Sex Hindi Kahani मेरी मस्त दीदी
07-03-2017, 12:37 PM,
#8
RE: Sex Hindi Kahani मेरी मस्त दीदी
चूंकि मैं आज रात दोनों बहनों को खुल कर ढंग से चोदने का मज़ा लेना चाह रहा था जो शायद अम्मी और मामू के आने से संभव न हो पाता और फिर कबाब में हड्डी बनने वैसे भी मामू की साली और उनकी बेटी जो दोनों ही बड़ी चिपकू थीं , आ ही रहीं थीं सो मुझे अपनी रात का मज़ा खटाई में पड़ता दीख रहा था। यही कारण था कि मैं आज मामी को घर नहीं लाना चाह रहा था।

" तू ठीक कह रहा है मुन्ना , अम्मी अगर आज रात वहीँ अस्पताल में ही रहें तो ज्यादा सही रहेगा क्योंकि उनका घाव बहुत ही गहरा था " दीदी ने चिंतित होते हुए कहा

" अगर आप ही मामू को चल कर समझायें तो ज्यादा सही रहेगा " मैंने दीदी को कहा

" ठीक है , अभी पौने छह बजे है , मैं पंद्रह मिनट में तैयार हो जाती हूँ पर ये बता सायरा की ट्रेन कितने बजे की है "

" सात बजे की "

" ओ हो फिर तो वक़्त नहीं बचा है तू मुझे अस्पताल छोड़ कर स्टेशन चले जाना और सायरा व खाला को लेकर वहीं अस्पताल आ जाना। तब तक मैं अम्मी की कंडीशन देख कर डॉक्टर से भी बात कर लेती हूँ "

" ये ठीक रहेगा दीदी " मैंने दीदी से कहा

दीदी अपने पेटीकोट का नाडा खोलते हुए अन्दर वाले कमरे की तरफ कपडे बदलने चलीं गयीं। मैंने घूम कर रज़िया की तरफ देखा , वो मेरी तरफ देख के धीमे धीमे मुस्करा रही थी। मैंने आगे बढ़ कर उसे अपने से कस कर चिपका लिया , उसने भी मेरे गले में अपनी बांहे डाल के बंद आँखों के साथ अपने होंठ मेरी तरफ बढ़ा दिये। मैंने भी उसकी भावनाओ को समझते हुए उसके होठों को अपने होठों में लेकर चूसते हुए उसके चूतडों को मसलना शुरू कर दिया। मेरा लंड मेरी जींस में खडा होकर उसकी नाभि से रगड़ता हुआ मुझे दिक्कत दे रहा था। " आज तो दोबारा शायद संभव नहीं होगा भैय्या , आपने उस बेचारी की बहुत बुरी हालत कर दी है। ज़रा सा जोर लगते ही M C की तरह ब्लीडिंग होने लगती है। सुज़ के कुप्पा हो गयी है बेचारी , इतना दर्द हो रहा है कि पेंटी भी नहीं पहनी जा रही है।" रज़िया मेरे सीने से चिपक कर बोली।

मैंने अब तक की ज़िन्दगी में कई लौंडियों को चोदा था लेकिन पता नहीं क्यों मुझे रज़िया को चोदने के बाद उससे बड़ा लगाव हो गया था। मैंने मन ही मन कुछ निश्चय कर लिया और उसके टॉप में अन्दर हाथ डाल कर ब्रा के ऊपर से ही चूचियों को मसलते हुए उसके मुंह में अपनी जीभ घुसा दी। तभी पीछे से दीदी के खांसने की आवाज़ आयी तो वह मुझ से छिटक कर अलग हो गयी। दोस्तों दोनों को ही यह अच्छी तरह पता था कि मैं उनकोढंग से चोद चुका हूँ परन्तु शायद शर्म या रिश्तों की उस दीवार के कारण वो एक दूसरे के सामने अनजान शो कर रहीं थीं लेकिन मैंने भी इस दीवार को गिराने की ठान ली थी।

" दीदी , वो जो दवा मैं सुबह ले कर आया था वो अभी दो खुराक बची होगी , उसमे से ज़रा एक खुराक दे दो " मैंने दीदी से खुल कर पूछा

" वो वहीं ड्रेसिंग टेबल पर रखी है " दीदी ने नज़रें चुराते ज़बाब दिया

" लो , ये खा लो , दो तीन घंटे में आराम मिल जायेगा " मैंने दवा की एक खुराक ला कर रज़िया को देते हुए कहा " दीदी , जल्दी चलो लेट हो रहे है "

" चल ना , मैं तो कब से तैयार हो चुकी हूँ " दीदी ने कहा। दीदी ने इस समय डार्क ब्लू जींस और स्काई ब्लू कलर का मैचिंग टॉप पहन रखा था। इस ड्रेस में वो बड़ी धांसू आइटम लग रहीं थीं। मैंने आगे बढ़ कर उनके दोनों होठ चूमते हुये कहा ," हाय हाय , कहीं नज़र न लग जाये "

" चल हट " दीदी का चेहरा लाल हो गया जबकि रज़िया की हँसी निकल गयी। उसको हंसते देख मुझे अन्दर ही अन्दर बहुत अच्छा महसूस हुआ। मैं दीदी को लेकर अस्पताल की तरफ लेकर चल दिया और उन्हें गेट पर ही छोड़ कर स्टेशन की तरफ निकल लिया। स्टेशन पहुँच कर मैंने इन्क्वायरी पर देखा तो पता चला कि ट्रेन राइट टाइम है यानी के पंद्रह मिनट बाद ट्रेन आ रही थी। मैं वहीं स्टेशन पर पंजाबिन लड़कियों की फूली फूली गांड और मस्त बड़ी बड़ी चूचियों को देख कर टाइम पास करने लगा। थोड़ी देर में प्लेटफार्म पर गाडी आ गयी। मैं जल्दी से S 5 की तरफ बढ़ा जिसमे मामी और सायरा का रिजर्वेशन था। डिब्बे के सामने पहुँच कर मैं उन लोगों को ढूँढने लगा , तभी किसी ने पीछे से मेरे कंधे पे हाथ रख कर कहा ,"मुन्ना भैय्या ! कहाँ देख रहे हो ? हम लोग उतर कर इधर खड़े हैं"

मैंने देखा कि एक बड़ी मस्त तकरीबन 5 फुट 7 इंच हाईट वाली लड़की मेरे पीछे खड़ी थी व उसके साथ एक औरत बुर्के में एक एयर बैग व एक स्काई बैग लिए खड़ी थी। मेरे चेहरे पे असमंजस के भाव देख कर वह फिर बोली ,"क्या भैय्या ! पहचाना नहीं ? अरे मैं सायरा ....... और ये मम्मी"

"ओहो ! कैसे पहचानूं ? मामी बुरके में है और तू इत्ती बड़ी हो गयी है,पिछली बार जब मिली थी तो फ्राक पहना करती थी" मैंने उसकी शर्ट से झांकतीं बड़ी बड़ी चूचियों को घूरते हुए कहा

"आय हाय आय ! जैसे पिछली बार ज़नाब ऐसे ही छः फुटा थे,सिर्फ तीन साल ही मुझसे बड़े हो" सायरा मेरे सीने पे मुक्का मारती बोली

"अरे तुम दोनों यहीं लड़ते ही रहोगे या अब चलोगे भी" मामी ने कहा हाँ हाँ चलो " कह कर मैंने कुली को बुला कर उसे सामान थमा दिया और हम लोग स्टेशन के बाहर की तरफ चल दिए। मेरी निगाह सायरा की फूली हुई गांड और उसकी खरबूजे जैसी चूचियों से हट नहीं रही थी। मुझे ऐसे देखते सायरा बोली ,"किधर ध्यान है ज़नाब का"

"कहीं नहीं,तुझी से तो बात कर रहा हूँ"

"हाँ , ज़नाब बात तो मुझ से कर रहे है लेकिन नज़रें कहीं और भटक रहीं है"

"अरे नज़र तो नज़र है,जहां अच्छी चीज़ दिखाई देगी वहीं तो टिकेगी"

मैं उसकी बोल्डनेस से भली भांति परिचित था और उसकी यही आदत मुझे बचपन से पसंद भी थी।

"ओहो , परन्तु इसका मतलब ?"

"मतलब क्या ये तुम्हारी बात का ज़बाब था"

"आपकी गोल मोल बात करने की आदत गयी नहीं,अरे यार क्यू लड़कियों जैसा शरमाते हो। खुल के कहो ना कि सायरा तू मुझे अच्छी लग रही है"

"वाह वाह अपने मुंह ही अपनी तारीफ़,कभी आईना देखा है,बिलकुल बंदरिया लगती है"

"अच्छा जी ! मैं बंदरिया लगती हूँ। शायद तभी मेरे शरीर को इतनी देर से घूर रहे हो जैसे नज़रों से ही घोल के पी जाओगे"

इसी तरह नोक झोंक करते हम स्टेशन के बाहर आ गए। मामी थोडा धीरे चल रहीं थी सो बाहर आकर मैंने कुली को पैसे दिए और मामी का इंतजार करने लगे। मामी के आते ही मैंने उनसे कहा ,"आप दोनों के लिए मैं ऑटो किये दे रहा हूँ क्योंकि मेरे पास बाइक है"

" नहीं मैं तो आपके साथ ही बाइक से चलूंगी " सायरा बच्चों सी जिद करती बोली

" ऐसा करते है मुन्ना ! इसे तू बाइक पर ही बिठा ले और हम लोग पहले हॉस्पिटल ही चलते है , दीदी को देखे बिना मुझे सुकून नहीं मिलेगा "

" ठीक है , ऐसा ही करते है " मैंने ज़बाब दिया मामी को ऑटो में बिठा कर मैंने स्टैंड से बाइक निकाल कर स्टार्ट की और सायरा को साथ लेकर हम अस्पताल के लिए चल दिए। सायरा ने पीछे से मुझे पकड़ कर अपनी ठुड्डी मेरे कंधे पर और अपने दोनों हाथ मेरी जाँघों पर रख लिए। इस पोजीशन में उसकी चूचियां मेरी पीठ में धंसी जा रहीं थीं।

" कैसे बैठी हो , सब देख रहे है ..... हम घर के अन्दर नहीं है सायरा , सड़क पर है। ऐसा लग रहा है कि तुम मेरी बहन नहीं कोई गर्ल फ्रेंड हो " मैंने सायरा से फुल मज़ा लेते हुए कहा

" ओ हो तो ज़नाब अगर घर के अन्दर हो तो मुझे ऐसे चिपका कर रक्खेंगे " सायरा मेरी पीठ से और लिपटते बोली

" घर में अगर तुम यूं लिपटना चाहो तो कम से कम दूसरे मज़ा लेने वाले तो नहीं होंगे , यहां सड़क पर सब मज़ा ले रहे है "

" वाह सिर्फ चिपक के बैठने से ही दूसरों को मज़ा आ जाता है ? और फिर जब मज़ा आने वाला काम करेंगे तो फिर उनका क्या हाल होगा " सायरा हंसती हुई बेबाकी से बोली

तभी अस्पताल आ गया और मैंने सायरा को उतार कर बाइक स्टैंड पर लगा दी। हम सब अन्दर जा कर मामी के रूम में पहुँच गए। वहां मामी को डॉक्टर ने ड्रेसिंग करके तैयार कर दिया था लेकिन दीदी ने घाव को देख कर आज रात और यहीं हॉस्पिटल में रुकने की कह दी थी। हालांकि मामी घर जाने की बहुत जिद कर रहीं थीं लेकिन हम लोगों के समझाने पर एक रात और रुकने को मान गयीं थीं। छोटी मामी ने साफ़ साफ़ कह दिया कि वह तो हॉस्पिटल में ही रुकेंगी और कल सबके साथ ही घर जाएँगी। अंत में यह तय हुआ कि मैं दीदी और सायरा को लेकर घर चला जाऊं बाकी वो तीनो लोग वहीं मामी के साथ हॉस्पिटल में रुकेंगे। चूंकि सायरा का सामान भी था और लोग भी तीन थे अतः मैंने ऑटो करना ही मुनासिब समझा। बाइक वहीं हॉस्पिटल में मामू के पास छोड़ कर हम तीनों ऑटो से घर चल दिए।

ऑटो में सायरा बीच में बैठी थी और मेरी बाजू से उसकी लेफ्ट चूची दब रही थी , उसने भी अपना एक हाथ मेरी जांघ पर बेफिक्री से रक्खा हुआ था। जब भी कोई हल्का सा झटका लगता तो मैं जानबूझ कर अपनी बाजू से उसकी चूची मसल देता था लेकिन वह इन सब बातों से अनजान मस्त बैठी थी।

घर पहुँच कर मैंने ऑटो का पेमेंट करके सामान अन्दर रखवा दिया। सायरा रज़िया के गले लग के खूब मस्ती से बतिया रही थी। अन्दर आ कर मैंने घडी देखी तो टाइम साढ़े नौ से ऊपर ही हो रहा था।

" दीदी , साढे नौ बज चुके है , बड़ी भूख लगी है। आप लोग फ़टाफ़ट खाना लगाओ तब तक मैं चेंज करके आता हूँ " कह कर मैं अन्दर कमरे में चला गया। अन्दर जाकर मैंने अपने लिए एक लार्ज व्हिस्की का पैग बनाया और ख़तम करके अपने कपडे उतार दिए। मैं सिर्फ अंडरवियर व बनियान में था कि तभी सायरा और रज़िया अन्दर आ गयीं। उन्हें देख कर मैं झेंप कर अपनी लुंगी तलाशने लगा क्योंकि जैसा कि आप सभी जानते ही है की इन रेडीमेड अंडरवियर में लंड गांड सब क्लियर पता चलती है।

" वाह भाई वाह , अकेले अकेले ही शौक फ़रमाया जा रहा है।" सायरा ने मेरा व्हिस्की का गिलास और बोतल देख कर कहा

" अरे मुझे क्या पता था कि तू पीती है , तेरे लिए भी बनाऊ क्या ?" मैंने लुंगी उठा के लपेटते हुए कहा

" नहीं नहीं , मैं तो मज़ाक कर रही थी , मैं ये सब नहीं लेती हूँ "

" आहा , तो मैडम फिर क्या लेती है " मैंने सायरा के गालों पर चिकोटी काटते शरारत से पूछा

" अरे लेने वाली चीज़ मैं सब ले लेती हूँ , ये सब फ़िज़ूल की चीज़ें थोड़े ही लेती हूँ "

तब तक मैं अपना एक दूसरा लार्ज पैग बना कर पीने लगा।

" चल चल सायरा , तू भी फ़टाफ़ट फ्रेश होकर चेंज कर ले फिर हम सब खाना खाते हैं , मुझे बहुत तेज़ भूख लगी है " मैंने सायरा को बोला।

वो लोग कमरे से बाहर चले गए और मैं भी एक पैग और लेकर बाहर किचिन के पास लाबी में पड़ी डाइनिंग टेबल पर बैठ गया जिस पर दीदी खाना लगा रहीं थीं। दीदी ने अपनी वही ड्रेस यानी पेटीकोट और टॉप पहन रखा था। तभी रज़िया और सायरा भी चेंज करके डाइनिंग टेबल पर आ गये। सायरा ने एक ढीला ढाला गाउन पहन रखा था जिसमे उसकी चुचियों की तनी हुई घुन्डियाँ साफ़ साफ़ उठी हुई नज़र आ रहीं थी।

" ये क्या पहन रखा है , इस ड्रेस में तेरा सब कुछ दिखाई दे रहा है " दीदी ने धीरे से सायरा को टोका

" अरे दीदी, सारा दिन बॉडी कसी रहती है इसलिए रात में इसे बिलकुल फ्री करके हमें सोना चाहिए " सायरा बेझिझक बोली

मेरा लंड तो वैसे भी उसकी चुचियों की घुंडियों को देख देख कर अंगड़ाईयां ले रहा था लेकिन ये सुन कर कि उसने चड्डी भी नहीं पहनी है , वह बुरी तरह फनफना उठा। मैंने टांग पर टांग चढ़ा कर अपने लंड को उसमे कस कर दबा लिया। हालांकि मेरी उसको चोदने की तबियत हो रही थी लेकिन मैं यह अभी शो नहीं करना चाह रहा था। मैं उसी की तरफ से किसी पहल का इंतज़ार कर रहा था फिर तो उसकी चूत में अपना लंड पेल के उसे चोद ही देना था। वैसे उसकी एक्टिविटी से लग रहा था कि सायरा उस टाइप की लड़की है जो ये सोचतीं है की जब चुदाई करने से लड़कों के लंड का कुछ नहीं बिगड़ता तो लड़कियों की चूत का क्यों बिगड़ेगा। चूंकि खाना लग चुका था सो हम सब खाना खाने लगे लेकिन मेरी निगाह बार बार सायरा की चूचियों की तरफ ही उठ जा रही थी जिसे सभी बखूबी समझ रहे थे क्योंकि में बीच बीच में अपने फनफनाते लंड को भी एडजस्ट कर रहा था। खाना खाकर रज़िया ऊपर वाले कमरे में चली गयी। हालांकि वह इतनी बुरी तरह चुदने के बाद भी चुप थी , दीदी की तरह हाय हाय नहीं कर रही थी फिर भी मैं उसकी चूत की हालत समझते हुए आज उसे छेड़ना नहीं चाहता था। एक रात के रेस्ट के बाद उसकी चूत की हालत भी सुधर ही जानी थी और फिर मेरे लंड के लिए कौन सी चूतों की कमी थी , यहाँ लुधियाना आने के बाद तो मेरे लंड को वैसे भी बिलकुल रेस्ट नहीं मिला था , हर वक़्त चूत में ही घुसा रहता था। दो दो कुंवारी चूतों की सील तो खोल ही चुका था ऊपर से खुदा ने सायरा को और भेज दिया , वैसे मैं उसकी चूत के बारे में डाउट में था क्योंकि इतनी बोल्ड लड़की अपनी चूत में बिना लंड पिलवाये नहीं मान सकती। ज़रूर उसने लंड का मज़ा ले लिया होगा। खैर , दीदी व सायरा भी खाने से फ्री होकर लेटने चल दीं तो मैंने फोर्मली पूछा , " आज कैसे लेट बैठ होगी "

" हम दोनों तो अन्दर वाले कमरे में लेट जाते है , बैठने का काम आप पूरी रात शौक से फरमा सकते हैं " सायरा ने मेरी बात पर चुटकी ली

" वाह भई वाह , रज़िया ऊपर और तुम दोनों अन्दर वाले कमरे में .......... मैं अकेले यहाँ क्या करूंगा।" मैंने टोका

" आप ज़नाब , कांग्रेस आई के सहयोग से रात काटिए ( कांग्रेस आई का निशान हाथ का पंजा है ) " सायरा शोखी से आँखे नाचते बोली

" अजी अगर हम कांग्रेस का सपोर्ट लेंगे तो आपको भी तो रात काटने को उसी का सपोर्ट लेना पड़ेगा " मैंने भी उसी के टोन में ज़बाब दिया

" हाँ यार , इससे बढ़िया तो ये रहेगा कि हम दोनों ही मिलजुल के सरकार बना ले " सायरा मेरी बनियान की स्ट्रिप्स में अपनी उंगली फंसाकर धीरे से बोली

" मुझे कब ऐतराज है "

" हाँ जी , वो तो तुम अपना डंडा लिए झंडा फहराने को बिलकुल तैयार दिखाई दे ही रहे हो " सायरा मेरी लुंगी में काफी उभरे हुए लंड को देख कर बोली

वैसे तो दोस्तों मैंने अपनी इस छोटी सी लाइफ में कई चुदासी चूतों को चोदा और कई चूतों को थोडा ज़बरदस्ती करके भी चोदा था लेकिन ऐसी बोल्ड चूत खुल के चुदवाने को उतावली आज पहली बार देख रहा था। हम लोगों को खुसुर पुसुर करते देख दीदी ने मामू के कमरे में सोने का ऐलान कर दिया। वह भी समझ चुकीं थी कि हम दोनों ही चुदाई प्रोग्राम किये बिना नहीं मानेंगे सो उन्होंने हम लोगों को अकेला छोड़ देने का सोचा लेकिन सायरा ने दीदी की बात काटते हुए कहा ," क्या दीदी , कितने दिन बाद तो मिले है , आप भी हमारे साथ ही लेटिये ना ...... ढेर सारी बातें करेंगे " फिर मेरी तरफ देखकर मुस्करा दी। हालांकि मेरे और दीदी के बीच अब कोई पर्दा नहीं था फिर भी मेरी समझ में उसका प्लान नहीं आ रहा था क्योंकि वह तो हमारे इस चुदाई रिलेशन से बिलकुल ही अनजान थी।
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RE: Sex Hindi Kahani मेरी मस्त दीदी - by sexstories - 07-03-2017, 12:37 PM

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