XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
05-05-2021, 03:58 PM,
RE: XXX Kahani जोरू का गुलाम या जे के जी
जोरू का गुलाम भाग ४७

मंजू और गीता







डबल धमाका




वो तड़प रहे थे सिसक रहे थे।


गीता ने अचानक अपने होंठों के बीच उनके पेल्हड़ की एक गोली ( बॉल्स ) दबा ली और लगी चुभलाने ,



और उसके बाद दोनों बॉल्स ,




ये नहीं की उनका लन्ड आजाद हो गया था , गीता की शरारते कम नहीं थी ,


एक हाथ से कभी वो अपनी लम्बी चोटी उसपे रगड़ती ,सहलाती तो कभी कस के बाँध के रगड़ती ,


लन्ड की रगड़ाई और बॉल्स की चुसाई दोनों साथ साथ चल रहे थे।


साथ में बीच बीच में गीता के कमेंट्स कभी मंजू बाई से ,कभी उनसे

" क्यों माँ मजा आ रहा है न मेरे भैया से ,अपने खसम से भोंसड़ा चुसवा के, अरे माँ मैंने बोला था न ये तेरा यार बचपन का मादरचोद है ,

माँ के भोसड़े का रसिया।



बोल न बहन का चूसने में ज्यादा मजा आ रहा था ,या माँ का चूसने में। "

लेकिन मंजू बाई भी चुप रहने वाली नहीं थी , मुंह तो उसका भी खुला था ,जवाब में बोली ,

" अरे भाई की रखैल तेरी क्यों सुलगती है , मेरी बेटी का भाई मेरा भी तो कुछ लगेगा , मेरा भी तो हक़ बनता है न उससे मजा लेने का।



तू भी तो उसका लन्ड चाट रही है ,टट्टे चाट रही तो मेरी भी मर्जी मैं चाहे उससे बुर चटवाऊं ,चाहे गांड ,चाहे गांड के अंदर का , .. "


और उसी के साथ मंजू बाई के धक्के बढ़ गए , और वो भी,


एक नए तरह का नशा , भोंसड़ा उनके मुंह से एकदम चिपका रगड़ खाता,

एक अजब महक ,एक तेज भभका उनकी नाक में भर रहा था ,भोंसडे की महक ही उन्हें पागल कर रही थी।




उनके कान में उनके सास की बात गूँज रही थी ,


" बस एक बार चाट ले अपनी माँ का भोंसड़ा , मेरी गारंटी। वो मजा आएगा , वो स्वाद मिलेगा न तू खुद ही उसके पेटीकोट खोलने के लिए पीछे पीछे घूमेगा। "

एकदम सच थी उनकी बात ,

" बस एक बार जबरदस्ती चुसवाऊँगी , फिर तो तुम खुदे , .... तुझे जैसे अब आम का स्वाद लग गया है न बस एक बार जबरदस्ती करने से बस उसी तरह मां के भोंसडे का भी स्वाद लग गया न तो ,






सच में भोंसडे का स्वाद भी दसहरी आम की तरह खूब टैंगी टैंगी ,खट्टा मीठा ,एकदम पागल बना देने वाला स्वाद ,

और ऊपर से मंजू बाई ने झुक के अपनी बुर की दोनों फांके फैला दी , बस इतना इशारा काफी था , उन्होंने पूरी जीभ अंदर ठेल दी।

उफ्फ्फ ओह्ह ,एकदम पागल बना देने वाला स्वाद , थोड़ा कसैला थोड़ा मीठा ,एक अलग ही मजा , और ऊपर से मंजू बाई ने कस के बूर भींच दी उसकी जीभ के उपर

भोंसडे की अंदरूनी दीवाल पर रगडती घिसती उनकी जीभ , वैसा मजा पहले कभी नहीं मिला

ऊपर से उकसाती हुयी गीता ,

" चूस ले भइय्या ,माँ का भोसड़ा ऐसा स्वाद कहीं नहीं मिलेगा। "


और उनके कान में गूंजती उनकी सास की बात ,



" अरे एक बार पटक के चोद दे न मेरी समधन को ,जिस भोंसडे से निकला है न चोद दे उसी भोंसडे को, देख खुद तेरे मोटे लन्ड का मजा लेने खुद वो ,... "

और सोच सोच के ,...

जैसे कोई बौराया मर्द गौने की रात अपनी नयी नयी दुल्हन की कुँवारी चूत चोदे

उसी तरह वो माँ के भोंसडे में अपनी जीभ हचक हचक के ,साथ में होंठ जोर जोर से भोंसडे का रस चूस रहे थे।







नीचे गीता के होंठ भी अब उनके गोलकुंडा के दरवाजे पे चक्कर काट रहे ,

कभी वो जीभ से गांड के किनारो को छेड़ देती , तो कभी हलके से सहला देती ,

और फिर अचानक जैसे कोई मस्त लौंडेबाज

किसी स्कूली लौंडे की नयी गांड को ,

निहुरा के जोर जोर से फैला के ,


बस उसी तरह से गीता ने अपने दोनों हाथों से पूरी ताकत से उनके गांड को चियार दिया , पूरा।



उसके पहले वो दो चार ढक्कन तेल गांड के अंदर पिला कर चिक्कन कर ही चुकी थी एक ऊँगली पूरी ताकत से पेल कर थोड़ा खोल भी चुकी थी ,

उस खुली गांड में गीता ने अपनी जीभ उतार दी।




पहले तो ऊपर के किनारों पर चाटती रही ,फिर सीधे गांड के छल्ले के पार


क्या कोई मर्द गांड मारेगा ,जिस तरह गीता की जीभ ,

गोल गोल अंदर बाहर , ऊपर नीचे





वो चूतड़ पटक रहे थे , मचक रहे थे लेकिन गीता छोड़ने वाली नही थी और साथ में अब गीता के कोमल कोमल हाथों ने हलके हलके उनके बौराये लन्ड को मुठियाना भी शुरू कर दिया।


मंजू बाई के धक्के तेज हो गए थे ,और उसी के सुर ताल पर उनकी जीभ का चाटना , होंठों का चूसना।

एक बार फिर बादल घिर गए थे , आंगन में बस हलकी हलकी चांदनी छिटक रही थी ,हवा तेज हो गयी थी।

और मंजू बाई ने जोर से उनके बाल पकड़ के ,

" चोद साले चोद , चोद अपनी माँ का भोंसड़ा ,एक बार चाट के झाड़ दे तो देख तुझे माँ का भोसड़ा चुदवाऊँगी

बहुत जल्द तुझे पक्का असली मादरचोद बना के रहूंगी ,, ओह्ह आह हाँ ऐसे ही चूस मुन्ना ,बेटा मेरा चूस कस के झाड़ दे झाड़ माँ का भोसड़ा , बहुत प्यासी है , ओह्ह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह "




मंजू बाई तेजी से झड रही थी जैसे सावन भादो की बारिश , उसके रस से उनका मुंह चेहरा सब कुछ

और जब वो झड़ते झड़ते थेथर हो गयी तो उन्होंने मारे शरारत के अपने दांतो से हलके से मंजू का क्लीट


और वो एक बार फिर से दुबारा , बार बार मंजू बाई का भोसड़ा तेजी से पानी फेंक रहा था , उनका पूरा चेहरा भीगा हुआ था।

नीचे गीता ने भी उनकी गांड तेजी से अपनी जीभ से , सटासट सटासट ,




गीता की उँगलियाँ उनके सुपाड़े को रगड़ रही थी ,नाख़ून से उनके पी होल को छेड़ रही थी।


उन्हें लग रहा था अब गए तब गए ,

लेकिन तब तक झड़ कर थकी मंजू बाई उनकी देह से लुढ़क कर बगल में ढेर हो गयी।

वो झड़ने वाले थे ज्वालामुखी उफन रहा था ,

लेकिन गीता भी उन्हें छेड़ के अपनी माँ के बगल में लेट गयी।

कुछ देर तक वो तीनो चुपचाप लेटे रहे ,




लेकिन बात गीता ने ही शुरू की अपनी माँ को छेड़ते

" क्यों माँ बहुत मजा आया ,मेरे भैया से चुसवाने में न"
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