RE: Mastram अजय, शोभा चाची और माँ दीप्ति
अजय की आंखों के सामने मां की नन्गी जवानी बिखरी पड़ी थी. जबसे सैक्स शब्द का मतलब समझने लगा था उसकी मां ने कभी भी उसे अपने इस रूप का दर्शन नहीं दिया था. हां चाची के साथ जरूर किस्मत ने कई बार साथ दिया था. अजय का सिर पकड़ दीप्ति ने उसे अपने चूंचों मे छिपा लिया. अजय थोड़ा सा कुनमुनाया. "श्श्श्श". "मेरे बच्चे, तेरे लिये तेरी मां ही सब कुछ है. कोई चाची या कोई भी दूसरी औरत मेरी जगह नही ले सकती. समझे?"
अजय के होठों ने अपने आप ही मां के निप्पलों को ढूंढ लिया. जीवन में पहली बार ना सही लेकिन इस समय अपनी मां के शरीर से अपनी भूख मिटाने का ये अनोखा ही तरीका था. मां के दोनों निप्पल बुरी तरह से तने हुये थे. शायद बहुत उत्तेजित थी. अपने बेटे के लिये उसकी मां ने अपने आनन्द की परवाह भी ना की. अजय का मन दीप्ति के लिये प्यार और सम्मान से भर गया.
मां बेटे एक दूसरे से बेल की तरह लपटे पड़े थे. अजय का एक पावं दीप्ति की कमर को जकड़े था तो हाथ और होंठ मां के सख्त हुये मुम्मों पर मालिश कर रहे थे. लन्ड में भी धीरे धीरे जान लौटने लगी. पर दिन भर का थका अजय जल्दी ही अपनी ममतामयी मां के आगोश में सो गया.
दीप्ति थोड़ी सी हताश तो थी किन्तु अजय की जरुरतों को खुद से पहले पूरा करना उनकी आदत में था. खुद की टांगों के बीच में आग ही लगी थी पर अजय को जन्मजात अवस्था में खुद से लिपटा कर सोना उसे सुख दे रहा था. थोङी देर में दीप्ति भी नींद के आगोश में समा गयी. जो कुछ भी उन दोनों के बीच हुआ वो तो एक बड़े खेल की शुरुआत भर था. एक ऐसा खेल जो इस घर में अब हर रात खेला जाने वाला था.
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