Sex kahani पेइंग गेस्ट
06-17-2017, 12:19 PM,
#3
RE: Sex kahani पेइंग गेस्ट
मैने और न रुक कर सीधे अपने होंठ जमाकर उस रसीले माल को चूसना शुरू कर दिया. उधर वह महकता गाढा सफ़ेद शहद मेरे मुंह में गया और उधर मेरा लौड़ा फ़िर कस कर खड़ा हो गया. जीभ डाल कर मैने भाभी की बुर चाटी और जीभ से ही बुर के ऊपरी कोने में उभरे लाल बेर जैसे क्लिटोरिस को भी गुदगुदाया. बेरी पर जीभ का लगना था और मानों भाभी पागल हो गईं और मेरा सिर अपनी चूत पर दबा कर धक्के मारने लगी. “हाय, हाय, क्या कर रहे हो अनिल, मर जाऊंगी रे, रहा नहीं जाता, जीभ डाल डाल कर चूसो ना, झड़ा दो मुझे प्लीज़.”

मैने मन भर के बुर के उस शहद का पान किया. भाभी को बस झड़ाता नहीं था और कगार पर लाकर फ़िर छोड़ देता था क्योंकि जब तक वह मतवाली थी तब तक उसकी चूत रस छोड़ती रहेगी, यह मुझे मालूम था. अन्त में जब सुधा भाभी असहनीय वासना से रोने लगीं, तो उनपर तरस खा कर मैने अपनी जीभ भाभी के भोसड़े में डाली और सपासप उस चूती बुर को अपनी जीभ से चोदने लगा. साथ ही अपने ऊपर के होंठ को उसके क्लिटोरिस पर रगड़ने लगा. दो ही मिनट में भाभी एक चीख मारकर ढेर हो गई. “हा ऽ य उई ऽ मां ऽ ऽ मर गई ऽ ऽ”. अब उसकी बुर ने ऐसा पानी मेरे मुंह में फ़ेंका जैसे शहद की शीशी टूट गई हो. पूरा महकता कसैला पानी मैने पिया और चाट चाट कर पूरी चूत और जांघें साफ़ कीं.
जब उठा तो सुधा भाभी शरमा कर नीचे देख रही थी. “क्यों भाभीजी, अपने इस भैया की सेवा पसंद आई?” “तुम तो बड़े मझे हुए चोदू निकले, अनिल, मुझे ऐसा झड़ाया कि सालों में इतना आनन्द किसी ने नहीं दिया था.” “भाभी, बोलिये, चुदाएंगी? अभी एक घंटा है सीमा को स्कूल से आने में.” “हां, अनिल, चल जल्दी से चोद डाल, बहुत दिनों की प्यासी हूं लन्ड के लिये”.
मैने भाभी को उठकर पलंग पर लेटने को कहा. “भाभीजी, आपको नंगा करने के लिये समय नहीं है, अभी ऐसे ही चोद डालता हूं, बाद में आपके इस मांसल शरीर को मन भर कर देखूंगा.” सुधा भाभी अब तक चुदाई की आशा से अपनी साड़ी ऊपर कर के एक तकिया अपने नितम्बों के नीचे रख कर लेट गई थी. अपनी जांघें फ़ैला कर मुझे अपनी बाहों में खींच कर मुझे बेतहाशा चूमती हुई वह बोली.”बस अब चोद डाल मेरे राजा, इतना चोद कि मैं बेहोश हो जाऊम”
भाभी की चूत में मैने अपना तन्नाया हुआ लन्ड घुसेड़ दिया. उस गीले चिकने ढीले ढाले भोसड़े में लन्ड ऐसा गया जैसे मक्खन में छुरी. भाभी पर लेट कर उन्हें चूमता हुआ मैं मस्त सटा सट चोदने लगा. मैं एक बार झड़ चुका था इसलिये अपनी वासना पर काबू रखकर आराम से भाभी को मजा ले ले कर चोद सकता था. भाभी के गुलाबी होंठों को दांत में पकड़ कर चूसते हुए मैने ऐसे हचक हचक के चोदा कि पांच ही मिनट में वह झड़ गई और अपने बन्द मुंह से मस्ती में गुनगुनाने लगी. मैने उसे पूरा झड़ जाने दिया और फ़िर जब वह थोड़ी शांत हुई तो उसका मुंह छोड़ा. गहरी सांस लेते हुए भाभी तृप्त भावना से मेरी आंखों में आंखें डालके मुझे चूमने लगीं.
“भाभी, थोड़ी चुदासी की प्यास बुझी ना? अब गप्पें मारते हुए आराम से घंटे भर तक चोदेंगे” मैं अब उसे हौले हौले लम्बे जोरदार धक्के लगा लगा कर एक धीमी लय से चोदने लगा. बुर में से मस्त फचाक-फचाक-फचाक ऐसी चुदने की आवाज निकलने लगी. “भाभी, यह बताइये कि आप की चूत का ऐसा मस्त रसीला भोसड़ा कैसे बना? ऐसा तो मैने सिर्फ़ रंडियों का या पचास साठ साल की चुदक्कड़ महिलाओं में ही देखा है.”
भाभी मुस्करायी और फ़िर शरमाते शरमाते पर बड़े गर्व के साथ उन्होंने अपनी पूरी कहानी सुनाई.
भाभी को पहली बार १२ साल की आयु में उनके मामाजी ने चोदा, जिन्होंने पाल पोस कर भाभी को बड़ा किया था. उसके बाद मामाजी रोज कई बार कमसिन सुधा भाभी को चोदते थे. सोलह साल की आयु में मामा के लड़के के साथ उनकी शादी कर दी गई और फ़िर अगले कई साल उनकी दिन रात चुदाई हुई. रात को पति और दिन में मामाजी या ससुर उनपर चढे रहते थे. कुछ दिन बाद यह चुदाई बहुत बढ गई क्योंकि सुधा भाभी का पति, याने उसका ममेरा भाई अपना बिज़िनेस चलाने के चक्कर में भाभी को कई लोगों से चुदाने लगा.
फ़िर उसके पति को समलिंग सम्भोग का चसका लगा. उसके बाद भाभी की गांड पर उसका ज्यादा ध्यान जाने लगा. खूबसूरत जवान लड़कों और युवकों को वह भाभी की चूत का लालच देकर घर लाता और गांड मारता और मरवाता. साथ साथ भाभी की भी खूब चुदाई होती. अगर कोई जवान न मिले तो उसका पति भाभी की ही गांड मार लेता.

कई बार तो एक रात में भाभी को दस दस लड़कों ने चोदा. बच्चियां हो जाने के बाद घर में यह क्रीड़ा बन्द हो गयी पर अक्सर उसके पति अपने साथ सुधा भाभी को बाहर ले जाते और भाभी को अपने मित्रों से चुदवाकर खुद मजा लेते. इस निरन्तर चुदाई का ही यह नतीजा था कि भाभी की चूत का मस्त ढीला रसीला भोसड़ा हो गया था. दो साल पहले पति की मृत्यु के बाद भाभी ने चुदाई छोड़ दी थी. पर अपनी कामवासना शांत करने का सिर्फ़ एक तरीका था उनके पास और वह था मुट्ठ मारना. इसलिये गाजर, मूली, बैंगन, केले आदि से भाभी खूब मुट्ठ मारतीं थी. और चूत को बराबर ढीला करती रहतीं थीं.
अपनी कहानी सुनाने के बाद भाभी ने मेरे चोदने का मजा लेते हुआ पूछा. “अनिल, तुम्हें आखिर मेरी जैसी ढीली भोसड़े वाली चूतें क्यों पसंद हैं? नौजवानों को तो टाइट सकरी चूतें ज्यादा पसम्द आती हैं.”
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