RE: XXX Kahani छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता
भाग -27
मंगलवार ( दूसरा दिन)
सोमिल का कैदखाना( शाम 5 बजे)
[मैं सोमिल]
मैंने खिड़की से बाहर देखा शाम हो रही थी खिड़की की सलाखों के पीछे जंगल का खुशनुमा माहौल था पंछी अपने घरों को लौट रहे थे और मैं यहां इस एकांत में फंसा हुआ था. भगवान ने मेरे साथ यह अन्याय क्यों किया था मैं खुद भी नहीं जानता था। मुझे यह भी नहीं पता था कि मेरी पत्नी छाया किस अवस्था मे है। उस रात सीमा के साथ मुझे अपने वचन को पूरा करना था पर निष्ठुर नियति ने मेरे सपने चकनाचूर कर दिये थे।
तभी शांति चाय लेकर मेरे कमरे में आई। यह लड़की मेरे लिए एक और आश्चर्य थी। वह एयर होस्टेस की तरह खूबसूरत थी और उतनी ही तहजीब वाली वह हर बात बड़े धीरे से बोलती उसकी चाल ढाल में भी शालीनता थी। उसे किसने मेरी सेवा में यहां भेजा था यह प्रश्न बार-बार मुझे चिंतित कर रहा था।
"सर, चाय पी लीजिए अच्छा लगेगा" वह चाय के साथ कुछ बिस्किट भी ले आई थी."
वह दो कप चाय लेकर आई थी मुझे लगा शायद वह एक कप अपने लिए भी लाई थी मैंने उसे बैठने के लिए कहा वह बिस्तर के सामने पड़े सोफे पर बैठकर चाय पीने लगी।
मैंने उससे पूछा तुम यहां मेरे साथ क्यों आई।
"वह मेरा भाई है ना, उसने कहा तुम्हें जंगल में एक साहब का एक महीने तक ख्याल रखना है. तुम्हें खूब सारे पैसे मिलेंगे मुझे पैसों की जरूरत थी तो मैं आ गई." वह मुस्कुरा रही थी. ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे वह स्वेच्छा से और खुशी-खुशी यहां आई है। एक महीने की बात सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए।
"शांति ने अलमारी खोलकर मेरे लिए एक सुंदर सा पायजामा कुर्ता निकाला और बिस्तर पर रख दिया सर आप नहा कर कपड़े चेंज कर लीजिए" मैं आपके लिए खाना बना देती हूं वह किचन की तरफ चल पड़ी..
मैं अभी भी अपने पुराने कपड़े ही पहने हुए था मुझे नहाने की तीव्र इच्छा हुई शावर के नीचे गर्म पानी की फुहार में नहाते हुए मैं यहां लाए जाने का कारण सोच रहा था। अचानक मुझे शांति का ध्यान आया वह लड़की कितनी निडर और निर्भीक थी जो एक अनजाने पुरुष का ख्याल रखने यहां तक आ गई थी। निश्चय ही बाहर खड़े गार्ड उसकी सुरक्षा करते पर फिर भी यह उस सुंदर लड़की के लिए एक कठिन कार्य था। उसकी सुंदरता को ध्यान करते हुए मुझे अपने लिंग में उत्तेजना महसूस होने लगी। मैने अपना ध्यान भटकाया और स्नान करके कमरे में वापस आ गया मैंने तोलिया पहनी हुई थी।
बिस्तर पर मेरे अंडर गारमेंट्स नहीं थे मैंने शांति को आवाज दी..
वह कमरे में आ गई
मैंने पूछा "अंडर गारमेंट्स नहीं है क्या?" "सर वह तो उन लोगों ने नहीं दिया"
"गार्ड से बोलो कहीं से लेकर आए" वह बाहर चली गई
सर उन्होंने कहा है वह कल लाने का प्रयास करेंगे.
मैं सिर्फ तौलिया पहने हुए था मुझे अपनी नग्नता का एहसास था मैं शांति के सामने ज्यादा देर इस तरह नहीं रहना चाहता था। मैंने पजामा और कुर्ता वैसे ही पहन लिया बिना अंडरवियर के मैं असहज महसूस कर रहा था मेरा लिंग वैसे भी सामान्य पुरुषों से बड़ा था। मैं बिस्तर पर बैठ गया।
शांति द्वारा बनाया गया खाना बेहद स्वादिष्ट था उसने आज चिकन की डिश बनाई थी मैं खुद भी आश्चर्यचकित था की यह कौन व्यक्ति है जिसने हमारे खाने पीने का इतना भव्य प्रबंध किया हुआ है। मुझे भूख लगी थी मैंने पेट भर कर खाना खाया। शांति ने मुझे कुछ पेन किलर दवाइयां दी जिसे खाकर मैं जल्दी ही सो गया।
अर्धनिद्रा में जाते हैं मुझे सुहागरात के दिन हुई घटना याद आने लगी। सीमा के जाने के बाद मेरे फोन की घंटी बजी। फोन पर कोई नया नंबर था मैंने फोन उठा लिया। लक्ष्मण ( मेरे आफिस का साथी) ने कहा पाटीदार सर नीचे आपका इंतजार कर रहे हैं। मैं माना नहीं कर पाया।
"ठीक है आता हूं" पाटीदार सर विदेश से बेंगलुरु लौटे थे वह शादी में उपस्थित नहीं हो पाए थे इसलिए मुझे लगा शायद वह मुझसे मिलकर यह बधाई देना चाह रहे हैं. मैं तेज कदमों से चलते हुए लिफ्ट की तरफ आ गया. मैंने छाया को फोन करने की कोशिश की पर कॉल कनेक्ट नहीं हुई। लिफ्ट में पहुंचते ही लक्ष्मण मुझे वहां दिखाई पड़ गया। जल्दी चलो लिफ्ट तेजी से नीचे की तरफ चल पड़ी। रिसेप्शन हॉल में पाटीदार साहब नहीं थे। लक्ष्मण ने हाल में खड़े एक व्यक्ति से पूछा सर कहां गए उसने जबाब दिया
पार्किंग में गए हैं।
लक्ष्मण के साथ साथ में बाहर पार्किंग में आ गया तभी किसी ने मेरी गर्दन पर प्रहार किया और मैं बेहोश हो गया। यही सब याद करते हुए मेरी आँख लग चुकी थी।
पुलिस स्टेशन (शाम 9 बजे, )
हवलदार सत्यनारायण भागता हुआ डिसूजा के कमरे में आया.
"दोनों कमरों से मिले ब्लड सैंपल की रिपोर्ट आ गई है. गद्दे पर से मिले ब्लड सैंपल में वीर्य भी पाया गया है। सत्या ( एक सिपाही) सही कह रहा था वहां सुहागरात मनाई गई थी. उसकी नाक सच में बहुत तेज है वह कुत्ते की माफिक सब सूंघ लेता है।
डिसूजा की आंखों में चमक आ गयी उसने प्रत्युत्तर में कुछ भी नहीं कहा पर उसका कामुक दिमाग षड्यंत्र रचने लगा।
सोमिल की फोटो देखकर वह पहले ही आश्वस्त हो चुका था। सोमिल को जिस कमरे में रखा गया था इससे उसने अंदाजा कर लिया था कि उसका किडनैप किसी विशेष मकसद के लिए किया गया है।
मानस का घर (शाम 9 बजे)
(मैं मानस)
लिफ्ट में छाया को अपनी बाहों में लेकर एक बार फिर मैं उत्तेजित हो गया था इस लिफ्ट में न जाने कितनी बार मेरे राजकुमार और छाया की राजकुमारी ने मुलाकात की थी। अब छाया की राजकुमारी रानी बन चुकी थी और सम्भोग की हकदार थी। मेरा राजकुमार उसकी आगोश में जाने के लिए तड़प रहा था। लिफ्ट को ऊपर से नीचे आने में लगभग 2 मिनट लगते थे छाया के कोमल नितंबों को सहलाते-सहलाते मेरा राजकुमार रानी से मिलने को व्याकुल हो उठा। मैंने छाया की पेंटी सरकाने ने की कोशिश की तभी लिफ्ट के रुकने का एहसास हुआ। मैं और छाया दोनों ही इस अप्रत्याशित रुकावट से दुखी हो गए। लिफ्ट में एक और महिला अंदर आ गई थी मिलन संभव नहीं था। हम दोनों कुछ देर बाहर घूम कर वापस आ गए।
(मैं छाया)
रात 9 बजे मेरे मोबाइल पर फिर एक बार ई-मेल आया। मैं उछलते हुए हुए मानस भैया के कमरे में गई। सोमिल की नई तस्वीरें ईमेल में आई हुई थी पजामे कुर्ते में खाना खाते हुए सोमिल को देखकर ऐसा कतई नहीं लग रहा था कि वह किडनैप हुआ हो। प्लेट में दिख रहा चिकन और होटल का भव्य कमरा इस बात की साफ गवाही दे रहा था।
सीमा ने चुटकी ली
"नंदोई जी मुझसे डर कर भाग तो नहीं गए और वहां होटल में मजे कर रहे है"
मानस भैया ने कहा
"यह सोमिल को फसाने की किसी की चाल हो सकती है. पैसे का गबन हुआ है। इस तरह आलीशान कमरे उसे अय्याशी करते हुए दिखा कर उस पर पैसों के गबन के आरोप को मजबूती दी जा सकती है"
मैं मानस भैया की समझदारी की कायल हो गई मैं प्यार से उनके पास चली गई उन्होंने मुझे अपने आलिंगन में ले लिया।
सीमा भाभी को अपनी गलती का एहसास हुआ तो उन्होंने कहा
"छाया आज यही सो जाओ वैसे भी हम तीनों को एक साथ वक्त बिताये बहुत दिन हो गए" और उन्होंने मुझेआंख मार दी.
मैं भी आज बहुत खुश थी चलिए हम दोनों नहा लेते हैं तब तक मानस भैया भी नहा लेंगे नहा लेने से नींद अच्छी आएगी मैंने भी उन्हें छेड़ दिया। मैं और सीमा मेरे कमरे में आ चुके थे उधर मानस भैया हम दोनों का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।
बिस्तर पर मेरी दोनों अप्सराएं मेरे अगल बगल थीं। सोमिल के गायब होने से हुए दुख से ज्यादा उसके मिलने की खुशी थी। हम तीनों ही उसकी फोटो देखकर अत्यंत प्रसन्न हो गए थे। ऐसा लग रहा था जैसे वह सकुशल है उसका मिलना हमारे लिए जरूरी था। उसकी सलामती ने आज हमें चैन से सोने की इजाजत दे दी थी। हम तीनों एक दूसरे की बाहों में लिपट रहे थे। छाया हमेशा की तरह हमारे बीच में थी छाया को नग्न करने में जितना मजा मुझे आता था उतना ही सीमा को।
छाया के वस्त्र अलग होते ही उसका यौवन उभर कर आ गया। आज से 2 दिन पहले ही उसने सुहागरात मनाई थी और वह भी अपने सर्वकालिक प्रिय राजकुमार के साथ उन दोनों का अलौकिक प्रेम भरा युद्ध दर्शनीय रहा होगा। राजकुमारी ने रानी बनकर अपनी लज्जा छोड़ी थी पर अपना शौर्य नहीं। राजकुमारी का मुंह खुल गया था पर उसकी अद्भुत कमनीयता कायम थी।
सीमा छाया की रानी को देखकर बेहद प्रसन्न थी। उसने बिना कुछ कहे उसे चूम लिया। रानी के छोटे से मुख को सीमा की जीभ बड़ा करने की कोशिश कर रही थी पर छाया की रानी लगातार अपना प्रतिरोध दिखा रही थी। जीभ के संपर्क में आने से रानी अपना प्रेम रस छोड़ना शुरू कर चुकी मैं उसके स्तनों पर अपने होठों से प्रहार कर रहा था। मेरी छाया दोहरे आक्रमण का शिकार हो रही थी। आज भी हम दोनों उसे हमेशा की तरह पहले इस स्खलित करना चाहते थे पर आज वह सिर्फ जिह्वा और हाथों से खेलते हुए स्खलित नहीं होना चाहती थी।
सीमा यह बात भलीभांति समझती थी कि संभोग का सुख मुखमैथुन और योनि मर्दन से ज्यादा आंनददायक होता है। उसने कुछ देर छाया को उत्तेजित करने के पश्चात मेरे राजकुमार को अपने हाथों में ले लिया और मुझे इशारा किया। छाया की रानी मुंह बाए हुए अपने राजकुमार की प्रतीक्षा कर रही थी।
राजकुमार अपनी प्यारी रानी की आगोश में आ गया मेरी कमर हिलने लगी सीमा अपनी आंखों के सामने यह दृश्य देखकर मुस्कुरा रहे उसने मुझे छेड़ा
"ध्यान रखना वह सोमिल की अमानत है और तुम्हारी छोटी बहन भी उसकी रानी को घायल मत कर देना"
मैं सीमा की बातें सुनकर और उत्तेजित हो गया इस भाई-बहन के शब्द से मुझे सिर्फ और सिर्फ उत्तेजना मिलती थी। इसी शब्द ने मेरा और छाया का विछोह कराया था।कमर की गति बढ़ते ही सीमा मुस्कुराने लगी उसने छाया के होठों पर चुंबन प्रारंभ कर दिया। मेरी प्यारी छाया के चेहरे पर लालिमा थी। आज वह अपनी प्यारी सहेली के सामने संभोग सुख ले रही थी। मेरे और सीमा के प्रयासों से छाया शीघ्र स्खलित हो गई। मैं भी चाहता था की छाया के साथ ही स्खलित हो जाऊं पर मेरा दायित्व मुझे रोक रहा था मेरी पत्नी सीमा मेरी प्रतीक्षा में थी। छाया के स्खलन के पश्चात छाया ने सीमा को उत्तेजित करने का मोर्चा संभाल लिया। मेरा राजकुमार अपनी पटरानी में प्रवेश कर गया कुछ ही देर के प्रयासों में मेरा और सीमा का भी स्खलन हो गया मेरे वीर्य की धार ने मेरी दोनों अप्सराओं को भिगो दिया। हम तीनों इस अद्भुत सुख की अनुभूति के साथ निद्रा देवी की आगोश में चले गए।
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