RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
हम सभी इतनी चीखे मार रहे थे की हमें दुसरे कमरे का ध्यान ही नहीं रहा, वहां दुसरे कमरे में सभी एक दुसरे की बीबियों की चूत मार रहे थे, जब मंजू ने दुसरे कमरे से आती आवाज सुनी तो अपनी चूत से मेरे पापा का लंड बाहर निकाल कर वो शीशे वाली जगह के पास गयी जहाँ से उसे आवाजें आ रही थी, उसने जब शीशा हटाया तो दुसरे कमरे का नजारा देखकर उसके होश उढ़ गए, वहां हम सभी को नंगा लेते देखकर और अपनी दोनों बेटियों को भी हमारे साथ देखकर वो चकरा सी गयी, सोनी मेरे लंड को अन्दर लिए अभी भी मेरी छाती पर लेटी हुई हांफ रही थी..
मंजू ने अपनी बड़ी बेटी को नंगे मेरे ऊपर लेटे हुए देखा और वो समझ गयी की उसकी बेटी तो चुद चुकी है, ये सोचते ही उसके मुंह से एक हांफने जैसी आवाज निकल गयी, जिसे सुनकर मैंने शीशे वाली जगह पर देखा और मंजू आंटी को अपनी तरफ देखते हुए पाकर मैं समझ गया की उन्होंने सभी कुछ देख लिया है. ऋतू ने भी देखा की मैं शीशे वाली जगह देख रहा हूँ तो उसने भी वहां मंजू आंटी को खड़ा हुआ देखकर अपनी चूत चाटती मोनी को और जोर से अपनी चूत पर दबा दिया, मंजू आंटी की आँखें फैलती जा रही थी अपनी बेटियों की करतूते देखकर..
सोनी ने अपनी साँसे सँभालते हुए जब देखा की मेरी नजर कहाँ है तो वहां अपनी माँ को अपनी तरफ घूरते पाकर वो भी सहम सी गयी, मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में पड़ा हुआ उसके अन्दर अजीब तरह की तरंगे छोड़ रहा था जिससे उसे बड़ा मजा आ रहा था पर एकाएक अपनी माँ को देखकर उसने मेरा लंड अपनी चूत में मसलना बंद कर दिया जिसकी वजह से वो बाहर आ गया और वो मेरे मुरझाये हुए लंड के ऊपर से हट कर बैठ गयी.
मोनी ने जब चूत चाटना बंद किया तो उसने अपना मुंह ऊपर किया, उसका पूरा मुंह ऋतू के रस से नहाया हुआ चमक रहा था, ऋतू उसकी माँ को पहले ही देख चुकी थी इसलिए उन्हें और किलसाने के लिए उसने मोनी को ऊपर खींचा और अपने होंठो से उसके रसीले होंठ चाटते हुए अपने ही रस का स्वाद लेने लगी और बोली "क्यों मोनी...मजा आया के नहीं.."
मोनी : "अरे ऋतू दीदी, सही में आपकी चूत का स्वाद बड़ा ही नशीला है, मेरा मन कर रहा था की आपका रस निकलता रहे और मैं पीती रहूँ.." और उसने अपनी बड़ी बहन सोनी की तरफ देखा जो शीशे वाली जगह पर अपनी माँ को देखकर सहमी बैठी थी, मोनी ने भी जब देखा की उनकी माँ उन्हें चुदते हुए देख रही है तो वो भी डर गयी और सोचने लगी की अब क्या होगा.
वो ऋतू से बोली : "अरे ये तो मोम है ....हे भगवान्, उन्होंने सब कुछ देख लिया है...अब क्या होगा.."
मैं : " अरे डरो मत, कुछ नहीं होगा"
तभी बाहर का दरवाजा खुला और मंजू आंटी और पंकज अंकल नंगे ही हमारे कमरे मैं दाखिल हुए और आते ही चिल्ला कर बोले : "ये क्या हो रहा है, क्या कर रहे हो तुम लोग ..."
मैंने कहा : "यहाँ वो ही हो रहा है जो आपके कमरे में हो रहा है, और हम वो ही कर रहे हैं जो हमने कल आप लोगो के साथ किया था...यानी सेक्स."
मंजू : "पर ये हमारे बच्चे हैं, तुम ऐसे कैसे कर सकते हो"
मैंने कहा "क्या आपने हमारी मम्मी, जिनकी चूत और गांड अभी पंकज अंकल मार कर आ रहे हैं, और पापा, जिनका लंड मंजू आंटी अपनी चूत, गांड और मुंह में लेकर आ रही है, को बताया की कल आप लोगो ने हम दोनों भाई बहन की भी चुदाई की थी...नहीं ना..हमने आज रात आप लोगो को अपने दुसरे फ्रेंड्स के साथ और हमारे पेरेंट्स के साथ भी ग्रुप सेक्स करते हुए देखा, कल कोई और था आपके साथ जब आपने हमारे साथ सेक्स किया था, जब आप ये सब कर सकते हो तो सोनी और मोनी क्यों नहीं कर सकती"
"ये तो पागलपन है" मंजू आंटी चिल्लाई "तुम जानते भी हो की तुम क्या कह रहे हो"
"हाँ मैं जानता हूँ की मैं क्या कह रहा हूँ" मैंने कहा "सेक्स एक बड़ी ही मजेदार चीज है, अगर आपका कोई इमोशन इसके साथ जुड़ा ना हो तो इसमें सबसे ज्यादा मजा आता है, बहुत बढ़िया है ये, एक अच्छी एक्सर्साईज़ है ये तो"
"लेकिन हमारे बच्चे ..." मंजू ने फिर से कुछ कहना चाहा..
"ये अब बड़े हो रहे हैं...हैं ना..आपको तो इनपर नाज होना चाहिए की आपको देखकर ये सीख रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं..क्या आपको लगता है की जो आप कर रहे हैं वो सही है..?" मैंने कहा
"हम यहाँ अपने आप को डिस्कस नहीं कर रहे हैं" पंकज ने कहा.
पीछे से आवाज आई "क्यों नहीं कर रहे हैं...जबकि ये सब कुछ आप लोगो से जुड़ा हुआ है" उन्होंने पीछे मूढ़ कर देखा तो हमारे मम्मी पापा खड़े थे, वो भी बिलकुल नंगे.
"नहीं पूर्णिमा...आप समझ नहीं रहे हैं, ये इतना आसान नहीं है हमारे लिए.." मंजू ने मेरी माँ से कहा.
"ये हमारे लिए भी आसान नहीं था, लेकिन फिर हमने भी ये कबूल कर लिया की हमारे बच्चे भी हम लोगो की तरह खुले विचारों वाले हैं..
इसलिए हमने ये डिसाईड किया की इन बच्चो को हमसे ही सीखना चाहिए..ना की किसी बाहर वाले से, जहाँ से कुछ और गड़बड़ की आशंका हो.." मम्मी ने उन्हें समझाते हुए कहा.
"थेंक यू मोम..." मैंने मम्मी को कहा और उठकर उनके पास जाकर खड़ा हो गया,
"क्या आप लोगो को हमारे बच्चो के साथ कल रात मजा आया था ?" मम्मी ने मंजू से पूछा
वो शर्मा सी गयी और बोली "मैं क्या कहूँ..ये दोनों कल जब नंगे हमारे पास आये तो हमसे ना कहा ही नहीं गया.."
"आप लोग इन्हें ना भी कर सकते थे, अगर आपके मन में अपने बच्चो के लिए अच्छे विचार हैं तो दुसरो के बच्चो के लिए भी वोही विचार होने चाहिए..." मम्मी ने कहा.
"मैं आपके कहने का मतलब समझ गयी..." मंजू ने गहरी सांस लेते हुए कहा "हमें तो बस अपनी बच्चियों को एकदम से सेक्स करते देखकर यकीन ही नहीं हुआ की वो इस उम्र में ये सब कर सकती हैं...मुझे इनकी चिता हो रही थी पर लगता है ये सच में बड़ी हो गयी हैं..."
"ओह मोम....हम ठीक हैं..हमें भी ये सब करने में बड़ा मजा आया" मोनी ने आगे बढ़कर अपनी माँ से कहा.
"आशु..ऋतू..नेहा..तुम सभी चलो यहाँ से, इन्हें आपस में बातें करके अब सब कुछ निपटाने दो.." पापा ने हमसे कहा.
"ठीक है..." ऋतू बोली और हम सभी अपने कपड़े पहनने लगे, ऋतू ने मोनी से कहा "तुम लोग हमारे कमरे में आ सकते हो...अगर तुम चाहो तो.."
मोनी बोली "बिलकुल...मुझे भी काफी मजा आया आज, हम जरूर आयेंगे"
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