RE: छोटी बहन को चोदा
मैने कहा : ना, ऐसा कर ने की ज़रूरत नहीं है ओह, रिया, तू कितनी प्यारी हो ? काश तू मेरी बहन ना होती.
रिया : बहन हूँ तो क्या हो गया ? मेरा मन करता है आप से चु --- चु ---
वो करवाने को और आप को भी दिल हो गया है . है ना ?
झूठ क्यूं बोलूं ? मेरा लंड फंफ़ना रहा था और रिया के साथ वो कर ने का दिल हो गया था. इस वक़्त उस ने एक साथ दो हरकत की. एक, उस ने चहेरा थोड़ा सा घुमया की हमारे मुँह से मुँह जुट गाये दूसरे, पाजामा के आरपार उस ने मेरा लंड टटोल लिया.
फिर क्या कह ना था ? उस ने तो मेरे होठ छुए ही थे लेकिन मैं इतना उत्तेजित हो गया था की मैने होठों से उस के नाज़ुक होठ रगड डाले. जीभ की नोक से मैने उस के होठ चाटे और खुले कर के जीभ उस के मुँह में डाल दी. वो कसमसाई लेकिन मैने उसे छोड़ा नहीं. आख़िर उस ने अपनी जीभ मेरी जीभ से लड़ाई. मैने जब जीभ वापस ली तब उस ने अपनी जीभ निकल कर मेरे होठ चाटे.
पीठ वाले हाथ ने ब्रा का हूक खोल दिया था. मेरा दाहिना हाथ अब उसकी नंगी बाई चुचि को मल ने लगा था. छोटी सी नीपल सिर उठाए कड़ी हो गयी थी. मेरी उंगलियों ने जब नीपल चिपटि में ली तब रिया के मुँह से आह निकल पड़ी.
स्तन छोड़ कर मेरा हाथ अब उस की जाँघ पर रेंगने लगा. उस ने स्कूल की स्कर्ट पहनी हुई थी. स्कर्ट खिसका ते हुए मेरा हाथ पेंटी पर जा पहुँचा. मैने पेंटी से आरपार उस की पीकी को छुआ. पीकी ने भरमार रस बहाया था जिस से पेंटी गीली हो गयी थी और भोस से चिपक गयी थी.
मेरे भोस छूते ही उस ने जांघें ऐसी सिकूड ली की मेरा हाथ बीच में फ़स गया.
चुंबन छोड़ कर मैने कहा : रिया बेटी, मेरा हाथ निकाल ने दे.
उस ने जांघें खोली नहीं. मैने उस की जाँघ पर हलकी सी चुटकी भर ली.
तुरंत जांघें चौड़ी हो गयी अब की बार मैने कुछ देर तक दोनो जांघें सहलाई, बाद में फिर भोस को छुआ. इस वक़्त उस ने मुझे पेंटी से ढकी हुई भोस सहालाने दी. मैने पूरा पन्जा भोस पर रख कर मसल डाली. रिया का बदन शिथिल हो गया और वो ढल पड़ी.
बाहों में भर कर मैं उसे पलंग पर ले आया. एक एक कर के ब्लाऊझ के बटन खोल दिए खुली हुई ब्रा हटा कर मैने उसके स्तन नंगे किए. हाथों से उस ने अपना चहेरा ढक दिया.
रिया के स्तन मैने सोचा था इन से बड़े निकले. फिर भी वे पूरे विकसित नहीं थे. मेरी हथेलियों में आसानी से समा जाते थे. चमड़ी मुलायम और चिकानी थी. छोटी एरिओला के बीच छोटी सी कोमल कोमल नीपल थी. मेरी उंगलियों के छुने पर नीपल कड़ी हो गयी मैने पहले हलके स्पर्श से सारा स्तन सहलाया और नीपल चिपटि में ले कर मसली. एक बार ज़रा ज़ोर से स्तन दब गया तो रिया के मुँह से आह निकल पड़ी . वो बोली : भैया, ज़रा धीरे से दबाओ ना, दर्द होता है
उस की स्कर्ट कमर तक चड़ गयी थी. मैने हूक खोल कर स्कर्ट निकाल फैंकी. सफ़ेद पेंटी गीली हो गयी थी. पेंटी उपर से ही भोस सहला कर मैने उंगलया अंदर डाल ने का प्रयास क्या लेकिन पेंटी टाइट होने से एक उंगली भी अंदर जा ना सकी. तब मैने कमर पर से पेंटी उतार नी शुरू की. शर्म से रिया ने आँखें बंद कर दी लेकिन कुले उठा कर पेंटी उतार ने में सहकार दिया. पेंटी उतर ते ही उस ने अपनी जांघें सिकूड ली और हाथ से भोस ढक ली. थोड़ा ज़ोर लगा कर मैने उस के पाँव लंबे किए और झुक कर जाँघ पर किस की. गुदगुदी से वो छटपटाई और उस की जांघें थोड़ी सी खुल गयी मैने तुरंत बीच में हाथ डाल दिया.
रिया की जांघें इतनी भरी हुई नहीं थी जितनी माधवी की थी. पतली थी लेकिन गोल और चिकानी थी. घुटनो से ले कर भोस तक आपस में सटी हुई थी. किस कर ते हुए मैने जांघें सहलाई और चौड़ी कर दी. रिया की छोटी सी पीकी अब मैं देख सका.
वैसे तो मैं बचपन से उस की पीकी देखते आया था लेकि पिछले पाँच साल से देखी नहीं थी. अब तो पीकी पैर काले घुंघराले झांट निकल आए थे. बड़े होठ मोटे हो गये थे. कहाँ वो बच्ची की सपाट पीकी जिस के बड़े होठ पतले से थे और कहाँ ये पूरे खिले हुए गुलाब जैसी उभरी हुई भोस जिस के होठ रुई से भरे तकीये जैसे मोटे मोटे थे ? जाँवली रंग के छोटे होठ सूज गये थे और बड़े होठों के बीच से बाहर निकल आए थे. इस वक़्त सारी भोस काम रस से गीली हो गयी थी.
जब मैने भोस पर हाथ रख दिया तब रिया ने मेरी कलाई पकड़ ली. मैने पन्जा खोल कर भोस ढक दी. हथेली का हलका दबाव दे कर मैने हाथ गोल गोल घुमया. सारी भोस रगडी गयी ख़ास तौर से क्लैटोरिस. वैसे भी पीकी गीली तो थी, अब ज़्यादा गीली हो गयी पीकी से मस्त ख़ुश्बू भी आ रही थी. दो पाँच मिनिट तक भोस रगड ने के बाद मैने एक उंगली से दरार टटोली. भोस की ही लार उंगली पर लिए मैने उंगली क्लैटोरिस पर घुमाई. छोटी सी क्लैटोरिस लंड की तरह कड़ी हो गयी थी. रिया ज़्यादा सहन ना कर सकी. मेरा हाथ वहाँ से हटा कर वो बोली : वहाँ मत छुई ये भैया, मुझ से सहा नहीं जाता.
दरार सहलाते हुए मेरी उंगली अब चूत के मुँह पर जा पहुँची. मुँह सिकुड़ा था लेकिन भोस के चिक्ने पानी से गीली की हुई दो उंगलियाँ आसानी से चूत में जा पाई और योनी पटल आते रुक गयी मैने उंगलियाँ अंदर बाहर कर के चूत मारी और गोल गोल घुमा कर मुँह चौड़ा किया. जब तीन उंगलियाँ चूत में आने जाने लगी तब चूत में हलके हलके स्पंदन होने लगे. लंड पेल ने का समय आ गया था.
मैने फिर एक बाआर स्तन पर चुंबन किया और कहा : रिया, थोड़ा दर्द होगा, सब्र कर लेना.
रिया ने ख़ुद पाँव उठाए और चौड़े कर रक्खे. लंड की टोपी उतार कर मैने सुपारा ढक दिया. एक हाथ से भोस के होठ खुले किए और दूसरे हाथ में लंड पकड़ कर मत्था चूत के मुँह पर धर दिया. हलका सा दबाव दिया तब लंड का मत्था चूत में उतर ने लगा. टोपी साथ मत्था अंदर घुस पाया. झिल्ली पाते रुक गया. मैने दो पाँच छीछ्ऱे धक्के लगा कर रिया को चोदा. लंड की टोपी चूत में फसी रही और मत्था टोपी नीचे से अंदर बाहर हुआ, अब मैं रिया के बदन पर ढल गया, मुँह से मुँह चिपका दिया और उसे कमर से पकड़ कर एक ज़ोरों का धक्का ऐसा दिया की झिल्ली तोड़ कर लंड का मत्था चूत में घुस गया. रिया चीख उठी लेकिन उस की चीख मैने मेरे मुँह में झेल ली. योनी पटल से गुजरते वक़्त लंड की टोपी चड़ गयी और लंड का नंगा मत्था चूत में घुसा. आधा सा लंड पेल कर मैं रुक गया.
दर्द से रिया कसमसाई लेकिन मैने उसे बाहों में जकड़ रक्खा. जब वो शांत हुई तब मैने कहा : हो गया, अब थोड़ी देर सब्र कर, दर्द मिट जाएगा.
वो बोली : उतर जाइए ना भैया, बहुत दर्द हो रहा है
मैं : अभी कम हो जाएगा. देख, मैं हिलूंगा नहीं.
कुछ देर के लिए हम दोनो स्थिर रहे. गरमा गरम सीकुडी चूत में लंड डाले रख ना काफ़ी मुश्किल था. मैने लंड निकाल ने की सोच रहा था की र्य की चूत में हलका सा स्पंदन हुआ. मैने कहा : कैसा है अब ?
रिया : दर्द काम हो गया है
मैं : ज़रा छूट सिकोड कर देख ले तो.
अब ये बात रिया के लिए नयी थी, फिर भी उस ने चूत के स्नायु सिकोडे और बोली :
ऐसे ? ऐसे ?
मैं : हाँ, ऐसे ही. दर्द होता है ?
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