Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट
10-27-2020, 03:06 PM,
#89
RE: Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट
“अब मैं क्‍या कहूं तुम्‍हारे यकीन को !”

“यानी सच में ऐसा ही है ?”
“है तो सही !”
“अक्‍ल मारी गयी आपकी ! खड़े पैर ! अपनी कब्र खुद खोद डाली !”
“क्‍या फर्क पड़ता है !”
“आपका दिमाग चल गया है । तूफान की टेंशन आपको बर्दाश्‍त न हुई, इसलिये मगज हिल गया ।”
“अब क्‍या फर्क पड़ता है !”
“आप बूढ़े हैं, अपने बनाने वाले के करीब हैं, आपको नहीं पड़ता, मेरा तो खयाल किया होता ! हमारा तो खयाल किया होता ! धोखा दिया आपने ! डबल क्रॉस किया ! कैसे...कैसे आप पाले के दोनों तरफ हो सकते हैं !”
“मुझे तुम्‍हारी तरफ होने का अफसोस है...”

“अब अफसोस है ! तब अफसोस नहीं था जब माल बटोर रहे थे ?”
“गलती किसी से भी हो सकती है । गलती करना नादानी है । गलती करके उसको सुधारने की कोशिश न करना ज्‍यादा बड़ी नादानी है ।”
“नौ सौ चूहे खा के बिल्‍ली हज को चली ।”
“मैंने तुम लोगों का साथ ये सोच के दिया था कि इसमें हमारे से ज्‍यादा आइलैंड का भला था । कैसीनो की वजह से, मौजमेले के साधनों की वजह से, यहां टूरिस्‍ट्स इनफ्लक्‍स बढ़ेगा तो आइलैंड पर खुशहाली आयेगी, यहां के बशिंदों की माली हैसियत में इजाफा होगा । नतीजा क्‍या निकला ? एक छोटा कम्‍प्रोमाइज एक बड़ा बखेडा़ बन गया । रण्डियों का जमवाड़ा होने लगा । भोर भये तक के ड्रिकिंग सैशन चलने लगे, बारों में शराबखोरी के बाद दंगे फसाद के वाकयात बढ़ने लगे । बारों में बारबालाओं ने ग्राहकों को शरेआम लूटना शुरू कर दिया । यहां कैसीनो की शिकायतें होने लगी कि स्‍लॉट मशीन मैनीपुलेटिड थीं, रॉलेट व्‍हील में बाल कैसीनो की मर्जी के नम्‍बर पर लैंड करती थीं, ताश की गड्‍डियां मार्क्‍ड थीं । यानी कि यहां हर ऐसा इंतजाम मौजूद था जिसके होते यहां से कोई भी कोई बड़ी रकम जीत के नहीं जा सकता था, अलबत्‍ता बड़ी रकम हार के जाना निश्‍चित था । आइलैंड पर ड्रग्‍स लोलीपोप और पीनट्स की तरह बिकने लगे । सट्टा, मटका पुलिस की सरपरस्‍ती में शरेआम खेला जाने लगा । हमें पता ही न चला कि आइलैंड पर मैग्‍नारो का राज हो गया और हम इसके मुलाजिमों के रोल में आ गये । कर्टसी मैग्‍नार, एक दिन यहां अराजकता का ऐसा बोलबाला होगा, मैंने सपने में नहीं सोचा था । मैंने जरा सी ढ़ील क्‍या दी मेरे हाथ से डोर निकल गयी । जिस लानत की शुरूआत में बाकायदा मेरी शिरकत थी उसको लगाम लगा पाना मेरे बूते की बात ही न रही । मुझे मजबूरन तुम्‍हारी, इन रैकेटियर की हर लाइन टो करनी पड़ी । महाबोले मेरा यकीन करो मेरा दिल मेरी मजबूरी पर, मेरी बेचारगी पर आठ आठ आंसू रोता है ।”

“ब्‍लडी हिपोक्राइट !” - मैग्‍नारो तिरस्‍कारभरे स्‍वर में बोला ।
“रोमिला सावंत का कत्‍ल हुआ तो समझो कि हद ही हो गयी । आइलैंड पर बस खूंरेजी की ही कसर थी कि रोमिला के कत्ल के साथ वो शुरुआत भी हो गयी । ये ऐसी शुरुआत थी जिसका होना महज वक्‍त की बात रह गयी थी । कत्‍ल रोमिला का न होता तो किसी और का होता । इस लानत का वक्‍त आ गया था इसलिये जैसे तैसे ये वाकया हो के रहनी थी ।”
“और आप” - महाबोले बोला - “जो वाकया होना था उसके होने का इंतजार करते रहे, पछताते रहे, आंसू बहाते रहे और अपने हिस्‍से के नोट गिनते रहे । अपनी काली करतूतों की काली कमाई बेटी को ऐश के लिये मुहैया कराते रहे और वो आपके गुण गाती रही । ‘मेरा पिता महान’ का राग अलाप कर थैंकफुल होती रही ।”

“जिसे तुमने मेरी करतूतें कहा, उनकी वजह से मेरी बेटी मेरे से नफरत करती है ।”
“लेकिन रात के दो बजे तक ऐश करने के लिये जब रोकड़े की जरूरत होती है तो नफरत प्‍यार में बदल जाती है, लाड करने लगती है, लाडली बन के मनमानी वसूली करती है ।”
“उसे नहीं मालूम था कि रोकड़ा मेरे पास कहां से आता था । मालूम पड़ा तो...तो बाप विलेन दिखाई देने लगा ।”
“अभी ये ड्रामेटिक्‍स बंद करने का ।” - एकाएक मैग्‍नारो उठ खड़ा हुआ और भड़क कर बोला - “कान पक गया साला !”
लगता था आवेश में उसको भूल गया था कि नीलेश उस पर गन ताने था ।

“मेरे भी ।” - महाबोले बोला - “बुड्ढा साला गिरगिट है, उसकी माफिक रंग बदलता है । बोले तो सठिया गया है । जो एम्‍पायर हमने इधर इतनी मेहनत से खड़ा किया है, ये अब उसमें पलीता लगाना मांगता है । अभी उसी पेड़ को काटना मांगता है जिसका इतने लम्‍बे अरसे से फल खा रहा है । मैं ये नहीं होने दूंगा । इससे पहले कि ये इमारा जमाया सिलसिला उखाड़े, मैं इसको उखाड़ फेंकूंगा ।”
“परवाह नहीं मेरे को ।” - मोकाशी बोला - “तुम लोगों का बेड़ा गर्क होता है, तुम लोगों की लंका उजड़ती है तो मेरे को जान से जाना कुबूल है ।”

“जायेगा बराबर, स्‍टूपिड ओल्‍ड मैन ! अनग्रेटफुलसन आफ ए बिच ! कोई पूछे नाशुक्रे को, अपने बूते से प्रेसीडेंट का इलैक्‍शन जीत सकता था ! वोटरों को डरा कर, धमका कर, बहला कर, बाटली टिका कर, मैं साला वोट दिलाया तो साला इलैक्‍शन जीता, प्रेसीडेंट बना ।”
“क्‍यों किया ऐसा ? मेरे पर अहसान किया कि अपना काम किया ! तुमको इधर अपने इशारों पर नाचने वाला प्रेसीडेंट मांगता था । और वो प्रेसीडेंट कौन ! अक्‍ल का अंधा बाबूराव मोकाशी । जिसको आखिर अक्‍ल आयी तो दारोगा तड़पता है, भाव खाता है, आग उगलता है !”
“मार डालूंगा ।” - महाबोले दांत पीसता बोला - “नहीं छोडूंगा ।”

“कैसे मारेगा ? फूंक से उड़ा देगा ? गन तो मेरे हाथ में हैं !”
“साहबान !” - नीलेश उच्‍च स्‍वर में बोला - “हर कोई भूल गया मालूम होता है कि मैं अभी भी यहां मौजूद हूं और आप सब लोग मेरे काबू में हैं ।”
नीलेश ने अपना गन वाला हाथ सामने ताना ताकि सबको याद आ जाता कि वो सबको कवर किये था ।
“महाबोले” - वो फिर बोला - “अपनी गन को उंगली और अंगूठे से पकड़ कर होल्‍स्‍टर से निकालो और उसे मेज से परे फर्श पर डालो ।”
महाबोले ने जैसे सुना ही नहीं ।

“मेरे को मालूम कैसी गन तेरे हाथ में है !” - वो पूर्ववत् मोकाशी से सम्‍बोधित था - “साला म्‍यूजियम पीस ! पता नहीं काम करता भी है कि नहीं ! हिम्‍मत है तो चला गोली ! वर्ना मैं करता हूं किस्‍सा खत्‍म !”
उसने होल्‍स्‍टर से गन खींचने की कोशि‍श की तो होल्‍स्‍टर भीगा होने की वजह से वो कहीं अटक गयी । आपे से बाहर हुआ वो गन को होल्‍स्‍टर से आजाद करने की कोशि‍श करता रहा । वही काम वो शांति से, इत्‍मीनान से करता तो कब का हो गया होता ।
मोकाशी अपना रिवाल्‍वर वाला हाथ सीधा करने लगा ।

साफ जान पड़ रहा था कि वो रिवाल्‍वर का मालिक ही था, बावक्‍तेजरुरत उसको हैंडल करने का उसे कोई तजुर्बा नहीं था ।
नीलेश को उसका महाबोले की चलाई गोली खा जाना निश्चित लगने लगा ।
उसने फायर किया…जान बूझ कर लो फायर किया ।
गोली महाबोले की जांघ में लगी । उसका बैलेंस बिगड़ गया और तब तक उसके हाथ में पहुंच चुकी गन से चली गोली निशाने पर लगने की जगह छत से जा कर टकराई ।
मोकाशी की चलाई गोली उसकी छाती में लगी ।
जिस कुर्सी पर से वो उठा था, उसको लिये दिेये वो फर्श पर ढेर हो गया । उसकी गन उसके हाथ से निकल कर टन्‍न की आवाज करती फर्श पर परे लुढ़क गयी ।

नीलेश को उसके होंठों की कोर से रिसती खून की पतली सी लकीर दिखाई दी ।
मोकाशी आंखे फाड़े हक्‍का बक्‍का सा अपने कारनामे का नतीजा देख रहा था ।
मैग्‍नारो का सिगार खुद ही उसके खुले मुंह से निकल कर फर्श पर जा गिरा था ।
उस तमाम कनफ्युजन के माहौल में रोनी डिसूजा का हाथ धीरे धीरे अपनी जैकेट की भीतरी जेब की ओर सरक रहा था जिसमें कि गन थी ।
इत्‍तफाक से ही नीलेश की निगाह उसकी उस हरकत पर पड़ी ।
“फ्रीज!” - अपनी गन उसकी ओर तानता वो हिंसक भाव से बोला ।
डिसूजा का हाथ रास्‍ते में ही ठिठक गया ।

“हाथ ऊपर !”
मजबुरन डिसूजा ने दोनों हाथ ऊपर उठाये ।
“साला कोई काम फुर्ती से नहीं कर सकता ।” - मैग्‍नारो तिरस्‍कारपूर्ण स्‍वर में बोला - “गन को काबू करने का हिम्‍मत किया तो स्‍लो मोशन में ।”
“मेरे को टैम्‍पटेशन फिनिश करने का ।” - नीलेश बोला - “मेरे को गन किसी के पास नहीं मांगता । ये मैं मैग्‍नारो, उसके बॉडीगार्ड और हवलदार को बोला । सुना सब लोग ।”
कोई कुछ न बोला ।
बोला तो अपनी हकबकाहट से उबर कर मोकाशी बोला ।
“कोई एसएचओ साहब की माफिक एक्‍ट करना मांगता है ? बोले तो मेरे को गन हैंडल करने का कोई खास तजुर्बा नहीं, इस वास्‍ते मेरा निशाना कमजोर है । ये महज इत्‍तफाक था कि मेरी चलाई गोली महाबोले की छाती में जाकर लगी । लेकिन ये इत्‍तफाक फिर हो सकता है, फिर के बाद फिर हो सकता है । इसलिये कोई जना महाबोले की तरफ मेरे को ढेर करना मांगता है तो मैं उसको वैलकम बोलता हूं । खत्री, अपनी बॉस को फालो करता है ?”

“मेरे को खयाल भी नहीं करने का, मोकाशी साहब ।” - हवलदार खत्री दयनीय स्‍वर में बोला - “मेरी आपसे कोई अदावत नहीं । मेरी जो मजबूरी थी” - उसने फर्श पर लुढके पड़े मुर्दा महाबोले पर निगाह डाली - “वो खत्‍म हो गयी । जो प्रेशर था, वो हट गया । अब मेरे को काहे को एसएचओ साहब की माफिक एक्‍ट करने का ! अपने बॉस को फालो करने का !”
उसने सबको दिखाकर, अंगूठे और उंगली से थाम कर अपने शोल्‍डर होल्‍स्‍टर से गन निकाली और नीलेश को सौंप दी ।
“अभी बिग बॉस क्‍या बोलता है ?” - मोकाशी मैग्‍नारो से मुखातिब हुआ ।
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RE: Thriller Sex Kahani - सीक्रेट एजेंट - by desiaks - 10-27-2020, 03:06 PM

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