RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
जब नेहा ने नोटिस किया कि ज्ञान की नजरें उसके जिश्म को घूर रही हैं और बहुत खामोशी था तो उस खामोशी को तोड़ने के लिए नेहा ने बात की। उसने पूछा- “तो आप आज इतने सवेरे कैसे आ गये?"
ज्ञान को तो कुछ और बात करने का मूड नहीं था, बस नेहा को अपनी बाहों में जकड़ने का मन था उस वक्त, फिर भी उसने जवाब दिया- “वो कल रात मैं ठीक से सो नहीं पाया, कुछ बहुत बुरे सपने आए थे मुझे, तो जल्दी उठ गया सुबह को..” उसने चाय खतम किया और नेहा को कप वापस किया।
नेहा कप लेकर किचेन की तरफ जाने लगी तो नेहा ने उसके पीछे कदमों की आहट सुनी कारिडोर में। वो मुड़कर पीछे नहीं देखी मगर अपने कदमों की रफ़्तार को तेज करते हुए किचेन में गई और जब सिंक में कप रखा तो उसके पीछे से दो मजबूत काली बाहों ने उसको जकड़ लिया।
नेहा काँप उठी, उसकी दिल की धड़कनें तेज हुई और गुस्से में उसने कहा- “यह क्या कर रहे हो आप? छोड़िये मुझे वरना मैं चिल्लाऊँगी अभी...”
ज्ञान का लण्ड नेहा की गाण्ड पर रगड़ रहा था और उसका मुँह नेहा के गले और गाल पर फिर रहा था उस पल। नेहा की नाइटी की स्ट्रैप्स खुद-बा-खुद कंधे से सरक गई और ज्ञान की जीभ उसके नंगे बाजू और काँख पर चलने लगी। नेहा स्ट्रगल करने लगी उसकी काली बाहों से निकलने की। ज्ञान काले रंग का था, बिल्कुल काला। नेहा बहुत गोरी थी तो दोनों के जिश्म के कांट्रास्ट हो रहे थ। नेहा की गोरी बाहें उसकी काली बाहों पर झपटा झपटी करते हुए बहुत अजीब लग रही थीं।
नेहा को बहुत ही गुस्सा आ रहा था और उसने सख्ती से दोबारा कहा- “आप मुझे छोड़ते हो या मैं सच में चिल्लाऊँ..”
तब ज्ञान ने अपने लण्ड को और जोर से नेहा की गाण्ड पर दबाते हुए कहा- “कौन तुम्हारी पुकार को सुनेगा यहाँ मेरी जान? तुझ जैसी गरम औरत को मेरे जैसे लण्ड को अपने अंदर घुसाने की सख्त जरूरत है, जिस दिन तुमको पहली बार यहाँ देखा, मुझे उसी दिन से तुमको चोदने का बड़ा ही मन किया, तभी से इंतेजार में था कि कब और कैसे तू हाथ आएगी कि अपना लण्ड तेरे अंदर घुसा सकूँ, हाए रे मेरी किश्मत तुमने खुद मुझे अपने घर के अंदर ले लिया आज, वाह रे वाह... अब चोदने दे, तुझे भी बड़ा मजा आएगा, देखना तू भी बहुत एंजाय करेगी। एक बार इसे अपने अंदर लेकर तो देख रानी..."
और तब तक ज्ञान नेहा की दोनों चूचियों को सख्ती से मसलने लगा अपने लण्ड को उसकी गाण्ड पर जोरों से रगड़ते हुए। लण्ड तब तक उसकी जीन्स के अंदर ही था, ऊपर-ऊपर से ही लण्ड को दबा रहा था उसकी गाण्ड पर। मगर नेहा सब महसस कर रही थी स्ट्रगल करते हए। ज्ञान को रोकने के लिए नेहा नीचे बैठने की भी कोशिश किए जा रही थी मगर ज्ञान बहुत और स्ट्रॉग था और वो हर बार उसको ऊपर उठा लेता था, अपने लण्ड को उसकी गाण्ड पर रखने के लिए। सब कुछ बहुत तेजी के साथ हो रहा था बहुत फास्ट आक्सन्स हो रहे थे।
जब नेहा ने देखा कि उसके बस की बात नहीं है ज्ञान के साथ स्ट्रगल करना तो अब गिड़गिड़ाने लगी- “मुझे छोड़ दो प्लीज... मैं ऐसी वैसी औरत नहीं हूँ, मैं शादीशुदा हूँ, मेरा पति एक बहुत अच्छा आदमी है, देखो मैंने तुमको चाय पिलाई, मैंने तुम्हारा खयाल रखा, तुम्हारी मदद किया। तुमको यह सब करना शोभा नहीं देता, ऐसा मत करो प्लीज...”
ज्ञान ने नेहा की एक ना सुनी और अपने आप में मगन आगे बढ़ता गया नेहा को चूमते चाटते हुए। उसके काले बड़े-बड़े हाथ नेहा की नाइटी ऊपर उटाने की कोशिश में भी लगे हुए थे। उसके काले हाथ नेहा के गोरी जिश्म पर बहुत जंच रहे थे। उसके वह काले काले हाथ नेहा की गोरी, सफेद जांघों पर फिर रहे थे, और वोही हाथ नेहा की पैंटी तक पहँचे और पैंटी को बाहर निकालने की कोशिश में लग गये। मगर नेहा ने बहत जोर लगाया उसको पैंटी नहीं निकालने देने के लिए।
तब तक जो नाइटी के स्ट्रैप कंधे से सरक गई थी झपटा झपटी में, वहाँ पर ज्ञान ने फिर से काँख को चूसना शुरू किया और एक लाल निशान कर दिया चूसते हुए। दोनों खड़े पोजीशन में ही थे इतनी देर तक और नेहा बहुत कोशिश कर रही थी उसके चंगुल से निकलने की मगर असफल थी।
ज्ञान ने थोड़ा गुस्से में कहा- “इतना ड्रामा क्यों कर रही हो? शादीशुदा हो तो चुदाई क्या होती है यह तो पता ही है, कोई कुंवारी तो नहीं हो जो इतने नखरे दिखा रही हो। अपने पति के साथ तो बहुत एंजाय करती होगी ना तुम। और क्या सती सावित्री बनने चली हो तुम? हाँ... इस तरह एक नाइटी में एक गैर मर्द को अपने घर के अंदर आने देती हो, तुम्हारी चूचियां साफ दिख रही हैं गोल-गोल, तुम्हारे निपल्स को देखो कैसे मुझको चूसने के लिए बुला रहे हैं। अगर इतनी ही सती सावित्री होती तो कपड़े बदलने के बाद मुझको घर के अंदर आने देती ना...
अब मैं घर में आ भी गया तो तुम अपने कमरे के अंदर जाकर अपने कपड़े बदल सकती थी मगर नहीं नाइटी में ही मेरे सामने खड़ी रही जब मैं चाय पी रहा था। मतलब तुम मुझको अपना जिश्म दिखा रही थी। तू चुदवाना चाहती तो है मगर नखरे कर रही है, क्यों, यही बात है ना मेरी जान? बोल। ऊपर से उस सुभाष को तो भाव देती है तू, उसको चुम्मी लेने दिया, उसने तेरी गाण्ड पर हाथ फेरा और तू हँसी थी... मतलब तेरे को यह सब अच्छा लगता है ना? हम्म्म... या मैं बहुत काला और मोटा हूँ इसलिए तुझे सुभाष पसंद है और मैं नहीं क्यों री? मुझसे एक बार चुदवा के देख तो तू मुझे फिर बुलाएगी चुदवाने के लिए। मुझको एक बार चख तो ले रानी। चल तेरे बेडरूम में चलते हैं। तेरे बिस्तर पर बहुत मजा आएगा.." और ज्ञान ने नेहा को आसानी से एक बच्चे की तरह उठाया और उसके कमरे के तरफ जाने लगा।
नेहा स्ट्रगल करते-करते तक गई थी और उसको पता चल गया कि वो उसको छोड़ने वाला तो नहीं है, तो नेहा ने खुद को सरेंडर कर दिया उसके सामने। जब ज्ञान उसको कारिडोर में चलकर ले जा रहा था तभी नेहा खामोश हो गई जैसे एक तूफान शांत होता है, अचानक वैसे बिल्कुल शांत हो गई ज्ञान की कि बाहों में। कारिडोर में ज्ञान को पता नहीं था कौन सा रूम बेडरूम है तो नेहा उसकी गोद में से ही खुद अपने बेडरूम के दरवाजे को खोला। ज्ञान को बहुत अच्छा लगा कि नेहा ने खुद अपने बेडरूम को खोला और वो समझ गया कि अब वो राजी हो गई है, इसीलिए खुद ही दरवाजे को खोल दिया नेहा ने।
रूम में दाखिल होते ही ज्ञान ने नेहा को बेड पर रखा और वो बैठ गई तो ज्ञान जल्दी-जल्दी अपने कपड़े उतारने लगा नेहा के सामने। नेहा बेड पर बैठी ज्ञान को नंगा होते देख रही थी और अपनी नाइटी की स्ट्रैप जो उसके कंधे पर सरक गई थी उसको नेहा ने ऊपर कंधे पर किया। फिर ज्ञान के मोटे पेट को देखकर नेहा ने चुलबुलाते हुए एक हँसी छोड़ी अपने हाथ को मुँह पर करते हुए।
ज्ञान नहीं समझा कि अचानक क्यों नेहा हँसने लगी थी? उसने नेहा के चेहरे में देखा, तो नेहा दूसरी तरफ देखने लगी अपने हँसी को संभालते हुए। तब तक ज्ञान ने अपने सभी कपड़े उतार दिए और अंडरवेर में नेहा के सामने खड़ा था। नेहा बेड पर देख रही थी एक हाथ अपने मुंह पर दबाए हुए हँसी को रोकने के लिए।
ज्ञान ने पूछा- “क्या हो गया अचानक, ऐसे हँसी क्यों आ गई तुझे?"
नेहा ने जोर से हँसते हुए एक उंगली से उसके पेट के तरफ इशारा करते हुए कहा- “मैंने जिंदगी में ऐसा मोटा पेट कभी नहीं देखा, वो भी इतना काला। हीहीहीही.."
ज्ञान भी हँसने लगा अपने पेट को देखते हुए। फिर ज्ञान ने अपना अंडरवेर निकालते हुए कहा- “ठहरो और अब यह बताओ कि क्या तुमने ऐसा कुछ देखा है कभी?" और उसने अपने मोटे, काले, लंबे लण्ड को अपने हाथ में लिए नेहा कि तरफ करते हए कहा- “अब बोलो..."
नेहा ने अपने मुँह पर दोनों हाथ रखा और एक लंबी साँस लेकर कहा- “ओहह... माई गोड, इतना मोटा उफफ्फ़.."
ज्ञान नेहा को अच्छे मूड में देखकर खुश होते हुए अपने लण्ड को नेहा के मुँह तक ले गया क्योंकी वो बैठी हुई थी और ज्ञान खड़ा था।
उसका लण्ड देखकर नेहा जैसे सब गुस्सा और नाराजगी भूल गई। उत्तेजना ने उसके मन में घर कर लिया, और
क्योंकी पिछले 24 घंटों में किसी से कुछ नहीं किया था तो उसकी जिश्म की गर्मी बढ़ने लगी और उस मोटे लण्ड की चाह अचानक आ गई। नेहा के जिश्म और मन में सब सेक्सुअल फीलिंग्स जाग उठीं और उसको वो जरूरत महसूस होने लगी। खुद ही वो सोचने लगी कि अकेली घर में है वो और एक अजनबी अचानक उसके जिश्म को पाना चाहता है, तो इससे बेहतर तेजक मोमेंट हो ही नहीं सकता, उसके जिश्म की प्यास को बुझाने के लिए और खुद मज़े लेने के लिए।
ऐसा सोचते ही नेहा तड़प उठी सेक्स के लिए और नेहा ने तब ज्ञान की आँखों में देखा और अपनी नाक सिकोड़ते हए ज्ञान को अपनी जीभ निकालकर चिढ़ाया किया और अपनी गोरी हथेली में उसके मोटे काले लण्ड को लेकर नेहा बोली- “बड़े बदमाश हो आप, अगर मैं नहीं करने देती तो आप मेरा रेप करने वाले थे, है ना?"
ज्ञान खुशी से मुश्कुराया एक सिसकारी के साथ, और कहा “ले लो मेरी जान, ले लो अपने मुँह में इसे, तुम्हारे गरम मुंह में जाने के लिए बेताब है मेरा लण्ड...”
नेहा ने उसके लण्ड को सहलाया उसकी पूरे लंबाई पर उसके बाल्स तक। उसकी पतली उंगलियां फिर रही थीं उस मोटे काले लण्ड पर और फिर से उसकी गोरी हथेली और उंगलियां उस काले लण्ड पर बहुत खूबसूरत कंट्रास्ट कर रही थीं गोरा और काला। नेहा ने सर को झुका कर पहले हल्के से अपनी जीभ से उसके लण्ड के ऊपरी हिस्से को भिगोया, फिर धीरे से लण्ड को अपने मुँह में लिया।
ज्ञान तड़प उठा और अपने पाँव की उंगलियों पर खड़ा हो गया तुरंत और गुर्राया- “आगज्गघह... इस्स्स्स जानम ऐसे ही और अंदर लो अपने मुँह में... बड़ा मजा आ रहा है वाह आअगघह..."
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