Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
01-29-2021, 11:54 AM,
#59
RE: Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा
प्यारेलाल ये सुनकर सुखजीत को पकड़कर उसको घुमा देता है। अब उसका चेहरा प्यारेलाल की तरफ हो जाता है, और उसकी गाण्ड पेड़ की तरफ हो जाती है। प्यारेलाल सुखजीत की कमीज को उसके पेट तक ऊपर उठा देता है, फिर वो अपने दोनों हाथ उसके मोटे चूतर को घुमाता हुआ चूतरों के बीच की लाइन में ले जाता है। जिससे सुखजीत मस्त हो जाती है, और फिर उसकी आँखें बंद हो जाती हैं। सुखजीत तो पहले से ही बहुत गरम होती है, और अब प्यारेलाल की इस हरकत से सुखजीत पूरी तरह से आग बन जाती है।

प्यारेलाल सुखजीत के होंठों को चूसने लगता है, और वो साथ ही अपने दोनों हाथों से सुखजीत के मोटे-मोटे चूतरों को मसलने लगता है। सुखजीत पूरा स्वाद ले रही थी, और साथ ही वो अंदर ही अंदर काफी खुश भी होती है। क्योंकी आज उसका प्लान कामयाब हो गया था।

प्यारेलाल अपनी जीभ लगातार सुखजीत के मुँह में डालकर घुमा रहा था, और उसका स्वाद ले रहा था। फिर अपना एक हाथ सुखजीत की कमीज के गले के अंदर डाल देता है। फिर ब्रा में से एक चूची बाहर निकालने की कोशिश करता है। पर ब्रा इतनी टाइट थी की चूचियां बाहर नहीं आती।

सुखजीत अपने होंठों को प्यारेलाल के होंठों से हटाते हुए बोली- “आह्ह... स्स्सीई... प्यारेलाल जी चूचियों को बाहर मत निकालो प्लीज़्ज़... ऊपर से ही कर लो जो करना है। कहीं ऐसा करके आप मेरी ब्रा ना फाड़ देना."

पर प्यारेलाल सुखजीत की एक नहीं सुनता, वो ब्रा और दोनों चूचियों के बीच में अपनी दो उंगलियां डाल लेता है। फिर एक जोरदार झटका मारता है। जैसे ही प्यारेलाल जोर से झटका मारता है, तभी खटाक्क की आवाज आती है। ये आवाज सुनते ही सुखजीत समझ जाती है, की उसकी ब्रा के हक अब टूट चुके हैं। उसकी ब्रा एकदम ढीली हो जाती है। प्यारेलाल ब्रा को पकड़कर एकदम बाहर की ओर खींच लेता है, और जमीन पर फेंक देता है।

ब्रा एकदम बाहर आ जाती है, फिर प्यारेलाल अपने दोनों हाथ सुखजीत के सूट के गले में डालता है, और फिर वो सुखजीत के दोनों चूचियां पकड़कर बाहर निकल लेता है। चूचियों के बाहर आते ही प्यारेलाल पागलों की तरह सुखजीत की चूचियों को चूसने लगता है।

सुखजीत गरम होकर बोली- “आह्ह... ये क्या कर दिया आपने... प्यारेलाल जी आपने तो मेरी ब्रा को ही फाड़ दिया। अब मैं क्या करूँगी?"

प्यारेलाल चूचियां चूसता हुआ ही बोला- "नई ले दूँ ब्रा तुझे बहन की लौड़ी। साली आज तो तेरी गाण्ड मारकर जाऊँगा। बहुत अपनी गाण्ड मटकाकर और उठाकर कसरत करती है ना तू। बहुत दिनों से देख रहा हूँ, आज तो तेरी मारकर ही रहूँगा साली गश्ती...” और कहते ही सुखजीत की सलवार का नाड़ा खोल देता है।

फिर वो सुखजीत का हाथ पकड़कर अपने लण्ड पर रखा देता है। सुखजीत की सलवार उसके मोटे-मोटे चूतड़ों में आकर फँस जाती है। सुखजीत के हाथों में जैसे ही लण्ड आता है, वो तो पागल हो जाती है। वो अपने गोरे-गोरे और नरम हाथों में पकड़कर जोर-जोर से लण्ड को मसलने लगती है। फिर सुखजीत नाटक करते हुए बोली- “नहीं प्यारेलाल जी आज आप थोड़ा सा करो लो। ये जगह ठीक नहीं है, ये सब करने के लिए। अगर किसी ने देख लिया तो ऐसे नाम बदनाम हो जाएगा..."

प्यारेलाल कुछ नहीं सुनता, और अपना हाथ सुखजीत की पैंटी में डाल दिया। सुखजीत को जैसे ही अपनी चूत पर प्यारेलाल का हाथ महसूस हुआ, तभी उसके मुँह से मस्ती से भरी आह्ह... की आवाज निकली।

फिर प्यारेलाल सुखजीत की चूत, जिसे आज सुखजीत सुबह ही पूरी साफ करके चिकनी बनाकर आई थी। उसे वो अपने हाथों से जोर-जोर से मसलने लगता है। इतने में सुखजीत का फोन रिंग करने लगा। सुखजीत ने देखा की वो फोन जगरूप का है, सुखजीत ने फोन उठाकर स्पीकर पर डाल दिया।

जगरूप- “कहां अपनी गाण्ड मटका रही है साली?"

सुखजीत अपनी चूचियां चुसवाते हुए बोली- “मैं तो यहीं हूँ, साली तू कहां अपनी चूचियां चुसवा रही है रंडी?"

जगरूप- "मैं वहीं हूँ, जहाँ तू अपनी गाण्ड हिला-हिलाकर कसरत कर रही थी..."

प्यारेलाल उन दोनों की बात सुनकर गरम हो जाता है, और वो सुखजीत की चूत में अपनी उंगली डाल देता है।

सुखजीत मस्त होकर बोली- “आह्ह... यार मैं दौड़ रही हूँ, बस 5 मिनट रुक मैं आती हूँ। कहीं जइओ मत समझी मैं आ रही हूँ..”

सुखजीत फिर फोन कट करने के बाद बोली- “आहह... आहह... जल्दी-जल्दी करो प्यारेलाल जी मेरी दोस्त मेरा इंतेजार कर रही है...”

प्यारेलाल- “चुप कर साली गश्ती...” कहकर वो अपनी 3 उंगलियां सुखजीत की चूत में उतार देता है।

सुखजीत इससे पागल हो जाती है, और प्यारेलाल से लिपटकर उन्हें कसकर पकड़ लेती है। फिर वो अपनी चूत का पानी निकाल देती है। पानी निकालने के बाद करीब दो मिनट तक वो प्यारेलाल से लिपटी रहती है। फिर वो नार्मल होकर अपनी सलवार ऊपर उठाकर अपना नाड़ा बाँधती है।

प्यारेलाल को ये देखकर बहुत गुस्सा आता है और वो बोलता है- “साली गस्ती अपना पानी निकालकर शांत हो गई है। और यहाँ जो तूने आग लगाई है उसका क्या करना है? उसको तेरी माँ आकर शांत करेगी या तेरी बेटी आकर शांत करेगी बता साली रांड़..."

सुखजीत- "प्यारेलाल जी मुझे देर हो रही है, और मेरी दोस्त भी मेरा इंतेजार कर रही है प्लीज़्ज़... जाने दो मुझे प्लीज़..."

सुखजीत लाख बार उसके आगे रिक्वेस्ट करती है, तब जाकर प्यारेलाल मान जाता है और सुखजीत को छोड़ देता है। सुखजीत अपनी चूचियों को अपने सूट में सेट करती है, और अपनी ब्रा को वहीं पर छोड़ देती है।

सुखजीत की चूचियां ब्रा के बिना ज्यादा हिलने लगती हैं। फिर वो जगरूप के पास जाती है। वो देखती है की जगरूप पहले से काफी खुश लग रही थी। आखीरकार, खुश क्यों ना हो, वो अभी-अभी जवान लड़के से चुदकर आई थी।

सुखजीत अपनी चूचियों पर चुन्नी डाल लेती है। जिससे पता नहीं चलता की उसने अंदर ब्रा डाली हुई या नहीं? फिर जगरूप सुखजीत को उसके घर छोड़कर अपने घर चली जाती है।
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RE: Desi Sex Kahani नखरा चढती जवानी दा - by desiaks - 01-29-2021, 11:54 AM

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