RE: Hindi Sex Stories बदले की आग
बदले की आग (भाग - 9)
हाय ! क्या लंड है तुम्हारा विशाल, बहुत बऱ और मस्त है. लगता है किसी घोरे का लंड हो, यह मेरी बेटियों'ने कैसे ले लिया.. इतना बऱ लंड, तब ही मधु सीधी तरह चल नहीं सक'ती थी. मैने पूचछा तो वह बोली थी की मैं गिर गयी थी. अब पता चला की तुम्हारे लौऱे को लेने के बाद वह चल'ने के काबिल नहीं रही होगी..
आह मेरी सासू रानी, अब खूब चूसो मेरा लंड. फिर तुम्हें भी तोचोड़ना है. तुम्हें तब पता चलेगा के असली चोद'ना क्या होता है. चलो, मुख में लो और उस'ने मेरा लंड हाथ मैं लिया.. पहले उसे हाथ से हिलाती रही. फिर उस'ने मूँ'ह खोल के मेरे लौऱे को चूस'ना शुरू कर दिया.. क्या मस्त छूसा कर रही थी साली रन्डी.
आह... चाची क्या मज़ा देती हो. जो मज़ा तुम्हारी छूसा में है वह अभी तुम्हारी बेटियों में पूरा नहीं आया है. आह तुम'ने तो लगता है की छूसा मैं मास्टर्स किया हुआ है.. बिल्कुल रन्डियोन की तरह छूसा करती हो. हााआ और चूसू साली रन्डी. मैं अब उसे चाची नहीं रन्डी कह रहा था. उसे मेरा रन्डी बोलना और गरम कर रहा था.. मैं अब उसे मज़े मैं आ के गालियाँ बक रहा था. मेरी हर गाली पर और जोश से छूसा कर रही थी..
साली रन्डी की औलाद चूसो. साली रन्डी बिल्कुल अपनी बेटियों की तरह हो. साली वह भी तुम'ने रन्डियान पैदा की हैं. आ तुम्हारी बऱी बेटी तो बिल्कुल रन्डी की तरह चुड़वाती थी. अब तुम्हें चोद के पता चलेगा के मा कैसी है.. उ.... ओह और मैं झऱ'ने लगा था..
ऱन्डी मैं झऱ'ने लगा हून. पी जा मेरा माल और मैने अपना सारा माल उस'के मूँ'ह में छोऱ दिया. वह किसी रन्डी की तरह मेरा सारा माल पी गयी लेकिन उस'ने छूसा जारी रखी, कुच्छ 2 मिनिट तक. फिर उस'ने मेरा लंड आप'ने मूँ'ह से निकाला और मेरी आँखों मैं देख'ने लगी. मैने उसे बाज़ू से पकऱ कर उठाय और उसे आप'ने साथ बेड रूम मैं ले गया..
उसे बिस्तर पे लिट के मैं उस'की टाँगों मैं आ गया. आप'ने लौऱे का सुपारा उस'की चूत के दरवाज़े पर रखी फिर मैने उस'की आँखों मैं देख'ते हुए एक ज़ोर दार झट्क दिया. जैसे ही मेरे लौऱे का सुपारा उस'की चूत में गया उस'के मूँ'ह से एक हल्की चीख निकल गयी. साथ ही गालियाँ भी,
साले हरामी क्या अपनी मा की चूत समझ के इतना ज़ोर का झटका मारा है. साले हरामी यह तेरी मा की चूत नहीं है.. मैं मार गयी. श.. सालएने मेरी चूत फाऱ दी. मैने एक और ज़ोर का झट्क दिया जिस'से मेरा लंड आधा उस'की चूत में चला गया. साथ ही उस'की फिर से चीख निकल गयी. जब उस'का दर्द कुच्छ कम हुआ तो उस'ने मुझ पर गालियों की बौच्हार कर दी.
साले हरामी कुत्ते मैने तुझे कहा था ना की यह तेरी मा की चूत नहीं है जिसे टू चोद रहा है. क्या मार डालेगा मुझे कुत्ते. आहिस्ता आहिस्ता चोद हरामी. अब के तू'ने झट'का ज़ोर से दिया तो तेरी गान्ड में मैं अपना पूरा हाथ दे दूँगी. अब मुझे उस'की गालियाँ सुन के कुच्छ और मज़ा मिल रहा था. मैने अब की बार कहा की 'बेट विशाल, साली हराम जाड़ी'की चूत को फाऱ दे' और साथ ही मैने बिना रुके ज़ोर ज़ोर के झट्के लगाना चालू कर दिया जिस'से वह चीख'ने लगी..
ऊह मैं मार गैिईई सेयेल आदमी का लंड है की घोरे का लंड. मेरी चूत फॅट गयी. हााआ मुझे बचाओ, मेरा छोड़ू दामाद मेरी फाऱ रहा है और मैने और ज़ोर से उसे चॉड्ना शुरू कर दिया.. अब मेरा लंड पूरा उस'की चूत में था. मेरा हर झट्के से लंड उस'की चूत की गहराइयों मैं उतार जाता था. जिस'से अब उसे मज़ा मिल रहा था. अब वह कामुक सिस'कारी पे कामुक सिस'कारी दे रही थी..
हाय... ओह.. और ज़ोर से चोद. क्या लंड है रे तेरा.. आज मुझे सही लौऱे का सुख मिला है... मेरे शोहार का लंड तो तुम्हारे लौऱे का आधा भी नहीं. क्या शानदार लंड है तेरा विशाल, चल और तेज गति से चोद मेरी प्यासी चूत को, मैने अपनी गति बढ दी. मेरा लंड उस'की फैली चूत में ऐसे आ जेया रहा था जैसे कोई पिस्टन और उस'की कामुक सिस'कारी और ज़ोर पकऱ रही थी. लग भाग 2 या 3 मिनिट के बाद ही वह झऱ'ने लगी..
आह विशाल बेट. मैं झऱ'ने लगी हून.. और उस'ने अपनी टाँगों से मेरी कमर को कस के पकऱ लिया और फिर जब वह झऱ चुकी तो उस'की टाँगें ढीली पर गयी. पर मैं रुका नहीं. मैं उसे अब भी धुंवा धार तरीके से चोद रहा था.. कुच्छ वक़्त के बाद वह फिर से सक्रिया हो गयी. उस'ने फिर से सिसक'ना शुरू कर दिया..
विशाल क्या मज़ा है. आज लगता है की मुझे तुम मार ही डालोगे. विशाल बहुत मज़ा आ रहा है. आ... उः... और चोदो बेटे, आप'नी इस रन्डी चाची को खूब चोदो बेट. ऊह.. उः... और चोदो, फार डालो अपनी चाची की चूत. आह... अब तो तुम्हारे चाचा के लौऱे से मुझे मज़ा ही नहीं आएगा. तुम्हारा लंड ही चलेगा अब तो मेरी चूत में. तुम मुझे रोज़ रन्डी की तरह चोद'ना. मैं अब तुम्हारा ही लंड लूँगी और वह फिर से झऱ गयी. मैने अब उसे कहा की,
मेरी रन्डी चाची अब मैं तुम्हें कुतिया बनाके छोड़ूँगा. चलो अब कुतिया की तरह बन जाओ और साथ ही मैने अपना लंड उस'की चूत से निकाल लिया. जैसे ही मेरा लंड उस'की चूत से बाहर आया उस'ने एक ज़ोर दार सिस'कारी ली. फिर जब वह कुतिया की तरह बनी तो मैं उस'के पीच्चे आया और उस'के फैले हुए तरबूज जैसे बऱे बऱे चुत्तऱोन पर आप'नी हथेली कस कस के टीन चार बार पाट'की.
'छत' 'छत' की आवाज़ से मैं और मस्त हो गया और अपना लंड फिर से उस'की चूत में सिट्काय और फिर एक झट'के से पूरा लंड उस'की चूत में डाल दिया. अब उसे दर्द नहीं हो रहा था क्योंकि वह दो बार झऱ चुकी थी. उस'की चूत खुल चुकी थी. दो दफ़ा झऱ'ने के कारण वह अच्च्ची तरह से चीक'नी थी जैसे ही मेरा पूरा लंड उस'की चूत में गया उस'ने एक ज़ोर की एक सिस'कारी ली.
विशाल मज़ा आ गया.. उ.... ओह और चोदो. . तुम भी तो औरत को चोद'ने में पुर माहिर हो. मुझ जैसी 45 साल की औरत को भी तुम'ने लऱ'की बना दिया हे रे. मैने फिर से उसे धुंवा धार तरीके से चॉड्ना चालू कर दिया था. मैने उस'की कमर आप'ने दोनों हाथों से पाक'री हुई थी. हर झट'के से उस'की गान्ड जेल्ली की तरह हिल रही थी. कुच्छ 10 मिनिट उसे कुतिया की तरह छोड़'ने के बाद अब मैं झऱ'ने वाला था.
हाय मेरी रागिनी रानी मैं झऱ'ने वाला हून.. आह... मेरी जान. मैं जानता था की जिस'की बेटियों को चोद'ने में इट'ना मज़ा है तो उन'की मा की तो बात ही निराली होगी. तभी तो मैने ऐसा उपाय किया. बोलो मेरी जान! अब भी मुझ'से नाराज़ हो. उस'ने भी सिस'कारी ली.
विशाल बेट मैं भी झऱ'ने वाली हून. तुम मेरी चूत में ही झऱ्न. अरे अब तो तू मेरा सब'से लाद'ला दामाद है. नहीं मेरा सैंया दामाद.
चाची तुम एक रन्डी हो, मेरा माल अपनी चूत से पियोगी. हन मैं तुम्हारी चूत आप'ने माल से भर दूँगा. मेरी रन्डी यह ले मेरा माल. अपने इस 45 साल पूराने भोस'रे से पी जा. ऊह... मेरी रखेल सासू मा और हम दोनों साथ साथ ही झऱ गये. मैं उस'के ऊपर गिर गया. मेरा लंड अब भी उस'की चूत में था. हम दोनों ज़ोर ज़ोर से साँसें ले रहे थे. लग'भाग 10 मिनिट के बाद मेरा लंड सिकुऱ कर उस'की चूत से बाहर निकल आया. मैं उस'के ऊपर से उठ गया. मैने कहा की,
मैं ज़रा फ्रेश हो के आता हून तुम भी मेरे साथ शवर ले लो. वह बिना कुच्छ बोले मेरे साथ शवर लेने चली गयी. शवर के दौरान ना वह कुच्छ बोली ना मैं. शवर के बाद मैने फोन पे ही खाना माँगा लिया.. इस दौरान वह कुच्छ नहीं बोली, लगता है उसे अब पचहतावा था की यह क्या कर दिया उस'ने, पर यह उस'की मर्ज़ी भी तो नहीं थी, चॉड्ना तो मैने था. उसे अगर खुशी से नहीं तो ज़बेरदास्ती ही चोद देता मैं. 20 या 30 मिनिट बाद दर'वाजे पर घन्टी हुई. मैने दर'वाजे खोला तो वह होटेल का आदमी था, खाना ले कर आया था. मैने उसे पे किया. खाना ले कर डिन्निंग तबले पर रखा और उसे कहा की,
आओ खाना खा लेते हैं. वह चुप छाप उठि और खाना खा'ने लगी. तब उस'ने मेरी तरफ देखा और बोली की,
विशाल तुम'ने ऐसा क्यों किया. मैं बोला की,
चलो चाची पहले खाना खा लो फिर बताऊँगा. और हम दोनों बिना कुच्छ एक डूस'रे से कहे खाना खाने लगे. चाची मुझ'से नज़रें नहीं मिला रही थी और चुप छाप खाना खा रही थी.
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