RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
दोनों बेडरूम में आ गये और खुद नेहा ने अपनी पैंटी उतारी, अपनी ब्लाउज़ निकाला। फिर पिता करीब आया उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाया और ब्रा को निकाल फेंका। फिर भूखे भूड़िये की तरह अपनी बेटी की चूचियों को चाटने, चूसने, नोंचने लगा। नेहा की चूचियों को चूसते हुए ही पिता ने अपनी शर्ट और पैंट उतारी और तब नेहा की स्कर्ट को निकाला चूचियों को चूसते हुए ही। फिर नेहा ने अपने जिश्म को अपने पिता के हवाले करते हुए बिस्तर पर आराम से नंगी लेट गई।
पिता तब फर्श पर घुटनों के बल आ गया और उसकी पैंटी हाथ में उठाकर उसको सूंघा, चाटा, और नेहा अपने पापा के चेहरे में देखते हुए अपनी दोनों टाँगों को ऊपर उठाते हुए फैला दिया, पिता को अपनी खुली भीगी चूत दिखाते हुए। पिता एक शेर की तरह गुर्राया और अपने जबड़े को दबाकर दाँत पीसते हुए नेहा की चूत पर अपनी हथेली दबाया फिर इस कदर उसकी चूत पर टूटा और चाटने चूसने लगा जैसे एक रस भरे हुए पके आम को चूस रहा था।
उसकी चूत के तमाम रस को चूस लिया पिता ने और नेहा सिसकते हए आहें भरने लगी बिस्तर पर जिश्म को ऐंठते हुए। नेहा कभी दाएं घूम रही थी तो कभी बाएं और बहुत मजा आ रहा था उसे और तड़पती आवाज में सिसकारियां ले रही थी मजे के साथ। क्योंकी अपने पापा के साथ करना भी बहत पसंद था उसे। इससे नेहा की बचपन की यादें जुड़ी हुई थीं, इसलिए उसको बहुत मजा आता था पिता के साथ। जब पिता उसके साथ करता था तो नेहा खुद को फिर से छोटी बच्ची महसूस करती थी।
वो ऐसा महसूस करती थी कि वो वोही शादी से पहले वाली नेहा है और उसका पिता उसको चोदना चाह रहा है
और वो अपने आपको उसके हवाले कर रही है खुशी से। ऐसे खयालात आते थे नेहा के दिमाग में अपने पिता के साथ करते वक्त। और ऐसे खयालों को दिमाग में लाते हुए नेहा की गर्मी तेजी से बढ़ती थी और उसका गीलापन भी बढ़ता था और चोदने की चाह भी बहुत बढ़ती थी। उसे जबरदस्त उत्तेजना होती थी। नेहा से बर्दाश्त नहीं हो रही थी ये सब सोचते हुए जब बाप उसकी चूत को चूसे जा रहा था और नेहा अपनी उंगलियों से बाप के सर पर बचे-खुचे बालों को नोचे जा रही थी।
नेहा को खूब चूसने के बाद, बाप ने अपने तने हुए लण्ड को हाथ में थामकर उसे नेहा के मुँह के पास किया। उसको अपने लण्ड चूसवाना बेहद पसंद था क्योंकी उसने जिंदगी में, अपनी जवानी में तो कभी किया नहीं था यह सब। शुरू नेहा से हई और आरती ने भी किया और आज नेहा से दोबारा सब करने का मौका मिल रहा था नेहा के पिता को।
नेहा ने बड़े प्यार और आराम से अपने मुलायम हाथों में अपने बाप का लण्ड थामा, आगे की चमड़ी को हटाया, और हल्के से अपनी जीभ फेरा ऊपरी हिस्से पर, जिससे पिता का जिश्म थोड़ा सा काँप उठा, फिर नेहा ने उसके लण्ड के छेद पर अपनी जीभ फेरा, अपने पिता के चेहरे मेंटे
बाप का जिश्म थरथराया, और उसने तड़पती आवाज में कहा- “हाँ मेरी जान, मेरी बेबी, मेरी रानी, पापा को खुश करो बेटा, चूसो पापा के लण्ड को, अपने मुँह के अंदर ले लो इसे, गहराई में अंदर लो, अपने गले तक अंदर घुसने दो, पापा को खुश करो मेरी लाडली खुश करो पापा को मेरी जान इस्स्स्स... आघघ्गग.."
नेहा जो अब बहुत अनुभवी या एक्सपर्ट हो गई थी चूसने में, अपने पापा को एक बहुत ही बेहतरीन ब्लो जाब दिया। उसका पापा तड़पता गया, कांपता गया, थरथरता गया खुशी के साथ मजा के साथ एंजाय करते हुए। झड़ने वाला था तो कहा- “बेबी, मैं झड़ने वाला हूँ, रुको रुको मेरी जान... मैं तुमको चोदना चाहता हूँ अगर यहीं झड़ गया तो नहीं चोद पाऊँगा मेरी जान को..."
नेहा एक शैतानी नजर से अपने पिता को देखते हए रुकी और उसकी आँखें नशीले हो गई थीं जैसे कोई नशीली दवा लिया था नेहा ने। यह एक्स्टेसी थी जिसमें वो डूब रही थी उस वक्त। पिता ने अपने लण्ड को हाथ में जोर से पकड़कर दबाया ताकी वो ना झड़े, और कुछ पल इंतेजार किया। फिर नेहा के ऊपर चढ़ा और बिल्कुल टाइम नहीं लगा, जैसे ही उसका लण्ड नेहा की गीली चूत के अंदर दाखिल हुआ, नेहा ने एक जोर से “आआहह... करते हुए आवाज दी, और बाप ने सिर्फ 5-6 बार धक्का दिया कि झट से लण्ड को बाहर निकालना पड़ा क्योंकी वो
झड़ने लगा था।
नेहा जल्दी से उठी और बिना पिता के कहे नेहा ने अपने हाथ में अपने पापा के लण्ड को लिया और अपने मुँह के अंदर डाल दिया। थोड़ा बहुत वीर्य नेहा की चूचियों पर गीरा और बाकी नेहा के मुँह के अंदर झड़ा। नेहा ने अपने पिता के वीर्य के आखिरी कतरे तक चूसा, जिससे उसके पापा का जिश्म थरथरता गया और अजीब सा चैन और सुकून हासिल हुआ उसके पूरे बदन में अपनी बेटी की उस अजीब-ओ-गरीब चुसाई से।
... मेरी प्यारी बेटी... पापा को कितना खुश करती है... आघघ्यह..
वो गुर्राता गया- "आगज्गघह... उफफ्फ़.... इस्स्स्स मेरी लाडलीईई इस्स्स्स ..."
फिर कुछ पल बाद बाप ने गहरी साँस लेते हुए अपनी प्यारी लाडली को बाहों में भरे हुए किस करते हुये कहा “बहुत कमाल की हो तुम मेरी लाडली बेटी, कितना खुश किया अपने बूढ़े पापा को तुमने, मेरी रानी। बहुत खुश हुआ मैं मेरी बेटी, मगर माफ करना तुमको खुश नहीं कर पाया, मैं तो बहुत जल्द झड़ गया री..."
नेहा के पिता देर शाम तक वहीं रहे जब उस घर के तीनों मर्द काम से घर वापस आए। नेहा का पिता और उसके ससुर एक ड्रिंक लेकर बैठे, जब नेहा खाना बनाने गई।
प्रवींद्र नेहा के पीछे-पीछे गया किचेन में और उसके पिता के बारे में सवाल किया और पूछा- क्या उसके पिता ने उसके साथ कुछ किया या नहीं?
नेहा ने उसको साफ-साफ बता दिया कि ऐसा तो हो ही नहीं सकता कि वो कुछ नहीं करता। जब मौका हसीन था
और वो बिल्कुल अकेली थी घर पर तो।
प्रवींद्र को जलन हई और कहा- “कमाल है भाभी, ठीक जब हम चले गये तब वो आया, जैसे हमारे जाने का इंतेजार कर रहा था, वैसे मैं हर रोज घर पर रहता था तब वो कभी भी नहीं आए थे। ऐसा लगता है कि तुमने उसको किसी तरह से कम्यूनिकेट करके उसको बताया कि तुम अकेली हो और वो आ सकता है..."
नेहा ने मुश्कुराते हुए कहा- “शुकर है कि हमारे यहाँ एक फोन भी नहीं है, वरना मेरे यहाँ से और कितने लोग फोन करते यह तुम्हें पता ही है.."
प्रवींद्र को बेचैनी हो रही थी और वो लाउंज में नेहा के पिता को घूरने गया जहाँ वो उसके पिता के साथ बैठा पी रहा था। मगर वो कर भी क्या सकता था। हालांकी उसको पसंद नहीं था कि उसका नेहा के साथ वैसा रिश्ता हो।
प्रवींद्र समझता था कि नेहा अपने पापा को चाहती है और उसके साथ सेक्स अपनी खुशी से ही किया होगा उसने। खुद को बेबस और लाचार महसूस कर रहा था उस वक्त प्रवींद्र। वो सोचने लगा अपने दिमाग में दृश्य बनाते हए कि कहाँ दोनों ने इश्क फरमाया होगा? और किस तरह से नेहा ने एंजाय किया होगा अपने पापा के साथ?
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