RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
मादरचो
सास को बेटा चोद और इन्हे मादरचोद बनाने का प्लान पक्का हो गया था ,
मेरे और मम्मी से ज्यादा वो दोनों , मंजू बाई और गीता न , ...
एक दिन मम्मी कहीं सुजाता , मेरी सहेली , अपनी मुंहबोली छोटी बेटी के साथ गयी थीं , ... और घर में मैं अकेली थी , इन्हे भी कहीं आफिस के काम से जाना था ,
बस उसी समय मंजू बाई और गीता आ गयीं और फिर वही मेरी सास के बारे में प्लानिंग , ... एक से एक , और मैंने भी तय कर लिया ,
असल में मम्मी अपने समधियाने जाने वाली थीं , मेरी सास को लाने ( जिससे मेरी सासू जी के आने का प्लान किसी भी तरह फेल न हो ) , और एक बार सासू जी आ गयी उनके बेटे को उनके ऊपर चढाने से कोई रोक नहीं सकता था , ... मेरे लिए शायद मुश्किल होता , ....
पर उनकी सास इसी लिए अपने सामने , ...
और वो सपने में भी अपनी सास की बात नहीं टाल सकते थे , ...
प्रोग्राम ये था की तीन चार दिन मम्मी अपनी समधन के साथ ,... ये भी छुट्टी लेकर , ..
इसलिए दिन रात , मम्मी की समधन की ओखल में मम्मी के दामाद का मूसल चलेगा , ...
उसके बाद दो तीन दिन मम्मी की किसी जरुरी काम से मुंबई जाना था ,
बस उसी समय , शाम को ,...
उसी रात को , गीता बोली , ..वो दो तीन दिन , मंजू गीता और आफ कोर्स मैं भी सासू माँ की जबरदस्त रगड़ाई ,...
गीता का दिमाग , ... कोई भी किंक बचने वाला नहीं था , ...
उसके बाद , जब मम्मी लौटती तो दो तीन दिन और हम लोगो के साथ ,
उसके बाद मम्मी का प्रोग्राम था , अपनी समधन को अपने साथ हमारे गाँव ले जाने का , और वहां , मेरे चचा , मौसा , फूफा , गांव के सारे ,
गन्ने का खेत , अरहर का खेत , अमराई कुछ भी नहीं बचती
... रोज तो मम्मी अपनी समधन को उकसाती थीं , ...
और वो दो तीन जब मम्मी नहीं रहती , ...
उसी रात गीता का प्रोग्राम था , ...
उनके बेटे रहते लेकिन , वो सिर्फ कुर्सी पर बैठ कर , ... गीता थी न उनको ' कंट्रोल ' में करने के लिए , कुर्सी पे उन्हें बांध छान कर , ...
पूरे कपडे में , सिर्फ ; खूंटा बाहर निकला रहता ,
और बिस्तर पर उनकी माँ , ...
मैं और मंजू बाई मिल के उनकी स्ट्रिप टीज करतीं और फिर बिस्तर पे लेटा के , सबसे पहले मंजू बाई
मंजू एकदम किंकी , एक से एक गन्दी गर्हित आइडिया पता नहीं कहाँ से उसके दिमाग में आती थीं , ...
और मेरी सास के बारे में सोच कर तो उसको और , गीता तो और ,... वो दोनों सिर्फ प्लान करने में नहीं बल्कि , ...
मंजू मेरी सास के ऊपर चढ़कर न सिर्फ अपना भोंसड़ा जम के चुसवाने वाली थी ,
बल्कि उसने प्रॉमिस भी किया की मेरी सास को पक्की गांड चट्टों बना के छोड़ेगी ,
वो भी मेरे और इनके सामने , ये तो कुर्सी पर बंधे बैठे रहेंगे , ...गीता के कब्जे में बस चुपचाप ,... बोलने का सवाल नहीं था ,
गीता का प्लान था मेरी सास की ब्रा और पैंटी से ही उनके मुंह में , ...
पैंटी का गोला बना के उनके मुंह में ठूस देगी ऊपर से मेरी सास की ३६ डी डी की ब्रा से सास के बेटे का मुंह बाँध ,
वो सिर्फ देख सकते हैं , ...
,
और जब मंजू का भोंसड़ा मेरी सास के मुंह में ,... मेरी सास खाली नहीं बैठेंगी ,
मैं रहूंगी न उनकी , ' सेवा ' करने के लिए , मेरी चार चार उंगलिया मेरी साजन की ' मातृभूमी ' में घुसी पूरी जड़ तक , गोल गोल , पूरी ताकत से , ... हचक हचक कर , और उसके बाद वो दस इंच वाला स्टैप ऑन ,
उनके सामने उनकी माँ चोदूगी , खूब हचक हचक के , उन्हें दिखा दिखा के
जैसे उनके बेटे ने उन्हें चोदा होगा न उससे भी दस गुनी ताकत से , ...
हाँ बस मंजू ने साफ़ साफ़ बोला था , ... झड़ने मत देना छिनरा को , ...एकदम किनारे तक ले जा कर , बस कभी मंजू उनके निप्पल नोच लेगी , जैसे ही मेरी सास का झड़ना शुरू होगा , या क्लिट ,... दर्द के मारे उनकी मस्ती ख़तम हो जायेगी ,... लेकिन थोड़ी देर में मैं फिर मैं चालू हो जाउंगी , ...
कम से कम आधे एक घंटे तक , जब तक वो मंजू को चूस चूस कर दो तीन बार नहीं झाड़ लेंगी , और उसके बाद ,...
बस वही ,... सुनहली शराब , मंजू के भोंसडे से , ... मेरी सासु के मुंह में ,
और मंजू ने शर्त लगा दी , उसके बाद मैं और गीता , ... लेकिन सबसे खतरनाक आइडिया गीता का था , उनका खूंटा ,
ये नहीं था की उन्हें नहीं चुसवाया गया था , ...
लेकिन अबकी बजाय रबडी मलाई के उस खूंटे से भी सुनहली शराब ,.... वो कुछ झिझकते तो ,... गीता थी न
लेकिन सारी रात तड़पाने के बाद , ... अपनी सास की , भोर में ,... जब वो खुद बोलती तो उन्हें उनके खूंटे के ऊपर चढ़ाया जाता , वो ऊपर ,...
और ,उसके बाद ... मंजू की पूरी की पूरी मुट्ठी ,
उसके बाद
सच में इनकी सास कितनी जल्दी मेरी सास को ले कर आएं , ...
मैं इतना इन्तजार कर रही थी ,
मुझसे ज्यादा मंजू और गीता , ... लेकिन सबसे ज्यादा जो इन्तजार कर रहा था वो बोल नहीं रहा था , ...
लेकिन उनकी सास तो दिन में दस बार उन्हें चिढ़ा चिढ़ा कर याद दिलाती थीं , ...
और हम सब , ... मादरचोद बोल बोल के
दिन पंख लगा के उड़ रहे थे , मम्मी को जाने में बस अब कुछ दिन ही बचे थे।
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