Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
11-27-2020, 03:54 PM,
#26
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
जैसे ही मैंने कमरे में प्रवेश किया,
बड़ी बेताबी से मुझे सामने से बांहों में जकड़ कर करीम चाचा ने चूमना शुरू कर दिया.
करीम चाचा भी मेरे पापा की तरह ही हट्ठे कट्ठे 55 साल के पहलवान से कम नहीं थे.
तोंद थोड़ा निकला हुआ था मगर थे मजबूत कद काठी के. कद करीब 5 फुट 11 इंच होगा.
इधर पापा ने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और खुद भी पीछे से मुझे दबोच लिया और मेरी चूचियों को दबाने लगे.
कितने हरामी थे मेरे पापा.
खुद तो रिश्ते को शर्मशार करके मेरे साथ मुंह काला किया और अब पराए मर्द के सामने परोस कर पुनः मेरे साथ सामुहिक संभोग के लिए तत्पर थे.
रिश्ते नाते की मुझे भी कौन सी परवाह थी,
मैं तो खुद भी उनकी कामुकता भरी चेष्टाओं से वासना की अग्नि में झुलसने लगी थी और बड़ी बेकरारी से मेरे साथ होने वाली कामक्रीड़ा का आनंद लेने को लालायित हो उठी थी.
मैं अब वासना के खेल का पूर्ण आनंद लेने के लिए हमारे बीच के नाते रिश्ते के तारों को छिन्न-भिन्न करके
अपने अंदर की सारी भावनाओं को समूल नष्ट कर देने का मन बना चुकी थी और इसके लिए जरूरी था कि हमारे बीच किसी प्रकार का कोई राज़, राज़ न रहे और हम सब एक दूसरे के लिए खुली किताब बन जाएं.
मुझे ही इसकी पहल करनी थी.
“हाय पापा, इतनी बेसब्री और बेरहमी से अपनी बेटी की चूचियों को मत मसलिए ना. मैं कहीं भागी जा रही हूं क्या?
पूरी की पूरी आप लोगों की ही तो हूं.
” मैं ने जानबूझ कर करीम चाचा के सामने हमारे रिश्ते का पर्दाफाश कर दिया.
करीम चाचा अविश्वसनीय नज़रों से आंखें फाड़कर कभी मुझे देखते कभी नौकर हरिया को.
“साले कमीने, तूने अपनी बेटी को भी नहीं छोड़ा.
” वे बेसाख्ता बोल उठे.
मेरे पापा करीम चाचा के सामने इस तरह आकस्मिक हुए रहस्योद्घाटन से तनिक लज्जित और किंकर्तव्यविमूढ़ हो गये, मगर मैं ने मामला संभाल लिया और बोली, “क्या फर्क पड़ता है चाचा, नाना, दादा, पापा, चाचा, भाई या पति सब बाद में, पहले तो सब मर्द ही हैं ना, कभी न कभी किसी न किसी स्त्री को चोदेंगे ही.
मैं बेटी, नतनी, पोती, भतीजी, बहन या पत्नी बाद में हूं, पहले एक स्त्री हूं, जिसकी आज नहीं तो कल किसी न किसी मर्द से चुदाई तो होनी ही है.
” फिर पापा की ओर कनखियों से देखती हुई बोली, “वैसे भी किसी ने मुझसे कहा था, लंड ना चीन्हे बेटी. लीजिए, अब मैं कहती हूं, चूत ना चीन्हे रिश्ते नाते.
पिछले पांच दिनों में नानाजी, दादाजी, बड़े दादाजी और पापा के अलावा चार अजनबी बूढ़ों ने मुझे मनमर्जी ढंग से चोद चोद कर रंडी बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा है क्या?
खुद भी बेशरम हो कर मजा लिए और मुझे भी चुदाई का मज़ा लेना सिखा दिया
सच पूछिए तो मैं इन लोगों की शुक्रगुजार हूं और अहसानमंद भी.
अब और ज्यादा दिमाग मत चलाइए, चलिए शुरू हो जाईए,
जो आग आप लोगों ने लगाई है पहले उसे बुझा तो दीजिए.
” मैं बिना लाग-लपेट के बेशर्मी से बोल उठी.
मेरी बातों ने पापा की शर्मिंदगी को खत्म तो किया ही, साथ ही साथ उस गरमागरम माहौल की आग में घी का काम भी किया.
“वाह बिटिया वाह, अब आएगा मज़ा.
” हवस के पुजारी करीम चाचा की आंखों में वासना की भूख चमक उठी. बिल्कुल वहशी जानवर की तरह मुझ पर टूट पड़े और आनन फानन में मेरे शरीर को कपड़ों से मुक्त कर दिया और मेरी नंगी दपदपाती काया को अपलक लार टपकाती नजरों से निहारते हुए अपनी किस्मत पर रश्क करने लगे.
“अब दीदे फाड़ कर क्या देख रहे हैं, पहले कोई नंगी स्त्री नहीं देखी है क्या? अपने कपड़े भी तो उतारिए, कि मैं उतार दूं?
” मैं किसी खेली खाई छिनाल की तरह बोल उठी. मैं वास्तव में वासना की ज्वाला में जल रही थी.
करीम चाचा मानों तंद्रा से जाग उठे और पलक झपकते मादरजात नंगे हो गए. पूरे शरीर पर बाल भरे हुए थे, किसी रीछ की तरह.
सर पर अधपके घुंघराले बाल और लंबोतरे चेहरे पर बेतरतीब लंबी दाढ़ी. दोनों जांघों के बीच सामने झूलता कोयले की तरह काला 9 इंच लंबा लंड, मगर भयानक मोटा, चार इंच के करीब.
लंड के सामने का चमड़ा कटा हुआ, सुपाड़ा चिकना और टेनिस बॉल की तरह गोल.
एक बार तो मैं अवाक रह गई, उनके लंड के दर्शन से.
मेरी तंद्रा भंग हुई जब किसी भूखे भेड़िए की तरह करीम चाचा मुझ पर टूट पड़े. मुझे अपनी मजबूत बांहों में दबोच कर बिस्तर पर गिरा दिया और बेहताशा चुम्बनों की बौछार करने लगे.
इधर मेरे पापा भी मादरजात नंगे हो कर मेरे नंगे जिस्म में पीछे से चिपक गये.
“हाय राम इतनी बेसब्री किस बात की, आराम से कीजिए ना” मैं बोली.
“अब क्या आराम से, इतनी मस्त माल पहली बार मिली है मुझे. अब तो बर्दाश्त नहीं हो रहा है बिटिया.
” कह कर करीम चाचा मेरे मुंह में अपनी जीभ घुसा कर चुभलाने लगे और मेरी चूचियों को बेरहमी से मसलने लगे.
मेरी सिसकारियां उनके मुंह से बंद थीं.
मेरे पीछे मेरे पापा मेरी गांड़ को चाट रहे थे.
मेरी गांड़ को दोनों हाथों सेफैला कर मेरे गुदा मार्ग में जीभ डाल कर चाट रहे थे. मेरी उत्तेजना अपने चरम पर थी.
मैं पागलों की तरह चाचाजी की बांहों में कसमसा रही थी.
अब करीम चाचा ने एक हाथ की उंगली मेरी चूत में भच्च से पेल दिया.
इस आकस्मिक हमले से मैं चिहुंक उठी.
इधर मेरी चूत में करीम चाचा की उंगली घुसी और दूसरे ही पल मेरी गांड़ में मेरे पापा ने उंगली घुसा दी.
इस दोतरफे हमले से मैं छटपटा उठी.
“आह हरामियों, ओ्ओ्ओ्ओह उफ्फ, इस्स्स्स.” मैं सिसक उठी.
मैं दो दो पहलवानों के बीच परकटी पंछी की तरह फड़फड़ा कर रह गई.
मैं दाहिने करवट पर लेटी थी, सामने करीम चाचा बांए करवट ले कर और पीछे मेरे पापा दाहिने करवट लेकर मेरे नग्न शरीर से खेल रहे थे.
मैं पागल होती जा रही थी.
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RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा - by desiaks - 11-27-2020, 03:54 PM

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