RE: Indian XXX नेहा बह के कारनामे
नेहा बाहर गई और अपने भाइयों को कार में जायन किया। दोनों भाई जानना चाहते थे कि उस आदमी ने क्या कहा? मगर नेहा ने टापिक चेंज करते हुए कुछ और बातें की दोनों से।
अनिल ड्राइव कर रहा था और सुनील और नेहा पीछे वाली सीट पर बैठे। उसने नेहा को बाहों में भरके उसको किस किया, उसकी चूचियां को चूसा और बहुत कुछ किया, रियर मिरर में सब देखते हुए अनिल भी एंजाय करते हए ड्राइव कर रहा था। उसने कार रोका और नेहा के लिए थोड़ी चूड़ियां अंगूठियां, कान की बाली और समान खरीदने के लिए। फिर आखिर में नेहा अपने घर पहुंच गई। दोनों भाई वापस चले गये नेहा को छोड़कर।
प्रवींद्र बेकरारी से इंतेजार कर रहा था, क्योंकी उसको लग रहा था कि वो अपने दोनों भाईयों के साथ चुदाई के लिए ही गई हुई है। मगर वो खुद को हौसला देते हुए कहता जा रहा था कि ये सब उसके गंदे दिमाग का सोचना है बस और कुछ नहीं। फिर अचानक प्रवींद्र को याद आया जब नेहा ने अपने पापा का नाम लिया था अपने ससुर की बात करते वक्त। फिर उसने सोचा कि नेहा से इस बारे में उसको अब बात करना चाहिए। प्रवींद्र ने तय किया कि आज ही बात करते वक्त इस सब्जेक्ट पर वो नेहा से बात करेगा।
जैसे ही भाइयों के गाड़ी दूर निकल गई, प्रवींद्र नेहा के पीछे घर के अंदर गया। नेहा के बेडरूम में पहुँचा वो और पीछे से नेहा को बाहों में भरकर उसको चूमने चाटने लगा। उसके गले और कान पर किस करते हुए भुनभुनाते हुए कहता जा रहा था- “ओह्ह... भाभी, आई मिस्ड यू सो मच हम्म्म... आप इस साड़ी में बहुत ही गरम और सेक्सी लग रही हो, कयामत ढा रही हो मुझपर, कितनों को घायल किया होगा शहर में है ना... आई मिस्ड यू भाभी मिस्ड यू आ लाट...”
नेहा ने मुश्कुराते हुए कहा- “चल झूठे...”
प्रवींद्र फिर भी नेहा को वैसे ही स्मूच करते जा रहा था। झपटा-झपटी हो रही थी, कभी उसका गाल तो कभी उसका गला चूम रहा था, चाट रहा था, अपने जिश्म को नेहा के जिश्म से चिपकाया हुआ था। और कहा- “भाभी एक बात बताओ, आपने इतनी सेक्सी साड़ी पहनी की आपकी क्लीवेज दिख रही थी तो आपके भाइयों ने कुछ नहीं कहा?"
नेहा ने उसकी आँखों में देखते हुए पूछा- “यह सवाल क्यों? वह दोनों मेरे भाई थे बायफ्रेंड नहीं..."
और वहीं झपटा-झपटी में नेहा के बाल पीछे गर्दन से सरक गये और प्रवींद्र की नजरें उस गहरे लाल निशान पर पहुँचे जो सुनील ने चूसकर किया था। प्रवींद्र तो नेहा के जिश्म को बहुत अच्छी तरह से पहचानता था और उसके जिश्म पर कब और कहाँ कोई निशान होता है, सब प्रवींद्र को पता होता है। क्योंकी वो उसके इतने करीब है। तो उसको तुरंत पता चल गया कि नेहा भाइयों से चुदवाकर आ रही है।
प्रवींद्र को बहुत ही गुस्सा आया क्योंकी नेहा ने उससे झूठ बोला था। फिर चिल्लाते हुए कहा- “तुम तो पक्की रंडी निकली भाभी। अपने सगे भाइयों से भी चुदवाती हो। वाह... एक नहीं दो-दो भाइयों के साथ चुद कर आ रही हो, कमाल है...”
नेहा को झटका लगा और प्रवींद्र के चेहरे में लाल चेहरे के साथ देखने लगी। उसका गला सूख गया और जिश्म काँपने लगा।
प्रवींद्र ने और चिल्लाते हुए कहा- “मुझको ऐसे मत देखो, यह क्या है आपकी गर्दन के पीछे? क्या है यह? आज सुबह तो कुछ नहीं था वहाँ पर, शहर जाने से पहले। दोनों में से किस भाई ने आपकी गाण्ड मारा है? थ्री-सम किया था भाइयों के साथ बोलो.."
नेहा सुनील वाले गहरे किस और चुसाई को याद करने लगी, जो उसने किया था उसके गर्दन पर झड़ने के बाद। नेहा खुद को कुसूरवार महसूस करते हुए सोफे पर थक कर बैठ गई और सर नीचे झुका लिया।
प्रवींद्र उसका जवाब का इंतेजार कर रहा था और पूछा- “तो क्या हुआ भाभीजी? कहाँ ले गये थे आपके भाई लोग आपको चोदने के लिए? जिस वक़्त आप घर से निकल रही थी तभी मुझको कुछ अजीब महसूस हुआ था। मगर तब मैंने सोचा कि मेरे खयालात गंदे हैं। मगर अब चाहता हूँ कि आप मुझे जवाब दें, जवाब दो मुझे बोलो.."
नेहा को उसके बोलने का तरीका बुरा लगा और उसने भी जोर से चिल्लाते हुए कहा- “हँ, हाँ मैं अपने भाइयों से चुदवाने गई थी, इसमें तुम्हारी क्या प्राब्लम है? इटस नोट आफ युवर बिज़नेस। जब तुम्हारे पिताजी जो मेरा ससुर है मुझको चोदता है, जब तुम मेरे देवर होकर मुझको चोदते हो, जब तुम मुझको दो बूढे अजनबियों से चुदवा सकते हो तो कौन सी कयामत आ गई अगर मेरे भाइयों ने भी मुझको चोदा तो? साला तुम खुदगर्ज,
मतलबी, कुंजर, यू हिप्पोक्रेट, सेल्फिश बास्टर्ड.." यह सब कहने के बाद नेहा बेड पर बैठकर अपने चेहरे को हथेली में छुपाए रोने लगी।
प्रवींद्र की तो सिट्टी-पिट्टी गुम, बोलती बिल्कुल बंद हो गई नेहा के उस रूप को देखकर। नेहा को पहली बार उसने उस स्टेट में देखा था। एक पल के लिए तो उसको लगा कि उसके सभी अरमानों पर अब पानी फिर गया। उसको लगा कि अब नेहा और उसके बीच सब खतम हो गया। उसका सपना, नेहा को फिर रूपचंद के पास ले जाने का, रूपचंद की बेटी को पाने का, सब अब शायद सपना ही रह जाएगा उसने सोचा। तो क्या करता अब?
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