RE: kamukta मेरी चूत पसंद है
गतान्क से आगे.......
अपनी मा की बात सुन कर रमेश
पहले तो थोड़ा डरा फिर करिश्मा को साथ ले कर कमरे मे दाखिल गया
. रमेश जैसे ही कमरे मे घुसा तो गौतम और कैलाश दोनो ने
मुस्कुरा कर रमेश को देखा और फिर से अपने अपने काम पर जुट
गये. गिरिजा जी तब रमेश से बोली, "बेटा बाहर खड़े खड़े क्या
देख रहे थे. आओ मेरे पास आओ. देखो तुम्हारा फ्रेंड और तुम्हारा
साला मेरे दोनो चूंचियो से उलझे हुए हैं. ऐसा करो कि तुम मेरी
चूत से खेलो. तुमको मेरी चूत पसंद हैं ना?" तब रमेश धीरे
धीरे अपने मा की तरफ बढ़ते हुए बोला, "अरे मा क्या कह रही हो?
मुझको तुम्हारी चूत बहुत अछी लगती है. मुझे तो यह सपना हर
समय मेरी आँखो के सामने होता था कि मैं एक दिन तुम्हारी चूत से
खेलूँ. आज मेरा वो सपना पूरा होने वाला हैं. मुझे कभी
उम्मीद ही नही थी कि एक मैं तुम्हारी चूत को छू पाउन्गा और उससे
खेलूँगा." इतना कहा कर रमेश अपनी मा के पैरों के पास बैठ
गया और धीरे से अपने हाथों से मा की पेटिकोट उठाने लगा.
जैसे ही रमेश ने अपनी मा के पेटिकोट उपर उठाया तो उसको मा की
चूत दिखने लगी. रमेश ने देखा कि मा की चूत पर झांतों का
नामो निशान नही है और उनकी चूत बिल्कुल साफ सुथरी है. गिरिजा जी की
चूत की घुंडी (क्लिट) इस समय बहुत तनी हुई थी और उनकी चूत से
लस लासा सा पानी निकल रहा था. रमेश अपनी मा की चूत को देखते ही
समझ गया कि मा इस समय बहुत चुदासी है और लंड खाने के
लिए तैयार है. रमेश ने आगे बढ़ कर गिरिजा जी चूत पर अपना
मुँह भिड़ा दिया और उसको चूमा. चूमने के बाद रमेश ने अपने
हाथों से अपनी मा की चूत की पुट्टीओं को खोला और अपना जीव निकाल
कर मा की चूत मे डाल दिया. जीव घुसते ही गिरिजा जी सीसीया उठी और
अपने हाथों से अपने बेटे का सर पकड़ कर अपनी चूत से सटा दिया.
अब रमेश ज़ोर ज़ोर से जीव से अपनी मा की चूत को चोद रहा था और
कभी कभी वो उनकी चूत को चाट रहा था. अब गिरिजा जी से बर्दस्त
नही हुआ और वो अपने बेटे को ज़मीन पर लेटा कर उसका खरा हुआ
लंड अपनी चूत से भिड़ा कर अपने बेटे पर चढ़ बैठी. थोरी देर
बैठने के बाद गिरिजा जी अपने दोनो हाथ रमेश की छाती के दोनो
तरफ रख कर अपनी कमर उठा उठा कर अपने बेटे का लंड अपनी चूत
के अंदर बाहर करने लगी. उसकी गर्मी देख कर गौतम अपनी जगह
से उठ खड़ा हो गया और गिरिजा जी से बोला, "मा जी लगता है आप की
चूत बहुत दिनो से भूखी है और बहुत दीनो से आप ठीक तरीके से
चुदी नही है. क्या बाबूजी आप को नही चोद्ते?" "नही बेटा
यह बात नही है. तुम्हारे बाबूजी तो रोज रात को हमारी चूत मे अपना
लंड डाल कर चोद्ते हैं और कभी कभी वो दिन को भी चोद लेते हैं.
कभी कभी तो तुम्हारे बाबूजी मेरी गंद भी मारते हैं. आज ऐसा
हुआ कि पार्टी मे बहुत से लोगों से मिल कर, उनसे बोल कर और बहुतों
को चूम कर मेरी चूत बहुत देर से गीली हो रही थी और लंड खाने
के लिए तरस रही थी. और फिर रही सही कसर तुमने और
कैलाश ने मेरी चूंची को मसल के और चूस के पूरा कर दिया
है" गिरिजा जी बोली. "अच्छा अब चुप करो और मुझे मेरे बेटे के
लंड से अपनी चूत मरवाने दो" गिरिजा जी फिर से बोली. फिर गिरिजा जी
थोड़ा झुक कर अपनी कमर उछाल उछाल कर अपने बेटे का लंड को अपनी
चूत के अंदर बाहर करने लगी. थोरी देर तक गिरिजा जी ने
अपने बेटे के उपर चढ़ कर चोदा और फिर थक कर रमेश के उपर
लेट गयी.गिरिजा जी के लेट ते ही गौतम जो अब तक चुप चाप अपना
खड़ा लंड पकड़ कर मा बेटे की चुदाई देख रहा था आगे बढ़ा और
अपने लंड पर थोरा सा थूक लगा कर अपना लंड गिरिजा जी की गंद के
छेद पर रख दिया. गंद पर लंड का सुपरा लगते ही गिरिजा जी एक बार
अपना चेहरा घुमा कर देखी और मुस्कुरा कर बोली, "गौतम, क्या
इरादा है, क्या चूत छोड़ कर अब तुम्हारी नज़र मेरी गंद पर हो
गयी?" "क्या करे आंटी, आप तो अपनी चूत मे अपने बेटे का लंड पिलवा
रही है और मेरा लंड खरा हो गया है. अब इस समय मैं तो इस
लंड को आपके गंद मे ही पेलुँगा" गौतम ने अपने लंड को थोरा सा
धक्का देते हुए कहा.
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