RE: Sex Kahani कलयुग की द्रौपदी
जग्गा अब रानी पर थोडा झुक गया और उसकी घुंडीयों को मसल्ने लगा. रानी का मीठा दर्द और बढ़ गया और उसे फिर से एक बाँध के टूटने का एहसास हुआ.
यही समय था जब जग्गा ने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और फिर एक झटके साथ अपनी कमर रानी की चूत पर चिपकाते हुए अंदर एक लंबी वीर्या की पिचकारी छ्चोड़ी जो रानी के गर्भ को गरम कर गयी.
रानी छटपटा उठी. इतने में रंगा ने भी अपना वीर्य का फव्वारा रानी के गले में छ्चोड़ दिया.
1-1 ग्लास वीर्य अपने दोनो च्छेदों से पीने के बाद रानी थक कर चूर हो गयी थी. जग्गा ने यक्कीन कर लिया की सारा वीर्य गर्भ में समा गया है तो 2-3 मिनट बाद अपना लंड चूत से निकाल लिया. ‘प्लुप्प’ की आवाज़ क साथ उसका खून से सना लंड बाहर निकल गया.
लंड निकला तो रानी की फूलती-पिचकति चूत के दर्शन हुए जो 1” खुली हुई दिख रही थी. आस पास खून जम गया था जो जांघों तक रीस कर भी आ गया था.
रानी तो ऐसा लग रहा था बेहोश हो चुकी हो पर तभी रंगा ने वो बूटी रानी को सूँघाई तो सपकपाते हुए उठ बैठी. अपनी चूत को निहारते हुए उसने बिल्कुल मासूमियत से बोला – आख़िर फॅट ही गया ना मेरा योनि?? पर ठीक है अब बार बार तो नही फटेगा ना??
तभी उसे एहसास हुआ की होठों के साइड से वीर्य की एक धार नीचे गिर रही है तो उसने झट से उसे उंगली में लपेट चाट लिया.
नही फटेगा गुड़िया रानी, अब तो तुमको हमेशा स्वर्ग का आनंद आएगा – रंगा बोला.
जग्गा ने रानी के चुनरी से अपने लंड को सॉफ किया फिर रानी के खून से सने चूत और जांघों को साफ किया.
दो बार हल्का होकर वो भी फिलहाल थक गये थे. रानी को बीच में सुला दोनो उसके आजू-बाजू नगनवस्था में सो गये.
करीब 3-4 बजे सुबह की बात होगी जब रानी ने अलसाते हुए एक मादक अंगड़ाई ली जैसे ही बेड से उठना चाहा, छाती पे एक दबाव की वजह से फिर से बेड पर गिर गयी. ठीक से आँखें कोला तो देखा रंगा जो उसके दाए साइड था मूह दूसरी तरफ करवट कर सोया हुआ था और जग्गा जो उसकी तरफ करवट किए था, उसका लेफ्ट हाथ रानी के सीने पे था और लेफ्ट जाँघ उसके पैरों पे.
रानी को बड़े ज़ोरों से सूसू लगी थी और उसकी कमर टूट रही थी. लंबी चुदाई से उसका चूत का रेशा-रेशा ढीला हो गया था. उसने जग्गा के हाथ को तो उठा कर साइड कर दिया पर उसकी जाँघ बेहद भारी थी. अब वो उठ बैठी थी और किसी तरह जाँघ उठाने का प्रयास कर रही थी. इस चहल-पहल में जग्गा की नींद भी उचट गयी और वो आँखें मीचता हुआ उठ बैठा.
रानी की ठुड्डी पे हाथ रख पुचकारते हुए उसने पूछा – का बात है गुड़िया रानी, का हो गया आधी रात को??
रानी ने अल्साते हुए भोलेपन से बोली – नीचे बहुत दुख रहा है और जल भी रहा है. उसपे से बहुत ज़ोर से पेसाब आया है.
उसके भोलेपन पर जग्गा मुस्कुराया और अपने पैर हटाके बोला – जाओ बूछिया जाओ! जाओ जाके मूत आओ.
रानी बेड से उठी तो एक बार को लड़खड़ा गयी क्यूंकी उसकी थॅकी टाँग और बहाल कमर ने जवाब दे दिया. जैसे तैसे करती वो दरवाजे तक पहुँची तो बाहर देखा काफ़ी अंधेरा था.
वो काफ़ी डर गयी. उसने धीरे से मिन्नत भरे स्वर में आवाज़ दी – आए जी सुनते हैं??
ज़रा हुमको गुसलखाने तक राह दिखा दीजीएना, यहाँ बहुत अंधेरा है!
जग्गा मुस्कुराते हुए उठा और बरामदे की लाइट ऑन कर रानी को गोद में उठा लिया और गुसलखाने तक ले आया.
उनका टाय्लेट-कम-बाथ था जो काफ़ी बड़ा था. बाथ टब भी था.
अंदर घुसकर उसने रानी को उतारा और बोला – मूत ले गुड़िया!
रानी को ज़ोर की लगी थी पर जग्गा की उपस्थिति से वो मूतने में शर्मा रही थी. वो मिन्नंत भरी निगाहों से बोली – आप बाहर तो जाइएना!
जग्गा हंस पड़ा और बोला – चुड़वे के बाद भी शर्मा रही है? चल मूत हमारे सामने फिर हमको भी मूतना है!
मजबूरी में रानी ने अपना घांघरा दोनो हाथों से कमर तक उठाया और कॅमोर्ड की तरफ बढ़ गयी. पर गाओं की उस नादान अनपढ़ लड़की को समझ नही आ रहा था की वो इस बकेट जैसी चीज़ में मूतेगि कैसे.
जग्गा उसकी पशोपेश को समझ गया और बोला – उसपे बैठ जाओ और मूतो.
बैठने से जाने रानी ने क्या समझा, वो कमोर्ड की सीट पर अपनी दोनो पैर रखकर बैठ गयी और मूतने लगी. ऐसा करने से उसकी लाल चुदी हुई बूर के दर्शानजगगा को हो गये और उसका लंड फिर टनटना गया. रानी ने अपने पेसाब की सुनेहरी धार निकालनी चालू की तो उसकी जलती चूत उस गर्माहट से और जलने लगी और वो सीसीया के रह गयी.
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