RE: Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात
"तुमने उसे नाराज करके अच्छा नहीं किया रोमेश ।" सीमा बोली, "कम से कम ये तो सोच लिया होता कि वह मुख्यमंत्री का पी.ए. है । जनार्दन नागारेड्डी अगर चाहे, तो जज तक को उसका कहा मानना पड़ेगा, तुम तो मामूली से वकील हो ।"
"मैं मामूली वकील नहीं हूँ मैडम ! इस गलतफहमी में मत रहना, यह मेरा बिजनेस है । आप इसमें दखल न दें, तो बहुत मेहरबानी होगी । बटाला ने एक एम.पी. का मर्डर किया है । एम.पी. का । जो जनता का चुना हुआ प्रतिनिधि होता है, उसने लाखों लोगों का मर्डर किया है, किसी एक का नहीं, समझी आप ।"
"मैं तो सिर्फ़ इतना समझती हूँ कि हमें चीफ मिनिस्टर से दुश्मनी नहीं लेनी चाहिये ।" इतना कहकर सीमा अन्दर चली गई ।
उसी दिन रात को रोमेश ने एक फोन रिसीव किया ।
"हैल्लो रोमेश सक्सेना स्पीकिंग ।"
दूसरी तरफ कुछ पल खामोशी छाई रही, फिर खामोशी टूटी ।
"हम जे.एन. बोल रहे हैं, जनार्दन नागारेड्डी, चीफ मिनिस्टर ।"
"कहिये ।"
"कल कोर्ट में हमारा आदमी पेश किया जायेगा, तुम उसके लिए कल वकालतनामा पेश करोगे और उसे तुरन्त जमानत पर रिहा कराओगे, यह हमारा हुक्म है । हम बड़े जिद्दी हैं, हमने भी तय कर लिया है कि तुम ही यह केस लड़ोगे और तुम ही बटाला को रिहा करवाओगे, पसन्द आई हमारी जिद ।"
इससे पहले कि रोमेश कुछ बोलता, दूसरी तरफ से फोन कट गया ।
"गो टू हेल ।" रोमेश ने रिसीवर पटक दिया ।
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सुबह वह नित्यक्रम के अनुसार ठीक समय पर कोर्ट के लिए रवाना हो गया । कोई खास बात नहीं थी, इससे पहले भी कई लोग उसे धमकी दे चुके थे, परन्तु उसका मन कभी विचलित नहीं हुआ था । न जाने आज क्यों उसे बेचैनी-सी लग रही थी । मुम्बई की समुद्री हवा भी उसे अजनबी सी लग रही थी ।
कोर्ट में उसका मन नहीं लगा । बटाला को पेश किया गया था कोर्ट में, किसी वकील ने उसकी पैरवी नहीं की । अगले तीन दिन की तारीख लगा दी ।
रोमेश को यह अजीब-सा लगा कि बटाला की पैरवी के लिए कोई वकील नहीं किया गया था । न जाने क्यों उसका दिल असमान्य रूप से धड़कने लगा ।
शाम को वह घर के लिए रवाना हुआ ।
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वह अपने फ्लैट पर पहुंचा, उसने बेल बजाई । दरवाजा कुछ पल बाद खुला, लेकिन दरवाजा खोलने वाला न तो उसका नौकर था, न सीमा । एक अजनबी सा फटा-फटा चेहरा नजर आया, जो दरवाजे के बीच खड़ा था । अजीब-सा लम्बा तगड़ा व्यक्ति जो काली जैकेट और पतलून पहने था ।
"सॉरी ।" रोमेश ने समझा, उसने किसी और के फ्लैट की बेल बजा दी है, "मैंने अपना फ्लैट समझा था ।"
"फ्लैट आपका ही है ।" उस व्यक्ति ने रास्ता दिया, "आइये, आइये ।"
रोमेश सकपका गया, "त… तुम ।"
"हम तो थोड़ी देर के लिए आपके मेहमान हैं ।"
रोमेश ने धड़कते दिल से अन्दर कदम रखा, फ्लैट की हालत उसे असामान्य सी लग रही थी, बड़ा अजीब-सा सन्नाटा छाया था । उस शख्स ने रोमेश के अन्दर दाखिल होते ही दरवाजा अन्दर से बन्द कर लिया और रोमेश के पीछे चलने लगा ।
"म… मगर… !" रोमेश पलटा ।
"बैडरूम में ।" उस व्यक्ति ने पीले दाँत चमकाते हुए कहा ।
रोमेश तेजी के साथ बैडरूम में झपट पड़ा । वहाँ पहुंचते-पहुंचते उसकी साँसें तेज चलने लगी थीं और फिर बैडरूम का दृश्य देखते ही उसकी आँख फट पड़ी, वह जोर से चीखा- "सीमा !"
तभी रिवॉल्वर की नाल उसकी गुद्दी से चिपक गई ।
"अब मत चिल्लाना ।" यह उस शख्स की आवाज थी, जिसने दरवाजा खोला था । उसके हाथ में अब रिवॉल्वर था ।
उसने रोमेश को एक कुर्सी पर धकेल दिया ।
एक शख्स खिड़की के पास पर्दा डाले खड़ा था । उसके हाथ में जाम था । वह धीरे-धीरे पलटा, जैसे ही उसका चेहरा सामने आया, रोमेश एक बार फिर तिलमिला उठा ।
"हरामी ! साले !! मायादास !!!"
बाकी के शब्द मायादास ने पूरे किये, "बाँध दो इसे ।"
कमरे में दो बदमाश और मौजूद थे ।
उन्होंने फ़ौरन रोमेश की मुश्कें कसनी शुरू कर दी । रोमेश को इस बीच में एक झापड़ भी पड़ गया था, जिसमें उसका होंठ फट गया । मायादास ने जाम रोमेश के चेहरे पर फेंका ।
"अभी हमने सिर्फ तुम्हारी बीवी के कपड़े उतारे हैं, इसके साथ ऐसा कुछ नहीं किया, जो या तो यह मर जाये या तुम आत्महत्या कर लो । हम तो तुम्हें सिर्फ नमूना दिखाने आये थे, तुम चाहो तो बान्द्रा पुलिस को फोन कर सकते हो, वहाँ से भी कोई मदद नहीं मिलने वाली ।" मायादास घूमकर सीमा के पास पहुँचा ।
सीमा का मुंह टेप से बन्द किया हुआ था,उसके हाथ पाँव बैड पर बंधे थे और उसके तन पर एक भी कपड़ा नहीं था ।
"डियर स्वीट बेबी, तुम अभी भी बहुत हसीन लग रही हो, दिल तो हमारा बहुत मचल रहा है, मगर सी.एम. साहब का हुक्म है कि हम दिल को सम्भालकर रखें, क्योंकि आगे का काम करने का शौक उन्हीं का है ।"
''हरामजादे ।" रोमेश चीखा ।
रोमेश के एक थप्पड़ और पड़ा ।
"साले अपने आपको हरिश्चन्द्र समझता है ।" मायादास गुर्राया, "अभी तेरे को हम तीन दिन की मोहलत देने आये हैं । जे.एन. साहब की जिद यही है कि तू ही बटाला को छुड़ायेगा । तीन दिन बाद तेरी बीवी के साथ जे.एन. साहब के नाजायज सम्बन्ध बन जायेंगे, इसके बाद इसे हम सबके हवाले कर दिया जायेगा । तेरा नौकर बाथरूम में बेहोश पड़ा है, पानी छिड़क देना, होश आ जायेगा ।"
मायादास उस समय सिगरेट पी रहा था ।
उसने सिगरेट सीमा के सीने पर रखकर बुझाई । सीमा केवल तड़पती रह गई, मुँह बन्द होने के कारण चीख भी न सकी ।
मायादास ने कहा और बाहर निकल गया ।
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