RE: Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात
अदालत से बाहर चंदू, राजा और कासिम डिस्कस कर रहे थे ।
"यार यह तीन नये गवाह कहाँ से आ गये ?" चंदू बोला ।
"अपुन को लगता है कि इसने उनको भी पहले से हमारी तरह फिट करके रखा
होगा । यह तो साला लफड़े पे लफड़ा हो गया ।"
"अरे यार अब तो उसे ख़ुदा भी बरी नहीं करा सकता ।" कासिम बोला ।
"यार मेरे को लगता है, बरी हो जायेगा ।" चंदू बोला, "अगर हो गया, तो मैं उसे मुबारकबाद दूँगा ।"
"अपुन का धंधा भी चमकेगा भाई, सबको पता चल जायेगा कि राजा का खरीदा चाकू-छुरे से क़त्ल करने वाला बरी होता है ।" राजा बोला ।
"मगर क़त्ल तो उसने किया ही है ।"
"यह तो सबको पता है, मगर अब लफड़ा हो गया ।"
शाम के समाचार पत्रों में यह खबर प्रमुख सुर्खियों में छपी थी ।
जे० एन० मर्डर केस में एक नाटकीय मोड़
अपराध जगत का सबसे सनसनीखेज मुकदमा
क्या अदालत रोमेश को बरी करेगी ?यह कहानी आप राजशर्मास्टोरीजडॉटकॉम में पढ़ रहे हैं
तरह-तरह की सुर्खियां थीं, जो अख़बारों में छपी हुई थीं । हॉकरों की बन आई थी । लोग अख़बार पढ़ने के लिये टूटे पड़ रहे थे । गयी रात तक चौराहों, बाजारों, नुक्कड़ो में यही एक बात चर्चा का विषय थी ।
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अदालत खचाखच भरी थी ।
अदालत के बाहर भी लोगों का हुजूम उमड़ा था । हर कोई जे.एन. मर्डर केस में दिलचस्पी लेने लगा था । रोमेश सक्सेना को जिस समय अदालत में पेश किया जा रहा था, कुछ पत्रकारों के कैमरों की फ़्लैश चमकी और कुछ ने आगे बढ़कर सवाल करने चाहे, तरह तरह के प्रश्न थे ।
"आप किस तरह साबित करेंगें कि क़त्ल आपने नहीं किया ?"
"मैं यह साबित नहीं करने जा रहा हूँ ।" रोमेश का जवाब था, "मैं सिर्फ अपने को बरी करवाने जा रहा हूँ ।"
प्रश्न : "आपके तीनों गवाह क्या कहने जा रहे हैं ? "
उत्तर: "वक्त का इन्तजार कीजिए, अभी अदालत में सब कुछ आपके सामने आने वाला है ।"
रोमेश अदालत के कटघरे में पहुँचा ।
अदालत की कार्यवाही शुरू हो चुकी थी ।
"गवाह नम्बर एक, रामानुज महाचारी पेश हों ।"
अदालत ने रामानुज को तलब किया । रामानुज मद्रासी था । करीब पचास साल उम्र होगी, रंग काला तो था ही, ऊपर से काला सूट पहने हुये था । रामानुज को शपथ दिलाई गयी । उसने शपथ ली और अपने चश्मे के अन्दर से पूरी अदालत पर सरसरी निगाह दौड़ाई, फिर उसकी नजरें रोमेश पर ठहर गयी । वह चौंक पड़ा ।
"उसके मुँह से निकला,"तुम, यू बास्टर्ड !"
"हाँ, मैं !" रोमेश बोला, "मेरा पहला सवाल यही है मिस्टर रामानुज, कि क्या तुम मुझे जानते हो ? "
"अरे अपनी सर्विस लाइफ में साला ऐसा कभी नहीं हुआ, तुमने हमारा ऐसा बेइज्जती किया कि हम भूल नहीं पाता आज भी, मिस्टर बास्टर्ड एडवोकेट ।"
"मिस्टर रामानुज, यह अदालत है, अपनी भाषा दुरुस्त रखें ।" न्यायाधीश ने रोका ।
"ठीक सर, बरोबर ठीक बोलूंगा ।"
"गाली नहीं देने का ।" रोमेश बोला, "हाँ तो रामानुज, क्या तुम अदालत को बता सकते हो कि तुम मुझे कैसे जानते हो ?"
"यह आदमी नौ जनवरी को राजधानी में सफर कर रहा था । उस दिन हमारा ड्यूटी था । मैं रेलवे का एम्प्लोई हूँ और मेरी ड्यूटी राजधानी एक्सप्रेस में रहती है । टिकट चेक करते समय मैं इसकी सीट पर पहुँचा, तो यह शख्स दारू पी रहा था । मेरे रोकने पर इसने पहले तो दारू का पैग मेरे मुंह पर मारा और उठकर मेरे गाल पर थप्पड़ मारा जी । मेरी सर्विस लाइफ में पहला थप्पड़ सर ! मैंने टिकट माँगा, तो दूसरा थप्पड़ पड़ा जी । मेरी सर्विस लाइफ का दूसरा थप्पड़ जी, मैं तो रो पड़ा जी । पैसेंजर लोगों ने मुझे इस बदमाश से बचाया, यह बोला मैं एडवोकेट रोमेश सक्सेना हूँ, कौन मेरे को दारू पीने से रोकेगा ? कौन मुझसे टिकट मांगेगा ? हमने यह बात अपने स्टाफ के लोगों को बताया, पुलिस का मदद लिया और बड़ौदा में इसको उतारकर रेलवे पुलिस के हवाले कर दिया । लेकिन मेरी सर्विस लाइफ का पहला और दूसरा थप्पड़, वो मैं कभी भी नहीं भूल पाऊंगा माई लार्ड !"
इतना कहकर रामानुज चुप हो गया ।
"योर ऑनर ।" रोमेश ने कहा, "यह बात नोट की जाये कि रामानुज ने मुझे बड़ौदा स्टेशन पर राजधानी से उतार दिया था । नौ जनवरी की रात राजधानी एक्सप्रेस बड़ौदा में नौ बजकर अठ्ठारह मिनट पर पहुंची थी । मेरे काबिल दोस्त राजदान को अगर कोई सवाल करना हो, तो पूछ सकते हैं ।"
"नो क्वेश्चन ।" राजदान ने रोमेश के अंदाज में कहा, "रामानुज के बयानों से यह बात और भी साफ हो जाती है कि रोमेश सक्सेना को बड़ौदा में उतारा गया और यह शख्स बड़ौदा से सीधा मुम्बई आ पहुंचा, जाहिर है कि इसने बड़ी आसानी से अपनी जमानत करवा ली होगी या फिर पुलिस ने ही नशा उतरने पर इसे छोड़ दिया होगा ।"
"अंधेरे में तीर न चलाइये राजदान साहब, मेरा दूसरा गवाह बुलाया जाये । बड़ौदा रेलवे पुलिस स्टेशन का इंचार्ज इंस्पेक्टर बलवंत आपके इन सब सवालों का जवाब दे देगा । मैं अदालत से दरख्वास्त करूंगा कि बलवंत को अदालत में बुलाया जाये ।"
अदालत ने इंस्पेक्टर बलवंत को तलब किया ।यह कहानी आप राजशर्मास्टोरीजडॉटकॉम में पढ़ रहे हैं
"इंस्पेक्टर बलवन्त सिन्हा हाजिर हो ।"
बलवन्त सिन्हा पुलिस की वर्दी में था । लम्बा तगड़ा जवान था, कटघरे में पहुंचते ही उसने न्यायाधीश को सैल्यूट मारा । अदालती रस्में पूरे होने के बाद बलवन्त की दृष्टि रोमेश पर ठहर गयी ।
"इंस्पेक्टर बलवन्त आप मुझे जानते हैं ?"
"ऑफकोर्स ।” बलवन्त ने उत्तर दिया, "एडवोकेट रोमेश सक्सेना ।"
"कैसे जानते हैं ?"
"क्योंकि मैंने आपको नौ जनवरी की रात लॉकअप में बन्द किया था और रामानुज की रिपोर्ट पर आप पर मुकदमा कायम किया था । फिर अगले दिन आपको कोर्ट में पेश किया गया, जहाँ से आपको बिना टिकट यात्रा करने के जुर्म में दस दिन की सजा हो गई । यह सजा इसलिये हुई, क्योंकि आपने जुर्माना देने से इन्कार कर दिया और न ही अपनी जमानत करवाई !"
"क्या आप बता सकते हैं मुझे सजा किस दिन हुई ?"
"दस जनवरी को ।"
"यह बात नोट कर ली जाये योर ऑनर ! नौ जनवरी को मुझे पुलिस ने कस्टडी में लिया और दस जनवरी को मुझे दस दिन की सजा हो गयी ।"
राजदान एकदम उठ खड़ा हुआ ।
"हो सकता है योर ऑनर सजा होने के बाद मुलजिम के किसी आदमी ने जमानत करवा ली हो और यह बात इंस्पेक्टर बलवंत की जानकारी में न हो । यह भी हो सकता है कि आज तक जुर्माना भर दिया गया हो और मुलजिम सीधा मुम्बई आ गया । अगर यह ट्रेन से आता है, तब भी छ: सात घंटे में बड़ौदा से मुम्बई पहुंच सकता है ।"
"लगता है मेरे काबिल दोस्त या तो बौखलाकर ऊलजलूल बातें कर रहे हैं, या फिर इन्हें कानून की जानकारी नहीं है ।" रोमेश ने कहा, "अगर मेरी जमानत होती या जुर्माने की राशि भर दी जाती, तो पुलिस स्टेशन में केस दर्ज है, वहाँ पूरी रिपोर्ट लगा दी जाती है ।"
"रिपोर्ट लगने पर भी कोई जरूरी नहीं कि इंस्पेक्टर बलवन्त को इसकी जानकारी हो, यह कोई ऐसा संगीन केस था नहीं ।"
"क्यों इंस्पेक्टर, इस बारे में आपका क्या कहना है ?"
"मेरी पक्की जमानत और पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार ही मैंने बयान दिया है । मगर यह एक संभ्रांत फेमस एडवोकेट का मामला न होता, तो मुझे याद भी न रहता । मैं तो इनको रात को ही छोड़ देता, मगर रोमेश सक्सेना ने पुलिस स्टेशन में भी अभद्रता दिखाई, मुझे सस्पेंड तक करा देने की धमकी दी, इसलिये मैंने इनका मामला अपनी पर्सनल डायरी में नोट कर लिया । इन्हें सजा हुई और यह पूरे दस दिन जेल में बिताकर ही बाहर निकले ।"
"ऐनी क्वेश्चन मिस्टर राजदान ?"
राजदान ने इन्कार में सिर हिलाया और रूमाल से चेहरा साफ करता हुआ बैठ गया । साथ ही उसने एक गिलास पानी भी मंगा लिया ।
"जिन लोगों के गले खुश्क हो गये हों, वह अपने लिये पानी मंगा सकते हैं, क्योंकि अब जो गवाह अदालत में पेश किया जाने वाला है, वह साबित करेगा कि मैंने पूरे दस दिन बड़ौदा डिस्ट्रिक जेल में बिताये हैं । मेरा अगला गवाह है बड़ौदा डिस्ट्रिक जेल का जेलर कबीर गोस्वामी ।"
इंस्पेक्टर विजय के चेहरे से भी हवाइयां उड़ने लगी थीं ।
रोमेश का अन्तिम गवाह अदालत में पेश हो गया ।
"मैं मुजरिम को इसलिये जानता हूँ, क्योंकि यह शख्स जब मेरी जेल में लाया गया, तो इसने पहली ही रात जेल में हंगामा खड़ा कर दिया । इसके हंगामा के कारण जेल में अलार्म बजाया गया और तमाम रात हम सब परेशान रहे । मुझे जेल में दौरा करना पड़ गया ।"
"क्या आप पूरी घटना का ब्यौरा सुना सकते हैं ?" न्यायाधीश ने पूछा ।
"क्यों नहीं, मुझे अब भी सब याद है । यह वाक्या दस जनवरी की रात का है, सभी कैदी बैरकों में बन्द हो चुके थे । कैदियों की एक बैरक में रोमेश सक्सेना को भी बन्द किया गया था । रात के दस बजे इसने ड्यूटी देने वाले एक सिपाही को किसी बहाने दरवाजे तक बुलाया और सींखचों से बाहर हाथ निकालकर उसकी गर्दन दबोची, फिर उसकी कमर में लटकने वाला चाबियों का गुच्छा छीन लिया । ताला खोला और बाहर आ गया । उसके बाद अलार्म बज गया । उसने उन्हीं चाबियों से कई बैरकों के ताले खोल डाले । कई सिपाहियों को मारा-पीटा, सारी रात यह तमाशा चलता रहा ।"यह कहानी आप राजशर्मास्टोरीजडॉटकॉम में पढ़ रहे हैं
"उसके बाद तुम्हारे सिपाहियों ने मुझे मिलकर इतना मारा कि मैं कई दिन तक जेल के अन्दर ही लुंजपुंज हालत में घिसटता रहा । मुझे जेल की तन्हाई में ही बन्द रखा गया ।"
"यह तो होना ही था । दस जनवरी की रात तुमने जो धमा-चौकड़ी मचाई, उसका दंड तो तुम्हें मिलना ही था ।"
"दैट्स आल योर ऑनर ! मैं यही साबित करना चाहता था कि दस जनवरी की रात मैं मर्डर स्पॉट पर नहीं बड़ौदा जेल में था, जेल का पूरा स्टाफ और सैकड़ों कैदी मेरा नाटक मुफ्त में देख रहे थे । वहाँ भी मेरे फोटोग्राफ, फिंगरप्रिंट्स मौजूद हैं और क़त्ल करने वाले हथियार पर भी । अब यह फैसला आपको करना है कि मैं उस समय कानून की कस्टडी में था या मौका-ए-वारदात पर था ।"
अदालत में सन्नाटा छा गया ।
"यह झूठ है ।" राजदान चीखा, "तीनों गवाह इस शख्स से मिले हुए हैं, यह जेलर भी ।"
"शटअप ।" जेलर ने राजदान को डांट दिया, "मेरी सर्विस बुक में बैडएंट्री करने का तुम्हें कोई अधिकार नहीं । मैंने जो कहा है, वह अक्षरसः सत्य है और प्रमाणिक है ।"
"अ… ओके… नाउ यू कैन गो ।" राजदान ने कहा और धम्म से अपनी सीट पर बैठ गया ।
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