RE: कौन सच्चा कौन झूठा--एक्शन थ्रिलर सस्पेंस
दीपक: ये सब हुआ कैसे.
इंदु: मे जब बाज़ार से घर आई किचन मे सामान रख कर नहाने के लिए बाथरूम जा
रही थी के निशा के रूम से म्यूज़िक की बहुत तेज़ आवाज़ आ रही थी . मैं बाहर
से ज़ोर से बोली "बेटे आवाज़ कम करो" .मे नहाने के लिए चली गयी . जब वापस
आई तो भी म्यूज़िक तेज़ ही था .
मेने निशा के कमरे का दरवाज़ा खोला तो निशा नीचे ज़मीन पर पड़ी थी तेरे डॅड
के सीने से खून निकल रहा और तू वही कोने मे बेहोश था .
मेने बगल से शर्मा जी को बुलाया जब वो आए तो उन्होने ही पोलीस को फोन किया .
दीपक: मा क्या हमारे घर से कोई समान चोरी हुआ था.
इंदु: नही कोई सामान चोरी नही हुआ ना ही कोई ताला या गेट को तोड़ा गया था
.जब मे मार्केट गयी थी तो लॉक कर के गयी थी .तेरे पापा के पास एक चाबी थी
उसी से वो अंदर आए होंगे ( रोने लगी)
दीपक: मेरे यहा ना होने पर पीछे घर पर कौन -2 आया था .
इंदु: तेरे पापा के बॉस उनकी वाइफ और केदार अंकल.
इंदु: बेटा वो.(रुक गयी)
दीपक: क्या मा?
इंदु: बेटा दिव्या की शादी किसी और से होने वाली है .5दिन पहले उसकी मँगनी
हो गयी .
दीपक: (सिर झुकाए) मा जब दुख आता है तो सब पीछे छूट जाते हैं .चलो ये तो
पता चला कि सच्चा प्यार करना मुश्किल होता है ( झूठी हॅसी चेहरे पर ले आया)
इंदु: अपने पर्स मे से कुछ निकाल रही थी... ये ले कुछ पैसे है तू अपना
ख़याल रखना .
दीपक: पैसे जेब मे रखते हुए ... अपनी मा से बोला मा तुम्हे मेरी कसम है
टाइम से खाना खा लिया करो और रात भर जागा मत करो . (गुस्से मे) मैं जब तक
सच्चाई का पता नही लगाता ना तो कोई मुझे पकड़ सकता ना है ना मुझ से बच सकता
है.
दीपक: मा वकील साहेब को बोलो के मुझे फोरेन्सिक रिपोर्ट और एफ.आइ.आर की एक
कॉपी चाहिए .
इंदु: बोल दूँगी बेटा . पर अब तू कहा पर रह रहा है.
दीपक: मा एक जगह रहना मुश्किल है . आप सारे केस के डॉक्युमेंट्स चंपा के घर
भेज देना मे वही से ले लूँगा
और हां वकील साहेब का फोन नंबर मुझे दो .मुझे उनसे मिलना है .इंदु ने पर्स
से वकील का कार्ड निकाल कर दीपक को थमा दिया .
एक दम से आवाज़ आई "रुक"
लंबा चौड़ा सा इंसान दीपक की ओर दौड़ा .इंदु एक दम से उस पोलीस वाले के
सामने आई .पोलीस वाला बिल्कुल इंदु से बचते हुए जैसे ही साइड हुआ दीवार से
टकरा गया और दीपक को भागने का मौका मिल चुका था.
दीपक जैसे ही मंदिर की सीढ़ियो पर पहुचा दूसरे पोलीस वाले ने उसे पहचान
लिया था वो दीपक पर लपका "रुक साले" पोलीस वाले का हाथ दीपक की गर्देन पर
.दीपक ने अपनी पेंट के जब से छोटा सा नाइफ निकाला और पोलीस वाले के हाथ मे
गाढ दिया .
पोलीस वाला ज़ोर से चीखा आआआआआ. दीपक अपनी पूरी फुर्ती से दौड़ा और उस
पोलीस वाले की आँखों से ओझल हो चुका था .
राणे की जीप हॉस्पिटल के बाहर रुकी .राणे अपने उसी अंदाज़ मे गाड़ी से नीचे
उतरा पॅंट को ज़रा सा उपेर किया और हॉस्पिटल के अंदर हो लिया.
राणे: वाह भाई वाह!.
हवलदार: साहेब अपने आदमी हैं ये वाह क्यू?
राणे: हवलदार की तरफ गुस्से से देखा और बोले बाबू राम हम तो ई सोचे थे के
जब वो ससुरा दीपक इनके हाथ लगेगा तो हम उसकी इतनी धुलाई करेंगे के उसको
हॉस्पिटल जाना पड़े .
पर भाई यहा तो उल्टा माजरा है अपने ही आदमी.
पीछे खड़ा हवलदार फिर हस पड़ा .
घायल पोलीस ऑफीसर: सर वो हाथ आ ही गया था पता नही कब जेब से चाकू निकाल के
चला दिया .
राणे: ह्म्म्म. तुम का कौन ऑफीसर ट्रैनिंग दिए थे.
ऑफीसर: चंदरकांत सर ने.
राणे: तो का उन्होने ये नही बताए के मुजरिम वार भी करता है मूरख.
पीछे खड़ा हवलदार फिर हंसा पर दबी ज़बान मे.
राणे: (दिमाग़ चल रहा था) साला ये कौन से खेत का मूली है दीपक . ऐसा पागल
तो सिर्फ़ दो लोग होते हे.
हवलदार: कौन साहेब.
राणे: एक तो दीवाना और दूसरा घायल शेर .तुमका ई दोनो मे से दीपक कौन लागत
है .
हवलदार: साहेब हमको तो दीवाना लागत है .ससुरे का कोई टांका होगा उसी छमिया
के पीछे होगा .
राणे: कर दी ना हवलदार वाली बात अगेर तुम सही सोचते तो हम आज तुम को साहेब
बोल रहे होते .
इस बार पीछे खड़े हवलदार से अपनी हसी रोकी नही गयी और ज़ोर से हस पड़ा .
राणे हॉस्पिटल से बाहर को हो लिया . राणे जैसे ही जीप मे बैठा उसने जीप के
ड्राइवर को बोला "आज कल बहुत खिल खिल्ला के हँसते हो " का बात है . हवलदार
की एक बार फिर सिट्टी पिटी गुल
आज दीपक को जैल से भागे दो दिन होने वाले थे . रात हो चुकी थी दीपक अपने
छुपने का ठिकाना खोज रहा था . उसको लगा के आज की रात उसे अपने इलाक़े से
दूर बितानी पड़ेगी क्यूकी आज ही दीपक मंदिर मे बॉल -2 बचा था.
दीपक अपने पिता के दोस्त केदार अंकल के घर जाने लगा उनका घर थोड़ी दूर था
दीपक बस स्टॅंड पे खड़ा था बस आई .
टिग्टॉंग. घर की बेल सुनते ही केदार साब गेट खोलने के लिए आए .39 साल के
केदार साब दीपक के पिता राज के ऑफीस मे राज के जूनियर थे और उनके फॅमिली
फ़्रेंड भी .
दरवाज़ा खुलते ही सामने दीपक को देख कर केदार सब थोड़ा घबरा गये .
दीपक: अंकल अंदर आने को नही बोलेंगे.
केदार: ओह! हा हा हां बेटा अंदर आओ .
केदार थोड़ा झल्ला सा गया था उसे डर ये था कि कही दीपक के पीछे पीछे पोलीस
भी उसके घर ना पहुच जाए कही वो खुद ना फस जाए दीपक को अपने घर मे रखने के
लिए.
दीपक: मे जैल से भाग के आया हू अंकल. मुझे अपने पिता और बेहन के केस मे
फँसाया गया है .अंकल आप तो मुझे जानते है क्या मे पापा और निशा का खून कर
सकता हू
केदार: नही बेटा मेने ये कभी नही माना के बेटा जो अपने बाप बेहन को प्यार
करता था वो उनका खून कर दे नामुमकिन है बेटे.
दीपक: अंकल बस मे यही साबित करने के लिए भागा हू जैल से और जिन लोगो ने
मेरी ज़िंदगी मे आग लगा दी है मैं उन्हें अपने हाथो से मार दूँगा.
केदार ने किचन से खाने का सामान ला कर डिन्निंग टेबल पर रखा .
केदार: चलो बेटा खाना खा लो तुम भूखे होगे.
दीपक ने खाना ऐसे खाया जैसे 50 साल बाद उसे खाना नसीब हुआ हो . पिछले एक
महीने मे जैल की जली रोटिया खा -2 कर वो वैसे ही बीमार दिखने लगा था .
केदार ने खाना ख़तम होने पर टेबल सॉफ कर दी .
दीपक: सिर्फ़ आज रात के लिए ही यहा हू अंकल कल सुबह होतेही चला जाउन्गा .
बस आप की मदद चाहिए होगी.
केदार: बेटा ये भी कोई बोलने के बात है तुम्हारे पिता मेरे बड़े भाई तो थे
तुम मुझसे जो मदद बोलो मैं करूँगा .
दीपक: थॅंक यू अंकल .
केदार : बेटा रात के 11:30 बज गये है तुम्हे अब थोड़ा आराम कर लेना चाहिए.
दीपक: जी अंकल.
दीपक को केदार उपेर वाले कमरे मे ले गया बेटे तुम सो जाओ.
दीपक कमरे मे बेड पर लेटा था नींद आँखो से बहुत दूर थी ..... दीपक बेड से
उठा बाथरूम गया . गेट बंद करते हुए वापस आया सामने एक छोटी सी अलमारी थी
दीपक ने हॅंडल को पकड़ के दरवाज़ा खोला वाहा केदार अंकल का सामान पड़ा था
कुछ मेडिसिन्स , दवा के बोतलो से पूरा शेल्फ भरा पड़ा था .दीपक सोचने लगा
अंकल को कितनी बीमारी है जो इतनी दवाई लेते है . दीपक बेड के किनारे आया और
बेड पे फिर सोने के कौशिश करने लगा
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