RE: antarwasna आधा तीतर आधा बटेर
मैं इस किस्से को महेज़ इसलिए लंबाई दे रहा हूँ क़ि अभी तक ब्लॅकमेलिंग का असल मक़सद सामने नही आया है….मुझे सिर्फ़ इसका इंतजार है कि वो डॉक्टर शाहिद से कोई माँग करे….!
उन लोगों की कोई हरकत मेरी समझमे नही आ रही….!
मसलन….?
आख़िर उसने लड़की की गुमशुदगी की रिपोर्ट क्यूँ दर्ज कराई….?
डेविड के इशारे पर….
और अब मुझे यह जताना चाहता है कि लड़की ढांप ही की साथी है….!
रहमान साहब कुछ ना बोले किसी सोच में पड़ गये….
इमरान चुप-चाप उठा….
और बाहर चला आया….कॅप्टन फायज़ उसे कोठी पहुँचा कर पहले ही जा चुका था….
और कॉर्निला उसी के हिरासत में थी….हो सकता था बाज़ाबता तौर पर घर ही पहुँचा दी गयी हो….
बहेरहाल इमरान को उसकी कतई फ़िक्र नही थी….अभी वो राहदारी भी नही पार कर पाया था कि रहमान साहब की आवाज़ आई….ठहरो
इमरान रुक गया….
रहमान साहब करीब आ कर बोले….जब तक यह मामला तय नही हो जाता मैं सुरैया की शादी नही कर सकता…..!
जब तक आप शादी नही करेंगे मामला हरगिज़ तय नही होगा….
क्या मतलब….?
शादी के बाद शाहिद और पाबंदियों में जकड जाएगा….इस्तीफ़ा दे कर मुलाज़िमत से तो पीछा छुड़ा सकता है….
लेकिन डेविड के ख़याल के मुताबिक….
मैं समझ गया….
शादी के बाद ही वो अपनी माँग पेश करेगा….
रहमान साहब चुप-चाप वापसी के लिए मूड गये….
और इमरान सोचने लगा क्यूँ ना पहले सुलेमान ही की शादी कर दी जाए….
वरना हो सकता है कि सुरैया की शादी के बाद किसी को उसका होश ही ना रहे….उसने सर को माने खेज में हिलाया
और कॉंपाउंड में निकल आया….इस वक़्त यहाँ रुक कर वक़्त नही बर्बाद कर सकता था….उसने एक पब्लिक टेलिफोन बूत से कॅप्टन फायज़ के नंबर डाइयल किए….
और दूसरी तरफ से जवाब मिलने पर बोला….लड़की कहाँ है….?
तुम से मतलब….? फायज़ की आवाज़ आई
गुमशुदगी की रिपोर्ट किस थाने में दर्ज कराई गयी थी….?
मैं यह भी ना बताउन्गा….
तुम्हारी सब से छोटी साली की शादी हुई है या नही….?
यह क्या बकवास है….?
शादी या साली….?
क्यूँ मेरा वक़्त बर्बाद कर रहे हो….?
अब खुतूत कशीदा (तनावपूर्ण) के अल्फ़ाज़ के माने बताओ….!
दूसरी तरफ से सिलसिला कट होने की आवाज़ आई….
इमरान ने हंस के नंबर डाइयल किए….घंटी बजती रही….
लेकिन किसी ने रिसीवर नही उठाया….टेलिफोन बूत से बाहर निकलते वक़्त सोच रहा था कि अब उसे क्या करना चाहिए….डॉक्टर शाहिद की तरफ से कोई ऐसी इत्तेला नही मिली थी जिन की बिना पर रणनीति बनाई जा सके….
फिलहाल तो बस यही हो सकता था कि दूसरी पार्टी को उलझाए रखा जाए….
और उसके लिए ढांप वाला स्टंट….!
अब उसकी गाड़ी फ्लॅट की तरफ जा रही थी….
और उसने महसूस कर लिया कि टेलिफोन बूत से निकलते ही उसका पीछा शुरू हो गया है….या यह भी मुमकिन था कि नीले रंग की गाड़ी शुरू ही से पीछे लगी रही हो….
और उसने ध्यान नही दिया हो….!
फ्लॅट में पहुँचा तो कॉर्निला इंतेज़ार करती नज़र आई….
सुलेमान एक तरफ मुँह बनाए खड़ा था….इमरान को देखते ही बोला….मौक़ा ही नही मिला जब देखो कोई ना कोई सर पर सवार है….
किस बात का मौक़ा नही मिला….? इमरान ने उसे घूरते हुए पूछा
कुछ ज़रूरी बातें….यह यहाँ नही रहेगी….
नही रहेगी तो साथ ले जाएगा….शर्त लगा सकता हूँ….
क्या यह गुफ्तगू मुझसे ताल्लुक हो रही है….? कॉर्निला बोल पड़ी
ओह….तुम यहाँ….? इमरान चौंक पड़ा अंदाज़ ऐसा था जैसे उसकी मौजूदगी का अहसास ही ना रहा हो
मैं यह बताने आई हूँ डॅडी ने हरगिज़ रिपोर्ट दर्ज नही कराई थी उन्हे मालूम ही नही इसका….!
मुमकिन है….इमरान का लहज़ा खुश्क था
अब अगर….तुमने मेरे साथ चल कर उन्हे संतुष्ट ना कर दिया तो वो खुद खुशी कर लेंगे….
मैं नही समझा….? तुम कहना क्या चाहती हो….?
उन्हे यक़ीन दिला दो कि तुम्हे उनकी बात पर यक़ीन है….!
क्या तुम अपना डॅडी नही बदल सकती….?
क्या मतलब….?
यह डॅडी किसी और के हवाले….उसका डॅडी तुम्हारे खुद ले लो….!
अब तुम भी मज़ाक़ उड़ाओगे….कॉर्निला ने मुर्दा सी आवाज़ में कहा….
और फिर….मोटे-मोटे आँसू गालो पर ढलने लगे….!
हाँ बे….क्या कह रहा था….? इमरान सुलेमान को घूरता हुआ बोला
मैं शेरवानी और पगड़ी में नही जाउन्गा….
तेरी सास इस लिबास में निकाह की मुखालिफ़ (विरोधी) है….
अब हम दोनो ही खुद खुशी कर लेंगे….कॉर्निला उठती हुई बोली
बैठो….इमरान हाथ उठा कर घुर्राया
और सुलेमान से बोला….कॉफी
सुलेमान पैर पटकता हुआ चला गया
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