RE: Kamukta Story प्यास बुझाई नौकर से
रूबी के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था। राम ठीक ही तो कह रहा था, है तो उसकी वो मालेकिन ही। तो क्या उन दोनों में नौकर मालिक की दीवार टूटेगी नहीं?
राम- बताओ ना बीवीजी।
रूबी हँसते हुए- “क्या बात है, कभी मालेकिन कभी बीवी जी? एक बार सोच लो मुझे क्या बनाना है?
रामू- हम तो दोस्त बनाना चाहते हैं।
रूबी- अच्छा जी। अभी तो मालेकिन मानते थे और अब दोस्ती पे आ गये?
राम- बताओ ना बीवीजी आप दोस्त बनोगे।
रूबी को उसकी बातों में मासूमियत झलक रही थी। बिहार से आया लड़का जो पंजाब में काम कर रहा था। उसकी परिवार भी बिहार में ही थी, तो उसका तो दोस्त तो हआ नहीं कोई भी यहां पे। उसका भी तो दिल करता होगा दोस्त बनाने को, किसी से बात करने को।
रूबी कुछ सोचते हुए- “ठीक है। दोस्त बन सकते हैं। लेकिन एक शर्त है.."
रामू- आपकी हर शर्त मंजूर। बताओ क्या करना है?
रूबी- तुम ऐसा कोई काम नहीं करोगे जिससे मेरी लाइफ में परेशानी आए।
राम देखता है की मछली फँस रही है और वो एक और तीर छोड़ देता है- "तो आपके कहने का मतलब हम गवार है और आपको लगता है की हम ऐसा कोई काम करेंगे जिससे आपको नुकसान हो?”
रूबी- रामू गँवार की बात नहीं है। तुम बहुत अच्छे हो। पर तुम्हें यह भी समझना चाहिए के हम किसी की बीवी हैं, किसी की बहू हैं। हमारे लिए किसी गैर मर्द से मिलना ठीक नहीं माना जाएगा।
राम- ठीक है बीवीजी। हम अपनी दोस्त को बचन देते हैं की हम उसकी मर्जी के बिना कोई ऐसा काम नहीं करेंगे जिससे उसको कोई तकलीफ हो।
रूबी- पक्का ... बचन देते हो।
रामू- हाँ। यह रामू की जुबान है बीवीजी। दुनियां इधर से उधर हो सकती है पर हम अपनी जुबान पे खड़े रहेगे।
रूबी- अच्छा देखते हैं रामूजी।
राम- तो हमारी दोस्ती पक्की?
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