RE: XXX Kahani मुम्बई के सफ़र की यादगार रात
मुम्बई के सफ़र की यादगार रात-4
लेखक : सन्दीप शर्मा
हम दोनों ने पाव भाजी खाई और उसके बाद साक्षी मुझ से बोली अब तुम्हे एक काम करना होगा मेरी मर्जी से ...
मैंने कहा- हुकुम करो जान क्या करना है वो उठी उसके बैग में से कुछ निकालने गई और मुझ से बोली तुम बाथरूम में चलो मैं भी आ रही हूँ | मैं आज्ञाकारी बच्चे की तरह बिना किसी सवाल के बाथरूम में चला गया पीछे पीछे वो भी आई, जब वो अंदर आई तो उसके हाथ में एक इलेक्ट्रिक रेजर था।
मैंने कहा- इसका क्या करने वाली हो? मैंने शेव तो सवेरे ही बनाई थी।
वो तौलिया खींच कर मेरे लण्ड की तरफ इशारा करते हुए बोली- तुम्हारी शेव तो बनी हुई है पर इसकी नहीं बनी ! मुझे इसकी शेव करनी है, इसके बाल मुँह में जाते हैं तो मजा नहीं आता।
मैंने कहा- देखना बाल के साथ कुछ और मत काट देना !
वो बोली- तुम चुपचाप रहो और मुझे मेरा काम करने दो।
इसी बीच साक्षी ने गीजर चालू कर दिया और रेजर से मेरी झांटों के बाल बड़े प्यार से साफ करने लगी। उसको इस काम में मुश्किल से 5 मिनट लगे होंगे उतने वक्त में उसने मेरी झांट के पूरे बाल साफ़ कर दिए, उसके बाद उसने मेरे हाथ ऊपर करके मेरी बगल के भी बाल साफ़ कर दिए।
मेरे बाल साफ़ करने के बाद मुझसे बोली- एक मिनट में वापस आती हूँ, फिर तुम नहा लेना।
मैंने कहा- तुम भी साथ में आओ, साथ में नहायेंगे।
वो बोली- ठीक है, पहले वापस तो आने दो उसके बाद साथ में ही नहाएँगे।
वो गई, रेजर रख कर जब वो वापस आई तो उसके हाथ में तौलिया, पियर्स सोप और शैम्पू भी था पर साक्षी ने अपने बालों को प्लास्टिक कवर से ढक रखा था।
मेरे पूछने पर बोली- मैं अपने बाल गीले नहीं करना चाहती ! यहाँ आने के पहले बाल धोए हैं और यहाँ हेयर ड्रायर लेकर नहीं आई हूँ, अगर अभी बाल गीले हो गये तो सूख नहीं पाएँगे।
तौलिया उसने सूखे हुए बेसिन के ऊपर रख दिया और बाकी सामान मेरे पास ले आई।
मैंने कहा- ठीक है जैसा तुम्हें ठीक लगे।
उसने शावर चालू किया तो पानी की बौछार मेरे ऊपर आना शुरू हो गई, वो गुनगुना पानी बड़ा ही अच्छा लग रहा था। उसने अपने हाथों से मेरे सर शावर की तरफ करके पूरा भिगो दिया और शावर बंद कर दिया, हाथ में शैम्पू लेकर मेरे सर पर लगाया और फिर साबुन लेकर मेरे गीले बदन पर साबुन मलना शुरू कर दिया। उसके हाथ लगाने से मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा था पर मैं जैसे ही उसको हाथ लगाने लगा तो बोली- चुपचाप खड़े रहो, अभी कुछ नहीं करना !
मैं बेचारा रुक गया, उसने जब पूरे बदन पर अच्छे से साबुन लगा दिया तो शावर चालू कर दिया। शावर चालू होने के बाद जब वो मेरे सर के शैम्पू को धोने लगी तो मैंने उसे मेरे पास खींच लिया और उसको मेरी बाँहों में भर लिया और मेरे साथ साथ वो भी गीली होने लगी। वो अपने हाथों से मेरे सर पर लगे शैम्पू को धो रही थी और मैं उसके गीले हो रहे बदन पर मेरे हाथ चला रहा था और उसे अपने पास खींचता जा रहा था।
कपड़े तो दोनों ने ही नहीं पहने थे इसलिए मेरा पूरा तना हुआ लण्ड उसकी चूत से टकरा रहा था और अंदर घुसने की नाकाम कोशिश कर रहा था। मैं तो जोश में था ही, मेरी इस हरकत से वो भी जोश में आ रही थी पर फिर भी उसने पूरा ध्यान सिर्फ मुझे नहलाने में लगा रखा था। जब सर का शैम्पू और बदन का साबुन लगभग साफ़ हो गया तो मेरे हाथ छुड़ा कर वो मेरे पीछे आ गई और मुझे घुमा कर मेरे सीने को शावर की तरफ कर दिया जो अभी तक पीठ की तरफ था और मेरे सीने पर अपने हाथ चलाने लगी और सीने का साबुन साफ़ करके मेरे खड़े लण्ड को अपने हाथों से धोने लगी।
अब मैं काबू से बाहर हो रहा था, मैं घूमा और उसे मैंने पकड़ कर उसके होंठों को चूम लिया, उसने भी मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया था, मैं उसे चूम रहा था और वो मेरे लण्ड को मसल रही थी।
मुझसे और रुकते नहीं बन रहा था तो मैंने उसे कमोड की तरफ खींचा। मैं खुद कमोड पर जा कर बैठ गया और उसे मैंने अपने ऊपर खींचा तो मुझे होंठों पर चूम कर बोली- बस एक मिनट रुको।
उसने पहले शावर बंद किया, सिंक पर से तौलिया उठाया, उसमें से एक कंडोम निकाला और उसे खोल कर मेरे लण्ड पर पहना दिया फिर मेरे लण्ड को अपने हाथों से पकड़ कर खुद चूत पर टिकाया और एक धक्के में मेरा पूरा लण्ड अंदर ले लिया।
इस अचानक हुए हमले से मेरे मुँह से एक सिसकारी निकल गई और उसकी भी हल्की सी आह निकल गई। लण्ड अंदर तक डलवाने के बाद उसने मुझे होंठों पर चूमा और धीरे धीरे उसने झूमना शूरू कर दिया, मैं भी कमोड पर बैठा बैठा ही उसके धक्कों का साथ दे रहा था, कभी उसके होंठों को चूम रहा था और कभी उसके बड़े बड़े स्तन मुँह में लेकर चूस रहा था।
हम दोनों की आह आह ओह ओह पूरे बाथरूम में गूँज रही थी, वो हर धक्के के साथ मुझे जोर से कस लेती थी।कमोड पर होंठों और चूचियों को चूसने और एक-दूसरे में खो जाने का कार्यक्रम कितनी देर चला, वक्त का तो पता नहीं पर यही कार्यक्रम तब तक बिना आसन बदले चलता रहा जब तक़ साक्षी पूरी तरह से झड़ नहीं गई। उसके झड़ने में हर झटके पर वो चूत को समेट लेती थी जिससे मेरे लण्ड पर बड़ा ही प्यारा अनुभव होता था। जब वो पूरी तरह से झड़ गई तो उसने मुझे प्यार से चूमा और बड़ी अदा से मेरे ऊपर से उठी और जाकर बेसिन पर झुक कर खड़ी हो गई बोली- आओ ना !
मैं उसका इशारा समझ गया, मैं उठ कर उसके पीछे गया और उसकी चूत में लण्ड को डाल दिया जो बिना किसी मुश्किल के अंदर चला गया। साक्षी की चूत पूरी तरह से उसकी चूत के पानी से भीगी हुई थी और वो बह कर उसकी टांगों पर भी आ रहा था, उसकी चूत इतनी गीली हो गई थी कि मुझे मजा नहीं आ रहा था।
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