फिगर 36-28-38 है। मैंने कभी कोई ब्वॉय-फ्रेंड नहीं बनाया क्योंकि मैं डरती थी कि घर पर पता ना चल जाए। घर में मेरी अम्मी और चाचू और मैं रहते हैं। मेरे अब्बू कई बरस पहले अल्लाह को प्यारे हो गये थे तो अम्मी और चाचू शौहर बीवी की तरह रहने लगे थे। पर चाचू मुझे हमेशा ही काम-लोलुप नजरों से देखते थे। यह बात ढाई साल पहले की है, जब मेरी नानी की तबियत बड़ी खराब हो गई थी, तो मेरी अम्मी नानी के घर चली गईं। एक दिन रविवार के दिन मैं सुबह-सुबह झुक कर झाड़ू लगा रही थी। मेरे मम्मे दिख रहे थे, तब मेरी नज़र चाचू पर गई, जो मेरे सामने सोफे पर बैठे थे, वो मेरे थिरकते मम्मे देख रहे थे और उनकी पैन्ट पर टेंट तन गया था। रात को मैंने सोचा बाहर चुदा नहीं सकती और चुदाए बिना रह नहीं सकती, तो क्यों ना चाचू से ही चुद लूँ.. इनका तम्बू तो तन ही रहा है। मैं रात को ही चाचू के कमरे में चली गई, चाचू बेड पर सो रहे थे, मैं भी बेड पर लेट गई। मैंने जैसे ही चादर हटाई, मैंने देखा चाचू ने नीचे कुछ भी नहीं पहना है और उनका लण्ड सोया हुआ था, मैंने धीरे से अपना हाथ लण्ड तक किया और उसे पकड़ लिया और धीरे से झुक कर लण्ड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। चाचू अभी सो रहे थे, मैं लण्ड को चूसती रही और लण्ड खड़ा हो गया। मैंने लण्ड को मुँह से निकाला तो देखा लण्ड कोई 6 इंच लंबा और 2 इंच मोटा था, मैंने फिर से मुँह में ले लिया। मुझे लगा जैसे चाचू जाग गए हों, मैं लण्ड को मुँह से निकालने ही वाली थी कि चाचू ने मेरे सिर को अपने हाथों से दबाया और लण्ड मुँह में घुसा दिया और मेरे मुँह को चोदने लगे। 15 मिनट तक मेरे मुँह को चोदा और मेरे मुँह में माल डाल दिया। मैंने सारा माल पी लिया और जब मैं उठी, तो देखा चाचू की आँखें बंद थीं। मैंने उनको जगाया, पर वे बिना कोई उत्तर दिए लेटे रहे। फिर मैंने लण्ड को फिर से अपने मुँह में लेने लगी, चाचू का लण्ड फिर से खड़ा हो गया। मैं ज़ोर से मुठ मारने लगी, अब चाचू जाग गए और मुझे देख कर कहने लगे- शबाना तुम.. मुझे ये क्या कर रही हो मैं नींद में था, मुझे लगा कि तुम्हारी अम्मी होगी…. शबाना यह बात ठीक नहीं है…! मैंने कुछ नहीं कहा और लण्ड मुँह में ले कर चूसने लगी, वे फिर कहने लगे- मत करो.. ये गलत है, पर मैं नहीं रुकी और लौड़ा चचोरती रही। जब उनका लंड अपने पूरे शबाब पर आ गया, तो चाचू उठे और मुझे बेड पर धक्का दिया और कहा- अपनी सील तुड़वानी है क्या? मैंने कहा- हाँ प्लीज़…! कह कर मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए। चाचू मेरे ऊपर आए और मेरे मम्मों को मुँह में भर लिया और चूसने लगे फिर अपना लण्ड मेरी चूत पर टिकाया और एक जोरदार धक्का दिया और उन का एक इंच लण्ड अन्दर घुस गया। मुझे दर्द हुआ फिर चाचू ने एक और ज़ोर का धक्का दिया, मैं ज़ोर से चिल्ला उठी। चाचू ने अपना लण्ड 4-5 धक्कों में मेरी चूत में पूरा पेल दिया। मेरी चूत से खून निकल रहा था। फिर चाचू ने लण्ड को अन्दर-बाहर करना चालू किया, मुझे लग रहा था कि मेरी चूत में कोई गर्म लोहे की रोड अन्दर-बाहर हो रही है। मुझे दर्द तो हो रहा था, पर मजा भी आ रहा था। करीब 20-25 मिनट के बाद चाचू का पानी निकलने वाला था, तो चाचू ने लण्ड मेरी चूत से निकाला और मेरे मुँह में घुसेड़ दिया और मेरे मुँह को चोदने लगे और फिर सारा माल मेरे मुँह में ही डाल दिया। मैं सारा पी गई। चाचू बेड पर लेट गए और मैं उन के ऊपर आ कर लेट गई और चाचू से पूछा- तो कैसा लगा अपनी भतीजी को चोद कर..! चाचू ने मेरे मम्मे पकड़ते हुए कहा- रोज सुबह-सुबह तुम्हारे मम्मों को देख कर दिल तो करता था कि मुँह में ले लूँ, पर नहीं कर पाता था..! और फिर चाचू ने मेरे मम्मे मुँह में ले लिए और चूसने लगे। मेरी तो पहली चुदाई थी, मुझे तो पल-पल का मजा आ रहा था। चाचू का लण्ड फिर खड़ा हो गया और चाचू ने फिर मेरी चूत मारी, रात में कई बार चाचू ने मेरी चूत मारी, फिर सुबह जब बाथरूम गई तो चाचू साथ में ही गए और उधर भी उन्होंने मुझे चोदा और फिर चाचू ऑफिस चले गए। मैं कॉलेज नहीं गई। सुबह उठ कर मैंने कपड़े भी नहीं पहने थे। शाम को मैं कमरे में बैठी थी, तो खिड़की से देखा गेट पर चाचू आ गए हैं। चाचू ने दरवाजे की घण्टी बजाई। मैंने दरवाज़ा खोला तो चाचू अन्दर आए और कहा- शबाना कपड़े तो पहन लेती..! चाचू आ कर सोफे पर बैठ गए। मैं रसोई से पानी का गिलास ले कर आई और चाचू को दिया। चाचू ने पानी पिया मैं भी सोफे पर बैठ गई। चाचू ने कहा- तुम्हारी अम्मी को इस बारे में पता चल गया, तो क्या होगा? मैंने कहा- कुछ नहीं होगा.., हम नहीं बताएँगे..! और मैं चाचू की गोद में आकर बैठ गई और चाचू को चूमने लगी। चाचू का लण्ड खड़ा हो गया। चाचू ने कहा- चलो आज तुम्हारी गाण्ड मारता हूँ…! मैंने कहा- जो मर्ज़ी करो.. चाचू मैं तो आपकी ही हूँ..! चाचू ने तेल लिया और मेरी गाण्ड पर लगा दिया। चाचू ने मुझे घोड़ी की पोजीशन मैं किया और अपना लण्ड मेरी गाण्ड के फूल पर रखा और ज़ोर का धक्का दिया.. मैं चिल्ला उठी। चाचू ने एक और ज़ोर का धक्का दे दिया, मैं और ज़ोर से चिल्लाई… पर चाचू बिना रुके धक्के मारते रहे और चाचू का पूरा लण्ड मेरी गाण्ड को फाड़ता हुआ अन्दर घुस गया। कुछ देर ठहर कर चाचू फिर स्ट्रोक मारने लगे, मुझे और दर्द होने लगा। चाचू बिना रुके मेरी गाण्ड मारते रहे। थोड़ी देर के बाद मुझे भी मजा आने लगा। फिर चाचू ने सारा माल मेरी गाण्ड में ही डाल दिया और लण्ड बाहर निकाल लिया और मेरे मुँह में डाल दिया। मैंने लण्ड को चाट-चाट कर साफ़ कर दिया और फिर चाचू सोफे पर बैठ गए। मैं चाचू की टाँगों पर बैठ गई। चाचू ने कहा- तुम्हारी अम्मी ने मुझे कभी गाण्ड मारने नहीं दी और मैंने उसकी बेटी की गाण्ड मार ली। मैं तुमसे बहुत खुश हूँ, तुम बोलो तुम्हें क्या चाहिए? मैंने कहा- आप मेरे को रोज ऐसे ही चोदा करो..! चाचू ने कहा- ओके..! शाम को खाना खाने के बाद चाचू ने फिर से मेरी चुदाई की। 15 दिन मेरी अम्मी अपनी अम्मी के पास रहीं और जब वो वापिस आ गईं, तो रोज रात को एक बजे मैं बाथरूम जाती और चाचू भी आ जाते और एक घन्टे तक बाथरूम में चुदाई के बाद वापिस रूम में आकर सो जाते। कई दिनों तक ऐसे ही चलता रहा। फिर मेरी शादी पक्की हो गई, पर हमारा चुदाई का प्रोग्राम यूँ ही चलता रहा पर गर्भ रोकने वाली पिल्स ले लेती थी। निकाह के दिन करीब आ गए, मेहंदी की रात मेरे हाथों में मेहंदी लगी हुई थी, रात को फिर मैं बाथरूम में गई और चाचू पहले से बाथरूम में ही थे। मैंने चाचू को लण्ड निकालने को कहा, चाचू ने लण्ड निकाला और मैंने अपने मेहंदी वाले हाथों से लण्ड को पकड़ा और मूठ मारने लगी और मुँह में ले कर चूसने लगी। फिर चाचू ने मुझे उठाया और मेरी चूत में लण्ड डाल दिया और मेरी चूत मारी फिर मैं चुद कर बाहर आ गई और सो गई। अगले दिन मेरी शादी हो गई। शाम को जब विदाई थी तो मैं फिर से बाथरूम में गई और थोड़ी देर के बाद चाचू भी बाथरूम में आ गए। मैं बाथरूम में दुल्हन के जोड़े में खड़ी थी। चाचू आए और मेरा चुम्बन लिया। मैंने अपना ब्लाउज खोला और ब्रा भी खोली और चाचू ने मेरे मम्मे देखे। मैंने मम्मों पर मेहंदी लगाई थी। मैंने चाचू को कहा- चाचू मैंने अपने शौहर का नाम हाथों पर लिखा है, पर आपका नाम अपने मम्मे पर..! तब चाचू ने कहा- कहाँ पर..! तो मैंने बताया- ये है..! मैंने चाचू का नाम अपने निपल्स के साइड में छोटा सा लिखा था। चाचू ने मम्मे को मुँह में ले लिया और चूसने लगे। फिर चाचू ने मेरी साड़ी ऊपर की और मेरी चूत में लण्ड डाल दिया। हम दोनों का यह नियम था कि एक बार में सिर्फ एक छेद की चुदाई करते थे, पर आज मैंने कहा- चाचू दोनों छेदों को अपने लौड़े की दुआ दो..! तो चाचू ने मेरी गाण्ड भी मारी, चाचू जाने लगे तो मैंने कहा- चाचू लण्ड को मुँह में तो लेने दो..! तो चाचू ने लण्ड मेरे मुँह में डाल दिया और मेरे मुँह को चोदने लगे। फिर सारा माल मेरे मुँह में डाल दिया और बाहर आ गए। मैंने माल गले के नीचे नहीं किया और सारा माल मुँह में रखा और पूरे मुँह में घुमाने लगी और फिर तैयार हो गई और बाहर आ गई। मेरे मुँह में अभी भी माल था। विदाई के बाद में अपने ससुराल पहुँच गई। मेरी सुहागरात आ गई, मैं बेड पर बैठ गई। थोड़ी देर के बाद कासिम, मेरे शौहर आए और बेड पर आ कर बैठ गए और मैंने घूँघट लिया था, पर उन्होंने घूँघट नहीं उठाया और मेरे लहंगे को ऊपर किया और मेरी चूत में ऊँगली करने लगे। फिर वो उठा और मेरा घूँघट उठाया। मैंने सोचा गिफ्ट मिलेगा, पर उसने अपना लौड़ा मेरे मुँह में डाल दिया। मैं भी चूसने लगी फिर उसने मुझे चोदना शुरु किया तो मुझे थोड़ा दर्द हो रहा था, क्योंकि चाचू का लण्ड 6 इंच था, पर कासिम का लण्ड 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा था। मुझे उस ने पूरी रात चोदा। मैं पहले गर्भ रोकने वाली पिल्स लेती थी, पर अपने निकाह के बाद से नहीं लेती हूँ। मैं जब पहली बार वापिस अपने पीहर गई, तो चाचू मुझे नहीं चोद सके, क्योंकि उनको समय नहीं मिला। फिर मैं और कासिम हनीमून के लिए शिमला चले गए में प्रेगनेन्ट हो गई। मुझे एक स्वीट सी बेटी हुई, फिर मैं पूरे एक साल के बाद जब घर गई, तो कासिम वापिस आ गए। पर मैं एक हफ्ते के लिए रहने के लिए आई थी। दिन तो निकल गया रात को फिर से मैं बाथरूम में गई। चाचू भी आ गए। चाचू के आते ही मैं उन से लिपट गई और चाचू ने मुझे किस किया और मेरे कपड़े उतार दिए। चाचू ने मेरे मम्मों को पकड़ा और ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगे। मेरे मम्मे से दूध निकलने लगा। चाचू ने मेरा एक निप्पल मुँह में भर लिया और बारी-बारी से दोनों मम्मों से दूध पी लिया। फिर मेरी चूत में लण्ड घुसा दिया और मुझे चोदने लगे। चाचू मुझे चोद रहे थे और मैं अपनी गाण्ड उठा-उठा कर चुदवा रही थी। चाचू थोड़ी देर के बाद झड़ गए और मेरी चूत में ही सारा पानी निकाल दिया। चाचू ने फिर लण्ड निकाल लिया। मैंने उन का लण्ड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। अब मुझे ससुराल और पीहर दोनों जगह लण्ड मिलने लगे हैं। मैं अपनी जिन्दगी से बेहद खुश हूँ। मेरी दास्तान आपको कैसी लगी
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RE: चाचा की बेटी - by sexstories - 07-03-2017, 01:26 PM

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