Antarvasnasex दीदी का दीवाना
06-20-2017, 10:13 AM,
#13
RE: Antarvasnasex दीदी का दीवाना
वही कुर्सी पर बैठे-बैठे अपने चुत्तारो को ऊपरउछालते हुए वो जोश में आ कर मेरे सर को अपने दोनों हाथो से अपनी चुत पर दबाते हुए बोली "हाय राजू....बहुत अच्छा कर रहा है....राजा.....हाय......सीईई....बड़ा मजा आ रहा है....हाय मेरी चुत के कीड़े....मेरे सैयां.....ऊऊऊउ...सीईईइ.....खाली ऊपर-ऊपर से चूस रहा है.... बहनचोद....जीभ अन्दर घुसा कर चाट ना.....बूर में जीभ पेल दे और अन्दर बाहर कर के जीभ से मेरी चुत चोदते हुए अच्छी तरह से चाट....अपनी बड़ी बहन की चुत अच्छी तरह से चाट मेरे राजा....माधरचोद....ले ले.....ऊऊऊऊ......इस्स्स्स्स्स...घुसा चुत में जीभ....मथ....दे......." कविता दीदी बहुत जोश में आ चुकी थी और लग रहा था की उनको काफी मजा आ रहा है. उनके इतना बोलने पर मैंने दोनों हाथो की उँगलियों से दोनों फान्को को अलग कर के अपनी जीभ को कड़ा करके चुत में पेल दिया. जीभ को चुत के अन्दर बाहर करते हुए लिबलिबाने लगा और बीच बीच में बूर से चूते रस को जीभ टेढा करके चूसने लगा. दीदी की दोनों जांघे हिल रही थी और मैं दोनों जांघो को कस कर हाथ से पकर कर चुत में जीभ पेल रहा था. जांघो को मसलते हुए बीच बीच में जीभ को आराम देने के लिए मैं जीभ निकल कर जांघो और उसके आस-पास चुम्मा लेने लगता था. मेरे ऐसा करने पर दीदी जोर से गुर्राती और फिर से मेरे बालों को पकर कर अपनी चुत के ऊपर मेरा मुंह लगा देती थी. दीदी मेरी चुसी से बहुत खुश थी और चिल्लाती हुई बोल रही थी "हाय....राजा...जीभ बाहर मत निकालो....हाय बहुत मजा आ रहा है...ऐसे ही.... बूर के अन्दर जीभ डाल के मेरी चुत मथते रहो....हाय चोद....दे माधरचोद....अपनी जीभ से अपनी दीदी की बूर चोद दे....हाय सैयां....बहुत दिनों के बाद ऐसा मजा आया है....इतने दिनों से तड़पती घूम रही थी....हाय हाय....अपनी दीदी की बूर को चाटो….मेरे राजा….मेरे बालम.... तुझे बहुत अच्छा इनाम दूंगी.... भोसड़ीवाले.....तेरा लौड़ा अपनी चुत में लुंगी....आजतक तुने किसी की चोदी नहीं है ना....तुझे चोदने का मौका दूंगी....अपनी चुत तेरे से मरवाऊगीं....मेरे भाई.....मेरे सोना मोना....मन लगा कर दीदी की चुत चाट....मेरा पानी निकलेगा....तेरे मुंह में....हाय जल्दी जल्दी चाट....पूरा जीभ अन्दर डाल कर सीईई.....". दीदी पानी छोरने वाली है ये जान कर मैंने अपनी पूरी जीभ चुत के अन्दर पेल दी और अंगूठे को टीट के उ़पर रख कर रगरते हुए जोर जोर से जीभ अन्दर बाहर करने लगा. दीदी अब और तेजी के साथ गांड उछल रही थी और मैं लप लप करते हुए जीभ को अन्दर बाहर कर रहा था. कुत्ते की तरह से दीदी की बूर चाटते हुए टीट को रगरते हुए कभी कभी दीदी की चुत पर दांत भी गरा देता था, मगर इन सब चीजों का दीदी के ऊपर कोई असर नहीं पर रहा था और वो मस्ती में अब गांड को हवा में लहराते हुए सिसया रही थी "हाय मेरा निकल रहा है....हाय भाई...निकल रहा है मेरा पानी....पूरा जीभ घुसा दे....साले.....बहुत अच्छा....ऊऊऊऊऊ.....सीईईईईईइ....मजा आ गया राजा...मेरे चुत चाटू सैयां....मेरी चुत पानी छोर रही है...........इस्स्स्स्स्स्स्स्स......मजा आ गया....बहनचोद....पी ले अपनी दीदी के बूर का पानी....हाय चूस ले अपनी दीदी की जवानी का रस.....ऊऊऊऊ.......गांडू......" दीदी अपनी गांड को हवा में लहराते हुए झरने लगी और उनकी चुत से पानी बहता हुआ मेरी जीभ को गीला करने लगा. मैंने अपना मुंह दीदी की चुत पर से हटा दिया और अपनी जीभ और होंठो पर लगे चुत के पानी को चाटते हुए दीदी को देखा. वो अपनी आँखों को बंद किये शांत पड़ी हुई थी और अपनी गर्दन को कुर्सी के पुश्त पर टिका कर ऊपर की ओर किये हुए थी. उनकी दोनों जांघे वैसे ही फैली हुई थी. पूरी चुत मेरी चुसाई के कारण लाल हो गई थी और मेरे थूक और लार के कारण चमक रही थी. दीदी आंखे बंद किये गहरी सांसे ले रही थी और उनके माथे और छाती पर पसीने की छोटी-छोटी बुँदे चमक रही थी. मैं वही जमीन पर बैठा रहा और दीदी की चुत को गौर से देखने लगा. दीदी को सुस्त परे देख मुझे और कुछ नहीं सूझा तो मैं उनके जांघो को चाटने लगा. चूँकि दीदी ने अपने दोनों पैरों को मोड़ कर जांघो को कुर्सी के पुश्त से टिका कर रखा हुआ था इसलिए वो एक तरह से पैर मोड़ कर अधलेटी सी अवस्था में बैठी हुई थी और दीदी की गांड मेरा मतलब है चुत्तर आधी कुर्सी पर और आधी बाहर की तरफ लटकी हुई थी. ऐसे बैठने के कारण उनके गांड की भूरी छेद मेरी आँखों से सामने थी. छोटी सी भूरे रंग की सिकुरी हुई छेद किसी फूल की तरह लग रही थी और लिए अपना सपना पूरा करने का इस से अच्छा अवसर नहीं था. मैं हलके से अपनी एक ऊँगली को दीदी की चुत के मुंह के पास ले गया और चुत के पानी में अपनी ऊँगली गीली कर के चुत्तरों के दरार में ले गया. दो तीन बार ऐसे ही करके पूरी गांड की खाई को गीला कर दिया फिर अपनी ऊँगली को पूरी खाई में चलाने लगा. धीरे धीरे ऊँगली को गांड की छेद पर लगा कर हलके-हलके केवल छेद की मालिश करने लगा. कुछ देर बाद मैंने थोरा सा जोर लगाया और अपनी ऊँगली के एक पोर को गांड की छोटी सी छेद में घुसाने की कोशिश की. ज्यादा तो नहीं मगर बस थोड़ी सी ऊँगली घुस गई मैंने फिर ज्यादा जोर नहीं लगाया और उतना ही घुसा कर अन्दर बाहर करते हुए गांड की छेद का मालिश करने लगा. बड़ा मजा आ रहा था. मेरे दिल की तम्मना पूरी हो गई. बाथरूम में नहाते समय जब दीदी को देखा था तभी से सोच रहा था की एक बार इस गांड की दरार में ऊँगली चलाऊंगा और इसकी छेद में ऊँगली डाल कर देखूंगा कैसा लगता है इस सिकुरी हुई भूरे रंग की छेद में ऊँगली पेलने पर. मस्त राम की किताबों में तो लिखा होता है की लण्ड भी घुसेरा जाता है. पर गांड की सिकुरी हुई छेद इतनी टाइट लग रही थी की मुझे विश्वास नहीं हो रहा था की लण्ड उसके अन्दर घुसेगा. खैर दो तीन मिनट तक ऐसे ही मैं करता रहा. दीदी की बूर से पानी बाहर की निकल कर धीरे धीरे रिस रहा था. मैंने दो तीन बार अपना मुंह लगा कर बाहर निकलते रस को भी चाट लिया और गांड में धीरे धीरे ऊँगली करता रहा. तभी दीदी ने मुझे पीछे धकेला "हट...माधरचोद....क्या कर रहा है....गांड मारेगा क्या....फिर अपने पैर से मेरी छाती को पीछे धकेलती हुई उठ कर खड़ी हो गई. मैं हड़बड़ाता हुआ पीछे की तरफ गिरा फिर जल्दी से उठ कर खड़ा हो गया. मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो कर नब्बे डिग्री का कोण बनाते हुए लप-लप कर रहा था मगर दीदी के इस अचानक हमले ने फिर एक झटका दिया. मैं डर कर दो कदम पीछे हुआ. दीदी नंगी ही बाहर निकल गई लगता था फिर से बाथरूम गई थी. मैं वही खड़ा सोचने लगा की अब क्या होगा. थोड़ी देर बाद दीदी फिर से अन्दर आई और बिस्तर पर बैठ गई और मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा फिर मेरे लपलपाते लण्ड को देखा और अंगराई लेती हुई बोली "हाय राजू बहुत मजा आया....अच्छा चूसता है...तू.... "मुझे लग रहा था की तू अनारी होगा मगर तुने तो अपने बहनोई को भी मात कर दिया....उस साले को चूसना नहीं आता था...खैर उसका क्या...उस भोसड़ीवाले को तो चोदना भी नहीं आता था....तुने चाट कर अच्छा मजा दिया... इधर आ,……आ ना...वहां क्यों खड़ा है भाई.....आ यहाँ बिस्तर पर बैठ...." दीदी के इस तरह बोलने पर मुझे शांति मिली की चलो नाराज़ नहीं है और मैं बिस्तर पर आ कर बैठ गया. दीदी मेरे लण्ड की तरफ देखती बोली "हूँ....खड़ा हो गया है....इधर आ तो पास में....देखू...." मैं खिसक कर पास में गया तो मेरे लण्ड को मुठ्ठी में कसती हुई सक-सक ऊपर निचे किया. लाल-लाल सुपाड़े पर से चमरी खिसका. उस पर ऊँगली चलाती हुई बोली "अब कभी हाथ से मत करना.....समझा अगर मैंने पकड़ लिया तो तेरी खैर नहीं.....मारते मारते गांड फुला दूंगी....समझा...." मैं दीदी के इस धमकी को सुन नासमझ बनने का नाटक करता हुआ बोला "तो फिर कैसे करू....मेरी तो शादी भी नहीं हुई है...." फिर गर्दन झुका कर शरमाने का नाटक किया. दीदी ने मेरी ठोडी पकड़ गर्दन को ऊपर उठाते हुए कहा "जानता तो तू सब कुछ है.....फिर कोई लड़की क्यों नहीं पटाता अभी तो तेरी शादी में टाइम है.....अपने लिए कोई छेद खोज ले...." मैं बुरा सा मुंह बनाता हुआ बोला "हुह…मुझे कोई अच्छी नहीं लगती...सब बस ऐसे ही है…..” दीदी इस पर थोड़ा सा खुंदक खाती हुई बोली "अजीब लड़का है...बहनचोद...तुझे अपनी बहन के अलावा और कोई अच्छी नहीं लगती क्या.....". मैं इस पर शर्माता हुआ बोला "…मुझे सबसे ज्यादा आप अच्छी लगती हो......मैं....."

"आये....हाय...ऐसा तो लड़का ही नहीं देखा....बहन को चोदने के चक्कर में....भोसड़ीवाले को सबसे ज्यादा बहन अच्छी लगती है.... मैं नहीं मिली तो……मुठ मारता रह जायेगा.....” दीदी ने आँख नाचते हुए भौं उचका कर प्रश्न किया. मैंने मुस्कुराते हुए गाल लाल करते हुए गर्दन हिला कर हाँ किया. मेरी इस बात पर रीझती हुई दीदी ने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया और अपनी छाती से लगाती हुई बोली "हाय रे मेरा सोना....मेरे प्यारे भाई.... तुझे दीदी सबसे अच्छी लगती है....तुझे मेरी चुत चाहिए....मिलेगी मेरे प्यारे भाई मिलेगी....मेरे राजा....आज रात भर अपने हलब्बी लण्ड से अपनी दीदी की बूर का बाजा बजाना......अपने भैया राजा का लण्ड अपनी चुत में लेकर मैं सोऊगीं......हाय राजा.....अपने मुसल से अपनी दीदी की ओखली को रात भर खूब कूटना.....अब मैं तुझे तरसने नहीं दूंगी....तुझे कही बाहर जाने की जरुरत नहीं है.....चल आ जा.....आज की रात तुझे जन्नत की सैर करा दू....." फिर दीदी ने मुझे धकेल कर निचे लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ कर मेरे होंठो को चूसती हुई अपनी गठीली चुचियों को मेरी छाती पर रगड़ते हुए मेरे बालों में अपना हाथ फेरते हुए चूमने लगी. मैं भी दीदी के होंठो को अपने मुंह में भरने का प्रयास करते हुए अपनी जीभ को उनके मुंह में घुसा कर घुमा रहा था. मेरा लण्ड दीदी की दोनों जांघो के बीच में फस कर उसकी चुत के साथ रगड़ खा रहा था. दीदी भी अपना गांड नाचते हुए मेरे लण्ड पर अपनी चुत को रगड़ रही थी और कभी मेरे होंठो को चूम रही थी कभी मेरे गालो को काट रही थी. कुछ देर तक ऐसे ही करने के बाद मेरे होंठो को छोर का उठ कर मेरी कमर पर बैठ गई. और फिर आगे की ओर सरकते हुए मेरी छाती पर आकर अपनी गांड को हवा में उठा लिया और अपनी हलके झांटो वाली गुलाबी खुश्बुदार चुत को मेरे होंठो से सटाती हुई बोली "जरा चाट के गीला कर... बड़ा तगड़ा लण्ड है तेरा...सुखा लुंगी तो…..साली फट जायेगी मेरी तो.....”
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