RE: Gandi Sex kahani दस जनवरी की रात
दस दिन बाद ही एक धमाका हुआ । सभी अखबार सावंत की सनसनीखेज हत्या की वारदात से रंगे हुए थे । टी.वी., रेडियो हर जगह एक ही प्रमुख समाचार था, एम.पी. सावंत की बर्बर हत्या कर दी गई । सावंत को स्टेनगन से शूट किया गया था और उसके शरीर में आठ गोलियां धंस गई थीं ।
यह घटना गोरेगांव के एक क्रासिंग पर घटी थी । इंस्पेक्टर विजय तुरंत ही पूरी फोर्स के साथ घटनास्थल पर पहुंच गया । एम.पी. सावंत की जिस समय हत्या की गई, वह उस समय एक बुलेटप्रूफ कार में था । उसके साथ दो गनर भी मौजूद थे । दोनों गनर बुरी तरह घायल थे ।
घटना इस प्रकार बताई जाती थी- सावंत गाड़ी में बैठा था,अचानक इंजन की खराबी से गाड़ी रास्ते में रुक गई । गोरेगांव के इलाके में एक चौराहे के पास ड्राइवर और गनर ने धक्के देकर उसे किनारे लगाया । उस समय सावंत को कहीं जल्दी जाना था । वह गाड़ी से उतरकर टैक्सी देखने लगा, तभी हादसा हुआ । एक टैक्सी सावंत के पास रुकी । ठीक उसी तरह जैसे सवारी उतरती है, टैक्सी के पीछे का द्वार खुला और एक नकाबपोश प्रकट हुआ । इससे पहले कि सावंत कुछ कह पाता, नकाबपोश ने निहायत फिल्मी अंदाज में स्टेनगन से गोलियों की बौछार कर डाली । गनर फायरिंग सुनकर पलटे कि उन पर भी फायर खोल दिये गये, गनर गाड़ी के पीछे दुबक गये । एक के कंधे पर गोली लगी थी और दूसरे की टांग में दो गोलियां बताई गई । ड्राइवर गाड़ी के पीछे छिप गया था ।
नकाबपोश जिस टैक्सी से उतरा था, उसी से फरार हो गया ।
पुलिस को टैक्सी की तलाशी शुरू करनी थी । विजय इस घटना के कारण उन दिनों बहुत व्यस्त हो गया । उस इलाके के बहुत से बदमाशों की धरपकड़ की, चारों तरफ मुखबिर लगा दिये और फिर रोमेश ने तीन दिन बाद ही समाचार पत्र में पढ़ा कि सावंत के कत्ल के जुर्म में चंदन को आरोपित कर दिया गया है । चंदन अंडर ग्राउंड था और पुलिस उसे तलाश कर रही थी । विजय ने दावा किया कि उसने मामला खोज दिया है, अब केवल हत्यारे की गिरफ्तारी होना बाकी है । चंदन अभी तस्करी का धंधा करता था और कभी वह सावंत का पार्टनर हुआ करता था ।
विजय की इस तफ्तीश से रोमेश को भारी कोफ्त हुई । उसने विजय को फोन पर तलाशना शुरू किया, करीब चार-पांच घंटे बाद शाम को खुद विजय का फोन आया ।
"क्या बात है ? तुम मुझे क्यों तलाश रहे हो ? भई जरा बहुत व्यस्तता बढ़ी हुई है, पढ़ ही रहे होगे अखबारों में । "
''वह सब पढ़ने के बाद ही तो तुम्हारी तलाश शुरू की ।''
"कोई खास बात ?"
"खास बात यह है कि अगर तुमने चंदन को गिरफ्तार किया, तो मैं उसका मुकदमा फ्री लडूँगा । " इतना कहकर रोमेश ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया ।
विजय हैलो-हैलो करता रह गया ।
रोमेश की इस चेतावनी के बाद विजय का अपने स्थान पर रुके रहना सम्भव न था । सारे जरूरी काम छोड़कर वह रोमेश की तरफ दौड़ पड़ा ।
रोमेश उसका इंतजार कर रहा था ।
''तुम्हारे इस फैसले का क्या मतलब हुआ, क्या तुम्हें मेरी ईमानदारी के ऊपर शक है ?"
"ईमानदारी पर नहीं, तफ्तीश पर ।"
"क्या कहते हो यार, मेरे पास पुख्ता सबूत हैं, एक बार वह मेरे हाथ आ जाये । फिर देखना मैं कैसे अपने डिपार्टमेंट की नाक ऊंची करता हूँ । एस.एस.पी. कह रहे थे कि सी.एम. साहब खुद केस में दिलचस्पी रखते हैं और केस उलझाने वाले को अवार्ड तक मिलने की उम्मीद है । उनका कहना है कि हत्यारा चाहे जितनी बड़ी हैसियत क्यों ना रखता हो, बख्शा न जाये ।"
''और तुम बड़ी बहादुरी से चंदन के पीछे हाथ धोकर पड़ गये, यह चंदन का क्लू तुम्हें कहाँ से मिल गया ?"
"एम.पी. के सिक्योरिटी डिपार्टमेंट से । एम.पी. ने इस संबंध में गुप्त रूप से डॉक्यूमेंट भी तैयार किए थे । उसे तो उसकी मौत के बाद ही खोला जाना था । वह मेरे पास हैं और उनमें सारा मामला दर्ज है । एम.पी. सावंत के डॉक्यूमेंट को पढ़ने के बाद सारा मामला साफ हो जाता है । वह सारी फाइल एस.एस.पी. को पहुँचा दी है मैंने । एम.पी. ने खुद उसे तैयार किया था और इस मामले में किसी प्राइवेट एजेंसी से भी मदद ली गई, उस एजेंसी ने भी चंदन को दोषी ठहराया था । ''
''क्या बकते हो ?''
''अरे यार मैं ठीक कह रहा हूँ, मगर तुम किस आधार पर चंदन का केस लड़ने की ताल ठोक रहे हो ।''
''इसलिये कि चंदन उसका कातिल नहीं है ।''
''चंदन के स्थान पर उसका कोई गुर्गा हो सकता है ।''
''वह भी नहीं है, तुम्हारे डिपार्टमेंट की मैं मिट्टी पलीत कर के रख दूँगा और तुम अवार्ड की बात कर रहे हो । तुम नीचे जाओगे, सब इंस्पेक्टर बन जाओगे, लाइन हाजिर मिलोगे ।''
विजय के तो छक्के छूट गये । रोमेश जिस आत्मविश्वास से कह रहा था, उससे साफ जाहिर था कि वह जो कह रहा है, वही होगा ।
''तो फिर तुम ही बताओ, असली कातिल कौन है ?"
"तुम्हारा सी.एम. ! जे.एन. है उसका कातिल ।"
विजय उछल पड़ा । वह इधर-उधर इस प्रकार देखने लगा, जैसे कहीं किसी ने कुछ सुन तो नहीं लिया ।
"एक मिनट ।'' वह उठा और दरवाजा बंद करके आ गया ।
''अब बोलो ।'' वह फुसफुसाया ।
''तुम इस केस से हाथ खींच लो ।'' रोमेश ने भी फुसफुसाकर कहा ।
''य...यह नहीं हो सकता ।''
''तुम चीफ कमिश्नर को गिरफ्तार नहीं कर सकते । नौकरी चली जायेगी । इसलिये कहता हूँ, तुम इस तफ्तीश से हाथ खींच लोगे, तो जांच किसी और को दी जायेगी । वह चंदन को ही पकड़ेगा और मैं चंदन को छुड़ा लूँगा । तुम्हारा ना कोई भला होगा, ना नुकसान ।''
''यह हो ही नहीं सकता ।'' विजय ने मेज पर घूंसा मारते हुए कहा ।
''नहीं हो सकता तो वर्दी की लाज रखो, ट्रैक बदलो और सीएम को घेर लो । मैं तुम्हारा साथ दूँगा और सबूत भी । जैसे ही तुम ट्रैक बदलोगे, तुम पर आफतें टूटनी शुरू होंगी । डिपार्टमेंटल दबाव भी पड़ सकता है और तुम्हारी नौकरी तक खतरे में पड़ सकती है । परंतु शहीद होने वाला भले ही मर जाता है, लेकिन इतिहास उसे जिंदा रखता है और जो इतिहास बनाते हैं, वह कभी नहीं मरते । कई भ्रष्ट अधिकारी तुम्हारे मार्ग में रोड़ा बनेंगे, जिनका नाम काले पन्नों पर होगा ।"
''मैं वादा करता हूँ रोमेश ऐसा ही होगा । परंतु ट्रैक बदलने के लिए मेरे पास सबूत तो होना चाहिये ।''
"सबूत मैं तुम्हें दूँगा ।"
"ठीक है ।" विजय ने हाथ मिलाया और उठ खड़ा हुआ ।
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