Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-08-2017, 10:55 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मैं- तो ...किसकी ग़लती थी...और ग़लती थी क्या...
आकाश- ये ग़लती मेरे पापा की थी...मतलब तुम्हारे दादाजी ने...बस उसी की कीमत चुकाने की कोसिस की मैने...
मैं- दादाजी की ग़लती...क्या किया था दादाजी ने...
आकाश- शायद ये बात तुमसे नही करनी चाहिए...पर अब हालात ऐसे है कि तुम्हे सब बताना ही होगा...
मैं- अब मैं बढ़ा हो चुका हूँ दस ..प्लीज़...बताइए...
आकाश- ह्म्म...तो सुनो.....तुम्हारे दादाजी बहुत अयाश इंसान थे बेटा...बहुत ही ज़्यादा...
नई-नई लड़कियों और औरतो के साथ संबंध बनाना उनका शौक था...
पर एक बात अच्छी थी उनके अंदर...वो किसी को फोर्स कर के अपना नही बनाते थे...
पूरे गाओं मे और आस-पास के इलाक़ों मे उनका नाम चलता था...पैसा भी बहुत था और बॉडी भी मस्त ..
यही वजह थी कि वो आसानी से औरत को आकर्षित कर लेते थे...

एक बार पापा के एक दोस्त ने उनसे कुछ उधार लिया...पर चुका नही पाए...
तब उनकी बीवी सामने से पापा के पास आई और उनसे संबंध बनाने की पेशकश की...
वो औरत पापा की रखेल बन गई और अपने पति को पापा से और पैसा भी दिलवा दिया...और हमेशा के लिए डॅड की रखेल बन कर रह गई...
आकाश बोलते-बोलते खड़ा हो गये और पलट कर चुप हो गया...
मैं- ह्म्म...पर इससे कामिनी का क्या मतलब...
आकाश- वो औरत कामिनी की माँ है...
मैं- व्हाट..मतलब कामिनी ...दादाजी की बेटी..आपकी बेहन..
आकाश- पता नही...ये बात मुझे काफ़ी टाइम के बाद पता चली...और जब मुझे ये पता लगा तो मैने कामिनी की हेल्प करके पश्चाताप करने की सोची...
मैं- पश्चाताप...किस बात का...आपने क्या किया....
आकाश- मैने कुछ नही किया...पर मुझे पता लगा कि कामिनी के माँ-बाप नही रहे...और फिर मेरे पापा की अयाशी की कीमत तो चुकानी ही थी...
तो मैने कामिनी को अपना समझ कर उसकी हेल्प करना चाही...पर वो तो पापा का नाम सुनकर ही भड़क गई और हेल्प के लिए सॉफ मना कर दिया...
फिर भी मैने उसके पति के बिज़्नेस मे हेल्प की कामिनी को पता चले बिना...अब शायद पता हो...नही जानता...
मैं- ह्म्म..और ये शेयर...
आकाश- ये भी इसलिए ही कामिनी के नाम किए कि उसकी थोड़ी सो हेल्प हो जाएगी...और शायद मेरे पापा का गुनाह कम हो जाए...
मैं- तो कामिनी आपकी नाजायज़ बेहन है....???
आकाश- हाँ...शायद...
मैं- शायद...??
आकाश- ह्म्म..मैने कहा ना की ये बात मुझे बाद मे पता चली...तो शायद...यही सच हो...
मैं- ह्म्म..और दामिनी के बारे मे आप क्या कहेगे...
आकाश- दामिनी...कौन दामिनी...??
मैं- आप दामिनी को नही जानते...वो कामिनी की बड़ी बेहन है...
आकाश- क्या...पर मुझे तो इसके बाते मे कुछ पता नही...इनफॅक्ट मैं पहली बार उसका नाम सुन रहा हूँ...
मैं(मन मे)- डॅड को दामिनी का नही पता...तो शायद इनसे काफ़ी कुछ छिपाया गया होगा...हो सकता है कि कामिनी की सच्चाई भी कुछ और हो...चलो...बाकी सच कामिनी बताएगी...
आकाश- बस...यही वजह थी कि मैने कुछ शेयर कामिनी के नाम किए थे....
मैं(मन मे)- तो डॅड को अभी कुछ बताना ठीक नही...चुप रहना ही अच्छा होगा...
आकाश- क्या हुआ...कहाँ खो गये...क्या मुझ पर ट्रस्ट नही...
मैं- आप पर तो सबसे ज़्यादा ट्रस्ट है डॅड...थॅंक्स...मेरे दिल का बोझ हल्का करने के लिए...
और मैं डॅड के गले लग गया और डॅड ने भी मेरे सिर पर हाथ फेर कर प्यार दिया...
मैं फिर डॅड की कही बातों को सोचते हुए अपने रूम मे आ गया...
बेड पर बैठते ही मेरी नज़र तकिये के नीचे पड़े लेटर पर पड़ी...
ये तो मोम का लास्ट लेटर था..जो पढ़ते-2 मैं सो गया था...
मैने गेट लॉक किया और लेटर का बाकी का हिस्सा पढ़ने लगा...
मेरी माँ के शब्द.......
बेटा....अब मैं तुझे एक बहुत ज़रूरी इंसान के बारे मे बताने जा रही हूँ...
ये इंसान तुम्हारी मदद के लिए हमेशा तैयार मिलेगा...
तुम्हे उसकी तस्वीर और अड्रेस मेरी पुरानी ड्रेसिंग टेबल के पीछे बने ड्रॉयर मे मिलेगी...
कभी भी कोई मुसीबत हो...तुम इससे मिल लेगा...और मेरा नाम बता देना..बस...
अब और कुछ नही...खुश रहो और खुशियाँ बाँट ते रहो...
जुग-जुग जियो बेटा....उूउउम्म्म्महा
तुम्हारी माँ.....अलका.....
माँ की आख़िरी बात पढ़ कर मैने जल्दी से पुरानी ड्रेसिंग टेबल चेक की , जो मेरे रूम मे ही रखी हुई थी...
मुझे वो ड्रॉयर मिला और उसमे से एक डायरी मिली...
मैने डाइयरी के पन्ने पलते तो एक तस्वीर नीचे गिर गई...जिसका अगला भाग फर्श की तरफ था..

मैने देखा की फोटो के पीछे कोई अड्रेस आंड फ़ोन नंबर. लिखा हुआ था...जो मुझे समझ नही आया...
पर जैसे ही मैने फोटो पलटी तो सामने वाले को देख कर मेरी आँखे फटी की फटी रह गई.....
ययययईईई.........?????????????????
फोटो देख कर मेरा दिमाग़ घूमने सा लगा था....
मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि मैं क्या करूँ...मैं बार-बार उस फोटो को देखता और उस सख्स के चेहरे से मिलता....
कभी लगता की ये वही चेहरा है जिसे मैं जानता हूँ और कभी ये सोचता कि मैं ग़लत सोच रहा हूँ...ये वो नही है हो सकता.....
काफ़ी देर तक मेरे दिमाग़ मे कस्मकस चलती रही पर मुझे कोई सल्यूशन नही मिला...
फाइनली मैने डिसाइड किया कि ऐसे सोचने से कुछ नही होगा...मुझे इस मामले की तह तक पहुचना होगा...
मुझे याद आया कि रजनी आंटी मेरी माँ को काफ़ी पहले से जानती है...शायद उन्हे कुछ पता हो...
यही सोच कर मैं रजनी आंटी से मिलने रूम से निकला ही था कि हाल मे मुझे डॅड मिल गये....
आकाश- कहाँ जा रहे हो बेटा...
मैं- डॅड..मैं आता हूँ...थोड़ा संजू के घर जा रहा हूँ...
आकाश- ह्म्म्म ..जल्दी आ जाना...ओके
मैं- ह्म...
थोड़ी देर बाद मैं संजू के घर पहुच गया...पर रजनी आंटी घर पर नही थी ...
मैं उनका वेट कर ही रहा था कि पारूल का कॉल आ गया.....
पारूल ने मुझे बताया कि वही पोलीस वाला घर आया है जो उस दिन आया था...उसके साथ कुछ लोग भी है...
मैं पारूल की बात से समझ गया कि ये रफ़्तार सिंग ही होगा...
मैने संजू के घर से स्पीड मे घर आ गया...
घर आते ही मेरी नज़र रफ़्तार सिंग पर गई...
रफ़्तार- आओ-आओ...साबजादे...तुम्हारा ही इंतज़ार था...
मैं- तुम यहाँ क्या कर रहे हो...??
रफ़्तार- ह्म्म..मैं यहाँ...अबे तेरे बाप को लेने आया हूँ...
मैं- जवान संभाल कर...तुम उन्हे हाथ भी नही लगा सकते...समझे...
रफ़्तार- हाथ..अबे कंप्लेन है इसके खिलाफ...ले के तो जाना ही होगा...
मैं- अच्छा...ये केस इनस्पेक्टर आलोक हॅंडल कर रहे है ..समझे...
रफ़्तार- हाहाहा...ये दूसरा केस है बेटा...समझा...इसमे आलोक भी कुछ नही कर सकता...
मैं- अभी पता चल जायगा...
रफ़्तार- ह्म्म..चल पता कर ले...तब तक मैं यही बैठा हूँ...
थोड़ी देर बाद ही इनस्पेक्टर आलोक आ गये...मैने उन्हे संजू के घर पर ही कॉल कर दिया था...
आलोक- रफ़्तार...क्या केस है...
रफ़्तार- कोई नही...वही केस है...मैं तो बस इन लोगो के साथ आ गया...कि कही कुछ हाथा-पाई ना हो...और ये अमीर लोग इन बेचारो को कुछ ना करे.....
आलोक- ह्म्म..तो तुम्हे लगता है की मिस्टर.आकाश इन्हे कुछ करेंगे...??
रफ़्तार- हो सकता है...पैसो के दम पर कुछ भी कर लेगे...आख़िर पैसा जो बचना है...
मैं- मतलब...??
रफ़्तार- मतलब ये कि आग लगने पर जो सब बेरोज़गार हो गये...उनका पैसा....जो शेयर होल्डर है उनका पैसा...
मैं- सब मिल जायगा...
रफ़्तार- तो दे दे...हम चले जाएँगे...
आलोक- रफ़्तार...तुम्हे किसने कहा कि तुम यहाँ से आओ...हाँ
रफ़्तार- एमएलए साब ने पहुचाया...उन्ही ने बहाल करवाया...और अब तो आप सस्पेंड भी नही कर पाएँगे...
आलोक- ह्म्म..लेकिन यहाँ से बाहर ज़रूर करवा दूँगा...चलो जाओ...आगे मैं देख लूगा...
फिर रफ़्तार अपने चेहरे पर विजयी मुस्कान लिए अकड़ता हुआ निकल गया...
बाकी के लोग भी चुपचाप निकल गये....
आलोक- सॉरी...अब आगे कोई प्राब्लम नही होगी...अभी मैं चलता हूँ...मुझे रफ़्तार की खबर लेनी है...
और फिर आलोक भी निकल गया...और मैं डॅड से आकर बोला...
मैं- डॅड...आपको इन्षुरेन्स ऑफीस जाना है...आज ही...
आकाश- ह्म्म..अभी जाता हूँ...
डॅड इन्षुरेन्स ऑफीस निकल गये और मैं गुस्से से अपने रूम मे चला आया...
मैं(मन मे)- ये साला रफ़्तार सिंग...इसे कुछ ज़्यादा ही पड़ी है लोगो की ....
सला रिचा के कहने पर ही सब कर रहा होगा ...बीसी..
एक बार इन्षुरेन्स का पैसा आ जाए....तो सबका हिसाब कर के देखता हूँ इस रफ़्तार के बच्चे को....
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