RE: Antarvasnasex मुंबई से भूसावल तक
मुंबई से भूसावल तक--3
गतान्क से आगे.......
"ओओह मा, नही परेश चाचा यह तो बहुत मोटा है, कैसे जाएगा मेरे अंदर? मुझे
तो डर लग रहा है. जब आपने प्लॅटफॉर्म पे मुझे मसला तो मुझे नहीं पता था
कि बात यहाँ तक आएगी. नहीं नहीं चाचा आप वह अंदर डालने की बात मत करो,
बहुत दर्द होगा, यह इतना बड़ा मेरे अंदर कैसे जाएगा?" सुरभि को खड़ी करते
परेश ने उसकी चूत उंगलियो से फैलाते हुए झुकके चाटने लगा. इस नये प्यार
से सुरभि बहाल होते सिसकारिया भरते परेश का मुँह अप'नी चूत पे दबाने लगी.
परेश पूरी जीभ चूत मैं घुसाके चाटने लगा. सुरभि की चूत का पानी वह बड़े
टेस्ट से पी रहा था. सुरभि की चूत चाट्के उसे और गरम करते परेश बोला,
"अरे डरो नहीं, पह'ले दर्द होगा बाद मैं मस्ती से चुदवाना शुरू करेगी
समझी? मैने तेरी जैसी 3 लड़'कियो को चोदा है जो पह'ले ना-ना कर रही थी
लेकिन एक बार लंड चूत मैं लेने के बाद गान्ड उठा-उठाके चुदवाने लगी. रही
बात प्लॅटफॉर्म की तो सुरभि रान्ड तेरी मा तुझे ब्रा नहीं पहनती तो तेरे
स्तन उच्छल रहे थे, प्लॅटफॉर्म पे 3-4 मर्दों ने तुझे च्छुवा तो भी तू
कुच्छ नहीं बोली और इस टाइट सिल्क सलवार मैं तेरी गान्ड मटक रही थी इसलिए
मेरी नज़र तुझपे गयी, इसका मतलब तूने ही मुझे ललचाया ना? बोल सही है ना
मेरी रांड़?"
इस बार परेश ज़रा ज़ोर्से सुरभि के निपल मसलता है क्योंकि उसे मालूम है
की ट्रेन की आवाज़ मैं सुरभि की चीख कोई नहीं सुन सकता. सुरभि ज़ोर्से
चीखी लेकिन इतनी भी ज़ोर्से नहीं कि आवाज़ टाय्लेट के बाहर जाए. परेश
चाचा के हाथ अपने मम्मो पे दबाते वह बोली,
"आ उही मा छ्चोड़ दो. कितने ज़ोरो से दबा रहे हो? दर्द होता है ना चाचा.
आप ज़रूर झूट बोल रहे हैं कि आपने 3 लड़'कियो को चोदा है. मुझे नहीं
करवाना कुच्छ भी, देखो परेश चाचा मुझे छोडो मुझे जाने दो. " सुरभि के
मुँह से उसे जाने देने की बात सुनके परेश ज़रा गुस्से से उसका एक मम्मा
चूस्ते, दूसरा बेरहमी से मसल्ते चूत मैं उंगली डालते बोलता है,
"हां छोड़ दूँगा, पह'ले मस्ती तो करने दे. साली नाटक मत कर, इतना गरम
किया मुझे तो क्या अब मूठ मारु रान्ड? तेरी मा की चूत एक तो लंड गर्म
करती है और फिर नाटक करती है. साली तेरी मा भी हरामी है तभी तेरी जैसी
जवान बेटी को बिना ब्रा के भेजती है, वह भी क़िस्सी की रांड़ होगी, है
ना? देख सुरभि अब कुच्छ भी हो, तुझे बिना चोदे जाने तो नहीं दूँगा, चाहे
जो हो जाए. " सुरभि के स्तन और बेरहमी से मसल्ते परेश उसको घुमा के WC पे
कुतिया जैसे झुकाके लंड पिछे से उसकी चूत पे रखते रगड़ने लगता है. बेचारी
सुरभि रोने लगती है. परेश मे आए इस चेंज से डरके वह रोते-रोते कहती है,
"नाहहीी-2 ऐसा मत करो परेश आहह ओह्ह नही, प्ल्ज़्ज़ मत मारो और मेरी मा
को गाली मत दो. उसको क्या मालूम था कि आप मुझे मिलोगे और मेरे साथ ट्रेन
मैं ऐसा करोगे, आ छोड़ दो. " सुरभि यह बोलती तो है लेकिन जैसे ही परेश का
लंड उसे अपनी चूत पे महसूस होता है उसे बहुत अच्च्छा लगता है. उसकी चूत
मचलने लगती है और वह महसूस करती है की उसके निपल कड़क हो गये हैं.
परेश के बहशीपान को जगाने के लिए सुरभि की यह बात काफ़ी थी. उस'ने अप'ना
लंड खींच लिया और सुरभि की उभरी गान्ड पर तीन चार कस'के तमाचे लगाए और
बोला,
"मदरचोड़ सिर्फ़ परेश बोलती है रांड़? तेरी मा की चूत तुझे और तेरी मा को
और गालियाँ दूँगा, क्या उखाडेगी मेरी रंडी? बहन्चोद तेरी मा ने तुझे ढंग
के कपड़े पहनाए होते तो ना मेरी नज़र तुझपे पड़ती और ना मैं तुझे चोदने
यहाँ लाता, है ना? बोल है ना तेरी मा हरामी सुरभि?" परेश सुरभि की कमर
पकड़के लंड उसकी चूत पे रगड़ते ज़रा सा दबाता है. उस'के लंड का सूपड़ा अब
सुरभि की चूत को खोल चुका है. इससे सुरभि को दर्द होता है और वह तड़पति
है. उसकी सासे अटक जाती है. ज़िंदगी मैं पह'ली बार चूत मैं गरम लंड का
अहसास हो रहा था. दर्द से बचने के लिए वह परेश की कमर पकड़ते बोलती है,
"सॉरी चाचा, मुझसे ग़लती हुई, फिर कभी आप'को नाम से नहीं बूलौंगी. और
हां, मेरी मा हरामी है, वह जान बूझके मुझे ऐसे कपड़े पहनाती है जिससे
मर्दों की नज़र मुझपे पड़े और वह मुझे तंग करे. वह जलती है मेरे रूप से
इसलिए ऐसा करती है. अब प्लीज़ मुझे छोडो चाचा, मैं दर्द नहीं सह पाउन्गि.
आआह मुझे छोड़ दो अहह. " सुरभि के मुँह से उसकी मा की बेइज़्ज़ती सुनके
परेश को अच्च्छा लगता है. वह सुरभि की कमर और कस्के पकड़ते लंड और ज़रा
चूत पे दबा कर बोलता है,
"बहन्चोद तुझे छोड़ दूँगा तो यह खड़ा लंड क्या तेरी मा की गान्ड मैं डालु
छिनाल? मुझे पता है तेरे जैसी कमसिन रंडी की मा बड़ी छिनाल है. साली नाटक
किया तो यहीं मार डालूँगा तुझे. मदरचोड़ चल टांगे खोल तेरी, मेरे लंड को
तेरी चूत फाड़नी है रखैल. क्या मस्त माल है तू छिनाल, चल खोल पैर तेरे. "
परेश की गालियाँ और धमकी सुनके सुरभि डर के अपने पैर खोलती है. परेश की
मार और गालियो से उसे बड़ा डर और दर्द होता है और वह इस बात से ज़रा
ज़्यादा तड़पति है. अब वह डर से अपने पैर खोलती है. सुरभि को कस्के
पकड़के परेश एक धक्का देता है और लंड की टोपी अंदर घुसती है. जैसे ही लंड
का बड़ा सूपड़ा सुरभि की कमसिन चूत मैं घुसता है वह दर्द से चिल्ला उठती
है,
"ऊऊही मा ओह्ह मर गययी, नही चाचा नीककाल्लो लुंदड़ मुउझे दर्द हो रहा
हाई. " सुरभि के दर्द की परवाह किए बिना परेश अब सुरभि के मुँह पे एक हाथ
और कमर मैं दूसरा डालके उसे कस्के पकड़ते ज़ोर्से लंड चूत मे घुसता है.
लंड सुरभि की चूत को बेरहमी से फाड़के अंदर घुसता है. सुरभि दर्द से बहाल
होके चिल्लाना चाहती है पर परेश उसका मुँह और कस्के पकड़ते बोलता है,
"आ तेरी मा की चूत क्या टाइट चुउत्त हाई तेरी रांद्ड़. तेरी मा की चूत आज
सही मैं मस्त लड़'की मिली है इस को, बहन्चोद तेरी मा को भी चोदना चाहिए
जिसने ऐसी गरम बेटी पैदा की, ले छिनाल अब तुझे देख कैसे मेरी रांड़ बनाता
हूँ. " परेश को अपने लंड पे सुरभि का गरम खून महसूस होता है. इससे वह अब
और बेरहमी से सुरभि को चोदने लगता है.
वह बेचारी लड़'की इस हल्लबबी लंड के घुसने से बहाल होके रोने लगती है.
उसे ऐसा लगता है उसकी चूत को परेश चाचा ने फाड़ दिया है. वह चिल्लाके
अपना दर्द निकालना चाहती है पर परेश उसे वह रिहायत भी नहीं देता. 15-20
बार लंड चूत मैं घुसाके निकालने के बाद जब परेश सुरभि के मुँह पे रखा हाथ
ज़रा हल्का करता है तो सुरभि की सिसकारियो भरी आवाज़ उसे सुनाई देने लगी.
सुरभि बेचारी रोते बोल रही थी,
"आआह श्ह.. ऊहह, आ उही मा मार्र गआययी उउफ्फ नही उहह, उम्म परेश चाहचहा आ
मेरी चूत को मत फाडो आहह निकालो ना अप'ना लंड. आ मैं मार जाउन्गि अहह उही
मा आरी यह तो बहुत मोटा है उही मा मुझसे नहीं होगा आह. " परेश को सुरभि
की इन बातों पे बिल्कुल भी तरस नहीं आता. उसका मोटा लंड क़िस्सी तीर की
तरह अंदर घुसते सुरभि की चूत को चीरते चोद रहा था. सुरभि के मुँह पे रखा
हाथ हटा के, सुरभि के स्तन मसल्ते परेश सुरभि को चोद रहा था. सुरभि एक
बेबस कुतिया जैसे कमोड का सहारा ले झुका के अपनी चूत पह'ली बार मरवा रही
थी. बड़ी बेदर्दी से स्तन मसल्ते सुरभि की चूत चोद्ते परेश बोला,
"नहीं मरने दूँगा तुझे रंडी, अब तो और चुदवाना है तुझे छिनाल, बहन्चोद
क्या गरम चूत है तू. साली प्लॅटफॉर्म पे भी नाना के साम'ने मस्ती कर रही
थी और फिर मूत'ने लगी थी तो तुम्हारी चूत दिखी. यह ले और ले और ले
मदरचोड़, चूत फटने दे तेरी, तेरे जैसी लड़'की हमसे चूत फटवाने के लिए ही
पैदा होती है. सब ठीक होगा, अभी देख 5 मिनिट मैं दर्द ख़तम होगा और तू
खुद चुदवाने लगेगी समझी? साली तेरी मा को भी चोदुन्गा, वह भी मस्त माल है
ना?" सुरभि की चूत ज़रा गीली होने से अब परेश का लंड ज़रा आसानी से उसकी
चूत मैं घुस रहा था. परेश के मुँह से अपनी मा के लिए दी गयी गंदी गालियो
से भी उसे शरम आ रही थी. अपनी चूत फटने के दर्द से सुरभि सिसकते बोली,
"आ उही मा चाचा उम्म उम्म छोडो ना उही मा बहुत दर्द हो रहा है. आह सच मैं
फॅट जाएगी उम्म आ. चाचा बहुत दर्द हो रहा है, प्लीज़ जाने दो मुझे. "
सुरभि की रिक्वेस्ट को अनसुना करके परेश बेरहमी से उसके स्तन दबाते चूत
मारने लगता है. सुरभि भी ज़रा पैर रिलॅक्स करती है और अब परेश का लंड
सुरभि की गीली चूत मैं आराम से चुदाई करने लगता है.
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