RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
“मेरी पत्नी के चाहने वाले ने मुझे मारकर कुएं में फेंक दिया था। किसी को पता ही न चला कि मैं मर चुका हूं। सब यही सोचते रहे कि मैं कहीं चला गया। परंतु मेरी पत्नी जानती थी। उसकी मर्जी से ही तो उसके आशिक ने मुझे मारा था। मेरी लाश कुएं में पड़ी रही। लोग उसी कुएं का पानी पीते रहे। मरने के बाद मेरी आत्मा वहीं भटकती रही। मैं चिल्लाकर लोगों को बताता कि मेरी लाश कुएं में पड़ी है, उसे बाहर निकालो, परंतु मेरी आवाज को कोई भी सुन नहीं सकता था। मैं बहुत परेशान हो गया। मैं चाहता था कि मेरे शरीर का अंतिम संस्कार हो जाए तो मेरी आत्मा को शांति मिल जाए। परंतु मेरी आत्मा भटकती रही। कुएं के पास ही एक पेड़ पर मैं रहने लगा और धीरे-धीरे भूत बन गया। लेकिन मैंने किसी को तंग नहीं किया। बस, आते-जाते लोगों को देखा करता था, अब तो मैंने अपने उस शरीर की चिंता भी छोड़ दी थी, जो कुएं में पड़ा कब का गल चुका था। फिर एक दिन जथूरा के भेजे दो जिन्न उधर से निकल रहे थे। उन्होंने मुझे देखा तो मेरा हाल जान लिया। वे मुझे अपने साथ, पूर्वजन्म की दुनिया में ले गए और मेरे को जिन्न बनने की अच्छी शिक्षा दिलाई। तीस सालों में मैंने शिक्षा पूरी की और मैं जिन्न बन गया। तुमने याद दिला दिया, वरना मैं तो कब का भूल गया था कि मैं भी कभी इंसान हुआ करता था।”
लक्ष्मण और सपन ने एक दूसरे को देखा।
“मुझे भूख लगी है।” मोमो जिन्न कह उठा।
जलेबी-रबड़ी खाओगे?”
हां। बहुत जमाना बीत गया। खाई नहीं कभी। अब तो स्वाद भी भूल गया हूं।”
“सुबह का वक्त है, फिर भी कोशिश करता हूं कि कहीं से मिल जाए। नौकर को भेजता हूं।”
“सुनो।” मोमो जिन्न दोनों को देखता कह उठा–“ये बात किसी से कहना नहीं कि मुझमें इच्छाएं जाग गई हैं।”
ये बात हम तक ही रहेगी।”
“जथूरा को पता लग गया तो वो मुझे मार देगा।”
“हम किसी से नहीं कहेंगे।” सपन चड्ढा कमरे से बाहर निकल गया।
मेरा मन कपड़े पहनने को कर रहा है। जैसे तुम लोगों ने कपड़े पहन रखे हैं।” मोमो जिन्न बोला।
“तुम तो जिन्न हो। जिस चीज को भी चाहो हासिल कर सकते हो ।” लक्ष्मण दास बोला। ।
“हां वो तो है। मन से इच्छा करूं तो वो चीज फौरन मेरे पास आ जाएगी। परंतु अभी मेरी तारें जथूरा से जुड़ी हुई हैं। मेरी हरकतें जथूरा के जासूस पकड़ सकते हैं।”
“जथूरा के जासूस?" ।
“हां। यूं तो वो इस दुनिया में कम ही आते हैं। परंतु क्या भरोसा, कब क्या हो जाए।” ।
। “ठीक है। कुछ देर ठहरो, अभी सपन आकर कपड़े देता है तुम्हें ।”
इच्छाएं जागने से कितना अच्छा लग रहा है। लगता है जैसे मेरे में जान आ गई हो। बिना इच्छाओं के तो इंसान मरों की तरह होता है।” मोमो जिन्न मुस्करा पड़ा-“क्यों लक्ष्मण दास मैंने ठीक कहा न?" ।
“तुम गलत बात कह ही नहीं सकते।” लक्ष्मण दास ने जान छुड़ाने वाले ढंग में कहा।।
तभी सपन चड्ढा भीतर प्रवेश करता कह उठा।
“मैंने नौकर को भेज दिया है, रबड़ी और जलेबी लाने के लिए—वो...।”
“यार इसे कपड़े दे।” लक्ष्मण चड्ढा ने कहा-“कहीं ये मेरे न उतार ले ।”
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