XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
05-06-2021, 03:29 PM,
RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
जोरू का गुलाम भाग ५६

मंजू









सुजाता को छोड़ के जब हम घर पहुंचे तो मंजू बाई पहले से खड़ी थी , रात के बर्तन के लिए ,


पर मम्मी ने बोला की हम खाना बाहर खा के आये हैं ,


लेकिन मंजू बाई की आँखे तो बस उन को सहला रही थीं ,


" हे कुछ और माजना रगड़ना हो तो रुक जा , "

मम्मी भी न ,




उन्होंने खुल के मंजू बाई को निमन्त्रण दिया और वो क्यों चूकती।

उतरते ही उनके चूतड़ पे कस के एक हाथ मार के मंजूबाई बोली ,


" अरे इस माल को रगडने माजने के लिए तो मैं एकदम रुकूँगी ,"






मम्मी तो कपडे वपड़े बदल के बाद में मैदान में उतरी , मंजू पहले ही , न उसने अपना कपड़ा उतारा न उन्हें उतारने दिया बस सीधे ,


एकदम जो कहते हैं न तसल्लीबख्श रिपयेर बस वही ,

" चल साले चाट मेरा भोंसड़ा ,देखती हूँ बचपन से माँ का भोसड़ा चाट रहा है मादरचोद ,कितना सीखा है ,
अगर बिना झाड़े हटा न तो तेरे पूरे खानदान की गांड आज रात मार के रहूंगी ,गांडू साल्ला। "

उनके कंधे को जबरन दबा के कमरे में जबरन फर्श पर बैठा दिया ,मंजू बाई ने और अपनी साडी कमर तक उठा के ,
उनका सर अपने रसीले खूब चूदे भोंसडे पर सता के उसने अपना इरादा जाहिर कर दिया।




जब शुरुआत ही छक्के से शुरू हो तो मैं समझ गयी की आज की रात इनकी सब रातों पर भारी होगी ,आज तो एकदम डबल धमाका होने वाला है , मंजू और उनकी सास,

मैं आज मुकाबले से बाहर थी , मेरे ' वो वाले पांच दिन ' मेरी ' मासिक छुट्टी ' चालू हो गयी थी।


लेकिन देख तो सकती ही थी ,और देखने के साथ उनकी हिम्मत बढ़ाने के साथ मम्मी और मंजू बाई को उकसा भी रही थी ,


और एक दो बार मैंने उनकी 'रक्षा ' भी की लेकिन वो बात बाद में ,


अभी तो मैं देख रही थी किस शिद्दत से से वो मंजू बाई का भोंसड़ा चूस रहे थे , और उसमें उनसे ज्यादा हाथ मंजू बाई का था।




क्या कोई मर्द किसी नए जोबन वाली टीनेजर के रसिले होंठों के बीच अपना मोटा लन्ड घुसा के ,जोर जोर से पेल के जबरन चुसवायेगा ,

पूरी तेजी के साथ मंजू बाई ने उनके सर को दबोच रखा था और जोर जोर से उनके मुंह पे अपने भोंसडे को कस कस के रगड़ रही थी और वो भी कौन से कम थे ,




उनकी जीभ उस भोंसडे के अंदर घुसी ,गोल गोल घुमती तो कभी आगे पीछे होती ,

जोर जोर से और उनके होंठ भोंसड़ी की रसीली पुत्तियों को दबोचे जोर जोर से चूस रहे थे।

और साथ में मंजू ,बाई के मुंह से गालियों की बौछार और सब की सब उन के माँ को उन से जोड़ के ,



"चाट मादरचोद ,चाट चूस कस के , बोल मजा आता था न तेरी माँ के भोंसडे का रस चूसने में ,

अरे वही समझ के सोच अपनी माँ का भोंसड़ा चूस रहा है हाँ एकदम मजा दूना हो जाएगा ,

भँडुआ ,अपने मामा का जना चूस कस कस के , "




दस मिनट से वो पूरी ताकत से चूस रहे थे , और मंजू बाई की गालियां सुन के उन का जोश और दूना हो जाता था ,



तभी मम्मी ने इंट्री ले और उन्होंने पलंग पर जो ' खेल खिलौने ' हम लोगो ने अडल्ट शाप से ली थी सब बिखेर दिया ,


बॉन्डेज वाले हैंडकफ ,



ब्लाइंडफोल्ड , गैंग ,डिल्डो सब कुछ ,



और मंजू बाई की गालियां सुन के खिलखिलाती बोलीं ,

"एकदम सही बोली , अगर ये अपने मामा का जना है , तो इसकी ममेरी बहन तो सगी ही हुयी ना ,
अब उसको चोद के तो ये पक्का बहनचोद बन जाएगा। '



जोर जोर से उनके खुलेमूंह में अपने भोंसडे से धक्का मारती वो बोली ,

" सही तो है जिसने इनकी माँ चोद दी कुंवारेपन में उसकी बेटी चोदना तो बनता है न ,हचक हचक के फाड़ना ,

जो बहन भाई से सील तुड़वाती है न वो एकदम पक्की छिनार बनती है ,पूरे शहर का दिल खुश कर देगी ,बस एक बार तू उसकी सीलतोड़ दे "..



और मम्मी और मंजू बाई ने पकड़ के उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया , हाथ पैर सब फैला के बाँध दिए


और कुछ देर में बंधे छने पड़े थे बिस्तर पर।

मम्मी ने जो हैंडकफ्स अपने प्यारे दामाद के लिए लायी थी वो इस्तेमाल किये अपने दामाद को बाँधने के लिए



तो मंजू बाई ने झट अपनी साडी ब्लाउज खोल के ( इससे ज्यादा कुछ वो पहनती नहीं, थी )


उनके हाथ को पलंग से अच्छी तरह फैला के बाँध दिया और फिर दोनों पैर भी , x की तरह फैला के ,

और जहां और कपडे लगे तो मम्मी के कपडे भी ब्रा पैंटी सहित ,

साथ में उनकी ड्रेस भी उतर गयी।

लेकिन सब मस्त चीज जो दिख रही थी ,

न किसी ने छूआ ,न दबाया , न पकड़ा ,न रगड़ा ,

लेकिन एकदम टनाटन , क़ुतुब मीनार मात ,एकदम खड़ा।

उनका मोटा तगड़ा लन्ड।




" क्यों माँ के मीठे रसीले भोंसडे की याद आ रही है जो इत्ता मस्त खड़ा है , "


उनके गोरे गोरे लौंडिया माफिक नमकीन गाल जोर से पिंच करते हुए मैंने चिढ़ाया।




मम्मी से नहीं रहा गया ,उन्होंने अपने दोनों हाथों से मथानी की तरह अपने दामाद के खूंटे को पकड़ा और जोर से रगडती मसलती बोलीं ,

" तो गलत क्या है ,अरे मेरे मुन्ने को माँ के रसीले भोंसडे की याद आयी तो , बचपन से ही तो चूसता चाटता आ रहा है , पहली बार मुट्ठ माँ के भोसड़े को सोच के मारा, अरे जल्द ही दिलवाऊंगी तुझे उसके भोंसडे का मजा ,यहीं इसी पलंग पे ,बस १५ दिन और ,हचक हचक के चोदना। "
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RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी - by desiaks - 05-06-2021, 03:29 PM

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