RE: Thriller Sex Kahani - कांटा
जतिन के होठों से बोल न फूटा।
वह भौंचक्का सा होकर संजना को देखने लगा था, जो उस वक्त उसे मादक अदाओं वाली हसीन गुड़िया नहीं, बल्कि शैतान की खाला नजर आ रही थी, जिसकी आंखों में मौत की परछाईया नाच रही थी।
जतिन की अपनी मौत की परछाईया।
“त...तू ऐसा नहीं कर सकती संजना।” जतिन के मुंह से निकला। एकाएक पासा पूरी तरह पलटा देख उसका सारा
आवेग खौफ में बदल गया था।
“करना कौन चाहता है मेरे भोले सनम।” सजना अब मूड में आ गई थी “लेकिन मजबूरी है। अब तुम्हें जिंदा छोड़ने की गलती मैं नहीं कर सकती। सारा भांडा फूट जाने के बाद अगर मैंने यह गलती की तो सुमेश मेरी जान ले लेगा। अब तुम मरने के लिए तैयार हो जाओ। अलविदा डार्लिंग।"
उसकी अंगुलियां ट्रिगर कस गईं। आंखों में कहर नाच उठा दातों पर दांत जम गए।
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“नहीं स...संजना...।” जतिन जल्दी से बोला। वह विचलित हो उठा था “मेरी बात सुनो प्लीज।"
मगर संजना तो जैसे कुछ भी न सुनने का फैसला कर चुकी थी। उसकी अंगुली रिवॉल्वर के ट्रिगर पर कस गई।
अगले ही पल!
'पिट' की एक हल्की सी आवाज गूंजी साथ ही उसके जिस्म को एक तेज झटका लगा इतना तेज कि वह उछलकर पीछे बिस्तर पर जा गिरी।
हाथों में मौजूद रिवॉल्वर छिटककर दूर जा गिरी।
सीना तो यकीनन छलनी हुआ था। लेकिन वह जतिन का नहीं बल्कि संजना का सीना था, जो उसका सीना छलनी करने पर आमादा थी।
वह कुछ देर तड़पी और फिर शांत हो गई। उसके बाएं वक्ष से ताजे गर्म खून का झरना उबलने लगा था।
जतिन हक्का-बक्का सा खड़ा रह गया।
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सुगंधा तो अपनी राह लग गई थी, मगर अजय के अंदर मौजूद ठहरे हुए पानी में कंकड़ फेंककर उसने जो लहरें उठा दी थीं, वह एक बार फिर उसकी रग-रग में बेचैनी घोलने पर आमादा हो गयी थीं।
दिल की हलचल ने यादों में दस्तक दी तो एक बार फिर वही चेहरा सिर उठाने लगा था जो अक्सर उसके दिल को तड़पाया करता था।
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फिर एक वक्त ऐसा भी आया कि उसे महसूस होने लगा, वह कार के स्टेयरिंग पर कंट्रोल नहीं रख पाएगा, तो उसने साइड लगाकर कार रोक दी। लेकिन उसका इंजन बंद नहीं किया, क्योंकि इंजन बंद करते ही एसी भी बंद हो जाने वाला था।
उसने हैंड ब्रेक खींचकर अपना सिर आरामदायक ड्राइविंग सीट की पुश्त से सटा लिया। लेकिन विंडस्क्रीन उसे तब भी साफ नजर आ रही थी और उससे बाहर का नजारा भी साफ दिख रहा था।
अजय की उससे तीसरी अहम और बहुप्रतीक्षित मुलाकात किसी मॉल में या लिफ्ट में नहीं, बल्कि सड़क पर हुई थी सुनसान सड़क पर। जबकि वह अपनी कार पर जा रहा था
और वह लिफ्ट मांगने के लिए एकाएक सामने सड़क पर आ गई थी और वह ऐसी जगह थी जहां उससे मुलाकात की उसने कल्पना भी नहीं की थी।
अजय की कंपनी की एक साइट उत्तर प्रदेश में चल रही थी, जहां से एकाउंटेंट ने कंपनी को पिछले साल भर का जो ब्यौरा मेल किया था, उससे कंपनी संतुष्ट नहीं हुई थी। उसमें उसे किसी बड़े हेर-फेर का अंदेशा नजर आ रहा था, लिहाजा उस साइट के सारे वित्तीय लेन-देन को रोक दिया गया था और इंस्पेक्शन के लिए अजय को वहां भेजा गया था।
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