RE: XXX Sex Stories डॉक्टर का फूल पारीवारिक धमाका
अपडेट 51
चाची ने डार्क रेड कलर की डिज़ाइनर साडी और ब्लाउज पहना था और मस्त लग रही थी. थोड़ा सा गर्मी की वजह से चाची के क्रीमी गोरे बदन पर हल्का सा पसिना सा होने लगा था फिर मैंने देखा की चाची के आर्मपिट के पास भी पसिना हो रहा था और इसके वजह से वो गीला भी हो गया था और अभी तो हम आधे रस्ते पर भी नहीं थे, मैंने चाची को गोर से देखा, बॉस मस्त सेक्सी थी ओ. मेरा लंड अब खड़ा हो रहा था मैंने हलके से चाची के साथ अपने आप को सटा दिया और चाची के कंधे से अपना हाथ सटा दिया और चाची का रिस्पांस देखने लगा, पर चाची ने कुछ नहीं कहा और न ही मेरी और मूड कर देखा, इतने में मेरा लक काम कर गया और एक और भीड़ का जर्क आ गया और में चाची से थोड़ा जोर से तकरा गया और चाची भी थोड़ा सा आगे हो ली, लेकिन चाची ने अब भी कुछ नहीं कहा, तो इस बार मैंने थोड़ा आगे झुकते हुए चाची से कहा
“चाची”
“हमं”
चलो चाची, यहाँ से चलते हे, बहुत भीड़ हे, यहाँ पर.. मैं हकीकत में नहीं जाना चाहता पर मैंने चाची से बात खोलने के लिए कहा.
.नही..रेशु, तुम भी ना, अभी आधे पौने घंटे की तो बात हे, बाद में चलते हे, और मुझे कोई प्रॉब्लम नही.. बॉस चाची ने यह सब कहने के लिये, अपना सर पीछे की और हल्का सा स्लाइड किया और में पहले से आगे की और था तो चाची के होट बिलकुल मेरे लिप्स के पास थे और में तो उसे देखने में ही जैसे खो गया. चाची ने भी ये देखा पर फिर से आगे हो ली. तो मैंने भी फिर से और आगे होते हुए चाची से कहा
“लेकिन चाची..यहाँ भीड़ हे और आपके इतने नजदीक होने से शर्म आ रही हे, और वैसे भी आपको भी तो गर्मी लग रही हे”.. इस बार मैंने चाची को दोनों बातें कह दी की चाची आपको इतने पास सटने से शर्म भी आ रही हे और फिर बात को दूसरा मोड़ भी दे दिया गर्मी के बारे में, फिर चाची ने मेरी पहली बात सुनि और थोड़ा सा वो भी शर्मा गयी पर फिर कुछ भी नहीं कहा और आगि की और देखने लगी, में साला सोच में पड़ गया की इसे चाची का कुछ करने का इशारा समझू या नही, पर मैंने फिर डेरिंग करते हुए चाची के गांड क्रैक के पास अपने तने हुए लंड से छू लिया, और बस ऐसे ही रख के खड़ा रहा, और जैसे ही मेरा लंड चाची को छुआ, चाची को सच में झटका लगा और वो बिना मूड़े ही समझ गयी की उनकी गांड को क्या छू रहा हे, पर वो मूड़ी नहीं और में भी नहीं हटा और दुसरे जर्क के आने का इंतज़ार करने लगा, की काश कुछ हो जाये पर ऐसा इस बार नहीं हुआ. मैं थोड़ी देर ऐसे ही खड़ा रहा फिर मैंने थोड़ा सा डेरिंग करते हुए चाची के गांड के पास अपने लंड को हल्का सा हिलाया और उसे चाची के दोनों चिक्स पे बरी बरी हल्का हल्का टच करने लगा.
लेकिन इस बार चाची से रहा नहीं गया. चाची ने कुछ कहा नहीं पर चाची ने पीछे मूड कर मेरी और देखा, निचे मेरे लंड को नहीं देखा पर मेरी आँखों में देख कर मानो ऐसा कहा की मत करो, यह पब्लिक प्लेस हे, पर मुझे ऐसा लगा की शायद चाची यह कहना चाहती थी की और करो, मुझे मज़ा आ रहा हे.
मै भी बिलकुल नहीं हिला, लेकिन अब मेरा लंड रूकने वाला नहीं था मेरे पैंट में अब बड़ा तम्बू बन गया था वो तो ठीक था की एक साइड पे दीवार थी और मैंने अपना दूसरा हाथ अपने इरेक्शन को छूपाने के लिए अपने लंड के पास ले लिया, लेकिन ऐसा करने से मेरा हाथ चाची की गांड को छूने लगा, चाची ने इस बार भी मूडकर देखा पर इस बार भी कुछ नहीं बोली और इस बार भी मैंने पीछे न हटते हुए अपने हाथ को भी चाची के गांड पर रख दिया, अब मेरा लेफ्ट हैंड चाची के लेफ्ट गांड को और मेरा लंड चाची के गांड क्रैक को छू रहा था नो डाउट चाची को भी मज़ा आ रहा था पर वो खुल के सपोर्ट भी नहीं कर सकती थी. इतने में हम मंदिर के पहले द्वार में दाखिल हुए, अब यहाँ से दस मिनट तो वेटिंग थी और मेरे दोनों साइड अब वाल थी, और थोड़ा सा अँधेरा भी था क्यूँकि दोनों साइड वाल थी और रास्ता थोड़ा लम्बा था मुझे तो यह थोड़ा सा एडवांटेज लगा, और मैंने थोड़ा सा डेरिंग मूव करने का सोचा.
अब मैंने चाची के गांड पर और प्रेशर दिया और अपना लेफ्ट हैंड चाची के गांड पर भी हल्का सा घुमाया, अब शायद चाची समझ रही थी की में रुक्ने वाला नही, तो चाची मुझसे छूटने के चक्कर में थोड़ा सा आगे बढ्ने लगी, पर मैंने चाची को पकडने के चक्कर में ग़लती से चाची के गांड को ही अपने हाथ से पकड़ लिया, और वो भी मस्त पकड़, और जैसे ही मैंने चाची को पकड़ा वो भी आगे जाना भूल गयी और शॉक के मारे पीछे देखा और जैसे हे चाची ने पीछे देखा में भी ग़लती के डर से चाची की गांड को छोड़ दिया और अपने दोनों हाथ ऊपर कर लिये, इस बार चाची ने पीछे देखा और मेरे तने हुए लंड को भी देखा, वो थोड़ा शॉक थोड़ा गुस्सा और थोड़ी सी परेशानी में लग रही थी.
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